उद्यमी का Means, परिभाषा And विशेषताएँ

उद्यमी वह व्यक्ति होता है, जो किसी उत्पादन से संबंधित All संसाधनों का कुशलतम उपयोग करता है वर्तमान में उत्पादन के समस्त साधनों की उपलब्धी पृथक-पृथक जगह से होती है तथा इन साधनों को Singleत्र (इकट्ठा) करके इनमें वैज्ञानिक समन्वय स्थापित करने वाले व्यक्ति को ही ‘उद्योगपति’ या ‘उद्यमी’ कहा जाता है।

‘उद्यमी’ Word फ्रेंस भाषा के ‘Entreprendre’ Word से लिया गया है, जिसका आशय कार्य उद्यम या व्यवसाय करना होता है उद्यमिता से आशय व्यक्ति की उस प्रवृत्ति या योग्यता से है, जो किसी व्यवसाय में निहित जोखिमों व अनिश्चितताओं को वहन करते हुए, उसका सफल संचालन Reseller जाता है उद्यमी जोखिमों व अनिश्चितता को वहन करने के साथ-साथ नियंत्रण निर्देशन And निरीक्षण जैसे – प्रबंधीय कार्य भी करता है यह समाज के विकास में नये-नये परिवर्तन करके उनसे लाभ प्राप्त करता है तथा नये अवसरों की खोज करता है, जिससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होती है और देश का आर्थिक विकास भी होता है।

किसी संगठन के निर्माण में उद्यमी अपनी योग्यता से Humanीय And भौतिक संसाधनों का विकास And समन्वय करता है। और इसी कारण यह आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण आधार है।

उद्यमी की परिभाषा 

  1. सुम्पिटर जोसेफ ए के According :- ‘‘उद्यमी ऐसा व्यक्ति है, जो उद्यम की संभावनाएँ And लाभ संबंधी अवसर खोजता है And उसका दोहन करता है। वह नवाचार का उपयोग करके व्यवसाय को बढावा देता है And लाभ को चरम सीमा तक ले जाता है वह अपनी क्षमताओं का उपयोग करके समस्याओं को हल करता है। वह नवचारी विचारों And तकनीको का उपयोग करके नये-नये उत्पाद तैयार करता है And व्यवसाय में शामिल करता है। वह उत्पादन की नयी-नयी तकनीकों का उपयोग करता है, नये बाजार की खोज करता है, कच्ची सामग्री के नये-नये स्त्रोत ज्ञात करता है And उनका उपयोग उत्पादन हेतु करता है वह व्यवसाय में सुधार लाने हेतु उद्यम आयोजन करता है 
  2. केसन के मतानुसार :- ‘‘Single ऐसा व्यक्ति जो समिति संसाधनो का समन्वयन कर न्यायोचित निर्णय लेने की विशेष क्षमता रखता है, उद्यमी कहलाता है।
  3. आई.एल.ओ. जिनेवा के मतानुसार :- ‘‘उद्यमी वे व्यक्ति होते है, जो उद्यम के अवसरों को ज्ञात कर उनका विश्लेषण करने की योग्यता रखते है वे इन अवसरों से लाभ लेने हेतु संसाधनों को Singleत्रित करते है And गतिविधियाँ शुरू करते है ताकि सफलता प्राप्त हो सके।’’
  4. एड्म स्मिथ के मतानुसार :- ‘‘उद्यमी वह व्यक्ति है जो उद्यम चलाने में सक्रिय भाग न लेते हुए भी उद्यम हेतु धन प्रदान करता है।’’ 
  5. डुकर, पेटर, एफ. के मतानुसार :- ‘‘उद्यमी वह व्यक्ति होता है, जो हमेशा बदलाव की खोज करता है, बदलाव लाता है And इसका अवससर के Reseller में दोहन करता है। उद्यमी नवचारी होता है नवाचार उद्यम संबंधी होता है। यह उद्यमी की शक्तियों पर आधारित होता है And बाजार की माँग के According होता है।’’

