ग्राम सभा की बैठक And कार्य

नयी पंचायत व्यवस्था के अन्र्तगत ग्राम सभा को Single महत्वपूर्ण इकार्इ के Reseller में माना गया है। Single आदर्श पंचायत की नींव ग्राम सभा होती है। अगर नींव मजबूत है तो सारी व्यवस्था उस पर टिकी रह सकती है अगर नींव ही कमजोर या ढुलमुल है तो व्यवस्था किसी भी समय ढहनी निश्चित है। अत: Single मजबूत़ ग्राम सभा ही पंचायत व्यवस्था को बनाये रख सकती है। प्राय: लोग ग्राम पंचायत तथा ग्रामसभा में भेद नहीं कर पाते जब कि दोनों Single Second से बिल्कुल भिन्न हैं। ग्राम सभा का तात्पर्य सम्पूर्ण गांव से है जबकि ग्राम पंचायत, ग्राम सभा में से ही चुने गये सदस्यों से बनती है। ग्रामसभा के सदस्य वे All गांव वाले होते हैं जिन्हें मतदान का अधिकार होता है और जो बालिग (उम्र 18 वर्ष से ज्यादा) होते हैं । पंचायत अधिनियम की धारा 11 के According ग्राम सभा का तात्पर्य गांव के उन All नागरिकों से होता है जिनका नाम मतदाता सूची में होता है। वह स्वतंत्र होकर अपने मत का प्रयोग करते हुये नेतृत्व का चयन कर सकता है। प्रत्येक नागरिक जो Single जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है वह वोट देने का अधिकारी है। ग्राम सभा के सदस्य ही जिनकी आयु 21 वर्ष हो चुने जाने पर ग्राम पंचायत के सदस्य बनते हैं।

गांव में रहने वाले All बालिक जिन्हें मत देने का अधिकार है (चाहे वह महिला हो या पुरुष, बुर्जुग हो या युवा) तथा जिनका नाम मतदाता सूची में शामिल है, मिलकर ग्राम सभा बनाते हैं। प्रत्येक नागरिक जो 1 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है वह मत देने का अधिकारी है।

पंचायती व्यवस्था में ग्राम-सभा का महत्व And Need 

स्थानीय स्वशासन या ग्राम स्वराज को गांव स्तर पर स्थापित करने में पंचायती राज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा रही है। Single मजबूत व सक्रिय ग्रामसभा ही स्थानीय स्वशासन की कल्पना को साकार कर सकती है। नये पंचायती राज के अन्र्तगत अब गांव के विकास की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है। पंचायतें ग्रामीण विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का Single मजबूत माध्यम हैं। लेकिन इसका यह Means नहीं कि केवल निर्वाचित सदस्य ही इस जिम्मेदारी को निभायेगें। इसके लिए ग्रामसभा ही Only ऐसा मंच है जहां लोग पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर स्थानीय विकास से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार कर सकते है और सबके विकास की कल्पना को साकार Reseller दे सकते हैं। स्थानीय स्वशासन तभी मजबूत होगा जब हमारी ग्रामसभा में गांव के हर वर्ग चाहे दलित हों अथवा जनजाति, महिला हो या फिर गरीब, सबकी समान Reseller से भागीदारी हो और जो भी योजनायें बनें वे समान Reseller से सबके हितों को ध्यान में रखते हुये बनार्इ जायें तथा ग्राम विकास संबन्धी निर्णयों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी हो। लेकिन इसके लिए गांव के अन्तिम व्यक्ति की सत्ता And निर्णय में भागीदारी के लिये ग्रामसभा के प्रत्येक सदस्य को उसके अधिकारों And कर्तव्यों के प्रति जागरूक Reseller जाना अत्यन्त आवश्यक है।

