जापान में सैन्यवाद के कारण

जापान में सैन्यवाद के कारण

By Bandey

अनुक्रम

सैन्यवाद क्या है?

सैन्यवाद उग्रराष्ट्रवाद के परिणाम स्वरुप उत्पन Single ऐसी विचारधारा और राजनैतिक गतिविधि है जिसके तहत सामाजिक जीवन के All पहलुओं, संस्कृति और राजनीति सैन्य मूल्य के अधीन हो जाता है। जिस किसी देश में भी ऐसा वातावरण हो वहाँ पर सबसे महत्वपूर्ण Fight तथा उससे सम्बंधित तैयारियां हो जाती हैं। जहाँ कही भी सैन्यवाद जन्म लेता है वहाँ पर मनुष्यों या उस देश के नागरिकों की सुविधाओं का ध्यान बाद में रखा जाता है जबकि इसमें Fight को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसमें सैनिकों का प्रभाव ज्यादा होता है तथा देश के कोई भी नियम उनके हिसाब से ही बनाये जाते है। ऐसी परिस्थितियों में सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडल जो सेना से सम्बंधित हो उसका चुनाव भी सैनिक अधिकारियों के बीच से Reseller जाता है, अगर सरकार चाहे भी तो उनके इजाजत के वगैर अपनी मंत्रीमंडल का गठन नहीं कर सकती, सैन्यवाद वहीं आता है जहां राजतन्त्र या लोकतंत्र कमजोर होता है।

सैन्यवाद का Single उग्र Reseller जापान में भी उभर कर आता है। जापान जो एशिया महादेश का Single छोटा सा देश है, वह पश्चिमी देशों के साथ संपर्क में आ कर बीसंवी शताब्दी में खुद साम्राज्यवादी बन जाता है। उस समय एशिया महादेश के लगभग All देशो पर साम्राज्यवादी यूरोपीय देशों का प्रभाव था पर सिर्फ जापान ही अपना अस्तित्व बचाए रखने में सक्षम रहा,जापान में उस समय कुछ ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण वहां पर सैन्यवाद मजबूत हुआ। जापान में सैन्यवाद के उदय में लोकतंत्र तथा उदारवादियों की नाकामी, उपनिवेश की इक्षा, आत्म Safty और आर्थिक विकास आदि ने बहुत योगदान दिया।


जापान में सैन्यवाद के कारण

1853 ई. में कॉमोडोर पैरी का जापान के तटीय क्षेत्र पर आगमन के साथ ही जापान व्यापारिक उद्देश्य से पूरे यूरोप के लिए खुल जाता है, इस घटनाक्रम के बाद वहाँ के King कुछ रियायतों के साथ मुक्त व्यापार की नीति मानने को तैयार हो गई थे और यही बाद में तोकुगावा का पतन और मेजी पुन:स्थापना में भी हुआ। जापान को उस समय से ही अपनी अस्तित्व बचाने के लिए इन यूरोपीय साम्राज्यवादी देशों का सामना करना पड रहा था जिसके कारण जापान अपने आप को 20वीं सदी के शुरुवात तक मजबूत बनाता है। जापान में सैन्यवाद के कई कारण थे, जिसमें उपनिवेशवाद की इक्षा, आर्थिक मंदी, आत्म Safty और लोकतंत्र तथा उदारवादियों की नाकामी आदि शामिल हैं।

जापानी उपनिवेशवादी नीति ने भी सैन्यवाद को पनपने में योगदान दिया, जापान अपने आप को सैनिक And राजनैतिक क्षेत्रों में मजबूत करता है और 19वीं शताब्दी के अंतिम समय तथा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से खुद साम्राज्यवादी सोच अपनाने लगता है, चूँकि जापान उस समय एशिया का Single मात्र शक्तिशाली देश था इसलिए साम्राज्यवादी नीति का प्रसार करने लगता है, ताकि वह पश्चिमी साम्राज्यवादी देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके, जबकि 1895 ई. के First भी जापान ने अपनी सेना का निर्माण तथा आधुनिकीकरण Reseller था पर जापानी नेताओं ने यह महसूस Reseller की अभी जापान साम्राज्यवादी यूरोपीय देशों की बराबरी नहीं कर पाया है, इस कारण से जापान में 1895 ई. से 1904 ई. के बीच बड़ी तेजी से सैन्यवाद का विकास हुआ।

