Indian Customer संविधान की प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ

Indian Customer संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है। 42वें संविधान संशोधन के बाद अब संविधान की प्रस्तावना है: हम भारत के लोग भारत को Single प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रीय गणराज्य के Reseller में स्थापित करने का निश्चय कर और इसके All नागरिकों के लिए यह प्राप्त करने का निश्चय करते हैं: न्याय, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सोचने, बोलने, अपने विचार को प्रकट करने और पाठ-पूजा करने की स्वतन्त्रता समान अवसर और स्तर की और All में भ्रातृत्व को बढ़ावा देने, जिससे व्यक्ति के सम्मान और राष्ट्र की Singleता अखण्डता की प्राप्ति हो

Indian Customer संविधान की प्रस्तावना

संविधान की प्रस्तावना इसकी भावना और Means को खोलने की Single कुंजी होती है। यह बात भारत के संविधान की प्रस्तावना के बारे में भी सत्य है। के. एम. मुंशी ने इसको संविधान की राजनीतिक जन्मपत्री करार दिया, जिसने संविधान की मौलिक विशेषताओं, दर्शन और Indian Customer राज्य की प्रवृति को प्रकट Reseller गया है। प्रस्तावना भारत के संविधान के मौलिक दर्शन को दर्शाती है और संविधान की धाराओं की व्याख्या करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पंडित ठाकुर भार्गव ने कहा है, प्रस्तावना संविधान का बहुत ही बहुमूल्य भाग है, यह संविधान की आत्मा है, यह संविधान की कुंजी है। यह संविधान निर्माताओं का मन खोलने वाली Single वुंफजी है। यह संविधान में जड़ा हुआ Single हीरा है। यह Single सुंदर गद्यांश वाली कविता है, बल्कि यह अपने आप में सम्पूर्ण है। यह Single उचित मापदण्ड है जिससे संविधान का मूल्य परखा जा सकता है।


हम अपनी संविधान निर्माण सभा में 26 नवम्बर, 1949 के दिन अपने इस संविधान का निर्माण करते हैं, इसको पास करते हैं और इसे अपने आप को सौंपते हैं। Word ‘समाजवाद’, धर्म-निरपेक्षता’ ‘अखण्डता’ First प्रस्तावना में शामिल नहीं थे और ये संविधान के 42वें संशोधन (1976) के द्वारा संविधान में शामिल किए गए।

प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ

प्रस्तावना से Indian Customer राज्य की प्रवृति और उन उद्देश्यों का ज्ञान मिलता है जोकि भावी सरकारों द्वारा प्राप्त किए जाने हैं। यह जनता की प्रभुसत्ता को प्रकट करती है और उस तिथि को दर्ज करती है जिस दिन संविधान को संविधान निर्माण सभा के द्वारा अंतिम Reseller में अपनाया गया था। प्रस्तावना की विशेषताओं का विश्लेषण चार शीर्षकों के अन्तर्गत Reseller जा सकता है:

सत्ता का स्त्रोत-लोकप्रिय प्रभुसत्ता

सबसे First प्रस्तावना स्पष्ट Reseller में जनता की प्रभुसत्ता के सिद्वान्त को स्वीकार करती है। यह इन Wordों से आरम्भ होती है: हम भारत के लोग… इससे इस तथ्य की पुष्टि हो जाती है कि समस्त सत्ता का अंतिम स्त्रोत जनता ही है। सरकार अपनी शक्ति जनता से प्राप्त करती है। संविधान का आधार और प्रभुसत्ता लोगों में है और ये अपनी प्रभुसत्ता लोगों से प्राप्त करती है। प्रस्तावना यह भी स्पष्ट करती है कि सदन के All सदस्यों की इच्छा है कि, इस संविधान की जड़ें, इसकी सत्ता, इसकी प्रभुसत्ता लोगों से प्राप्त की जाए। डॉ. अंबेडकर के According इस स्वReseller में भारत के संविधान की प्रस्तावना अमरीकी संविधान की प्रस्तावना और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की प्रस्तावना से मिलती है।