यहां इस बात को समझने की Need है कि क्या ग्रामीण समुदाय, चाहे वह महिला है या पुरूष, युवा है या बुर्जुग अपनी इस जिम्मेदारी को समझता है या नहीं। क्या ग्राम विकास संबन्धी योजनाओं के नियोजन And क्रियान्वयन में अपनी भागीदारी के प्रति वे जागरूक है? क्या उन्हें मालूम है कि उनकी निष्क्रियता की वजह से कोर्इ सामाजिक न्याय से वंचित रह सकता है? ग्रामीणों की इस अनभिज्ञता के कारण ही गांव के कुछ Single ही प्रभावशील या यूं कहें कि ताकतवर लोगों के द्वारा ही ग्रामीण विकास प्रक्रिया चलार्इ जाती है। जब तक ग्राम सभा का प्रत्येक सदस्य पंचायती राज के अन्तर्गत स्थानीय स्वशासन के महत्व व अपनीे भागीदारी के महत्व को नहीं समझेगा, And ग्राम विकास के कार्यों के नियोजन And क्रियान्वयन में अपनी सक्रिय भूमिका को नहीं निभायेगा, तब तक Single सशक्त पंचायत या गांधी जी के स्थानीय स्वशासन की बात करना महज Single कल्पना है। स्थानीय स्वशासन Resellerी इस वृक्ष की जड़ (ग्रामसभा) को जागरूकता Resellerी जल से सींच कर उसे नवजीवन देकर गांधी जी के स्वप्न को साकार Reseller जा सकता।

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुच्छेद 243 (ब) According ग्राम-सभा गांव की मतदाता सूची में चिन्हित All लोगों की संस्था है जो राज्य विधान मंडल के द्वारा ग्रामस्तर पर राज्य के द्वारा लागू कानून के अनुReseller उसके द्वारा प्रदत्त कार्यों का संपादन करेगी। ग्रामसभा के कार्यों की Resellerरेखा भी राज्यों के द्वारा स्वयं तय की जाती है। संविधान ने ये सारी जिम्मेदारी राज्यों को दी है। संविधान की Sevenवीं अनुसूची राज्य की अनुसूची है और पंचायत राज भी इसी के अन्र्तगत परिभाषित है।

ग्रामसभा सदस्यों के अधिकार And जिम्मेदारियॉं 

ग्राम सभा को पंचायत व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना गया है। पंचायत व्यवस्था को सुचारू Reseller से चलाने में इसकी अहम् भूमिका हो़ती है। मुख्यत: ग्रामसभा का कार्य ग्राम विकास की विभिन्न योजनाओं, विभिन्न कार्यों का सुगमीकरण करना तथा लाभाथ्र्ाी चयन को न्यायपूर्ण बनाना है। देश के विभिन्न राज्यों के अधिनियमों में स्पष्ट Reseller से ग्रामसभा के कार्यों केा परिभाषित Reseller गया है। उनमें यह भी स्पष्ट है कि पंचायत भी ग्रामसभा के विचारों को महत्व देगी। मुख्यत: ग्रामसभा का कार्य ग्रामविकास की विभिन्न योजनाओं, विभिन्न कार्यों का सुगमीकरण करना तथा लाभाथ्र्ाी चयन को न्यायपूर्ण बनाना है। ग्राम पंचायतों की विभिन्न गतिविधियों पर नियन्त्ऱण, मूल्यांकन And मार्गदर्शन की दृष्टि से ग्रामसभाओं को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अन्र्तगत कुछ अधिकार प्रदत्त किये गये हैं। ग्रामसभा के कुछ महत्वपूर्ण कार्य तथा अधिकार हैं –