परिभाषाओं को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, उद्यमी में description शामिल हो सकते है :-

  1. लाभ कमाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति।
  2. कुछ नया करने वाला व्यक्ति।
  3. योजनाबद्ध Reseller से कार्य करने वाला व्यक्ति।
  4. जोखिम (Risk) उठाने वाला व्यक्ति।
  5. अनिश्चितता में कार्य करने वाला व्यक्ति।
  6. नये अवसरों (Chance) की खोज करने वाला व्यक्ति।
  7. सीखने की प्रवृत्ति रखने वाला व्यक्ति।
  8. उद्यम हेतु समर्पित व्यक्ति।
  9. उद्यम की प्रगति, विकास And विस्तार लाने के लिए
  10. अवसरों की खोज करने वाला व्यक्ति।
  11. संसाधनों (Human, मशीन, समय, जानकारी, सामग्री And धन) को आयोजित करने वाला व्यक्ति।
  12. समय-समय पर नवाचारों And बदलावों को लागू करने वाला व्यक्ति इत्यादि।

उद्यमी की विशेषताएँ

व्यवसाय And उद्योग के क्षेत्र में उद्यमी को समझाने के लिए उसकी विशेषताओं को समझना आवश्यक है, जो कुछ प्रमुख इस प्रकार  है :-