संविधान निर्माण सभा में दो सदस्यों ने फ्हम भारत के लोग Wordों के प्रयोग का विरोध Reseller था। एच. वी. कामथ चाहते थे कि प्रस्तावना इन Wordों से आरम्भ होनी चाहिए कि, परमात्मा के नाम परय् और इस विचार का कुछ अन्य सदस्यों ने भी उनका समर्थन Reseller था। परन्तु जब विचार-विमर्श के बाद इस प्रस्ताव पर मत डाले गए तो यह प्रस्ताव 41 पक्ष में और 68 विरुद्व मत होने के कारण रद्द हो गया। Single अन्य सदस्य मौलाना हषरत मोहानी ने इन Wordों का इस आधार पर विरोध Reseller कि संविधान निर्माण सभा केवल थोड़े-से मतदाताओं के द्वारा निर्वाचित की गर्इ थी और वह भी साम्प्रदायिक आधार पर डाले गए मतों द्वारा, इसलिए यह पूर्णतया प्रतिनिधि सभा नहीं है। इसलिए यह सभा इन Wordों का प्रयोग करने के योग्य नहीं है। परन्तु संविधान निर्माण सभा ने इस विचार को भी रद्द कर दिया और इस प्रकार इसके द्वारा स्वीकृत की गर्इ प्रस्तावना का आरम्भ इन Wordों से होता है कि फ्हम भारत के लोगय् और इन से भारत के लोगों की प्रभुसत्ता के गुण का पता लगता है। 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश प्रभुसत्ता की समाप्ति और भारत के Single प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतन्त्रीय गणराज्य के Reseller में उभरने के बाद ऐसी घोषणा आवश्यक हो गर्इ थी।

राज्य की प्रवृति

प्रस्तावना Single राज्य (देश) के Reseller में भारत की पांच प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करती है। यह भारत को Single प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रीय, गणराज्य घोषित करती है। आरम्भ में प्रस्तावना में समाजवादी और धर्म-निरपेक्ष Word शामिल नहीं थे। ये इसमें 42वें संशोधन के द्वारा शामिल किए गए। इन पांच विशेषताओं में से प्रत्येक को स्पष्ट करना आवश्यक है:

(1) भारत Single प्रभुसत्ता-सम्पन्न राज्य है- प्रस्तावना घोषित करती है कि भारत Single प्रभुसत्ता सम्पन्न देश है। ऐसी घोषणा भारत पर ब्रिटिश राज्य की समाप्ति पर मोहर लगाने के लिए बहुत आवश्यक थी। यह इस तथ्य की पुष्टि भी करती है कि भारत अब ब्रिटिश क्राउन पर निर्भर प्रदेश या उसकी बस्ती नहीं रहा था। इससे 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बाद भारत को तकनीकी Reseller में दिए गए औपनिवेशिक स्तर को समाप्त करने की भी पुष्टि की गर्इ। संविधान निर्माण सभा के द्वारा इसको स्वीकार किए जाने के बाद औपनिवेशक स्तर समाप्त हो गया और भारत पूर्णतया Single प्रभुसत्ता देश के Reseller में उभरा। इसने स्वतन्त्रता के संघर्ष के परिणाम की घोषणा की और बल देकर कहा कि भारत स्वयं निर्णय करने के लिए और इनको अपने लोगों और क्षेत्रों पर लागू करने के लिए आंतरिक और बाहरी Reseller में स्वतन्त्र है।

परन्तु कुछ आलोचक यह प्रश्न उठाते हैं कि ‘राष्ट्रमण्डल’ की सदस्यता स्वीकार करने से भारत का प्रभुसत्ता सम्पन्न देश के Reseller में स्तर सीमित हुआ है क्योंकि इस सदस्यता से ब्रिटिश महाKing/महारानी को राष्ट्रमण्डल का मुखिया स्वीकार Reseller गया है। परन्तु यह विचार ठीक नहीं है। राष्ट्रमण्डल अब ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल नहीं रहा। यह 1949 के बाद अब Single ही जैसे प्रभुसत्ता सम्पन्न मित्र देशों की संस्था बन गया है क्योंकि जिनके बीच ऐतिहासिक सम्बन्ध उनके राष्ट्रीय हितों को साझे प्रयत्नों के द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रमण्डल में इकट्ठा होने को प्राथमिकता देते हैं। भारत का राष्ट्रमण्डल में शामिल होना उसकी स्वेच्छा पर निर्भर है और Single सद्भावना वाली कार्यवाही है। ब्रिटिश महाKing/महारानी का राष्ट्रमण्डल का मुखिया होने का Indian Customer संविधान में कोर्इ स्थान नहीं है। भारत का उससे कोर्इ लेना-देना नहीं है। फ्राष्ट्रमण्डल स्वतन्त्र देशों की संस्था है और ब्रिटिश King राष्ट्रमण्डल का सांकेतिक (नाममात्र का) मुखिया है (नेहरू)। प्रोफेसर रामास्वामी उचित कहते हैं कि भारत का राष्ट्रमण्डल का सदस्य होना Single सद्भावना वाली व्यवस्था है जिसका कि कोर्इ संवैधानिक महत्त्व नहीं है।

