मोटापा के कारण, लक्षण And वैकल्पिक चिकित्सा

आज नि:संदेह मोटापा विश्व के अनेक देशों मे सर्वव्यापी समस्या के Reseller में चिकित्सा विज्ञान के लिए बन गया है। मोटापा बढ़ने के साथ – साथ यह अनेक रोगों को जन्म देता है। यह शारीरिक अंगों की कुशलता को कम कर उनके कार्यो को प्रभावित करता है। मोटापे से अनेक रोग उत्पन्न होते है। जैसे – बैरीकोणवेन, मधुमेह, ब्रोनकाइटिस, आस्ट्रियोआर्थोराइटिस, हाइपरटैन्शन, एन्जाइना, हार्टअटैक आदि का सबंध मोटापे से ही है।

मोटापे का Means शायद All यही लगाते हैं भीमकाय, गोलमटोल, विनोदप्रिय या दिनभर कुछ न कुछ खाते रहने वाला व्यक्ति । मोटापे के संबध में All यही धारणा रखते हैं, वस्तुत: अधिकतर मोटे व्यक्ति कम भोजन करते हैं। अधिकतर मोटे व्यक्ति अपने को मोटा समझते ही नहीं है और कर्इ मोटे व्यक्ति अपने को बहुत मोटा समझकर हीन भावना से ग्रस्त हो जाते है और अपने को अन्य व्यक्तियों से अलग महसूस करते है। चिकित्सा विज्ञान के According माना गया है कि चर्बी की अधिकता ही मोटापा है।

मोटापे के कारण

  1. अक्रियाशील जीवनशैली मोटापे को जन्म देता है। दिन-भर बैठकर कार्य करना, कम्पयूटर और टी.बी. के सामने दिन भर बैठे रहने से भी मोटापा आता है। 
  2. Need से अधिक भोजन ग्रहण करना भी मोटापे का Single प्रमुख कारण है। अत्यधिक भोजन ग्रहण करने से भी व्यक्ति मोटापे से ग्रसित हो जाता है। व्यक्ति के अधिक भोजन ग्रहण करने के निम्नलिखित कारण हो सकते है- 1. मानसिक तनाव और चिंता के कारण भी व्यक्ति बार-बार खाता है। यह उस व्यक्ति के तमोगुण को दर्शाता है। विशेष 2. राजसिक प्रवृतियों जैसे प्रतिस्पर्द्धा क्रोध, आदि दबी इच्छाओ के कारण तेजी से भोजन कर अपनी अपूर्ण, दबी इच्छाओं को भोजन के माध्यम से पूर्ण करना भी मोटापे को दावत देता है। तेजी से खाते समय व्यक्ति Need से अधिक खा लेता है। 
  3. आजकल व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों का दिन पर दिन अभाव हो रहा है। आज मनुष्य मानसिक गतिविधियाँ अधिक कर रहा है। वही शारीरिक गतिविधियों की उपस्थिति नगण्य है। जरा-सा शारीरिक श्रम उनके लिए दु:खदायी है। खेलों से भी बच्चें दूर हो रहे है। वीडियो गेम्स ही आज बच्चों का पसंदीदा खेल बन गया है। पूर्ण स्वास्थ्य हेतु शारीरिक और मानसिक कार्यो में सामन्जयस्य अति आवश्यक है। मानसिक कार्यो को अधिक करने और शारीरिक श्रम ना करने से मनस यशक्ति और प्राण ऊर्जा में असन्तुलन आने से ही Human मोटापे आदि अनेक रोगों से ग्रसित हो रहा है। 
  4. आनुवंशिकी भी मोटापे का Single प्रमुख कारण है। कर्इ व्यक्तियों में मोटापा आनुवंशिक होता है। उस व्यक्ति विशेष के शरीर में उपस्थित जीन्स के कारण ही वह मोटा होता है। यह उसे पैतृक And वंशानुगत Reseller से मिला होता है। 
  5. मोटापे का Single कारण मासिक धर्म सम्बन्धी अनियमितताएं है। कर्इ महिलाओ में मासिक धर्म का कर्इ महीनो के बाद या अनियमित Reseller से होना भी मोटापे को बढ़ाता है।
  6. आजकल फास्टफूड And कन्फेनशरी आहार का अत्यधिक सेवन Reseller जा रहा है। फास्टफूड, चाकलेट, कॉफी, चाय, कोल्ड डिंक में वसा की मात्रा अधिक होने पर यह मोटापे को बढ़ाता है।
  7. सामिष-निरामिष भोजन भी मोटापे को बढ़ाता है। मांस, मछली, अंडा में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। प्रोटीन पचने में देर करता है और मोटापा बढ़ते रहता है।
  8. कर्इ व्यक्तियों में दवाइयों के दुष्प्रभाव के द्वारा भी मोटापा बढ़ जाता है। कर्इ व्यक्तियों को छोटी- छोटी बीमारियों And तकलीफ में दवाइयाँ लेने की आदत होती है। जो आगे चलकर नुकसान करती है। 
  9. प्रसव के उपरान्त भी कर्इ महिलायें मोटापे का शिकार हो जाती है। प्रसवोपरान्त महिलायों का मोटापा बढ़ जाता है। 
  10. दिनचर्या अस्त-व्यस्त होने से भी व्यक्ति मोटापे का शिकार होता है। सोने से सम्बन्धित गलतियाँ भी मोटापे को जन्म देती है। दिन में सोना मोटापे का Single कारण है, वही Need से अधिक सोने से भी मोटापा बढ़ जाता है। 
  11. मोटापे का Single कारण हृार्मोन्स असन्तुलन है। थाइराइड और पिट्यूटरी ग्रन्थि के हृार्मोन्स स्त्राव जब अनियमित हो जाते है। तब व्यक्ति मोटापे से ग्रसित हो जाता है।
  12. व्यक्ति में मोटापे का Single कारण क्षार तत्वो की कमी है। जो व्यक्ति क्षार तत्वों से युक्त भोजन कम करते है या ऐसे भोजन को ग्रहण करते है जिनमें क्षार तत्व नहीं पाया जाता मोटापे से ग्रसित हो जाते है।

