राष्ट्रीय राजनीतिक दल क्या है ?

प्रत्येक लाकेतांत्रिक समाज तथा सत्तावादी व्यवस्था में राजनीतिक दल होते है। Single राजनीतिक में राजनीतिक दल होते है। Single राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दल विचारो अभिमतो व्यवस्था में राजनीतिक दल विचारो अभिमतो तथा पद्धितयो के वाहक के Reseller में कार्य करते है। दल नागरिको आरै सरकार के बीच तथा मतदाता आरै प्रतिनिधात्मक संस्थाओं के बीच कडी का काम करते है। वास्तव में Single स्वस्थ दलीय व्यवस्था की आवश्यक्ता होती है। राजनीतिक दल ऐसे उपकरण है जिनके माध्यम से नागरिक उन प्रतिनिधियों को चुनते है। सरकार बनाते है। वे वैकल्पिक नीतियों के गुण And खतरो से नागरिकों को उन्हे अवगत ही नही कराते अपितु उन्हे राजनीतिक शिक्षा भी देते है।

राजनीतिक दल का Means- 

देश की राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित किसी निश्चित सामान्य सिद्धांत तथा उददेश्य में विश्वास रखने वाले कुछ व्यक्तियों द्वारा बनाए गए संगठन को राजनीतिक दल कहते है। राजनीतिक दलो का मुख्य उददेश्य होता है राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना। जो राजनीतिक दल सरकार चलाता है उसे सत्ता पक्ष कहते है तथा जो दल विपक्ष में बैठते है सत्ता पक्ष की आलोचना करते है तथा सरकार में हिस्सा नहीं लेते उन्हे विपक्षी दल कहते है। एडमंड बर्क के According – ‘‘राजनीतिक दल कुछ लोगो का Single ऐसा समूह है जो कुछ सिद्धांतो पर Singleमत होकर अपने संयुक्त प्रयासो द्वारा जनहितों को आगे बढाने का प्रयास करता है।’’ ‘‘राजनीतिक दल से हमारा तात्पर्य नागरिको के उस न्यूनाधिक संगठित समुदाय से होता है जो Single ही साथ Single राजनीतिक इकार्इ के Reseller में कार्य करते है।’’ जे. ए. शुपीटर के According – ‘‘राजनीतिक दल Single ऐसा गुट या समूह है जिसमें सदस्य सत्ता प्राप्त करने के लिए संघर्ष व होड में लगे हुए है।’’

दलीय प्रणाली के According –

मुख्यत: तीन प्रकार की दलीय प्रणालियाँ होती है-

  1. Single दलीय प्रणाली- जहाँ सिर्फ Single ही दल होता है उसे Single दलीय प्रणाली कहते है। वहाँ Second दलो को या तो अवैध घोषित कर दिया जाता है अथवा उनका अपना कोर्इ अस्तित्व नही होता। कम्युनिष्ट देशो में Single दलीय प्रणाली है। सोवियत संघ तथा युगोस्लाविया जब कम्युिDestroy देश हुआ करते थे तब वहां Single दलीय प्रणाली हुआ करती थी। चीन में Single दलीय प्रणाली है। 
  2. द्विदलीय प्रणाली- द्विदलीय प्रणाली में दो दल पम्रुख होते है तथा इनके अलावा बाकी पार्टीयों का कोर्इ अस्तित्व नही होता। उनका अस्तित्व होता भी है तो उनकी भूमिका नगण्य होती है। इग्लैड , संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड में द्विदलीय प्रणाली है। 
  3. बहुलीय प्रणाली- इस प्रणाली में दो से अधिक दल महत्वपूर्ण होते है। बहुदलीय प्रणाली में यदि कोर्इ Single दल सरकार नही बना पाता तो कर्इ सारे दल मिलकर संयुक्त सरकार का गठन करते है। इस प्रणाली में कर्इ सारे दलो को अपनी सरकार बनाने का अवसर प्राप्त हो जाता है। किंतु इससे अस्थिरता का भी संकट लगातार बना रहता है। भारत जापान स्विटजरलैंड फ्रांस जर्मनी तथा नीदरलैड में बहुदलीय प्रणाली है। इस प्रकार कुल तीन प्रकार की दलीय प्रणालीयाँ है Single दलीय में Single राजनीतिक दल प्रमुख होता है द्विदलीय में दो दल तथा बहुदलीय में बहुत सारे दलो को प्रमुखता प्राप्त होती है। 