  1. व्यापार उन्मुख प्रवृत्ति :- उद्यमी की व्यवसायिक उद्यमिता And व्यवसाय प्रवृत्ति उद्यमी व्यक्ति के उद्यमिता गुण को प्रकट करती है। उद्यमी व्यक्ति किसी समस्या से प्रेरित होकर किसी नये व्यवसाय And उपक्रम की स्थापना करता है, जिसका उद्देश्य प्रेरित समस्या का समाधान खोजना होता है। साथ-साथ ही उद्यमी उस समस्या की उत्पत्ति के कारण ज्ञात करने का प्रयास करता है तथा भविष्य में इस समस्या का अंत या समस्या को कम करने का प्रयास करता है।
  2. नवाचार की योजना :- उद्यमी Single साहसी व्यक्ति होता हैं। उद्यमी का नवीनीकरण कार्य करना ही Single विशेष गुण होता है, जिसके द्वारा सुजनशील विचारो को क्रियांकित Reseller जा सकता है। उद्यमी व्यवसायी अपने व्यवसाय में सदैव नई तकनीक नये यंत्री व नई प्रबंध व्यवस्था को स्थान देता है। वह नयी वस्तुओ, नये बाजारों तथा नयी सेवाओं से उपभोक्ता को संतुष्टि प्रदान कर फर्म के लाभो में वृद्धि करता है।
  3. जोखिम उठाने की क्षमता :- उद्यमी का प्रमुख गुण उसकी जोखिम वहन करने की क्षमता होती है, जो बाजार व व्यवसाय की अनिश्चितता का सामना करते हुये उस पथ पर अग्रसर रहता है जहां सामान्य व्यक्ति जाना नही चाहता है या हानि व असफलता के भय के कारण जाना पसंद नही करता है, परन्तु उद्यमी ऐसे मार्गो पर चलकर अपने व्यापार व्यवसाय को नीत नई ऊँचाईयाँ प्रदान करता है।
  4. Creationत्मक क्रिया :- उद्यमी सदैव नये-नये अवसरों की खोज करता रहता है, नवीन अवसरों की खोज करने के लिये सदैव Creationत्मक चिंतन, Creationत्मक विचार होता है, जो उसे नवीन Creationत्मक कार्य करने की प्रेरणा देता है। शुम्पीटर के Wordो में :- ‘‘उद्यमिता मूलत:’’ Single सृजनात्मक क्रिया है, जो उद्यमियों में पाई जाती है’’ उद्यमियों के कारण ही देश में पूंजी निर्माण व अन्य Creationत्मक कार्य सतत Reseller से चलते रहते है।
  5. परिवर्तनों का परिणाम :- उद्यमि व्यक्ति में उद्यमिता कोई आर्थिक घटना या क्रिया मात्र नही है वरन समाज में होने वाले सामाजिक, राजनैतिक वैज्ञानिक व तकनीकी परिवर्तनों का परिणाम रहती है।सामाजिक मूल्यों, मान्यताओ, शिक्षा, विज्ञान व सरकारी नीतियों के कारण व्यक्तियो के दृष्टिकोण व विज्ञान प्रणालियों में निरंतर परिवर्तन आ रहा है तथा समाज में साहसिक प्रवृत्तियों का विकास हो रहा है। ड्रकर के Wordों में ‘‘किसी भी राष्ट्र में साहसिक Meansव्यवस्था का उदय Single उतनी ही सांस्कृतिक And मनोवैज्ञानिक घटना है जितनी की यह Single आर्थिक अथवा प्रौद्योगिक घटना है।’’
  6. Single जीवन-शैली :- उद्यमी का कार्य व्यवसाय या पेशा ही नहीं, जीवन को व्यवस्थित Reseller से जीने का Single ढंग भी है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए Creationत्मक And कल्पनाशील होना आवश्यक होता है, उसमें योजना बनाने, ठोस निर्णय लेने व उन्हें क्रियान्वित करने की योग्यता होनी चाहिये। मेरी डिथ व नेल्सन के According ‘‘Single उद्यमी होना किसी कार्य या पैशा को अपनाने से अधिक है यह जीवन की Single शैली है।’’
  7. कम जोखिम :- प्राय: समझा जाता है कि, उद्यमी वह व्यक्ति होता है जो अधिक से अधिक जोखिम वहन करता है परन्तु तेजी से बदलती हुई तकनीकी क्रियाएँ And आर्थिक सामाजिक वातावरण के कारण व्यवसाय में जोखिम मात्रा तो बढी है किंतु तकनीकी सहायता का उपयोग कर उद्यमी जोखिम मात्रा को कम करने में सफल रहता है। 
  8. उद्यमी जन्मजात नही वरन Single अर्जित प्रतिभा है :- माना जाता है कि, उद्यमी पैदा होते है उद्यमी व्यक्ति में उद्यमिता जन्म जात प्रतिभा होती है उद्यमी में अभिमुखी का गुण जन्मजात पाया जाता है परन्तु कुछ विद्वानों का मत है कि, उद्यमी पैदा नही होते है बल्कि बनाये जाते है, उद्यमी सामाजिक, राजनैतिक व पर्यावरण स्थिति के कारण पैदा होते है न कि उद्यमी कोई पैदाईशी गुण होता है।

Single सफल उद्यमी के गुण

Single सफल उद्यमी के गुणों को हम तीन प्रमुख भागों में विभक्त कर सरलता पूर्वक समझ सकते है।

  1. व्यावसायिक गुण
  2. शारीरिक And मानसिक गुण
  3. सामाजिक गुण And नैतिक गुण

व्यावसायिक गुण :- 

उद्यमी में व्यावसायिक गुण का होना अत्यंत आवश्यक है क्योकि व्यावसायिक गुण ही प्रत्यक्ष Reseller से उद्यमी की सफलता को प्रभावित करते है। उद्यमी अपने पेशेवर गुणो के आधार पर उपक्रम की सफलता को सुनिश्चित कर लेता है।