  1. ग्रामसभा सदस्य ग्रामसभा की बैठक में पंचायत द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कायोर्ं की समीक्षा कर सकते हैं, यही नहीं ग्रामसभा पंचायतों की भविष्य की कार्ययोजना व उसके क्रियान्वयन पर भी टिप्पणी अथवा सुझाव रख सकती है। ग्राम पंचायत द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष की प्रशासनिक और विकास कार्यक्रमों की रिर्पोट का परीक्षण व अनुमोदन करती है।
  2. पंचायतों के आय व्यय में पारदर्शिता बनाये रखने के लिये ग्रामसभा सदस्य को यह भी अधिकार होता है कि वे निर्धारित समय सीमा के अन्र्तगत पंचायत में जाकर पंचायतों के दस्तावेजों को देख सकते हैं आगामी वित्तीय वर्ष हेतु ग्राम पंचायत द्वारा वार्षिक बजट का परीक्षण अनुमोदन करना भी ग्रामसभा का अधिकार है। 
  3. ग्राम सभा का महत्वपूर्ण कार्य ग्राम विकास प्रक्रिया में स्थार्इ Reseller से जुड़े रह कर गांव के विकास व हित के लिये कार्य करना है। ग्राम विकास योजनाओं के नियोजन में लोगों की Needओं, उनकी प्राथमिकताओं को महत्व दिलाना तथा उनके क्रियान्वयन में अपना सहयोग देना ग्राम सभा के सदस्यों की First जिम्मेदारी है।
  4. ग्रामसभा को यह अधिकार है कि वह ग्रामपंचायत द्वारा किये गये विभिन्न ग्राम विकास कार्यों के संदर्भ में किसी भी तरह के संशय, प्रश्न पूछकर दूर कर सकती है। कौन सा कार्य कब Reseller गया, कितना कार्य होना बाकी है, कितना पैसा खर्च हुआ, कुल कितना बजट आया था, अगर कार्य पूरा नहीं हुआ तो उसके क्या कारण हैं आदि जानकारी पंचायत से ले सकती है। राश्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्र्तगत ग्राम सभा को विषेश Reseller से सामाजिक आडिट करने की जिम्मेदारी है।
  5. सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास की All योजनायें ग्राम पंचायत द्वारा लागू की जायेंगी। अत: विभिन्न ग्राम विकास संम्बन्धी योजनाओं के अन्र्तगत लाभाथ्र्ाी के चयन में ग्रामसभा की Single अभिन्न भूमिका है। प्राथमिकता के आधार पर उचित लाभाथ्र्ाी का चयन कर उसे सामाजिक न्याय दिलाना भी ग्रामसभा का परम दायित्व है। 
  6. नये वर्ष की योजना निर्माण हेतु भी ग्रामसभा अपने सुझााव दे सकती है तथा ग्रामसभा ग्रामपंचायत की नियमित बैठक की भी निगरानी कर सकती है। 
  7. ग्राम विकास के लिये ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा श्रमदान करना व धन जुटाने का कार्य भी ग्राम सभा करती है। ग्राम सभा यह भी निगरानी रखती है कि ग्राम पंचायत की बैठक साल में हर महीने नियमित Reseller से हो रही हैं या नहीं। साल में दो बार आयोजित होने वाली ग्राम सभा की बैठकों में ग्राम सभा के प्रत्येक सदस्य चाहे वह महिला हो, पुरूष हो, युवक हो बुजुर्ग हो, को भाागीदारी करने का अधिकर है। ग्राम पंचायतों को ग्राम सभा के सुझावों पर ध्यान रखते हुये कार्य करना है। 

हमने अक्सर देखा व अनुभव Reseller है कि ग्राम सभा के सदस्य यानि प्रौढ़ महिला, पुरूष जिन्होने मत देकर अपने प्रतिनिधि को चुना है अपने अधिकार एंव कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं रहते। जानकारी के अभाव में वे ग्राम विकास में अपनी अहम भूमिका होने के बावजूद भागीदारी नहीं कर पाते। Single सशक्त, सक्रिय व चेतनायुक्त ग्राम सभा ही ग्राम पंचायत की सफलता की कुंजी है।

