ईसाई History लेखन की परम्परा, विशेषताएँ, गुण व दोष

ईसाई History लेखन की परम्परा, विशेषताएँ, गुण व दोष

By Bandey

अनुक्रम

प्राचीनकालीन History लेखन (ग्रीको-रोमन, चीनी तथा Indian Customer) की तुलना में मध्यकालीन History लेखन की प्रमुख विशेषता यह थी कि इसमें दैवीय विधान को महत्व दिया गया जिसमें कि व्यक्ति की भूमिका नाम मात्र की थी। मध्यकालीन, विशेषकर ईसाई History लेखन की परम्परा में धर्म को सर्वोपरि स्थान दिया गया और विधर्मियों पर ईसाइयत की विजय ने ईसाई History लेखन की परम्परा के लिए प्रेरित Reseller। र्इ्रसाई Historyकारों ने यहूदी धार्मिक ग्रंथों को मूल स्रोतों के Reseller में स्वीकार Reseller। ईसाई धर्म के व्यापक प्रचार-प्रसार और रोमन साम्राज्य में सम्राट कॉन्सटैन्टाइन First के काल के पश्चात उसकी प्रतिश्ठा में अपार वृद्धि के परिणामस्वReseller ईसाई धर्म-विज्ञान And बाइबिल में निहित सिद्धान्तों को समाविश्ट करके Single विशिष्ट ईसाई History लेखन की परम्परा का विकास हुआ। मध्यकाल में ईसाई सन्यासियों And पुरोहित वर्ग की History-लेखन में अत्यधिक अभिरुचि थी। उन्होंने यीशू मसीह, चर्च और उसके संरक्षकों तथा स्थानीय Kingों के राजवंशीय History के विषय में प्रचुर मात्रा में लिखा। प्रारम्भिक मध्यकाल में ऐतिहासिक Creationओं का स्वReseller आख्यानों अथवा इतिवृत्तों के Reseller में होता था जिनमें कि साल दर साल की घटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन होता था। केवल तिथिक्रमानुसार घटनाओं के वृतान्त की इस शैली के लेखन में विशिष्ट घटनाओं और उनके कारणों के विश्लेषण की सम्भावना नहीं रह पाती थी। मध्यकालीन ईसाई History लेखन वास्तव में हेलेनिस्टिक व रोमन History लेखन परम्परा की ही अगली कड़ी है। ईसाई इतिहाकारों ने जिस काल को अपने लेखन का विषय बनाया, उस काल के परिवेश, परिस्थिति And अवस्थिति का सामान्यत: उनके लेखन पर प्रभाव पड़ा है।

