प्लासी का Fight के कारण, घटनायें, महत्व और परिणाम

प्लासी Fight के कारण 

प्लासी का Fight Indian Customer History में अंग्रेजों के प्रभुत्व के प्रसार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जिसके कारण हैं –

(1) सिराजुद्दौला की अलोकप्रियता

सिराजुद्दौला का चारित्रिक बुरार्इयों से परिपूर्ण था। वह क्रूर, अत्याचारी, चंचल प्रकृति, हठी और अति विलासी व्यक्ति था। उसने अपने स्वभाव से अपने ही संबंधियों और दरबारियों को अपना शत्रु बना लिया था। उसने अपनी धार्मिक कट्टरता और अनुदारता से भी अनेक हिन्दू व्यापारियों को अपना शत्रु बना लिया था। जब उसने निम्न पद वाले मोहनलाल को अपना मंत्री और मीर मदीन को अपने निजी सैनिकों का सेनापति नियुक्त Reseller और मीरजाफर को ऊँचे पद से हटाया तो उसके वरिश्ठ दीवान राय दुर्लभ और तथा सेनापति मीरजाफर उससे रुष्ट हो गये। नीति और कार्यों को लेकर मीरजाफर और सिराजुद्दौला में तीव्र मतभदे और अत्यधिक तनाव बढ़ गया था। सिराजुद्दौला ने अनेक बार मीरजाफर के निवास भवन को तोपों से उड़ाकर Destroy करना चाहा जिससे मीरजाफर उससे रुष्ट होकर उसके विरुद्ध शड़यंत्र करने लगा। प्रभावशाली सम्पन्न जगत सेठ मेहताबराय के मुंह पर भरे दरबार में नवाब ने चांटा मारकर उसे अपमानित Reseller था। इससे वह भी रुष्ट हो गया और नवाब के विरुद्ध शड़यंत्रकारी गतिविधियों में सम्मिलित हो गया। जगत सेठ और मीरजाफर दोनों ने ही सिराजुद्दौला को सिंहासन से पृथक करने के शड़यंत्र रचने प्रारंभ कर दिये और सिराजुद्दौला को सिंहासनाच्युत करने का निर्णय Reseller।

(2) अंग्रेजों की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा

दक्षिण में कर्नाटक और हैदराबाद में जिस राजनीतिक हस्तक्षपे से अंग्रेजों ने प्रभुत्व और भ-ू भाग प्राप्त किये थे उससे उनमें साम्राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा बढ़ गयी थी। वे बंगाल में भी अपने साम्राज्य के विस्तार के लिये किसी दुर्बल उम्मीदवार का पक्ष लेकर उसे King बनाकर अपना स्थायी प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे। वे ऐसा नवाब चाहते थे जो फ्रांसीसियों के विरोध में हो And उनके पक्ष में हो और अंग्रेजों को All राजनीतिक और व्यापारिक सुविधाएं प्रदान करे। मीरजाफर नवाब सिराजुद्दौला के विरोध में था और वह स्वयं नवाब बनने का महत्वाकाक्ष्ं ाी हो गया था। अतएव अंगे्रजों ने उससे मिलकर नवाब के विरुद्ध शड़यंत्र रचा।

(3) फ्रांसीसियों के विषय में अंग्रेजों का भय

इस समय बंगाल में अंग्रेजों की तुलना में फ्रांसीसियों की स्थिति दृढ़ थी। उनका व्यापार भी ठीक चल रहा था और चन्द्रनगर तथा हुगली में उनकी कोठियाँ और व्यापारिक केन्द्र थे। अलीनगर की अपमानजनक सन्धि के प’चात् सिराजुद्दौला अंग्रेजों से रुष्ट हो गया था और जब अंग्रेजों ने चन्द्रनगर पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में कर लिया, तो सिराजुद्दौला की सहानुभूि त फ्रांसीसियों के प्रति हो गयी और उसने फ्रांसीसियों को शरण अैर संरक्षण दिया। इससे अंग्रेजों की यह धारणा दृढ़ हो गयी कि नवाब सिराजुद्दौला फ्रांसीसियों की सहायता से शीघ्र ही उन पर आक्रमण कर देगा। पांडिचेरी और हैदराबाद से फ्रांसीसी सेना बंगाल में नवाब के पक्ष में सरलता से आ सकेगी। यूरोप में सप्तवश्र्ाीय Fight प्रारम्भ हो चुका था और फ्रांसीसी तथा अंग्रेज यूरोप में Fight कर ही रहे थे। ऐसे समय में नवाब की सहायता से फ्रांसीसी सेनाए बंगाल में अंग्रेजों पर आक्रमण कर उनके अस्तित्व को Destroy कर देगी, इसलिये ऐसा कोर्इ गठबंधन होने के पूर्व ही शीघ्रातिशीघ्र सिराजुद्दौला को Defeat कर पदच्युत कर दिया जाय। अतएव अंग्रेजों ने अपने हित में नवाब सिराजुद्दौला का अन्त करना श्रेयस्कर समझा।