इस प्रकार संविधान की प्रस्तावना भारत के प्रभुसत्ता सम्पन्न स्वतन्त्र देश होने की घोषणा करती है। Word प्रभुसत्ता का Means आंतरिक और बाहरी प्रभुसत्ता दोनों को प्रकट करता है। इसका Means यह भी है कि भारत की सरकार आंतरिक और विदेशी मामलों में स्वतन्त्र है और यह अब किसी भी विदेशी शक्ति के नियन्त्रण अधीन नहीं है।

(2) भारत Single समाजवादी राज्य है – यद्यपि Indian Customer संविधान में आरम्भ से ही समाजवाद की भावना पार्इ जाती थी, पर प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ का Word शामिल करने के लिए 1976 में संशोधन Reseller गया। समाजवाद अब Indian Customer राज्य की Single प्रमुख विशेषता है। इससे इस तथ्य की झलक मिलती है कि भारत All प्रकार का शोषण समाप्त करने के लिए आय, स्त्रोतों और सम्पत्ति के न्यायपूर्ण विभाजन की प्राप्ति अपने समस्त लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त करने के लिए वचनबद्व है। परन्तु समाजवाद मार्क्सवादी/क्रान्तिकारी ढंगों से प्राप्त नहीं Reseller जाना है अपितु शान्तिपूर्वक, संवैधानिक और लोकतन्त्रीय ढंगों से द्वारा प्राप्त Reseller जाना है। ‘भारत Single समाजवादी राज्य है’ के Word का वास्तविक Means यह है कि भारत Single लोकतन्त्रीय समाजवादी राज्य है। इससे इसवफी सामाजिक-आर्थिक न्याय के प्रति वचनबद्व ता का पता लगता है जिसको देश ने लोकतन्त्रीय ढंग के द्वारा प्राप्त Reseller जाना है। भारत सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता, सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, सार्वजनिक भलार्इ और विकास के समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प है। परन्तु इस उद्देश्य के लिए वह तानाशाही ढंगों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है। भारत समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में लोकतन्त्रीय उदारीकरण के पक्ष में है। किन्तु 1991 के बाद उदारीकरण के आर्थिक सिद्धान्त को अपनाये जाने ने समाजवाद के भविष्य पर प्रश्न चिÉ लगा दिया है।

(3) भारत Single धर्म-निरपेक्ष राज्य है – 42वें संशोधन के द्वारा ‘धर्म-निरपेक्षता’ को Indian Customer राज्य की Single प्रमुख विशेषता के Reseller में प्रस्तावना में स्थान दिया गया। इसको शामिल करने से Indian Customer संविधान की धर्म-निरपेक्ष प्रवृति को और स्पष्ट Reseller गया। Single राज्य के Reseller में भारत किसी भी धर्म को विशेष स्तर नहीं देता। भारत में सरकारी धर्म जैसी कोर्इ बात नहीं है। यह पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य और अन्य मुस्लिम देशों जैसी धार्मिक सिद्वान्त की राजनीति से अपने आप को अलग करता है। अधिक श्रेष्ठ बात यह है कि भारत ने All धर्मों को Single समान अधिकार देकर धर्म-निरपेक्षता को अपनाया है। अनुच्छेदों 25 से 28 तक संविधान All नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार देता है। यह All नागरिकों को बिना पक्षपात बराबर के अधिकार भी देता है और अल्पसंख्यकों के हितों की Safty की व्यवस्था करता है। राज्य नागरिकों की धार्मिक स्वतन्त्रता में कोर्इ हस्तक्षेप नहीं करता और संविधान धार्मिक उद्देश्यों के लिए कर लगाने की मनाही करता है। अलैग्जेन्ड्रोविक्स (Alexandrowicks) लिखते हैं, भारत Single धर्म-निरपेक्ष देश है जो All व्यक्तियों के लिए संवैधानिक Reseller में धर्म की स्वतन्त्रता की व्यवस्था करता है और किसी भी धर्म को कोर्इ विशेष दर्जा नहीं देता। धर्म-निरपेक्षता Indian Customer संविधान की मौलिक संCreation का Single भाग है और प्रस्तावना इस तथ्य का स्पष्ट Reseller में वर्णन करती है।