Indian Customer दलीय व्यवस्था का विकास – 

Indian Customer दलीय व्यवस्था के विकास का प्रारंभ 1885 में Single राजनीतिक मंच के Reseller में Indian Customer राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से होता है। Indian Customer राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना औपनिवेशिक शासन के प्रत्युत्तर के Reseller में तथा ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए की गर्इ थी। स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक संविधान अपनाने के साथ 1952 में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित First आम चुनावो के दृष्टिगत Single नइर् दलीय व्यवस्था उभरी हुर्इ। पहली स्थिति को Single दल के प्रभुत्व का दौर कहा जाता है क्योंकि केन्द्र और राज्यों में केवल (1956-59 में केरल का अपवाद छोडकर) कांग्रेस दल का शासन रहा है। दूसरी स्थिति (1967-75) में भारत ने बहुदलीय व्यवस्था के उदभव को देखा। 1967 के विधानसभा चुनावों में काग्रेंस आठ राज्यों में पराजित हुर्इ। इन राज्यों में पहली बार गैर कांग्रेसी दलो ने संयुक्त सरकार बनार्इ। 1969 में कांग्रेस (आ) तथा कांग्रेसी (एन) के Reseller में विघटन हुआ। परंतु 1971 के मध्यावधि चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस Single बाद फिर Single प्रमुख ताकत बन गर्इ। तब आपातकाल (1975-77) का युग आया। जिसे Indian Customer लोकतत्रं का सर्वसत्तावादी युग कहा जाता है।

आपातकाल हटने के साथ ही कांग्रेस का प्रभुत्व भी समाप्त हो गया है। 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस को जनता पार्टी ने पराजित Reseller। कर्इ राजनीतिक दलो के विलय के फलस्वReseller जनता पार्टी अस्तित्व में आर्इ थी। लेकिन 1980 के आम चुनावों के बाद कागं स्रे पुन: सत्ता में लौट आर्इ और 1989 तक सत्ता में बनी रही। 1989 के चुनावो में नेशनल फ्रटं ने भाजपा और वाम दलेा के सहयोग से सरकार बनार्इ। परंतु ये दोनो दल अपना कार्यकाल पूरा नही कर पाये और दसवी लाके सभा के लिए मर्इ जून 1991 में चुनाव करवाए गए। कांग्रेस ने फिर से केन्द्र में सरकार बनार्इ। 1996 के आम चुनावों मे भाजपा सबसे बडी पार्टी के Reseller में Reseller उभरकर सामने आर्इ और उसे केंद्र मे सरकार बनाने का अवसर मिला। चूकि यह निर्धारित समय में अपना बहुमत सिद्ध नही कर सकी। काग्रेंस आरै Indian Customer कम्युिDestroy पार्टी (माक्सर्वादी) के बाहरी समर्थन के आधार पर बनी 13 दलो की संयुक्त मोर्चा सरकार भी अपना कार्यकाल पूरा नही कर पार्इ। यद्यपि 1998 के चुनावो के बाद भाजपा के नतेृतव में बनी सयुंक्त सरकार को 1999 चुनावो ने दोबारा सरकार बनाने का अवसर प्रदान Reseller जिसने बहदु लीय गठबध्ंन राष्ट्रीय जनतांत्रिक (एन. डी.ए.) मे Reseller में अपना कार्यकाल पूरा Reseller।

2004 के 14 वें आम चुनावों में कांग्रेस सबसे बडे दल के Reseller में उभर कर आर्इ और केदं्र में वाम मोर्चे के समर्थन से गठबंधन की सरकार बनार्इ। 1989 में पा्रभ् हएु Indian Customer दलीय व्यवस्था का दौर अभी भी चल रहा है और इसे मिली जुली अथवा गठबधन की राजनीति दारै कहा जाता है। कोइर् भी दल इस दौर में अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाने में सफल नही हुआ है।

राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल- 

भारत में दो प्रकार के दल है- राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल। राष्ट्रीय दल वे है जिनका प्राय: पूरे देश में प्रभाव है। यह आवश्यक नही है कि राष्ट्रीय दल All राज्यों में समान Reseller से शक्तिशाली हों। किसी दल को चुनाव आयोग Single निश्चित सूत्र के आधार पर राष्ट्रीय दल की मान्यता प्रदान करता है। ऐसी राजनीतिक दल को जिसने पिछले आम चुनावों में डाले गए कुल वैद्यमतो के 6 प्रतिशत से अधिक मत कम से कम चार राज्यों प्राप्त किए हो उसे राष्ट्रीय दल का दर्जा प्रदान Reseller जाता है।