(4) सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र

Historyनीय है कि मीरजाफर नवाब बनने का महत्वाकांक्षी था। उसे नवाब बनाने के लिये अप्रेल 1757 में गुप्त Reseller से अंग्रेज अधिकारी वाटसन, क्लाइव और मीरजाफर के बीच प्रसिद्ध धनाढ़य व्यापारी अमीरचन्द के द्वारा Single गुप्त समझौता हुआ। जिसके According अंग्रेज मीरजाफर को नवाब बनावेंगे और नवाब बनने के बाद वह अंग्रेजों को वे All सुविधाएं व अधिकार प्रदान करेगा जो उनको पहिले के नवाब के समय प्राप्त थीं। वह अंग्रेज कम्पनी को क्षतिपूर्ति के लिये Single करोड़ रुपये देगा। वह फ्रांसीसियों की कोठियों को अंग्रेजों को दे देगा और उनको पुन: बंगाल में बसने नहीं देगा। अंग्रेजों को ढाका, कासिम बाजार, हुगली, कलकत्ता आदि स्थानों की किलेबन्दी करने का अधिकार होगा। नवाब कलकत्ते की खार्इ के चारों और 600 गज भूि म जमींदारी के Reseller में तथा चौबीस परगनों की जमींदारी कम्पनी को प्रदान करेगा। यदि नवाब अंग्रेजी सेना की सहायता प्राप्त करेगा तो उसे इस सेना का व्यय भी वहन करना पड़ेगा। इस प्रकार मीरजाफर ने विश्वसघात करके सिराजुद्दौला को राजसिंहासन से उतारने का शड़यंत्र Reseller।

(5) सिराजुद्दौला का दोषारोपण

क्लाइव ने अन्त में नवाब सिराजुद्दौला को पत्र लिखकर उस पर यह आरोप लगाया कि उसने अलीनगर की सन्धि की शर्तें भंग की हैं और वह इस मामले को नवाब के कुछ अधिकारियों के निर्णय पर छोड़ देने के लिए तैयार है और इसके लिए वह स्वयं नवाब की राजधानी मु’िरदाबाद आ रहा है। पत्र लिखने के बाद क्लाइव ने 800 अंग्रेज तथा 2200 Indian Customer सैनिकों के साथ नवाब पर आक्रमण करने के लिए कलकत्ता से प्रस्थान Reseller। 22 जून 1757 को वह प्लासी गाँव के समीप पहुँचा और वहां अपना सैनिक शिविर डाल दिया।

Fight की घटनायें

क्वाइव के प्लासी पहुँचने के पूर्व ही सिराजुद्दौला अपने पचास सहस्र सैनिकों के साथ वहाँ विद्यमान था। जब Fight प्रारंभ हुआ तब सिराजुद्दौला की ओर से केवल मोहनलाल, मीरमर्दान और Single फ्रांसीसी अधिकारी थोड़ी सी सेना से अंग्रेजों से Fight कर रहे थे। नवाब की मुख्य सेना ने जो राय दुर्लभ और मीरजाफर के अधिकार में थी, Fight में भाग नहीं लिया। इन दोनों ने नवाब के साथ रण-क्षेत्र में भी धोखा Reseller। मीरमर्दान रण-क्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हुआ। अन्त में अंग्रेज विजयी हुए। उनकी विजय वीरता और रणकुशलता पर आधारित न होकर शड़यत्रं ो, धोखाधड़ी और विवासघात से परिपूर्ण थी। ‘‘प्लासी Single एसे ा व्यापार था जिसमें बंगाल के धनवान सेठों और मीरजाफर ने नवाब को अंग्रेजों के हाथ बेच दिया था।’’ प्लासी के Fight में सिराजुद्दौला की पराजय का कारण उसकी सैनिक दुर्बलता नहीं थी, अपितु क्लाइव की धोखेबाजी, कूटनीति और शड़यंत्र था। प्लासी में वास्तविक Fight हुआ ही नहीं था। अपनी प्राण-रक्षा के लिए सिराजुद्दौला रण-क्षेत्र से भागा। किन्तु मीरजाफर के पुत्र मीरन ने उसे पकड़कर उसका वध कर दिया। सिराजुद्दौला में कितने भी दोष क्यों न रहे हों, किन्तु उसने अंगे्रेजों और अपने राज्य के साथ विश्वासघात नहीं Reseller।