(4) भारत Single लोकतान्त्रिक राज्य है – प्रस्तावना भारत को Single लोकतन्त्रीय देश घोषित करती है, भारत के संविधान में Single लोकतन्त्रीय प्रणाली की व्यवस्था करता है। सरकार की सत्ता लोगों की प्रभुसत्ता पर निर्भर है। लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं। सार्वजनिक वयस्क मताधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार, संगठन स्थापित करने का अधिकार और सरकार की नीतियों की आलोचना और विरोध करने का अधिकार, अपने विचार प्रकट करने और बोलने की स्वतन्त्रता, प्रेस की स्वतन्त्रता और शान्तिपूर्वक सभाएँ करने की स्वतन्त्रता प्रत्येक नागरिक को दी गर्इ है। इन राजनीतिक अधिकारों के आधार पर लोग राजनीति में भाग लेते हैं। वे अपनी सरकार निर्वाचित करते हैं। अपनी All कार्यवाहियों के लिए सरकार लोगों के सामने उत्तरदायी होती है। लोग चुनावों के द्वारा सरकार को परिवर्तित कर सकते हैं। सरकार को सीमित शक्तियाँ प्राप्त हैं। यह संविधान के दायरे में रह कर ही कार्य कर सकती है, लोगों के पास ही प्रभुसत्ता है और उनको मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का संरक्षक है। चुनाव निर्धारित अन्तराल के बाद होते हैं और यह स्वतंत्र, नियमित और निष्पक्ष होते हैं। Human अधिकारों की अधिकतर अच्छे ढंग से रक्षा करने के लिए संसद ने Human अधिकार Single्ट, 1993 पास Reseller और इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय आयोग स्थापित Reseller गया।

संविधान ने संसदीय लोकतन्त्र की व्यवस्था की है। यह ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है। इसमें अधीन विधन पालिका (संसद) और कार्यपालिका (मन्त्रिमण्डल) के बीच गहरा सम्बन्ध होता है और कार्यपालिका अपने All कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पास करके कार्यपालिका को हटा सकती है। प्रधानमन्त्री एच. डी. देवगौड़ा की सरकार को अप्रैल, 1997 में तब त्याग-पत्र देना पड़ा था जब वह लोकसभा में विश्वास का मत प्राप्त करने में असफल रही थी। इसके बाद प्रधानमन्त्री श्री आर्इ. के. गुजराल के नेतृत्व वाली साझे मोर्चे की सरकार लोकसभा में विश्वास का मत प्राप्त करने में सफल रही और यह लोकसभा के मार्च, 1998 में हुए चुनाव तक बनी रही। बारहवीं लोकसभा के चुनावों के बाद केन्द्र में बी. जे. पी. के नेतृत्व में Single साझी सरकार बनी जो अप्रैल, 1999 में बहुमत खो बैठी पर 2004 में चुनाव के बाद यू. पी. ए. की सरकार बनी। 2009 के चुनावों में सफल होने के बाद यह दूसरी बार सत्ता में आर्इ और अभी तक चल रही है। और 13वीं लोकसभा की चुनावों तक अन्तरिम सरकार की तरह कार्य करती रही।

इससे स्पष्ट है कि हमारा देश भारत Single ऐसा गतिशील लोकतंत्र है जहाँ सरकार परिवर्तन की प्रक्रिया शान्ति और व्यवस्थित ढंग से पूर्ण की जाती है।

(5) भारत Single गणराज्य है – प्रस्तावना भारत को Single गणराज्य घोषित करती है। भारत का शासन किसी King या मनोनीत मुखिया के द्वारा नहीं चलाया जाता। राज्य का अध्यक्ष Single निर्वाचित मुखिया होता है जोकि Single निर्धारित कार्यकाल के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है। गणराज्य की परिभाषा देते समय मैडीसन कहते हैं, फ्यह Single ऐसी सरकार होती है जो अपने अधिकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से लोगों की महान् संस्था से प्राप्त करती है और ऐसे लोगों के द्वारा चलार्इ जाती है, जो लोगों की इच्छा के According ही अपने पदों पर सीमित समय के लिए या अच्छे व्यवहार तक बने रह सकते हैं। भारत उन शर्तों को पूर्ण करता है और इसलिए यह Single गणराज्य है। प्रस्तावना में दिये Word गणराज्य का Means, जिसको स्पष्ट करते हुए, डी. डी. बासु कहते हैं कि फ्न केवल हमारे पास देश का पैतृक King होने के स्थान पर Single निर्वाचित राष्ट्रपति होगा बल्कि देश में ऐसी कोर्इ विशेष King श्रेणी भी नहीं होगी और All पद छोटे-से लेकर (राष्ट्रपति के पद सहित) बड़े से बड़े पद All नागरिकों के लिए बिना किसी जाति-पाति, नस्ल, धर्म य लिंग के पक्षपात के खुले होंगे।