ग्राम सभा की बैठक व कार्यवाही 

  1. ग्राम सभा की बैठकें वर्ष में दो बार होती हैं। Single रबी की फसल के समय (मर्इ-जून) दूसरी खरीफ की फसल के वक्त (नवम्बर-दिसम्बर)। इसके अलावा अगर ग्राम सभा के सदस्य लिखित नोटिस द्वारा आवश्यक बैठक की मांग करते हैं तो प्रधान को ग्राम सभा की बैठक बुलानी पड़ती है। 
  2. ग्राम सभा की बैठक में कुल सदस्य संख्या का 1/5 भाग होना जरूरी है अगर कोरम के अभाव में निरस्त हो जाती है तो अगली बैठक में कोरम की Need नहीं होगी। 
  3. इस बैठक में ग्राम सभा के सदस्य, पंचायत सदस्य, पंचायत सचिव, खण्ड विकास अधिकारी व विभागों से जुड़े अधिकारी भाग लेंगे। 
  4. बैठक ऐसे स्थान पर बुलार्इ जानी चाहिये जहां अधिक से अधिक लोग विशेषकर महिलाएं भागीदारी कर सकें। 
  5. ग्राम सभा की बैठक का एजेण्डे की सूचना कम से कम 15 दिन पूर्व All को दी जानी चाहिये व इसकी सूचना सार्वजनिक स्थानों पर लिखित व डुगडुगी बजवाकर देनी चाहिये।
  6. सुविधा के लिये अप्रैल 31 मार्च तक के Single वर्ष को Single वित्तीय वर्ष माना गया है। ग्राम प्रधान पिछले वर्ष की कार्य वाही सबके सामने रखेगी। उस पर विचार होगा, पुष्टि होने पर प्रधान हस्ताक्षर करेगा। 
  7. पिछली बैठक के बाद का हिसाब तथा ग्राम पंचायत के खातों का description सभा को दिया जायेगा। पिछले वर्ष के ग्राम विकास के कार्यक्रम तथा आने वाले वर्ष के विकास कार्यक्रमों के प्रस्ताव अन्य कोर्इ जरूरी विषय हो तो उस पर विचार Reseller जायेगा। 
  8. ग्राम सभा का यह कर्तव्य है कि वह ग्राम सभा की बैठकों में उन्हीं योजनाओं व कार्यक्रमों के प्रस्ताव लाये जिनकी गांव में अत्यधिक Need है व जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सकता है। 
  9. जब ग्राम सभा में Single से अधिक गांव होते हैं तो खुली बैठक में प्रस्ताव पारित करने पर बहस के समय काफी हल्ला होता है। सबसे अच्छा यह रहेगा कि हर गांव ग्राम सभा की हाने वाली बैठक से पूर्व ही अपने अपने गांव के लोगों की Single बैठक कर ग्राम सभा की बैठक में रखे जाने वाले कार्यक्रमों पर Discussion कर लें व सर्व-Agreeि से प्राथमिकता के आधार पर कार्यक्रमों को सूचिबद्व कर प्रस्ताव बना लें और बैठक के दिन प्रस्तावित करें।

ग्राम सभा सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने हेतु कुछ कदम 

ग्रामसभा सदस्यों की ग्रामसभा की बैठक में भागीदारी न लेने के कारण ही ग्राम स्तरीय नियोजन में उनकी भागीदारी नहीं हो पाती है। अत: ग्रामसभा के कार्यों के प्रति उनकी विचारधारा को व्यापक Reseller से Single नर्इ दिशा देने की Need है ताकि All ग्रामसभा सदस्यों की ग्रामसभा बैठक के प्रति जागरूकता तथा रूचि में बढ़े। बैठक में पूर्ण भागीदारी के लिये ग्रामसभा सदस्यों को अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना होगा। ग्रामसभा को मजबूत करने में पंचायत प्रतिनिधि सामुदायिक व स्वयं सेवी संगठन Single अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

