मनोविज्ञान का Means, परिभाषा And शाखाएं

‘‘मन के विज्ञान’’ को मनोविज्ञान कहा जाता हैं। Indian Customer वाड्मय में
उसकी प्रकृति पश्चिम के मनोविज्ञान के समान शैक्षणिक (Educational) नहीं होकर
आध्यामित्क (Spiritual) हैं। अत: उसे ‘‘मन का ज्ञान’’ कहना अधिक सार्थक प्रतीत होता है।
प्राचीन भारत में मनोविज्ञान को आत्मा के विज्ञान और चेतना के विज्ञान के Reseller में लिया जाता
है। Indian Customer मनीषी आध्यात्मिक साधना, जिसमें ध्यान, समाधि और योग भी सम्मिलित था, के
द्वारा जो अनुभव And अनुभूतियां प्राप्त करते थे उनके आधार पर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का
समाधान भी तलाशा जाता था।

यूं तो पाश्चात्य मनोविज्ञान का उद्भव भी दर्शन से हुआ हैं। मनोवैज्ञानिक मन के
According ‘‘मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभूति का Single निश्चित विज्ञान है जिसमें व्यवहार को
अनुभूति के माध्यम से अभिव्यक्त Reseller जाता है’’।
मनोविज्ञान की विकास की लम्बी यात्रा के दौरान मनोवैज्ञानिकों And मनीषियों ने चिंतन मनन
Reseller तथा मनोविज्ञान के स्वReseller को निर्धारित Reseller। अनेक मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को निम्नानुसार
परिभाषित Reseller है।

करलिंगर नामक Single प्रसिद्ध विद्वान ने विज्ञान को परिभाषित करने हेतु Single बड़ी उत्तम उक्ति-कथन का प्रयोग Reseller है। उनका यह कथन इस प्रकार है – ‘विज्ञान सामान्य समझ का क्रमबद्ध Reseller से नियंत्रित विस्तार है’ (Science is the systematic and controlled extension of common sense)। इस कथन के Wordों के बड़े ही गूढ़ And गहरे निहितार्थ हैं। ‘सामान्य समझ’ वह समझ है जो कि सामान्य व्यक्तियों में उनके जीवन में घटने वाली विभिन्न प्रकार की घटनाओं के लिए होती है। जीवन में घटने वाली घटना केवल घटना नहीं होती है बल्कि उस घटना से पूर्व उसका कारण And उस घटना के पश्चात उसका परिणाम होता है। इस प्रकार प्रत्येक घटना में उसका कारण And प्रभाव विद्यमान होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामान्य समझ के अनुReseller घटना के कारण का अनुमान And संभावित परिणाम की व्याख्या करता है। जब यह सामान्य समझ नियंत्रित And निर्देशित हो जाती है Meansात् इस समझ को व्यवस्थित And क्रमबद्ध Reseller में दिशा मिल जाती है तब यह वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करने वाली हो जाती है। इसी समझ के विकास का वैज्ञानिक Reseller से अध्ययन करना ही मनोविज्ञान कहलाता है।

  1. बोरिंग बोरिंगंग लैगफेल्ड व वेल्ड- ‘‘मनोविज्ञान Human प्रकृति का अध्ययन है।’’ 
  2. गैरिसत व अन्य- ‘‘मनोविज्ञान का संबंध प्रत्यक्ष Human व्यवहार से है।’’ 
  3. स्किनर- ‘‘मनोविज्ञान व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।’’ 
  4. मन- ‘‘आधुनिक मनोविज्ञान का संबधं व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।’’ 
  5. पिल्सबरी- ‘‘मनोविज्ञान की सबसे सतं ोषजनक परिभाषा Human व्यवहार के विज्ञान के Reseller में की
    जा सकती है।’’ 
  6. क्रो And क्रो- ‘‘मनोविज्ञान Human व्यवहार आरै Human संबंधों का अध्ययन है।’’ 
  7. वुडुडवर्थर्- ‘‘मनोविज्ञान वातावरण के संबंध में व्यक्तियों की क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है।’’ 
  8. जेम्स- ‘‘मनोविज्ञान की सर्वोत्तम परिभाषा चेतना के वर्णन और व्याख्या के Reseller में की जा सकती
    है।’’