भारत के गणराज्य की स्थिति इसकी राष्ट्र-मण्डल की सदस्यता से टकराव नहीं करती। आस्टे्रलिया के Single भूतपूर्व प्रधानमन्त्री सर रॉबर्ट मेंषिष के द्वारा उठाए इस प्रश्न में अधिक दम नहीं है कि, फ्Single ऐसा गणराज्य केसा हो सकता है जोकि राष्ट्रमण्डल का सदस्य हो और ब्रिटिश King/महारानी को अपना मुखिया स्वीकार करता हो। भारत वास्तव में Single प्रभुसत्ता सम्पन्न गणराज्य है। राष्ट्रमण्डल की सदस्यता इसकी स्वेच्छक कार्यवाही है। राष्ट्रमण्डल संयुक्त राष्ट्र के समान Single मैत्रीपूर्ण संस्था है और ब्रिटिश King/महारानी की प्रधनता की Single चिÉात्मक महत्ता ही है।

राज्य के उद्देश्य

संविधान की प्रस्तावना चार प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन करती है जोकि इसके All नागरिकों के लिए प्राप्त किए जाने हैं।

(1) न्याय – भारत का संविधान All नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्य को स्वीकार करता है। स्वतन्त्रता की राष्ट्रीय लहर का Single प्रमुख आदर्श सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था प्राप्त करना था। सामाजिक पहलू से न्याय का Means यह है कि समाज में कोर्इ भी विशेष अधिकारों वाली श्रेणी न हो और किसी भी नागरिक से जाति-पाति, नस्ल, रंग, धर्म, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर कोर्इ भी भेदभाव न Reseller जाए। भारत ने सामाजिक न्याय को Single लक्ष्य के Reseller में स्वीकार Reseller है। इस उद्देश्य के लिए संविधान All नागरिको को समान का अधिकार देता है, छुआ-छूत को Single दण्डनीय अपराध करार देता है, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों को शेष नागरिकों के लिए विशेष Saftyएँ प्रदान करता है।

आर्थिक न्याय का Means यह है कि आय, धन और आर्थिक स्तर के आधार पर मनुष्यों के साच कोर्इ भेदभाव नहीं होगा। इसमें धन के न्यायोचित्त विभाजन या आर्थिक समानता, उत्पादन के साधनों पर Singleाधिकारपूर्ण नियन्त्रण की समाप्ति करके, आर्थिक स्त्रोतों का विकेन्द्रीकरण और All को जीवन निर्वाह के लिए उचित अवसर प्रदान करने और Single कल्याणकारी राज्य स्थापित करने का संकल्प शामिल हैं। राज्य नीति के निर्देशक सिद्वान्तों का उद्देश्य भारत में सामाजिक-आर्थिक न्याय और कल्याणकारी राज्य स्थापित करना है। समाजवाद के प्रति वचनबद्व ता का उद्देश्य भी सामाजिक-आर्थिक न्याय प्राप्त करने हैं।

राजनीतिक न्याय का Means लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में Single समान, अवसर देना है। जाति-पाति, रंग, नस्ल, धर्म, लिंग या जन्म स्थान के भेदभाव के बिना All लोगों को Single ही जैसे राजनीतिक अवसर प्रदान करने की व्यवस्था करना है। भारत का संविधान All लोगों को अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करने और सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार देता है परन्तु साथ ही सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार है। राजनीतिक अधिकार प्रदान करना। इस प्रकार सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय संविधान का Single मुख्य उद्देश्य है। जबकि राजनीतिक न्याय उदारवादी लोकतन्त्रीय प्रणाली अपना कर स्थापित कर लिया गया है। सामाजिक और आर्थिक न्याय अभी पूर्ण Reseller से प्राप्त Reseller जाना बाकी है।