  1. ग्रामसभा के हर सदस्य की बैठक में भागीदारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये गांव के सार्वजनिक स्थलों, छानियों, (पशुशाला) प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ग्रामीण सूचना केन्द्र, पंचायत चौक, पंधेरों, विद्यालयों आदि में बैठक की सूचना चिपकाना चाहिए। 
  2. गांव के सम्पूर्ण विकास के लिये महिला की भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है जितनी कि पुरूष की। अत: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु घर के पुरूषों केा संवेदनीकरण (समझाना) करना जरूरी है। बैठक का समय भी ऐसा रखना चाहिये कि उनकी ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
  3. बैठक से पूर्व प्रभात फेरी के माध्यम से ग्रामसभा सदस्यों को बैठक की सूचना देंना तथा बैठक में भागीदारी के प्रति उन्हें जागरूक करना चाहिए।
  4. ग्राम सभा की बैठक ऐसे स्थान पर हो जहां आने में सुविधा हो और गांव के All लोग आ सकें।
  5. ग्रामसभा की बैठक के महत्व के प्रति जागरूकता हेतु पदयात्रा अथवा अभियान चलाना व निरन्तर सूचना का प्रसार करना चाहिए। इस अभियान में गांव के सेवामुक्त शिक्षक, सरकारी कर्मचारियों को भी जोड़ना Single महत्वपूर्ण कार्य हो सकता है। बच्चों के माध्यम से ग्रामसभा बैठक पर नाटक/नुक्कड़ करवाकर आदर्श और निष्क्रिय ग्रामसभा के महत्व And हानि का बोध कराना चाहिए। 

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सक्रिय ग्राम सभा और निष्क्रिय ग्राम सभा 

सक्रिय ग्राम सभा निष्क्रिय ग्राम सभा
सक्रिय ग्राम सभा के सदस्य ग्राम सभा की
बैठक के महत्व को समझते हैं व सक्रिय Reseller
से भागीदारी निभाते हैं। 
निष्क्रिय ग्राम सभा के सदस्य ग्रामसभा की
 बैठक के महत्व को न समझते हुए बैठक मं े
भागीदारी ही नहीं करते हैं।
 बैठक में सिर्फ उपस्थित ही नहीं रहते हैं
अपितु निर्णय लेने में भागीदारी भी निभाते हैं
साथ ही बैठक में लिये जा रहे अनुचित
निर्णयों पर आवाज उठाते हैं 
बैठक में सिर्फ उपस्थित रहते हैं। और
चुपचाप रह कर लिए जा रहे निर्णयों पर
अपना वक्तव्य तक नहीें देते हैं। बैठक में
लिये जा रहे अनुचित निर्णयों पर कोर्इ
प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। 
बैठक में भागीदारी के लिये अन्य सदस्यों को
भी प्रेरित करते हैं
स्वयं ही बैठक में नहीं जाते हैं यदि जाते हैं
तो अन्य लोगों को प्रेरित नहीं करते। 
बैठक शुरू होने से First गांव में Discussion के
द्वारा बैठक का माहोल बनाते हैं तथा बैठक में
रखे जाने वाल प्रस्ताव पर भी पूरी तैयारी के
साथ आते हैं। 
बैठक के बारे में कोर्इ रूचि नहीं दिखाते हैं ना
ही इन्हें बैठक में उठाये जाने वाले किसी
प्रस्ताव या मुद्दे पर कोर्इ Discussion करते हैं। 
सक्रिय ग्राम सभा के सदस्य गांव में हो रहे
विकास कार्यक्रमों की निगरानी करते हैं साथ
ही ग्राम सभा की बैठक में इन कार्यों पर हो
रहे व्यय पर भी प्रश्न पूछते हैं।
निष्क्रिय ग्राम सभा के सदस्यों को विकास
 कार्यक्रमों की निगरानी व उससे सम्बन्धित
प्रश्न पूछने में कोर्इ रूचि नहीं होती है। 