मोटापे के लक्षण –

  1. मोटापे में विशेषकर पेट बढ़ जाता है।
  2. अधिक मोटापा बढ़ने पर कूल्हे, स्तन और पेट में अत्यधिक मांस जम जाता है। 
  3. मोटापे में आन्तरिक अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है। आन्तरिक अंगों में यकृत, मांसपेशियों, गुर्दो और हृदय आदि अंगों का आकार भी बढ़ जाता है। 
  4. मोटे व्यक्तियो में मेद धातु में वृद्धि हो जाती है। जिससे पेट बढ़ जाता है, क्योंकि मेद धातु की अधिकता वायु को अवरूद्ध कर देती है जिससे वायु कोठो में ही घूमती रहती है और जैसे ही रोगी भोजन ग्रहण करता है, वह उसे जल्दी पचा देती है और रोगी को जल्दी-जल्दी भूख लगने लगती है।

मोटापे की वैकल्पिक चिकित्सा –

1. यौगिक चिकित्सा –

मोटापे के रोगियों के लिए यौगिक चिकित्सा रामबाण है। मोटापे के रोगियों को अभ्यास क्रम को अपनाना चाहिए ऐसे करने में मोटापा बिना कोर्इ नुकसान किये आसानी से दूर हो जाता है।
षट्कर्म –

  1.  षट्कर्मो में जल नेति का अभ्यास प्रतिदिन Reseller जा सकता है। प्रतिदिन जल नेति का अभ्यास करने से मस्तिष्कीय तनाव दूर होता है। जिससे तनाव, अवसाद आदि भावनाएं दूर होती है। 
  2. क्ुंजल का अभ्यास भी अति लाभकारी है। यह शरीर की अम्लता और कफ की वृद्धि को दूर करता है। 
  3. वही शंखप्रक्षालन का अभ्यास भी मोटापे को कम करने में सहायक है। शंखप्रक्षालन के अभ्यास द्वारा कब्ज दूर होती है। कब्ज मोटापे के मुख्य कारणों में से Single है। शंखप्रक्षालन द्वारा कब्ज टूटती है। सम्पूर्ण आँतों से दूषित मल और अपचा भोजन बाहर निकलता है। शंखप्रक्षालन द्वारा आँतों की क्रियाशीलता वापस आती है। 15-15 दिन के अन्तराल में लघु शंखप्रक्षालन कराया जाना चाहिए। चाहे तो रोगी को महीने में 1 बार पूर्ण शंखप्रक्षालन भी कराया जा सकता है।

