वित्तीय बाजार क्या है ?

व्यवसायिक उपक्रम अपनी स्थार्इ And कार्यशील पूंजी की Need को पूर्ण करने के अल्पकालीन And दीर्घकालीन वित्त कोषों को पूरा करने हेतु Singleत्र करते हैं वित्तीय बाजार के अन्तर्गत वे व्यक्ति जिनके पास अधिक धन है वे अपना धन उन व्यक्तियों को उनकी Need की पूर्ति हेतु उधार लेते हैं जिनकों उनकी Need होती है इस प्रकार व्यवसाय के क्षेत्र में पूरा आधिक्य निवेशकों And ऋणदाताओं से व्यवसायी की तरफ माल व सेवको के उत्पादक अथवा विक्रय के लिए प्रवाहित होते है।

वित्तीय बाजार के मुख्य कार्य-

  1. निवेशकों And ऋणियों के मध्य आपसी समझौता करवाना 
  2. वित्तीय सपत्ति के लेनदेन को Safty प्रदान करना 
  3. निवेशकों के वित्तीय सपत्ति के विक्रय को तरलता बनाना 
  4. यह लेनदेनों व सम्बन्धित सूचना की न्यूनतम लागत सुनिश्चित करना है।

      वित्तीय बाजार के प्रकार-

      वित्तीय बाजार के दो प्रकार है- 1. मुद्रा बाजार 2. पूंजी बाजार ।

      (1) मुद्रा बाजार-

      मुद्रा बाजार Single अल्पअवधि के कोषों का बाजार है जो ऐसी वित्तीय सपत्तियों में लेनदेन करता है जिसकी Single वर्ष तक की परिपक्वता अवधी होती है मुद्रा बाजार के अन्तर्गत साख प्रलेख का लेनदेन होता है जैसे- विनिमय विपत्र, प्रतिज्ञापत्र, वाणिज्यिक पत्र, आदि।

      मुद्रा बाजार के प्रलेख-

      1. याचना राशि-याचना राशि का प्रयोग मुख्यत: बैंकों द्वारा उनके अस्थायी नकदी की Need को पूर्ण करने के लिए प्रयोग Reseller जाता है ये दिन-प्रतिदिन के आधार पर Single Second से ऋण लेते तथा देते है। इसका पुनभ्र्ाुगतान मांग पर देय होता है और इसकी परिपक्वता अवधि Single दिन से 15 दिन तक की होती है याचना राशि पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज की दर को याचना दर कहते है।
      2. ट्रेजरी बिल-ट्रेजरी बिल Single प्रतिज्ञा पत्र है जो Indian Customer रिजर्व बैंक के द्वारा अल्पकालीन वित्तीय कोष की Need की पूर्ति के लिए निर्गमित Reseller जाता है ट्रेजरी बिल उच्च तरलता वाला प्रलेख है जिसका धारक कभी भी किसी Second पक्ष को हस्तांतरित कर सकता है अथवा रिजर्व बैंक से बट्टे पर भुना सकता है ये बिल अंकित मूल्य से कम मूल्य पर निर्गमित किए जाते है। And उनका शोधन अंकित मूल्य पर होता है अत: निर्गमन मूल्य व अंकित मूल्य का जो अंतर होता है वह विनियोग पर ब्याज प्रदर्शित करता है।
      3. वाणिज्यिक पत्र-कम्पनियों की कार्यशील पूजी की Need की पूर्ति हेतु वाणिज्यिक पत्र Single लोकप्रिय प्रलेख है यह Single असुरिक्षित प्रलेख है जो प्रतिज्ञा पत्र के Reseller में निर्गमित Reseller जाता है यह प्रलेख सन् 1990 में First जारी Reseller गया था जिससे कि इसके माध्यम से कंपनियॉं अपने अल्पकालीन कोषों को उधार ले सकें यह 15 दिन से Single साल के समय तक के लिए निर्गमित Reseller जा सकता।
      4. जमा प्रमाण पत्र-जमा प्रमाण पत्र Single अल्पकालीन प्रलेख है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा And विशिष्ट वित्तीय संस्थानों द्वारा निर्गमित Reseller जाता है और जो Single पक्ष से Second पक्ष को स्वतंत्रतापूर्वक हस्तांतरणीय है बचत पत्र की परिपक्वता की अवधि 91 दिन से Single साल तक की होती है यह प्रपत्र व्यक्तियों को, सहकारी संस्थाओं और कम्पनियों को निर्गमित किए जा सकते है।
      5. व्यापारिक विपत्र-सामान्यतया व्यापारी, थोक विक्रेता या उत्पादक से माल उधार खरीदते है। विक्रेता उधार की अवधि पूर्ण होने के बाद माल की कीमत प्राप्त करता है किंतु यदि केार्इ विक्रेता माल की कीमत प्राप्त करने की प्रतीक्षा नहीं करना चाहता या उसे तत्काल धन की Need है तो वह क्रेता के पक्ष में Single विनिमय पत्र लिख सकता है जब क्रेता विपत्र पर स्वीकृति प्रदान कर देता है तो यह Single विनिमय साध्य प्रलेख बन जाता है इसी को व्यापारिक विपत्र या विनिमय पत्र कहते हैं।