ग्रामसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना 

सामाजिक विकास का संन्तुलन बनाये रखने के लिये ग्रामसभा में महिलाओं को अपने अधिकारों तथा दायित्वों के प्रति जागरूकता होना नितान्त आवश्यक है। ग्रामविकास की योजनायें बनाते समय या अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर Discussion करते समय या उनसे संबन्धित निर्णय लेते समय महिलाओं की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण And आवश्यक है जितनी कि गांव के पुरूषों की। लेकिन यह तभी संभव है जब महिलाओं को आगे आने के अवसर मिलेगें और महिलायें ग्रामसभा में अपनी भागीदारी की अनिवार्यता के प्रति जागरूक होंगी।

हमारी जनसंख्या का आधा हिस्सा महिलाएं हैं नवगठित उत्तराखण्ड राज्य में तो कर्इ जिले ऐसे हैं जहां महिलाओं की संख्या पुरूषों से भी अधिक हैं परिवार, गांव समाज व देश के सामाजिक And आर्थिक विकास में महिलाओं के योगदान को अब अनदेखा नहीं Reseller जा सकता। अत: गांव व जनसमुदाय के विकास से जुड़े मुद्दे चाहे वह जल, जंगल, जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण सवंर्द्वन व उपयोग संबंधी हो या गांव में किसी भी निर्माण कार्य के लिए योजना बनाने का सवाल हो या फिर आर्थिक विकास के लिए आयसर्जक गतिविधियों जैसे कृषि, बागवानी, हस्तशिल्प या अन्य गतिविधियों संबंधी विषयों पर Discussion व निर्णय लेने की बात हो, इन All प्रक्रियाओं में महिलाओं को शामिल किसी भी विकास प्रक्रिया की सफलता के लिए पहली शर्त है। पंचायत संस्थाओं में 73वें संविधान अधिनियम के अतन्र्गत महिलाओं को आरक्षण देकर पंचायत प्रतिनिधि के Reseller में उन्हें निर्णय प्रक्रिया से जोड़ा गया है। लेकिन ग्रामसभाओं में भी मतदाता होने के नाते महिलाओं की Meansपूर्ण उपस्थिति अति आवश्यक है। अत: ग्राम सभा की बैठकों में हर परिवार से महिला And पुरूष दोनों को भागीदारी करनी अति आवश्यक है। ग्राम सभा ही ऐसा मंच है जहां महिलाएं अपनी समस्याएं चाहे वह चारे की समस्या हो या जल सेा्र तों के सूखने से उत्पन्न हुर्इ पानी की समस्या हो, अथवा कृषि कार्य को सरल बनाने के लिए किसी तकनीकी की मांग हो या फिर सामाजिक न्याय, उत्पीड़न व अत्याचार जैसे मुद्दे को भी पंचायत के समक्ष रख सकती हैं व Singleजुट होकर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपने हित में निर्णय करा सकती हैं। 