मध्य काल में जापान में भी सामंतवाद मजबूत था और जापान में सामंतों का शासन था पर 1867 ई. में अंतिम शोगुन सामंत द्वारा त्यागपत्र देना तथा 1868 ई. में सम्राट मुत्सुहितो द्वारा देश की सम्पूर्ण सत्ता संभालना जापान की Single बड़ी घटना थी, इसके बाद जापान जल्द ही प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर विÜव में शीघ्र ही Single शक्तिशाली And सम्मानीय देश बन गया, जापान के इतिहांस में फिर से Single मोड़ तब आया जब 1912 ई. में सम्राट मुत्सुहितो की मृत्यु के बाद सैन्यवाद ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरु कर दिया जबकि 1907ई. से ही सेना के उच्च अधिकारी अपनी अहम् भूमिका निभा रहे थे। अगर इसके बाद का जापानी History को देंखे तो पाते है की 1918ई. से 1932ई. के बीच वहाँ पर दलीय सरकारें थी लेकिन वहाँ के प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्य प्रतिनिधि सभा के बहुदलीय दल के होते थे, बावजूद इसके उन्होंने Single आदर्श संवैधानिक प्रणाली के Reseller में अपने आप को स्थिर नहीं कर पाया था। दूसरी तरफ उदारवादी भी जापान को Single लोकतान्त्रिक राज्य बनाने में असफल रहे। इन्ही सब परिस्थितियों में जापान में सैन्यवाद या उग्रराष्ट्रवाद का जन्म हुआ।

जापान के नेता और सैन्य अधिकारी Safty कारणों से यह महसूस करते थे कि अगर जापान अपने आप को सैन्य –ष्टि से मजबूत नहीं करेगा तो पश्चिमी साम्राज्यवादी देश विशेष कर रूस उसको जीत कर अपने प्रभाव क्षेत्र में ले लेगा, First भी 1904-05 ई. में रूस के साथ जापान का Fight हो चुका था, जिसके कारण जापानियों को लगता था कि अगर जापान सैनिक दृष्टि से कमजोर हो जायेगा तो रूस उसके ऊपर आक्रमण कर देगा, 19 वीं शदी के आखिर तक पडोसी चीन भी आर्थिक और सैनिक दृष्टि से कमजोर था जिसके कारण एशिया में अपनी साख बचाए रखने के लिए जापान ने सैन्यवाद को बढ़ावा दिया।

आर्थिक दृष्टि से भी जापान में सैन्यवाद जरुरी था, जापान की Meansव्यवस्था पर विदेशी व्यापार का बहुत महत्व था जिसके कारण 1929 ई. में आई आर्थिक मंदी ने वहाँ के लोगों की स्थिति को दयनीय बना दिया, यह आर्थिक मंदी तब आई थी जब जापान के लोग 1923ई. में आये भूकंप और 1920 के दशक में आर्थिक अस्थिरता ने वहाँ के किसानों और मजदूरों को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर दिया था। इस कारण से उस समय जापान में साम्राज्यवाद की भावना प्रबल होने लगी जिससे कि विदेशी व्यापार को जारी रखा जा सके, आर्थिक विकास के लिए भी चीन के बाजार की जरुरत थी जहाँ उसके कपडा तथा निर्मित वस्तुओं का निर्यात Reseller जा सके।चीन इसके लिए Single अच्छा बाजार था जहाँ कच्चा माल भी प्राप्त Reseller जा सकता था, साथ ही जापान अपनी बढती जनसंख्या को मंचूरिया में बसा सकता था तथा वहाँ से कच्चा माल भी पा सकता था इसलिए उसने 1931 ई. में मंचूरिया पर कब्ज़ा कर लिया।

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