        (2) पॅूंजी बाजार 

        पॅूंजी बाजार से तात्पर्य उस बाजार से है जो मध्यकालीन व दीर्घकालीन कोषों में व्यवसाय करता है दीर्घकालीन व मध्यकालीन ऋण के लिए यह संस्थागत प्रबंध है जो कि प्रतिभूतियों के विपणन And व्यापार की सुविधा प्रदान करता है अत: इसमें बैंको व वित्तीय संस्थाओं से All दीर्घकालीन ऋण, विदेशी बाजारों से ऋण और विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे अंशों, ऋणपत्रों And बॉण्डस के Singleत्र करने से पूॅंजी को शामिल Reseller जाता है। पॅूंजी बाजार के निम्नलिखित दो मुख्य भाग होते है।

        1. प्राथमिक बाजार, 
        2. द्वितीयक बाजार । 

          प्राथमिक बाजार में निर्गमित नवीन प्रतिभूतियों का लेनदेन होता है अत: इसे नवीन निर्गमन बाजार भी कहते है। जबकि द्वितीयक बजार में विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है अत: इसे स्कन्ध विपणि या शेयर बाजार या स्टॉक बाजार भी कहते है।

          1. प्राथमिक बाजार-प्राथमिक बाजार का सम्बन्ध उस व्यवस्था से है जिसके द्वारा कंपनियां नवीन अंशों व ऋणपत्रों के निर्गमन, द्वारा दीर्घकालीन ऋण प्राप्त करती हैं आप इस बात को जानते हैं कि कम्पनियॉं अंशो व ऋणपत्रो का नवीन निर्गमन अपने गठन के समय और यदि आवश्यक हुआ तो अपने व्यवसाय के विस्तारण के समय करती हैं यह कार्य बहुधा मित्रों, संबंधियों, व वित्तीय संस्थाओं से व्यक्तिगत Reseller में या सार्वजनिक निर्गमन द्वारा Reseller जाता।
          2. द्वितीयक बाजार-द्वितीयक बाजार, जो स्कंध विपणि या शेयर बाजार के नाम से जाना जाता है, अंशों वे ऋण-पत्रों को आवश्यक तरलता प्रदान कर, दीर्घ कालीन वित्त मे महत्वपूर्ण भूमिका, निभाता है यह Single स्थान है जहॉं इन प्रतिभूतियों का नकदीकरण, बिना किसी कठिनार्इ व विलंब के हो जाता है यह Single संगठित बाजार है जहॉं अंशों क्रय-विक्रय Reseller जाता है।

            प्राथमिक बाजार व द्वितीयक बाजार मे अंतर

            1. कार्य-प्राथमिक बाजार का मुख्य कार्य नवीन प्िरतभूि तयो के निगर्मन द्वारा दीघर्क ालीन कोष Singleत्र करना है वहीं द्वितीयक बाजार विद्यमान प्रतिभूि तयो को सतत् And तात्कालिक बाजार उपलब्ध कराता है।
            2. प्रतिभागी-प्राथमिक बाजार में मुख्य भाग लेने वाली वित्तीय संस्थाए, म्यूच्यूअल फण्ड, अभिगोपक और व्यक्तिगत निवेशक हैं, जबकि द्वितीयक बाजार मेंभाग लेने वाले इन All के अतिरिक्त वे दलाल भी हैं जो शेयर बाजार (स्टाक Single्सचेंज) के सदस्य हैं।
            3. सूचीबद्ध कराने की Need-प्राथमिक बाजार की प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध कराने की Need नहीं पड़ती, जबकि द्वितीयक बाजार में केवल उन्हीं प्रतिभूतियों का लेन-देन हो सकता है जो सूचीबद्ध होती हैं।
            4. मूल्यों को निर्धारण-प्राथमिक बाजार के सम्बन्ध मे प्रतिभूतियों का मूल्य निर्धारण प्रबंधन द्वारा सेबी के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए Reseller जाता है, जबकि द्वितीयक बाजार में प्रतिभूतियों का मूल्य बाजार में विद्यमान मॉंग व पूिर्त के समन्वय द्वारा निर्धारत Reseller जाता है, जो समय के According परिवर्तित होता रहता है।

              पॅूंजी बाजार And मुद्रा बाजार में अन्तर

              मुद्रा बाजार पूंजी बाजार
              1.मुद्रा बाजार का सम्बध अल्पकालीन कोष से हैं 1. पूजी व्यापार का सम्बंध दीघर्क ालीन कोष है।
              2. मुद्रा बाजार में व्यापारिक पत्र जमा पत्र, वाणिज्यिक 2. पूजी बाजार में ऋणपत्रों, बाण्डो, अंशेां, पत्र का लेनदेन होता है प्रतिभूतियों आदि का लेनदेन होता है
              3. मुद्रा बाजार के अन्तर्गत Indian Customer रिजर्व बैंक वाणिज्यिक 3. पूंजी बाजार में लेने वाले दलाल, अभिगोपक, बैंक और गैर बैंकिग वित्त कम्पनीयां आदि है म्यूच्यूअल फण्ड वित्तीय संस्थाएं और व्यक्तिगत निवेशक है।

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