राष्ट्रीय दलो की संख्या बदलती रहती है। वर्ष 2006 में Indian Customer राष्ट्रीय कांगेस्र Indian Customer जनता पार्टी Indian Customer कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) Indian Customer कम्युनिष्ट पार्टी बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय दल थे। इन राष्ट्रीय दलो के अतिरिक्त भारत में कुछ अन्य दल भी है जिनका राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव नहीं है। उनकी गतिविधियां और प्रभाव नही है। उनकी गतिविधियां और प्रभाव विशेष राज्यों अथवा क्षेत्रों तक सीमित है। कभी कभी ये दल किसी विशेष क्षेत्र की मांगो को उठाने के लिए बनाए जाते है। ये दल न तो कमजोर है और न ही अल्पजीवी है। कभी कभी तो ये अपने क्षेत्र में बहुत शक्तिशाली सिद्ध होते है। इन्हे क्षेत्रीय दल कहा जाता है। तमिलनाडू में ए. आर्इ. ए. डी. एम.के. तथा डी. एम. के., आधंप्रदेश मे तेलगू देशम पंजाब में अकाली दल, जम्मू और कश्मीर में नेशनल कांफे्रस झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा आसाम में असमगण परिषद महाराष्ट्र में राष्टव्रादी कागेंस्र पार्टी आरै शिवसेना पम्रुख क्षेत्रीय दल है।

भारत में प्रमुख राष्ट्रीय दल –

मूलत: कांग्रेस की स्थापना 1885 में डब्लू. सी. बेनर्जी की अध्यक्षता में मुंबर्इ में हुर्इ थी। बाद में इंदिरा गांधी ने 1978 में इसका नाम बदलकर Indian Customer राष्ट्रीय काग्रेंस (आर्इ) कर दिया जो बाद में कांग्रेस (आर्इ) के नाम से जानी जाने लगी। इसके बाद 1984 तक इंदिरा गांधी इसकी अध्यक्ष रही। उनकी हत्या के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी अध्यक्ष हुए तथा राजीव गांधी की हत्या के बाद पी. वी. नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष कांग्रेस हुए। नरसिम्हन राव के हटने बाद 1996 की सीताराम केसरी और अब सोनिया कांग्रेस के अध्यक्ष है। कांग्रेस (आर्इ) के मुख्य उदेश्य है –

  1. देश की Singleता तथा अखंडता को बनाए रखना। 
  2. अन्न की पैदावार बढाना 
  3. गरीबी हटाना तथा कृषि And उद्योग धंधो को बढावा देना । 
  4. बच्चो को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना तथा ग्रामीण क्षेत्रों मे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो की स्थापना करना।
  5. अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगो को सामाजिक शैक्षणिक तथा धार्मिक सुविधाएं उपलब्ध कराना। 

1. Indian Customer जनता पाटी (भाजपा) 

Indian Customer जनता की पार्टी की स्थापना 1980 में गांधीवाद समाजवाद की सिपनाओ के विरोध में हुर्इ थी। गाधीवादी समाजवाद महात्मा गाधी जयप्रकाश नारायण तथा दीनदयाल उपाध्याय की विचार धाराओं पर आधारित है। इसका उददेश्य है लघु तथा बडे उद्योग धंधो को बढावा देना। यह व्यक्ति की मूल आवश्यक्ताओं की पूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। किंतु भाजपा ने 1985 के अपने पूना अधिवेशन में गांधीवादी समाजवाद के स्थान पर अपनी पार्टी का उददेश्य हिंदुत्व को बनाया तथा यह घोषणा की कि हिदुंत्व के द्वारा ही Single धर्म निरपेक्ष भारत का निर्माण संभव है। इसके पीछे यह भी तर्क दिया गया कि अब तक सरकारे अपनी तुष्टिकरण की निति के चलते हिंदुओ के हितो को नजर अंदाज करती रही है। भाजपा ने आयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के लिए आंदोलन चलाया था।

इस आंदोलन के चलते भाजपा को बहुत लाभ मिला और यही कारण है कि जिस भाजपा को 1984 में हएु आम लोकसभा चुनावों मे केवल दो सीटे मिली थी उसे 1889 में 88 सीटे प्राप्त हुर्इ। 1991 में इसे 119 तथा 1996 में 161 सीटे प्राप्त हुर्इ।जब 1996 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे बडी पार्टी के Reseller में उभरकर आयी थी तक राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने उसके नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित Reseller था किंतु ससं द में अपना बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण उन्होने 13 दिनो में ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था और भाजपा की सरकार गिर गर्इ थी। 1998 के लोकसभा चुनाव में पुन: भाजपा सबसे बडी पार्टी के Reseller में उभरी। वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा तथा उसके अनेक अनेक सहयोगी दलों ने मिलकर कंदे ्र सरकार का गठन Reseller।