(2) स्वतन्त्रता – प्रस्तावना स्वतन्त्रता को दूसरा मुख्य उद्देश्य घोषित करती है राज्य का कर्त्तव्य है कि यह लोगों की स्वतन्त्रता को Windows Hosting करे, विचारों को प्रकट करने की स्वतन्त्रता प्रदान करें, धार्मिक विश्वास और पूजा पाठ की स्वतन्त्रता को विश्वसनीय बनाए। मौलिक अधिकार प्रदान करने का उद्देश्य इसी उद्देश्य भी यही है व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण Reseller से विकसित होने के लिए स्वतन्त्रता Single महत्त्वपूर्ण Need होती है। यह अच्छा जीवन जीने के लिए भी आवश्यक शर्त होती है।

(3) समानता – समानता को प्रस्तावना तीसरा मुख्य उद्देश्य घोषित करती है। इसे दो भागों में प्रस्तुत Reseller गया है: (i) स्तर की समानता कानून की दृष्टि में All Indian Customer Single समान हैं। (ii) अवसर की समानता धर्म, नस्ल, लिंग, रंग, जाति-पाति या निवास आदि के भेदभाव के बिना समान अवसरों की उपलब्धि Indian Customer संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 समानता का अधिकार प्रदान करते हैं। अनुच्छेद 16 के अधीन All को Single ही जैसे अवसर प्रदान करने की व्यवस्था की गर्इ है। परन्तु इसके साथ ही संविधान समाज के कमषोर वर्ग होने के नाते औरतों और बच्चों को विशेष Safty भी प्रदान करता है।

(4) भ्रातृभाव – प्रस्तावना स्पष्ट Reseller में घोषित करती है कि लोगों के परस्पर भार्इचारे और प्रेम को बढ़ावा देना राज्य का लक्ष्य है-ताकि लोगों में भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक Singleता की भावना पैदा हो। इसमें मनुष्य का सम्मान बनाए रखने और राष्ट्र की Singleता और अखण्डता स्थापित करने और बनाए रखने का लक्ष्य भी शामिल Reseller गया है। Humanीय सम्मान को हमारी स्वतन्त्रता की लहर में बहुत ही उच्च स्थान दिया गया था। स्वतन्त्रता संघर्ष इस बात से प्रेरित था कि ब्रिटिश Kingों के द्वारा Indian Customer लोगों से किए जा रहे Second दर्जे के व्यवहार को समाप्त Reseller जाए। इसीलिए प्रस्तावना में यह विशेष Reseller में कहा गया है Humanीय आदर और राष्ट्र की Singleता और अखण्डता को विश्वसनीय बनाते हुए आपसी भार्इचारे को बढ़ावा दिया जाए। यह लक्ष्य Human अधिकारों की घोषण से भी मेल खाता है। इस प्रकार भ्रातृभाव Indian Customer संविधान के Single प्रमुख उद्देश्य हैं-

संविधान को अपनाने और पारित करने की तिथि

प्रस्तावना के अन्तिम भाग में यह ऐतिहासिक तथ्य दर्ज Reseller गया है कि संविधान 26 नवम्बर, 1949 को स्वीकार Reseller गया। इसी दिन ही संविधान पर संविधान निर्माण सभा के प्रधान ने हस्ताक्षर किए और इसको लागू Reseller जाना घोषित Reseller।

स्व-निर्मित संविधान

भारत का संविधान स्व-निर्मित संविधान है। इसे भारत के लोगों के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि संस्था के Reseller में संविधान निर्माण सभा ने तैयार, स्वीकार और पास Reseller है। कुछ आलोचक यह तक्र देते हैं कि यह Single स्वीकृत संविधान नहीं है क्योंकि इस पर कभी भी जनमत-संग्रह नहीं करवाया गया। परन्तु आलोचकों का यह तक्र अधिकतर संवैधानिक विशेषज्ञ इस आधार पर रद्द कर देते हैं कि संविधान निर्माण सभा भारत की जनता और जनमत का पूर्ण Reseller से प्रतिनिधित्व करती थी और इसके द्वारा संविधान को तैयार, स्वीकार और पास करने का Means इसे All लोगों के द्वारा स्वीकार और पास Reseller जाना था। अमरीका के संविधान को भी जनमत-संग्रह के लिए लोगों के सामने प्रस्तुत नहीं Reseller गया था। इस प्रकार भारत का संविधान भारत के लोगों के द्वारा स्व-निर्मित, स्वीकृत और पारित Reseller गया और अपनाया गया संविधान है।

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