ग्रामसभा में महिलाओं व उपेक्षित वर्ग की भागीदारी बढा़ने हेतु संभावित प्रयास 

  1. ग्रामसभा में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिये गणपूर्ति में उनकी उपस्थिति को न्यूनतम तय Reseller जाना चाहिये। महिलाओं, कमजोर And उपेक्षित वर्गों को ग्रामसभा की बैठक में जाने और अपने व्यक्तिगत ही नहीं गांव से जुड़े सामूहिक हित संबन्धी मुददों पर अपनी आवाज उठाने हेतु प्रेरित And प्रशिक्षित करना चाहिए। 
  2. गांव के आर्थिक And सामाजिक विकास में महिलाओं की भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है जितनी कि पुरूषों की, उनकी भागीदारी को प्राय: घर के पुरूषों के द्वारा अनदेखा Reseller जाता है। ग्रामसभा की बैठक में उनकी भागीदारी के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के लिये घर के पुरूषों का संवेदनीकरण Reseller जाना जरूरी है। 
  3. पर्वतीय क्षेत्रों में महिलायें कृषि And घर के कार्यों के साथ-साथ इंर्ध् ान And चारा लाने के लिये प्राय: घर से बाहर रहती हैं । अत: बैठक का समय उनकी सुविधानुसार अवश्य ही रखा जाना चाहिये ताकि उनमें महिलायें अधिक से अधिक भाग ले सकें। 
  4. ग्राम सभा की बैठक से पूर्व वार्ड स्तर पर महिलाओं की अलग से बैठक का आयोजन कर उन्हें ग्राम सभा की बैठक में उठाये जाने वाले मुद्दों पर प्रशिक्षित करना चाहिए। इस हेतु गांव के जागरूक व्यिक्यों And ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का संवेदनीकरण करना चाहिए ताकि वे स्वयं गांव की महिलाओं व उपेक्षित वर्ग को ग्राम सभा के लिए तैयार व प्रेरित कर सकें। 
  5. महिलाओं पर अकसर कार्य का बोझ अधिक रहता है अत: महिलाओं को बैठक के महत्व पर जागरूक करते हुए यह सलाह देना कि वे चारा, इंर्ध् ान को बैठक होने के First दिन ही जमा कर लें ताकि बैठक के लिए समय निकाल सकें।
  6. निर्बल वर्ग व महिलाओं के संकोच, भय व झिझक को कम करना तथा विचारों के आदान-प्रदान के कौशल को बढ़ानें के प्रयत्न करना चाहिए, ताकि वे अपनी बात को नि:संकोच बैठक में कह सकें। 
  7. गांव की किसी Single जागरूक महिला को महिला प्रेरक के Reseller में विकसित कर, आवश्यक प्रशिक्षण द्वारा उसका ज्ञानवर्धन करना चाहिए ताकि वह गांव की अन्य महिलाओं को भी ग्रामसभा की बैठक में भागीदारी व उसमें लिये जाने वाले निर्णयों के प्रति जागरूक कर सके। ग्रामसभा की बैठक में महिला प्रेरक की उपस्थिति में गांव की महिलायें अपने विचार रखने में संकोच नहीं करेंगी । साथ ही यह ध्यान रखा जाना आवष्यक है कि कोर्इ भी उन्हें अपने विचार रखते समय हतोत्साहित न कर सके। 

पंचायत प्रतिनिधियों की ग्रामसभा के प्रति जवाबदेही 

ग्रामसभा तथा ग्राम पंचायत Single Second के बिना अधूरे हैं। ग्रामसभा ग्राम पंचायत के साथ Single सहयोगी और Single मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकती है। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों की भी उसके प्रति कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं जिन्हें निभाने से गांव विकास की ओर बढ़ सकता है। बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके संदर्भ में पंचायत को ग्रामसभा के प्रति जवाबदेह होना पड़ता है। 

  1. ग्रामविकास सम्बन्धी जो भी योजना गांव में आये, उसकी सारी जानकारी (बजट व कार्यक्रम को लेकर) पंचायत के सूचना पट पर लग जानी चाहिये ताकि गांव के All लोगों को इसका पता चल सके। 
  2. गांव के लिये जब योजना बने तो ग्रामसभा के All सदस्यों के साथ विचार विमर्श के बाद बने। सबकी निर्णय लेने में भागीदारी ली जाये । 
  3. ग्रामसभा के सदस्यों को बैठक की सूचना समय पर देना तथा सूचना को सार्वजनिक स्थान पर लगाना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है। 
  4. ग्रामसभा जो प्रस्ताव बनाये अथवा निर्णय ले, पंचायत प्रतिनिधियों को उसे सम्मान देना होगा। 
  5. ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत अगर लाभाथ्र्ाी का चयन करना है तो सब सदस्यों के सामने, प्राथमिकता के आधार पर तथा सर्वसम्मति से हो। 
  6. पंचायत प्रतिनिधियों को चाहिये कि निर्णय प्रक्रिया में मुठठ्ी भर ताकतवर या प्रभावशाली लोगों को नहीं अपितु ग्रामसभा के प्रत्येक सदस्य को शामिल करें। भागीदारी निभाने हेतु उन्हें प्रेरित करने के लिये स्वयं आगे आयें, तभी दोनों सच्चे Meansों में Single Second के पूरक बनेंगे। 