Indian Customer जनता पार्टी के उददेश्य –

  1. पार्टी राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए धार्मिक तथा साम्प्रदायिक भावनाओं से काम नहीं लेगी। 
  2. पार्टी धर्मनिरपेक्षता मे विश्वास करती है। 
  3. पार्टी का उददेश्य गांधीवादी Meansव्यवस्था को लागू करना है। 
  4. पार्टी वैदेशिक मामलो में गुटनिरपेक्षता में विश्वास करती है। 
  5. अखण्ड भारत की स्थापना करना पार्टी का उददेश्य है। 
  6. निजी उद्योगो का Indian Customerकरण करना पार्टी का उददेश्य है। 

2. साम्यवादी दल- 

Indian Customer दल (सी.पी.आर्इ.) और Indian Customer साम्यवादी दल (माक्र्सवादी) दो साम्यवादी दल है। कांग्रेस के बाद साम्यवादी दल ही सबसे पुराना राजनीतिक दल है। साम्यवादी आंदोलन 1920के दशक के प्रारंभ में शुरू हुआ और 1925 में साम्यवादी दल की स्थापना हो गर्इ। साम्यवादियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया यद्यपि आमतौर पर उनके कांग्रेस के साथ गंभीर मतभेद थे। साम्यवादियों का मानना था कि लोग आर्थिक Reseller से समान होने चाहिए और समाज को गरीब और अमीर में वर्गीकृत नही Reseller जाना चाहिए। मजदूरो, किसानों तथा अन्य मेहनतकश लोगो को जो समाज में उत्पादक कार्य करते है उचित मान्यता और शक्ति मिलनी चाहिए।

पूरे नेहरू युग में साम्यवादी दल ही मुख्य विपक्षी दल था। First लोकसभा में उनके 26 सदस्य थे। दूसरी और तीसरी लोकसभा में उनके क्रमश: 27 और 29 सदस्य थे। 1957 में सी.पी.आर्इ. (Indian Customer साम्यवादी दल) को केरल में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है और उसने भारत के किसी Single राज्य में पहली साम्यवादी सरकार बनार्इ। 60 के दशक के प्रारंभ में विशेष Reseller से 1962 में भारत पर चीनी आक्रमण के बाद Indian Customer साम्यवादी दल के सदस्यों में गंभीर मतभेद पैदा हुए। परिणाम स्वReseller पार्टी दो भागो में बंट गर्इ। सी.पी.आर्इ. से अलग होने वालो ने 1964 में सी.पी.आर्इ. (एम) का गठन Reseller। सी.पी.आर्इ. (एम) का मुख्य समर्थन आधार पश्चिमी बंगाल ,केरल,और त्रिपुरा में केन्दित्र है यद्यपि इसने आंध्रप्रदेश, आसाम, पजाब इत्यादि में अपनी उपस्थिति दर्ज करार्इ है। सी.पी.आइर्. के प्रभाव क्षेत्र आंध्र प्रदेश, आसाम, बिहार, मणिपुर, उडीसा पांडीचेरी और पंजाब इत्यादी में है। इसके अतिरिक्त सीपी. आर्इ. केरल और पश्चिमी बंगाल में वाम मोर्चा गठबंधन का सदस्य रही है। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद सी.पी.आर्इ. और सी.पी.आर्इ (एम) दोनो ही कांग्रेस गठबंधन की सरकार के समर्थक रहे है। वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे है।

2. बहुजन समाज पार्टी 

बहुजन समाजवादी पार्टी (ब.स.पा.) को 1996 में राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त हुआ। बसपा पिछडी जातियों, वंचित समूहो और अल्प संख्यकों के हितो की बात करती है। बसपा का विश्वास है कि इस बहुसंख्यक समाज को उची जातियों के शोषण से मुक्त करवाना चाहिए और उनको अपनी सरकार बनानी चाहिए। बसपा का प्रभाव क्षेत्र उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब आदि में देखा जा सकता है। 1995 और 1997 में बसपा उत्तर प्रदेश में गठबधंन सरकारो में भागीदार थी। लेकिन 2007 में पहली बार इस दल ने बहुमत प्राप्त कर उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनार्इ है।

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