आसन –

  1. First सूक्ष्म अभ्याास करने चाहिए।
  2. Ultra site नमस्कार का अभ्यास नियमित करना चाहिए। 
  3. आसनों में योगमुदा, चक्रासन, पश्चिमोतनासन, धनुरासन, अश्वसंचालन हलासन, उत्तान पादासन, सुप्त पवनमुक्तासन, चक्की चालासन, नौकासन, उष्ट्रासन पादहस्तासन आदि आसनों का अभ्यास करना चाहिए। 
  4. इसके साथ ही साथ रोगी को प्रतिदिन भोजन ग्रहण करने के तुरन्त बाद 10 मिनट तक व्रजासन का अभ्यास करना चाहिए।

प्राणायाम –

  1. प्राणायामों में नाड़ीशोधन प्राणायाम अति लाभकारी है। इसके अभ्यास द्वारा बहत्तर हजार नाडियाँ शुद्ध होती है। यह अशुद्ध नाड़ियों को शुद्ध करता है और उनकी जगह शुद्ध प्राण वायु को संचरित करता है। मल से भरी अशुद्ध नाड़ियों का मल दूर होने से सम्पूर्ण शरीर में हल्कापन व्याप्त होता है। 
  2. नाड़ीशोधन प्राणायाम के साथ- साथ कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम भी अति लाभकारी है। भस्त्रिका प्राणायाम द्वारा वसाके चयापचय की दर बढ़ती है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास भी प्रतिदिन करना चाहिए क्योंकि यह मानसिक शान्ति प्रदान करता है और साथ ही साथ ऊत्तको की क्षतिपूत्ति करता है।

मुद्रा And बन्ध –

  1. उड्डियान बंध And Ultra site मुद्रा का अभ्यास मोटापे में विशेष लाभ करता है।

ध्यान –

  1. ध्यान का अभ्यास भी करना चाहिए।
  2. शवासन में योगनिद्रा का अभ्यास भी करना चाहिए।

2. प्राकृतिक चिकित्सा –

मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को उपवास कराया जा सकता है। यदि आप लम्बे उपवास कराना चाहते है तो उपवास प्रारम्भ कराने से First यह जान लेना आवश्यक है कि व्यक्ति अथवा रोगी दृढ़ निश्चयी है कि नहीं, क्योंकि दृढ़ निश्चय ना होने पर व्यक्ति कुछ दिन के उपवास के बाद First से और अधिक खाकर स्वयं को हानि पहुँचा सकता हैं। अत: व्यक्ति अथवा रोगी को First साप्ताहिक उपवास करायें और फिर धीरे-धीरे लम्बे उपवास कराये, रोगी के दृढ़ निश्चयी होने पर ही से पूर्ण उपवास कराये, अन्यथा आंशिक उपवास करायें, वे भी लाभकारी है।

  1. मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति प्राय: कब्ज से पीड़ित रहते है अत: एनिमा देकर आँतों की सफार्इ करनी चाहिए।
  2. एनिमा के बाद गर्म पाद स्नान कराना चाहिए। गर्म पाद स्नान के दौरान सिर पर ठण्डी पट्टी रखनी चाहिए। 
  3. मिट्टी की पट्टी भी लगानी चाहिए। उसके लिए First पेट और पेडू पर हल्के हाथों से मसाज करनी चाहिए।
  4. तत्बाद ठण्डा-गर्म सेंक करना चाहिए। सेंक के बाद मिट्टी की ठण्डी पट्टी लगानी चाहिए।
  5. पेडू में संचित विजातीय द्रव्य अपना स्थान छोड़ने लगते है। 
  6. तत्बाद रोगी को कटि स्नान देना लाभ करता है। Needनुसार प्रत्येक Second दिन गर्म-ठण्डा कटि स्नान दिया जा सकता है। ऐसा करने से All प्रकार की व्याधियाँ दूर होती है। 
  7. साथ ही साथ रोगी को मालिश लेनी चाहिए। सम्पूर्ण शरीर में मालिश देनी चाहिए। मालिश में थपकी देना, चिऊटी भरना, 
  8. आटा गूंथना आदि प्रReseller भी करनी चाहिए, ऐसा करने से वसा का दहन होता है। सर्वांग शरीर मालिश के बाद वाष्प 
  9. स्नान लेना चाहिए। वाष्प स्नान द्वारा एडिपोज टिश्यू गलती है और मोटापा दूर होता है। 
  10. वाष्प स्नान के बाद सिर सहित जी भरकर ठण्डे पानी से खूब नहाना चाहिए। 
  11. लाल रंग के तेल की मालिश भी रोग को ठीक करती है। 
  12. प्रतिदिन मृदु धूप स्नान करना भी लाभदायक है।  
  13. रोगी को पीली बोतल से Ultra site तप्त जल को 3 बार 50-50 ग्राम की मात्रा ें पीना चाहिए। 
  14. एप्सम साल्ट बाथ भी सप्ताह में दो बार लेना चाहिए। 
  15. हफ्ते में 2 बार सम्पूर्ण शरीर में मिट्टी का लेप कर मृतिका स्नान करना चाहिए। 
  16. तत्बाद ठण्डे पानी से खूब नहाना चाहिए।