ग्राम पंचायत समितियों में ग्रामसभा की भूमिका 

गांव के समुचित विकास हेतु पंचायत स्तर पर विभिन्न कार्यों के संपादन हेतु विभिन्न समितियों के गठन का प्रावधान है जैसे विकास And कल्याण समिति, शिक्षा समिति, आदि। मूल्यांकन की दृष्टि से ग्रामपंचायत की विभिन्न समितियां ग्रामसभा के प्रति जवाबदेह होती हैं। ग्रामसभा को अधिकार है कि वह उनके कार्यों की निगरानी करे तथा उनके कार्यों का मूल्यांकन करे। ग्रामसभा, पंचायत समितियों के कार्यों की निगरानी हेतु Single निगरानी कर्ता (वाच-डाग) का काम कर सकती है तो Single सहयोगी की भूमिका भी निभा सकती है। वह Single मूल्यांकन कर्ता की भूमिका निभा सकती है तो Single मार्गदर्शक भी बन सकती है।

ग्रामसभा- स्थानीय स्वशासन की आधारशिला 

गांधी जी ने ग्रामस्वराज की जो कल्पना की थी उसे साकार करने के लिये पंचायतों के आधारभूत स्तम्भ “ग्राम सभा” को पहचानना होगा। यदि आधार ही मजबूत न होगा तो Single मजबूत इमारत की कल्पना ही व्यर्थ है। पंचायत Resellerी इमारत का आधार सिर्फ ग्रामीण समाज के कुछ Single प्रभावशाली अथवा ताकतवर लोग ही नहीं हैं, अपितु वहां रह रहे विभिन्न वर्गों के वे All लोग हैं जिन्हें मत देंने का अधिकार है। ग्रामसभा तभी सशक्त होगी जब All समान Reseller से विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे। विभिन्न विकास कार्यों की योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन में अपनी भूमिका के महत्व को समझेंगे। ग्रामसभा की बैठक में अपनी उपस्थिति की अनिवार्यता के प्रति भी संवेदनशील हों। यदि देखा जाये तो ग्रामसभा Single ऐसी आधारभूत इकार्इ है जिसमें उस ग्रामसभा के All सदस्य नि:संकोच आकर गांव से जुड़ी विभिन्न समस्याओं तथा मुद्दों पर विचार विमर्श कर सकते हैं। ग्राम सभा के All लोग सहभागिता से गांव के विकास के लिये योजना बना सकते हैं। पंचायत में चाहे कार्यक्रम का नियोजन हो या क्रियान्वयन या पूर्ण हुये कार्यों का मूल्यांकन And निगरानी, कोर्इ भी कार्य लोगों की सहभागिता के बिना पूर्ण नहीं हो सकता। अत: पंचायत को सफल बनाने के लिये All कार्यों व निर्णय स्तर पर सबकी भागेदारी व सहयोग को “ाामिल करना अति आवश्यक है। All की सहभागिता से जहां Single ओर पंचायत संगठित व मजबूत होगी वहीं दूसरी ओर पंचायत पर आम लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। ग्राम विकास कर प्रक्रिया में ग्राम समुदाय की सक्रिय सहभागिता के बिना ग्राम स्वराज का सपना अधूरा ही रहेगा। अत: ग्राम समुदाय को ग्राम के विकास व स्वयं उसकी सशक्तता के प्रति जागरूक करना होगा तभी Single सशक्त ग्रामसभा का निर्माण होगा और गांव विकास की ओर बढ़ सकेगा।

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