    मनोविज्ञान की शाखाएं

    मनोविज्ञान Single प्रगतिशील विज्ञान है। शैशवकाल में होते हएु भी इस विज्ञान ने प्रयोग के क्षेत्र में
    अद्वितीय उन्नति की है। मनोविज्ञान को दर्शन का अंग समझा जाता है और दर्शानिकों द्वारा ही यह
    विज्ञान पढ़ाया जाता था। आज देश देशांतर में मनोविज्ञान की बड़ी-बड़ी प्रयोगशालएं स्थापित हो चुकी है
    और बाल मनोविज्ञान, पशु मनोविज्ञान, चिकित्सा मनोविज्ञान Meansात मनोविज्ञान के अंग-अंग पर खोज या
    प्रयोग जारी है। कुछ ही वर्षों के समय में इस विज्ञान के अनेक विभाग हो चुके है और इन विभागों की
    भी अनेक शाखाएं उत्पन्न हो चुकी है। यों तो मनोविज्ञान की बहुत सी शाखाएं है किन्तु उनमें से मुख्य
    है:-

    1. सामान्य मनोविज्ञान। 
    2. पशु मनोविज्ञान। 
    3. तुलनात्मक मनोविज्ञान। 
    4. वैयक्तिक मनोविज्ञान। 
    5. सामाजिक मनोविज्ञान। 
    6. मनोविज्ञान अथवा विश्लेषण मनोविज्ञान। 
    7. असामान्य मनोविज्ञान। 
    8. चिकित्सा मनोविज्ञान। 
    9. बाल मनोविज्ञान। 
    10. उद्योग मनोविज्ञान। 
    11. वाणिज्य मनोविज्ञान। 
    12. शिक्षा मनोविज्ञान।

    मनोविज्ञान के अध्ययन की Need

    मनोविज्ञान के अध्ययन की Need क्यों है? इस प्रश्न का उत्तर हम All को अपने जीवन में झांकने से प्राप्त होता है। हम All अपने जीवन में जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त विभिन्न प्रकार के अनुभवों से गुजरते हैं, And जिनमें घटनाओं को समझना, चुनौतियों से निबटना, संबंधों का विकास, रोग आदि सम्मिलित होते हैं। इन अनुभवों के प्रकाश में हम जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों में निर्णय लेते हैं। हमारे ये निर्णय कभी सही साबित होते हैं कभी गलत। कुछ परिस्थितियों में हमें स्पष्ट Reseller से ज्ञात होता है कि हम सही निर्णय कर रहे हैं वही कुछ परिस्थितयों में हम अस्पष्ट होते हैं। हमारे निर्णयों का सही And गलत होना हमें प्राप्त सूचनाओं की समझ And उनकी विश्लेषण कर पाने की क्षमता पर निर्भर करता है। इसके साथ ही हमारी भाव दशा And पूर्व अनुभव भी इसमें महत्वूपर्ण भूमिका निभाते हैं। सही निर्णय हमें सही परिणाम प्रदान करते हैं And हमें हमारे लक्ष्य की प्राप्ति होती है। सही निर्णय हमारे जीवन को बेहतर बनाते हैं। ऐसी परिस्थिति में यह प्रश्न उठता है कि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया किस प्रकार घटित होती है? कौन से कारक इसमें बाधक होते हैं? And कौन से कारक इसमें सहायक होते हैं? यदि इन प्रश्नों का समुचित उत्तर हमें प्राप्त हो सके तो हम निर्णय करने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। सार Reseller में यदि कहें तो अपने दैनिक जीवन में हम अपनी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होते हैं जिनके बारे में हमें निश्चित Reseller से जानना चाहिए। इसी कारण मनोविज्ञान के अध्ययन की Need है।

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