परिवार नियोजन का Means, महत्व And पद्धतियां

भारत विश्व में पहला देश है जिसने परिवार नियोजन कार्यक्रम को सरकारी स्तर पर अपनाया है भारत सन् 1951 से जनसंख्या को सीमित करने के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बढ़ती हुर्इ जनसंख्या और सीमित साधनों में नियन्त्रण स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि जनसंख्या पर नियन्त्रण Reseller जाए। शाब्दिक Reseller से परिवार नियोजन का Means साधारण दो या तीन सन्तानों को जन्म देकर परिवार के आकार को नियोजित Reseller से सीमित रखना समझा जाता है। परिवार नियोजन से तात्पर्य Single ऐसी योजना से है, जिसमें परिवार की आय, माता के स्वास्थ, बच्चों के समुचित पालन पोषण तथा शिक्षा को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त समय पर और Single आदर्श संख्या में सन्तानों को जन्म दिया जाए।

परिवार नियोजन और परिवार कल्याण का महत्त्व

परिवार नियोजन को अब बेहतर जीवन स्तर हेतु मौलिक Humanीय हक माना जाता है। जन्मों में प्रर्याप्त अन्तर होना बेहतर पारिवारिक स्वास्थ के लिए महत्त्वपूर्ण और महिलाओं के लिए अधिक स्वतंत्र और समान अधिकारो की प्राप्ति हेतु सहायक होता है। यदि महिलाओं को परिवार नियोजन अपनाने हेतु स्वतन्त्रता दी जाए तो अधिकांश महिलाएं सिर्फ दो या तीन बच्चों को ही जन्म देना स्वीकार करेगी।

  1. सिर्फ दो बच्चो के पर्याप्त अन्तर से जन्म लेने की वजह से माता का स्वास्थ अच्छा रहता है। वह परिवार की देखभाल अच्छी तरह से करती है।
  2. माताओ और शिशुओं के स्वास्थ सम्बन्धी खतरे बहुत कम हो जाते है।
  3. छोटा परिवार स्वास्थ, सुखी और सतुंष्ट रहता है।
  4. अच्छी शिक्षा की वजह से दम्पत्ति स्वतन्त्रता पूर्वक परिवार नियोजन कर सकते हैं।
  5. माताओ की आयु 20 वर्ष से अधिक होने से शिशु जन्म के समय किसी का खतरा नहीं रहता है।
  6. सिर्फ दो बच्चे होने की वजह से पालक उनकी अच्छी देखभाल कर सकता है। उनके आहार, कपड़े, शिक्षा का व्यय आसानी से वहन कर सकते है। बच्चे बड़े होने पर अक्सर अच्छे उपयोगी नागरिक बनते है।
  7. छोटे परिवार में पैसा बढ़ता है और स्तर में सुधार होता है।
  8. माता के पास अपनी शिक्षा तथा कार्य में सुधार हेतु पर्याप्त समय रहता है और रूचि बनी रहती है। उसका सामाजिक दर्जा भी बेहतर रहता है।

परिवार नियोजन की पद्धतियां

1. अस्थायी पद्वतियां-

अस्थायी पद्वतियाँ का यह लाभ है कि Needनुसार उनको सरलतापूर्वक बन्द Reseller जा सकता है। इनका मुख्य लक्ष्य जन्म में अन्तर बढ़ाना है।

यान्त्रिक गर्भ निरोध-(क) आय.यू.डी (IUD) (ख) डायफ्राम, (Diaphragm) (ग) कन्डोम या निरोध