Fight का महत्व और परिणाम

अंग्रेज Historyकारों ने प्लासी के Fight को निर्णायक Fight कहा है और इस Fight में विजयी होने के कारण उन्होनें क्लाइव की गणना विश्व के महान सेनापतियों में की है और क्वाइव को जन्मजात सेना नायक माना है। किन्तु यह कथन अतिरंजित और Singleपक्षीय है।

प्लासी के Fight का कोर्इ सैनिक महत्व नहीं है। वास्तव में Fight हुआ ही नहीं। Fight में किसी प्रकार का रण-कौशल, वीरता या साहस नहीं दिखाया गया था। इसमें थोड़े से सैनिकों की मृत्यु हुर्इ। कुछ गोले-बारूद की बौछार अवश्य हुर्इ। ‘‘प्लासी की घटना Single हुल्लड़ और भगदड़ थी, Fight नहीं।’’ वास्तव में प्लासी के Fight में विशाल गहरे शड़यंत्र औार कुचक्र का प्रदश्रन था जिसमें Single ओर कुटिल नीति निपुण बाघ था और दूसरी ओर Single भोला शिकार।

इस Fight का राजनैतिक महत्व सर्वाधिक है। इस Fight से अलीवर्दीखां के राजवंश का अन्त हो गया और मीरजाफर बंगाल का नवाब बना। इस Fight के परिणामस्वReseller भारत की राज्यश्री अंग्रेजों के हाथों में चली गयी। भारत में अंगे्रजी साम्राज्य की नींव पड़ी। इस Fight ने अंग्रेजों को व्यापारियों के स्तर से उठाकर भारत का King बना दिया। ब्रिटिश कम्पनी ने कलकत्ता में अपनी टकसाल स्थापित की और अपने सिक्के भी ढाले और प्रसारित किये। अंग्रेजों की शक्ति और प्रभुत्व इतना अधिक बढ़ गया कि वे बंगाल में नवाब निर्माता बन गये। यद्यपि Fight के बाद मीरजाफर नवाब तो बन गया, पर वह पूर्ण Reseller से अंग्रेजों के अधिकार में था। वह अंग्रेजों की कठपुतली मात्र था। अप्रत्यक्ष Reseller से अंग्रेज बंगाल के वास्तविक स्वामी बन चुके थे। इसीलिए प्लासी का Fight भारत के History में युगान्तरकारी घटना है। इसके बाद Indian Customer राजनीति में Single नया मोड़ आया।

बंगाल में अंगे्रजों का प्रभुत्व और आधिपत्य स्थापित हो जाने से अंग्रेजों के लिये उत्तर भारत की विजय का मार्ग प्रशस्त हो गया। बंगाल भारत की अन्य उदीयमान शक्तियों से बहुत दूर था। इसीलिए इन शक्तियों के आक्रमणों और प्रहारों से बंगाल मुक्त था। बंगाल मुगल साम्राज्य के अत्यन्त समीप था। इससे अंग्रेज उस पर सफलता से आक्रमण और प्रहार कर सकते थे। बंगाल का अपना समुद्र तट था इसलिए अंग्रेज समुद्री मागर् से सरलता से अपनी सेनाए बंगाल ला सके और बंगाल से नदियों के मार्ग के द्वारा वे उत्तर भारत में आगरा और दिल्ली तक सरलता से पहुँच सके। बंगाल में उनकी सामुद्रिक शक्ति का बहुत प्रसार हुआ। बंगाल से ही अंग्रेज आगामी सौ वर्शों में आगे बढ़े और सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार जमा लिया।

प्लासी के Fight में विजय के परिणामस्वReseller अंग्रेजों की प्रतिष्ठा और यश-गौरव में भी अत्याधिक वृद्धि हो गयी और उनके प्रतिद्वन्द्वी फ्रांसीसियों की शक्ति और प्रभुत्व को गहरा आघात लगा। अंग्रेजों के अधिकार में बंगाल जैसा धन सम्पन्न और उर्वर प्रांत आ जाने से उनकी आय में खूब वृद्धि हुर्इ और वे फ्रांसीसियों को कनार्ट क के तृतीय Fight में सरलता से Defeat कर सके।

इस Fight के कारणों ने भारत के राजनीतिक खाख्े ालेपन तथा सैनिक दोषों और व्यक्तिगत दुर्बलताओं को स्पष्ट कर दिया। यह भी स्पष्ट हो गया कि राजनीतिक शड़यंत्र, कुचक्र, कूटनीति और Fight में अंग्रेज Indian Customerों की अपक्ष्े ाा अधिक प्रवीण थे। अब वे अपनी कूटनीति का प्रयागे भारत के अन्य प्रदशो में कर सकते थ।े