  1. साहसिक दृष्टिकोण :- उद्यमी को स्वयं के विचारो से ही लक्ष्य प्राप्ति के लिये ऊर्जा प्राप्त होती है। यदापि व्यवसाय में असफलता विद्यमान होती है, किंतु फिर भी उद्यमी उन्हें Single ज्ञान अनुभव की तरफ स्वीकार करता है। उद्यमी प्रत्येक असफलता से सीखता है तथा पुन: लक्ष्य की प्राप्ति के लिये Single नवीन शक्ति And आर्थिक ऊर्जा के साथ लक्ष्यकी ओर बढता है। सहासिक दृष्टिकोण उद्यमी को अपने लक्ष्यों And दायित्वों के प्रति सचेत रखता है।
  2. प्रतिपुष्टि द्वारा प्रेरणा :- उद्यमी अपने पिछले कार्यो के परिणामों से सदैव उत्पे्ररित होते है। वे कार्य की प्रगति के साथ-साथ पिछले कार्यो के परिणाम तथा प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन करते रहते है।
  3. अवसरों का विदोहक :- उद्यमी साहसी व जोखिम वहन कर्ता तो होते ही है, साथ-साथ वो कुशल नेतृत्वकर्ता के Reseller में उपक्रम की प्रगति के लिये प्रत्येक अवसर को भुनाने की क्षमता भी रखता है परन्तु उद्यमी को व्यवसाय में आये अवसरो की पहचान करने And उन अवसरों का विदोहक करने का गुण भी रहता है जो वर्तमान में अवसरों प्राप्ति में व्यवहार की सफलता का पूर्व अनुमान भी सफलता पूर्वक ज्ञात कर लेते है।
  4. सकारात्मक मनोवृत्ति :- उद्यमी अपने व्यवसाय के प्रति गहन अभिरूचि रखते है वे अपने कार्य में संतुष्टि तथा उपलब्धि पर गर्व का अनुभव करते है। वे सदैव उच्च चिन्तन करते रहते है तथा साधारण मामलों में गंभीर नही होते है। साहसिक योग्यता को बनाए रखने में सकारात्मक मनोवृत्ति अत्यंत सहायक होती है।
  5. उच्च उपलब्धि की चाह :- उद्यमियों में व्यवसाय के उच्च लक्ष्य पाने की प्रबल चाह होती है उच्च लक्ष्य प्राप्त करने की चाह उन्हें सामान्य व्यक्तियों से अलग करती है। उद्यमी कुछ असंभव प्राप्त करने की इच्छा रखते है तथा समाज में स्वयं की विशेष पहचान स्थापित करते है।
  6. उच्च आशावादिता :- उद्यमियों में सदैव प्रतिकुल परिस्थितियों के बावजूद आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए अपने कार्यो में लगा रहता है, उसे विश्वास होता है कि, भविष्य में अनुकुूल परिस्थितियाँ आएंगी और उसका यह विश्वास, उसकी कडी मेहनत भविष्य में उसे सफलता के मार्ग पर पहुँचा देती है।
  7. पेशेवर प्रकृति :- उद्यमी को सामाजिक प्रकृति के साथ-साथ पेशेवर प्रकृति का भी होना चाहिये जिससे वो स्वयं की आर्थिक स्थिति व आय अर्जन स्थिति को भी सुदृढ बना सके तथा देश की राष्ट्रीय आय व आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान कर सके तथा Single उद्यमी बनकर राष्ट्र के औद्योगिक विकास में योगदान करता रहे।

शारीरिक And मानसिक गुण :-

Single सफल उद्यमी का व्यक्तित्व विभिन्न व्यक्तिगत, सामाजिक And व्यावसायिक परिस्थितियों से मिलकर बनता है उद्यमी के शारीरिक क्षमता And मानसिक बौद्धिक गुण का उसके व्यक्तित्व पर गहन प्रभाव पडता है।