3. चुम्बक चिकित्सा-

मोटापा दूर करने हेतु प्रतिदिन सुबह के समय हथेलियों पर शक्तिशाली चुम्बक का प्रयोग करना चाहिए। नाभि के 10 सेंमी. ऊपर, मध्य रेखा के 5 सेंमी. की दूरी पर शाम के समय चुम्बक का उपयोग करना चाहिए। इस स्थान पर उत्तरी ध्रुव का चुम्बक बांयी ओर तथा दायी ओर दक्षिणी ध्रुव वाले चुम्बक का प्रयोग करना चाहिए।साथ ही साथ चुम्बकीय जल का प्रतिदिन नियमित Reseller से सेवन करना चाहिए।

4. प्राण चिकित्सा –

  1. मोटापे से ग्रस्त रोगी के सौर जालिका चक्र, नाभि चक्र तथा पेट प्रभावित होते है। मोटापा रोग में अत्यधिक चर्बी पेट के आस – पास ही होती है। अत: इन चक्रों का विशेष ध्यान रखने की Need होती है।
  2. First सौर जालिका चक्र व नाभि चक्र की जाँच करनी चाहिए। 
  3. तत्बाद अग्र सौर जालिका चक्र की स्थानीय झाड़ बुहार करनी चाहिए, व उसे उर्जित करना चाहिए।
  4. प्रक्षेपित प्राण उर्जा के स्थिर हाने की कल्पना करें, 
  5. नाभि चक्र की स्थानीय सफार्इ करनी चाहिए ताकि जो फालतू चर्बी है, वह हमारे शरीर से हट जाए, क्पेवसअम हो जाए। 
  6. नाभि चक्र की सफार्इ के बाद उसे उर्जित करना चाहिए। 
  7. प्रक्षेपित प्राण ऊर्जा के स्थिर होने की कल्पना करें। 
  8. मूलाधार चक्र की भी स्थनीय झाड़ – बुहार के बाद इसे ऊर्जित करना चहिए। 
  9. प्रक्षेपित प्राण ऊर्जा के स्थिर होने की कल्पना करें।

यदि उपरोक्त उपचार के बाद भी रोगी को कोर्इ असर न दिखे तो यह समझना चाहिए कि अधिक झाड़ – बुहार की Need है।

5. जड़ी – बूटी चिकित्सा –

माँ का दूध अति लाभकारी होता है। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेंशन की 1900 बच्चों पर की गयी रिपोर्ट के According माँ का दूध का बचपन में भरपूर सेवन करने वाले बच्चे, बोतल का दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में अधिक धरहरे होते है। अत: बचपन से ही उचित आहार- विहार का सेवन करना चाहिए।

  1. मूली के बीजों का 6 ग्राम चूर्ण, 20 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से मोटापा दूर होता है। 
  2. ग्रीन टी का नियमित प्रयोग करने से भी मोटापा दूर होता है। 
  3. एलोवेरा का प्रतिदिन उपयोग से भी मोटापा दूर होता है। दो ताजी एलोवेरा की पत्तियाँ ले। इसमें से उसके रस को निकालकर उसे संतरे के रस के साथ मिलाकर पीयें। इस प्रयोग को नियमपूर्वक Single महीने तक करने से लाभ मिलता है। 
  4. रात्रि में सोते समय 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 
  5. मोटापा कम करने के लिए चावलों के गरम मांड में नमक डालकर पीना चाहिए। 
  6. प्रतिदिन खाली पेट टमाटर खाने से भी मोटापा दूर होता है। 
  7. मोटे शरीर में धतूरे का रस मलने से शरीर हल्का हो जाता है। 
  8. त्रिफला के काढ़े में जौ का सत्तु मिला लें, फिर इसमें शहद मिलाकर पीयें ये मोटापे को दूर करता है।
  9. प्रतिदिन पत्तागोभी को कच्चा ही सलाद के Reseller में अथवा पत्तागोभी को उबलाकर प्रतिदिन उसका सूप पीने से भी मोटापा दूर होता है। 
  10. त्रिफला और गिलोय के 3-3 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से भी मोटापा कम होता है। त्रिफला और 
  11. त्रिकुटा का चूर्ण 6 माशे लेकर नित्य सवेरे ही सरसों का तेल And सेंधा नमक मिलाकर चाटना चाहिए। 
  12. गोमूत्र में शहद मिलाकर पीने से भी मोटापा दूर होता है। 
  13. मोटापे वृद्धि को दूर करने के लिए प्रतिदिन पीपल को पीसकर उसमें शहद मिलाकर खाना चाहिए। 
  14. बेर के पत्तों को कांजी के पानी में डालकर उसमें अरंडी का रस और शिलाजीत मिलाकर खायें। 
  15. 3 चम्मच नींबू के रस को 1 चम्मच शहद और आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर को Single गिलास पानी में मिलाकर पीयें। इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीये। 3 महीने तक लगातार इसे करने से मोटापा दूर हो जाता है।

मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियो हेतु कुछ सुझाव-

  1. मोटापे से बचने के लिए सुबह-शाम टहलना चाहिए।
  2. मोटापे से बचने के लिए रात्रिर का भोजन जल्दी खा लेना चाहिए। 
  3. प्रात: काल उठते ही 4-5 गिलास पानी पीना चाहिए। पानी को रात्रि को ही ताँबें के बर्तन पर रख लेना चाहिए तथा सुबह उठते ही इसे पी लेना चाहिए। 
  4. जब भी तनाव या संकट की स्थिति में हो तो तुरन्त भोजन ना करे। ऐसी स्थिति में हम Need से अधिक भोजन ग्रहण कर लेते है। First स्वयं को शान्त कर लें, तत्बाद भोजन ग्रहण करे। 
  5. 7-8 घण्टे का पूर्ण विश्राम आवश्यक है अत: रात्रि को पर्याप्त नींद ले। 
  6. मोटापे को दूर करने के लिए वैकल्पिक चिकित्सा विधियों को ही अपनायें। मोटापा कम करने का दावा करने वाली एलोपैथिक दवाइयों को ना अपनायें। मोटापा कम करने वाली दवाइयों से हृदय, गुर्दे, फेफड़े क्षतिग्रस्त हो जाते है।
  7. खिलखिलाहट वाली हंसी अपनाये। दिल खोलकर हंसने से Single वर्ष में लगभग 5 पौंड तक चर्बी खत्म हो सकती है। अमेरिका में हुए Single शोध के बाद बांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के डा. बुचोत्सकी ने कहा कि प्रतिदिन 15 मिनट हँसकर चर्बी कम की जा सकती है। इसे आधा मील चलने के बराबर कार्य समझना चाहिए।

6. आहार चिकित्सा-

मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को अपने आहार में नियंत्रण करना अति आवश्यक है। यदि आहार पर नियंत्रण ना Reseller जाए तो कोर्इ भी चिकित्सा विधा क्यों ना अपना ली जाए, सम्पूर्ण लाभ नहीं कर पायेगी। आहार हमारे शरीर को सवंिर्द्धत करने वाला महत्वपूर्ण घटक है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को अपने आहार में ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को संतुलित शाकाहारी भोजन लेना चाहिए। ऐसा करने पर वह प्रति सप्ताह Single पाउण्ड तक वनज घटा सकता है। वजन कम करने के लिए कम कैलोरी वाले आहार को प्रधानता देनी चाहिए।

यदि रोगी पूर्णोपवास ना कर पाये तो उन्हे सुबह का नाश्ता त्याग देना चाहिए। रोगी चाहे तो फलोपवास भी कर सकता हैं। फलों में खट्टे फलों को लेना उत्तम है। फलों में टमाटर का रस भी ले सकता है। खट्टे फलों मे हाइड्रोक्सी साइट्रिक एसिड़ होता है, जो वजन को कम करने में सहायता करता है। रोगी चाहे तो Single गिलास पानी में नींबू और शहद मिलाकर भी पी सकता है। शहद मिले नींबू पानी को प्रत्येक 3-3 घण्टे के अन्तराल में पीयें।

दोपहर में-दोपहर के भोजन में चोकर सहित आटे की रोटी, सलाद, उबली सब्जियाँ और बिना घी तथा मक्खन वाले मट्ठे का सेवन करना चाहिए।

रात्रि में-रात्रि में केवल सलाद And उबली सब्जियाँ खानी चाहिए।

इसके अतिरिक्त निम्न आहार तालिका का नियमपूर्वक पालन करना अत्यन्त लाभकारी होगा।

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