प्लासी के Fight का आर्थिक परिणाम अंग्रेजों के लिये अत्यधिक महत्व का रहा। मीरजाफर ने नवाब बनने के बाद कम्पनी को 10 लाख रुपये वार्शिक आय की चौबीस परगने की भूमि जागीर के Reseller में प्रदान की। क्लाइव और अन्य अंग्रेज अधिकारियों को पुरस्कार में अपार धन, भंटे और जागीर दी गयी। क्लाइव को 234 लाख पौंड और कलकत्ता की कौंसिल के सदस्यों में से प्रत्येक को सत्तर-अस्सी हजार पांडै की सम्पत्ति प्राप्त हुर्इ। सिराजुद्दौला की कलकत्ता विजय के समय जिनकी क्षति हुर्इ थी उन्हें क्षतिपूर्ति के 18 लाख रुपये बाटें गये। इस प्रकार कुछ ही समय में नवाब मीरजाफर के राजकोश से लगभग पौने दो करोड़ रुपया निकल गया और राजकोश रिक्त हो गया। 1757 र्इ. – 1760 र्इ. की अवधि में मीरजाफर ने लगभग तीन करोड़ रुपये घूस में कम्पनी को और उसके अधिकारियों में वितरित किये। इस Fight के बाद अंगे्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में चुंंगी से मुक्त व्यापार कने की सुविधाएं प्राप्त हो गयी। इससे कम्पनी के कर्मचारियों ने इस सुविधा का दुरुपयागे करके अगले आठ वर्शों में 15 करोड़ से भी अधिक का व्यापारिक लाभ उठाया। King के Reseller में कम्पनी को टकसाल बनाकर अपने सिक्के ढालने और उनका प्रसार करने का भी अधिकार हो गया। इसीलिये कहा जाता है कि प्लासी के Fight के बाद भारत में वह युग प्रारम्भ हुआ जिससे अंग्रेजों का साम्राज्य विस्तार व्यापार से जुड़ गया था। प्लासी के बाद के युग में अंग्रेजों द्वारा बंगाल की वह लूट प्रारम्भ हुर्इ जिससे बंगाल निर्धन बन गया।

मीरकासिम का नवाब बनना

उपरोक्त समझौते के बाद मीरकासिम और अंग्रेज मु’िरदाबाद गये और वहाँ मीरजाफर का राजमहल घेर कर उस पर यह दबाव डाला कि वह मीरकासिम को अपना नायब नियुक्त कर दे। मीरजाफर को यह भय था कि उसका दामाद मीरकासिम नायब बनने के बाद उसकी हत्या कर देगा। इसलिये मीरजाफर ने राजसिंहासन छोड़ना श्रेयस्कर समझा। फलत: मीरजाफर को गद्दी से उतारकर 15,000 रुपये मासिक पेशन देकर कलकत्ता भेज दिया और 20 अक्टूबर 1760 को ब्रिटिश कंपनी द्वारा मीरकासिम को नवाब बना दिया गया।

मीरकासिम बंगाल के नवाबों में योग्य, बुद्धिमान, प्रतिभासम्पन्न और सच्चरित्र King था। नवाब बनने पर उसने अंग्रेजों को अपने वचन और समझौते के According बर्दवान, मिदनापुर और चटगाँव के जिल े दिये। कलकत्ता कौंसिल के विभिन्न अंग्रेज सदस्यों तथा अन्य अंग्रेज अधिकारियों को उसने बहुत-सा धन भी भेटं तथा उपहार में दिया। दक्षिण भारत के Fightों के संचालन के लिये उसने अंग्रेजों को पांच लाख रुपया देकर उसने अपना वचन पूरा Reseller।

मीरकासिम के नवाब बनने पर उसके समक्ष अनेक समस्याएं थीं। अंगे्रजों को निरन्तर धन देते रहने से, अंगेजों को अनेक व्यापारिक सुविधाएँ देने से, कर्मचारियों के गबन से और अत्यधिक अपव्यय से राजकोश रिक्त हो गया था। प्रशासन अस्त-व्यस्त था। राजनीति व प्रशासन से अंग्रेजों का प्रभुत्व था। कंपनी के कर्मचारी और अधिकारी भ्रश्ट और बेर्इमान थे। उन्होंने Kingीय धन का गबन Reseller था। रााज्य में भूमि-कर वसूल नहीं हो रहा था। जमींदारों में विद्रोही भावना बलवती हो रही थी। सेना अव्यवस्थित और अनुशासनहीन थी। मीरकासिम ने इन समस्याओं का दृढ़ता से सामना Reseller तथा अनके सुधार भी किये।

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