  1. महत्वाकांक्षा :- उद्यमी को अपने जीवन में महत्वाकांक्षी होना चाहिये। डेविड मैं क्लीलैड ने इसे उपलब्धि की चाह कहाँ है। वे कहते है कि, उद्यमी में उपलब्धि की बहुत उच्च भावना विद्यमान रहती है एण्ड्रयु कार्नेमी ने भी कहा है कि, ‘‘जिस व्यक्ति में उन्नति व उपलब्धि की आकांक्षा नही है वह अपने जीवन में उच्च लक्ष्य की ओर अग्रसर नही हो सकता है।
  2. अनुसंधान पर बल :- आधुनिक उद्यमियों का कार्य शैली परम्परागत विधियों को छोडकर तथ्यों व सूचनाओ पर आधारित होती है आधुनिक उद्यमी है And सदैव प्रयोग व परिवर्तन में विश्वास करते है वर्तमान में उद्यामियों की कार्य प्रणाली वैज्ञानिक And तर्क संगत व मौलिक होती है।
  3. साधनों की व्यवस्था करने वाला :- उद्यमी उपक्रम की स्थापना के लिये All आवश्यक साधनों को स्वयं की बुद्धि व श्रम से Singleत्रित करता है बडे व्यवसायों की स्थापना के लिये उद्यमी जनता, सरकार व विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से साधनों की व्यवस्था करता है। जैसे पूंजी श्रम भूमि यंत्र आदि की व्यवस्था करना।
  4. कल्पना शक्ति :- उद्यमी में नये-नये सुजनात्मक विचारों को जन्म देता है। कल्पना शक्ति का प्रयोग करके उद्यमी लाभप्रद योजनाये बनाता है तथा उन्हें क्रियान्वित करता है। कल्पना शील उद्यमी व्यवसाय की प्रत्येक समस्या का व्यावहारिक And अच्छा हल ढूँढ सकता है। चिन्तनशील उद्यमी उत्पादक कार्यो में ही अपनी मनोवैज्ञानिक ऊर्जा का प्रयोग करता है।
  5. प्रश्वर वृद्धि :- उद्यमी प्रतिभावन And तेज बुद्धि वाला होना चाहिये तभी वह व्यवसाय का सफल संचालन कर सकता है तथा व्यावसायिक अवसरों का सही उपयोग कर सकता है तथा प्रत्येक बात, व्यक्ति And स्थिति को सही Reseller में समझ सकता है। कुशाग्र बुद्धि के कारण वह प्रत्येक स्थिति का तर्कपूर्ण विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
  6. तीव्र स्मरण शक्ति :- उद्यमी की स्मरण शक्ति भी अच्छी होनी चाहिये। उसे प्रत्येक घटना का सही स्मरण होना चाहिये। उद्यमी को अनेक कार्य पूरे करने होते है अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क रखना होता है तथा कई संदर्भो व भावी योजनाओं को मस्तिष्क में रखना होता है प्रखर बुद्धि की सहायता And तीव्र स्मरण शक्ति से अपने कार्य, योजनाओ को याद रखकर आसानी से निष्पादित कर सकता है।
  7. आत्म-विश्वास :- उद्यमी को अपना आत्म-विश्वास चाहिये। उसमें व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करने तथा प्रतिकुल परिस्थितियों में भी अडिग बने रहने की शक्ति होना चाहिये। महर्षि विवेकानंद का कथन है कि ‘‘आत्म-विश्वास जैसा कोई दूसरा मित्र नही है। आत्म-विश्वास की भावी उन्नति की First सीढ़ी है’’ स्पष्ट है कि, उद्यमी आत्मविश्वास के बल पर ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इमर्सन के कथनानुसार – ‘‘आत्म-विश्वास सफलता का मुख्य रहस्य है’’
  8. परिश्रमी :- उद्यमी की सफलता का मूलमंत्र, उद्यमी की कार्य में लगन व परिश्रम के बिना लक्ष्य प्राप्ति संभव नही होती है कडी मेहनत से दूर रहने वाले व्यक्ति के लिये लक्ष्य प्राप्ति मात्र Single कल्पना ही बनी रहती है। एडीशन के मतानुसार :- ‘‘किसी भी कार्य की सफलता में प्रतिभा Single प्रतिशत काम करती है, जबकि परिश्रम निन्यानवे प्रतिशत’’ अत उद्यमी को भाग्य पर भरोसा न करके परिश्रम पर विश्वास करना चाहिये।
  9. चुनौती की इच्छा :- ‘‘उद्यमी में उद्यम की भावना होनी चाहिये।’’(1) ‘‘सच्चा उद्यमी वही है जो Safty And चुनौती मे से चुनौती को सहर्ष स्वीकार कर लेता है।’’ (2) उपर्युक्त कथनानुसार उद्यमी में सदैव नवप्रवर्तन जोखिम वहन, साहस व चुनौती से सामना करने की भावना होनी चाहिये। सच्चा उद्यमी वो ही माना जा सकता है जो कडी मेहनत लगन से कार्य पूर्ण करने की चाह रखता हो ना कि Windows Hosting रहकर बिना जोखिम वहन करे लक्ष्य प्राप्ति करने का प्रयास करे।