  1. अन्त: गर्भाशयीन साधन (IUD)- महिलाओं में यह पद्वति काफी लोकप्रिय है। यह पालिथिलिन का बना दुहरे आकार का साधन होता है जिसे ‘लिपीज-लूप’ कहा जाता है जबकि कि कापर-T(copper ‘T’) कापर और पोलिथिलिन की बनी होती है कापर ‘T’ आसानी से प्रवेशित की जा सकती है और उससे रक्तश्राव भी कम होताऔर से बेहतर कही जा सकती है। I.U.D. के द्वारा, निषेचित ओवम की अपने आपको गर्भाशय की दीवार से जुड़ने की क्रिया की रोकथाम की जाती है।
  2. डायफ्राम(Diaphragm)- यह रबर का गुम्बदाकार साधन होता है जिसे महिला सम्भोग पूर्व सरविक्स को ढँकने और शुक्राणुओं के गर्भाशय में प्रवेश की रोकथाम करने के हेतु, अपने आप योनि में प्रवेशित करती है चिकित्सक या नर्स द्वारा निदान गृहों में महिलाओं को इसे प्रवेशित करने की शिक्षा दी जाती है।
  3. कन्डोम (निरोध)- इस निरोधक पद्वति का प्रयोग पुरूषों द्वारा Reseller जाता है। यह महीन रबर का बना पुरूष जननांग को ढ़कने वाला Single साधन होता है। इसे संभोग पूर्व सीधे लिंग पर चढ़ाकर पहना जाता है।

2. हॉरमोनल पद्धति-

  1. मुख से ली जाने वाली निरोधक गोलियां जो महिलाओं द्वारा प्रयोग में लायी जाती है।
  2. ऐसी गोलियॉ जो पुरूषों में शुक्राणुओ के उत्पादन की रोकथाम करती है इस पर शोध कार्य किये जा रहे है।
  3. डेपो प्रोवेरो के इंजेक्शन और अन्य औषधियाँ। ये अभी भारत में अधिक प्रयोग में नहीं लार्इ जाती है।

3. प्राकृतिक पद्धतियाँ-

  1. रिदम या Windows Hosting अवधि पद्धति:- दिनों की गणना पर आधारित, रजोधर्म को उवर्रक अवधि में सम्भोग न करना यह लक्ष्य होता है।
  2. ओव्यूलेशन पद्धति:- यह पद्धति रिदम पद्धति से अधिक सही होती है। महिलाओं को यह शिक्षा दी जाती है कि डिम्बक्षरण के समय उनमें होने वाले परिवर्तनों को ध्यान रखें जो कि उर्वरक अवधि होती है। सरवाइकल श्लेष्मा के इस अवधि में परिक्षण से यह पतालगता है कि वह अधिक फिसलनयुक्त रहता है जब कि अन्य अवधि में यह Single पेस्ट की तरह चिपचिपा होता है। योनि का तापक्रम डिम्बक्षरण अवधि से सामान्य से अधिक होता है।
  3. सम्भोग अन्तर्बाधा :- इस अवधि में वीर्य स्खलित होने के पूर्व ही पुरूष अपने शिशन को बाहर निकाल लेता है।

4. स्थायी विधियाँ-

  1. महिला नसबन्दी:- यह शल्यक्रिया महिलाओं के लिए होती है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग द्वारा जिसमें ‘लेप्रोस्कोपी’ सम्मिलित है, यह अत्यन्त सरल और Windows Hosting होगयी है। यह Single छोटी शल्यक्रिया है, जिसमें फेलापिन ट्यूब के दोनों तरफ का छोटा भाग निकाला जाता है। उदर में सिर्फ 2 से.मी. लम्बा चीरा लगाता है। जिसे Single Single टाँके द्वारा बन्द Reseller जाता है। इसके लिए सर्वोत्तम समय प्रसब बाद 7 दिन की अवधि में होता है। लेकिन यह किसी भी समय की जा सकती है।
  2. पुरूष नसबन्दी:- यह पुरूष की सरल और Windows Hosting शल्यक्रिया होती है। जिसमें शुक्रवाह के दोनों तरफ का छोटा टुकड़ा निकाल दिया जाता है। Single छोटा सा चीरा स्कोटम में देने की Need होती है। इसमें सिर्फ 10 मिनट का समय लगता है और पुरूष उसी दिन घर जा सकता है।

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