सामाजिक And नैतिक गुण :-

उद्यमी में व्यावसायिक, शारीरिक And मानसिक गुणों के साथ-साथ सामाजिक And नैतिक गुणों का होना भी अतिआवश्यक है क्योंकि उद्यमी Single व्यक्ति होता है तथा व्यक्ति सदैव Single सामाजिक प्राणी रहा है चाहे वो साधारण व्यक्ति हो या विशेष वर्ग व्यक्ति। उद्यमी Human जाति के कल्याण हेतु ही प्रयत्नशील रहता तो फिर सामाजिक And नैतिक गुणों के बिना उद्यमी सफल कैसे हो सकता है।

  1. मिलन सारिता :- उद्यमी का व्यवहार कुशल And मिलनसार प्रकृति का होना चाहिये, उसे अपने सहयोगियो, कर्मचारियों, अधीनस्थों के साथ पूर्ण आत्मीयता, विश्वास And सद्भावना का प्रदर्शन करना चाहिये। उसके व्यवहार में सहयोग And मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की इच्छा रहना चाहिये, उसे प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति के According आचरण कर उसका दिल जीत लेना चाहिये। व्यवहार कुशलता के आधार पर ही वह अन्य व्यक्तियों के दृष्टिकोण And भावनाओं को समझ सकता है।
  2. ईमानदारी :- उद्यमी को सदैव अपने कर्तव्यों And दायित्वों के प्रति ईमानदार होना चाहिये। जो उद्यमी ईमानदारी से अपनी व्यावसायिक क्रियाओं का संचालन करता है वही दीर्घकाल में सफल होता है, उद्यमी को वस्तुओं के उत्पादन And वितरण में नैतिक मूल्यों का पालन करना चाहिये। सरकारी विभागों व संस्थाओं से विभिन्न सुविधाए And प्रेरणाएँ प्राप्त करते समय अधिकारियों को घूस नही देना चाहिये।
  3. सुशील स्वभाव :- उद्यमी सुशील स्वभाव वाला होना चाहिये। अच्छी आदतों, विनम्रता, व्यवहार, कुशलता, सहनशीलता, शिष्टाचार, सहिष्णुता आदि से ही उद्यमी सुशील बनता है। जान रस्किन का कथन है कि ‘‘मेरा विश्वास है कि, किसी महान व्यक्ति की First परीक्षा उसकी विनम्रता है’’ अत: उद्यमी को सदैव विनम्र होना चाहिये। विनम्रता से वह अपने सहयोगियों, कर्मचारियों, अधीनस्थों को प्रसन्न रख सकता है तथा स्वयं की प्रतिष्ठा बढा सकता है कहावत भी है ‘‘विनम्रता का कोई मूल्य नही लगता, किंतु इसका फल सदैव मीठा होता है।’’
  4. सुदृढ चरित्र :- उच्च चरित्र व्यवसाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। चरित्रवान व्यक्ति अपने आप में दृढ होता है स्वयं की कीर्ति बढाता है तथा संगठन की नींव को मजबूत करता है। प्रो. जे.हावेज लिखते हे कि, ‘‘चरित्र Single शक्ति है, Single प्रभाव है, वह मित्र उत्पन्न करता है, सहायता तथा संरक्षण प्राप्त करता है और धन And सुख का निश्चित मार्ग खोल देता है।’’
  5. आदर भाव :- उद्यमी को Humanीय दृष्टिकोण रखते हुए उपक्रम के विभिन्न पक्षों के साथ आदर पूर्ण व्यवहार करना चाहिये। उसे All व्यक्तियों के विचारों व सुझावों का सम्मान करना चाहिये। उसके निर्णय Humanीय दृष्टिकोण पर आधारित होने चाहिए।
  6. सहयोगी व संवेदना :- संगठन सहयोग का ही परिणाम है, उद्यमी को व्यवसाय के विभिन्न वर्गो के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। सहयोग के द्वारा उद्यमी सौहार्दपूर्ण संबंधों का निर्माण कर सकता है तथा पारस्परिक सद्भावना को प्रोत्साहित कर सकता है, उसे अपने प्रतिस्पर्धियों And लघु साहसियों के साथ सहयोगपूर्ण व्यवहार करना चाहिये। उद्यमी में अंदर संवेदना भी होना चाहिये, जिससे वो अपने सहयोगियों And कर्मचारियों की भावना को उचित प्रकार से समझ सके। संवेदना ही Human प्रजाति का वो गुण है जो उसे दुर्बल बनता है तो जरूरत पढने महाबलशाली बनता है संवेदना ही मनुष्य को कर्म करने के लिये प्रेरित करती है।
  7. निष्ठावान :- उद्यमी को अपने कार्य तथा सहयोगी, कर्मचारियों प्रतिस्पर्धियों, सामाजिक दायित्व All के प्रति निष्ठावान होना चाहिये। उद्यमी को विभिन्न वर्गो के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये। निहित स्वार्थो का त्याक करके उसे ग्राहकों, विनियोजकों, सरकार व अन्य फर्मो के प्रतिनिष्ठा की भावना रखनी चाहये। ‘‘कार्य ही पूजा है यह उसका आदर्श संगठन सर्वोपरि है कर्मचारियों का सहयोग ही उसकी अमूल्य सम्पदा है।’’
  8. राष्ट्रीय चरित्र :- उद्यमी का व्यक्तित्व राष्ट्रचरित्र से भी ओत-प्रोत होना चाहिये। उसे अपने व्यवसाय का संचालन राष्ट्र की प्राथमिकताओं व लक्ष्यों के अनुReseller करना चाहिए राष्ट्र के विकास कार्यक्रमों And आर्थिक योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार को पूर्ण सहयोग प्रदान करना चाहिए। उसे राष्ट्र की प्रतिष्ठा के विरूद्ध कोई कार्य नही करना चाहिये। समय-समय पर समस्त करो का भुगतान कर राष्ट्रीय विकास में सहयोग प्रदान करना चाहिये।
  9. उद्यमियों के लिये आर्थिक विकास के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ And योगदान:- उद्यमी की किसी देश के आर्थिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आर्थिक विकास से तात्पर्य Single ऐसी प्रक्रिया से है, जिसके द्वारा किसी देश की प्रति व्यक्ति आय और कुल आय Single निश्चित समय में बढती है। किसी देश के औद्योगीकरण तथा आर्थिक विकास की प्रक्रिया में उद्यमी उत्प्रेरक की भूमिका निभाते है। वर्तमान युग में उद्यमी को आर्थिक विकास का कर्णधार माना जाता है। उद्यमी कि क्रियाओं के द्वारा ही किसी देश के आर्थिक विकास का चक्र गतिमान होता है। उद्यमी प्रत्येक Meansव्यवस्था का मुख्य कार्यकर्ता होता है क्योकि Meansव्यवस्था की गाडी, उसके बिना आगे नह चल सकती है। वह किसी देश के प्राकृतिक, आर्थिक Humanीय And तकनीकी संसाधनों को Singleत्रित करके उनका देश के आर्थिक विकास में विदोहन करता है।

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