ईसाई History लेखन


ईसाई History लेखन की परम्परा

प्रारम्भिक ईसाई History

लेखन मध्यकालीन History लेखन परम्परा में पश्चिमी History लेखन का विशिष्ट स्थान है। पश्चिमी History लेखन का प्रमुख केन्द्र बिन्दु ईसाई History लेखन की परम्परा है। जहां ग्रीको-रोमन History लेखन परम्परा में बुद्धि And विवेक का स्थान था, वहीं ईसाई History लेखन परम्परा में धर्म को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। ईसाई Historyकारों ने विधर्मी History लेखन को शैतान की कृति कहकर उसकी भत्र्सना की थी किन्तु पूर्वकालीन History लेखन, विशेषकर ग्रीको-रोमन History लेखन व History-दर्शन ने प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष Reseller से उनके लेखन को प्रभावित Reseller था। ईसाई History लेखन में ‘ओल्ड टैस्टामैन्ट’ को ऐतिहासिक स्रोत के Reseller में प्रमुख स्थान दिया गया। प्रारम्भिक काल में ईसाई मतानुयायी यीशू मसीह के शिश्यों और धर्म प्रचारकों द्वारा उनके उपदेशों And उनके कृत्यों के वृतान्त पर निर्भर करते थे परन्तु धीरे-धीरे जब यीशू मसीह के समकालीन काल के गाल में समाते चले गए तो इस श्रुत परम्परा का स्थान लिखित दस्तावेज़ों ने ले लिया। First तथा द्वितीय शताब्दी में लिखित ‘गॉस्पल ऑफ़ मार्क’, ‘गॉस्पल ऑफ़ मैथ्यू’, ‘गॉस्पल ऑफ़ ल्यूक’ तथा द्वितीय शताब्दी में लिखित ‘गॉस्पल ऑफ़ जॉन’ में यीशू मसीह के उपदेशों को ईश्वरीय वचन के Reseller में प्रस्तुत Reseller गया है। ‘गॉस्पल ऑफ़ मार्क’ (Backup Server 65-70 ईसवी) सम्भवत: First यहूदी-रोमन Fight के पश्चात लिखी गई थी। ‘गॉस्पल ऑफ़ मैथ्यूज़ (Backup Server 80-85 ईसवी) का लक्ष्य यहूदियों के समक्ष यह बात रखने का था कि यीशू मसीह ही हमारा मुक्तिदाता मसीहा है और वह मोज़ेज़ से भी महान है। ‘दि गॉस्पल ऑफ़ ल्यूक’ (Backup Server 85-90 ईसवी) और ‘ल्यूक Single्ट्स’ को All गॉस्पल्स में साहित्यिक दृष्टि से सबसे उत्कृश्ट और कलात्मक माना जाता है। अन्त में ‘गॉस्पल ऑफ़ जॉन’ (Backup Server दूसरी शताब्दी) का History आवश्यक है जिसमें यीशू मसीह को दिव्यवाणी का सन्देश वाहक बताया गया है। इसमें यीशू मसीह स्वयं अपने जीवन के विषय में और अपने दिव्य अभियान के विषय में विस्तार से बोलते हैं। इसमें लॅज़ैरस के पुनरुत्थान जैसे चमत्कारों का भी History है। ‘जॉन ऑफ़ गॉस्पल’ में यह दर्शाया गया है कि यीशू मसीह और उनके उपदेशों में आस्था रखने वालों की ही मुक्ति सम्भव है।

जोसेफ़स

जोसेफ़स की Creationओं में यहूदी शासन काल के मैकाबीस, होस्मैनियन राज्यवंश तथा हीरोद महान के उत्थान तथा प्रारम्भिक ईसाई काल की जानकारी उपलब्ध है।

टैसिटस

टैसिटस के इतिवृत्त को हम पहला ज्ञात धर्म-निरपेक्ष इतिवृत्त कह सकते हैं। टैसिटस ने नीरो द्वारा ईसाइयों के उत्पीड़न का सजीव चित्रण Reseller है।

सेक्सटस जूलियस एफ्ऱीकैनस (180-250 ईसवी)

सेक्सटस जूलियस एफ्ऱीकैनस की 5 खण्डों की पुस्तक ‘क्रोनोग्राफ़िया’ को हम तिथि-क्रमानुसार वृतान्त की पहली Creation कह सकते हैं। एफ्ऱीकैनस का यह विश्वास है कि यीशू मसीह के 500 वर्श बाद ही संसार का विनाश हो जाएगा। एफ्ऱीकैनस ने मूल स्रोतों के स्थान पर मेनेथो, बिरोसस, अपोलोडोरस, जोसेफ़स तथा जस्टस की Creationओं को आधार बनाकर अपने ग्रंथ की Creation की है। इस दृष्टि से हम एफ्ऱीकैनस की Creation को मौलिक Creation की श्रेणी में नहीं रख सकते।

यूज़िबियस (260-340 ईसवी)

यूज़िबियस

ग्रीको-रोमन परम्परा में बुद्धि व विवेक का सर्वोपरि स्थान था किन्तु ईसाई History लेखन की परम्परा में धर्म को सर्वोपरि स्थान दिया गया था। सिज़ेरिया के निवासी यूज़िबियस द्वारा सन् 324 के आसपास रचित First कलीसियायी History में लिखित स्रोतों का प्रचुर मात्रा में उपयोग Reseller गया। First शताब्दी से लेकर यूज़िबियस ने अपने समय तक ईसाई धर्म के विकास का तिथि-क्रमानुसार सिलसिलेवार History लिखा है। यूज़िबियस की Creationओं में ‘हिस्टोरिया Single्लेसियास्टिका’, ‘डिमॉन्सट्रेशन ऑफ़ दि गॉस्पल’, ‘प्रिपरेशन इवैन्जेलिका’, ‘डिस्क्रिपेन्सीज़ बिटवीन दि गॉस्पल्स’ तथा ‘स्टडीज़ ऑफ़ दि बाइबिकल टेक्स्ट’ प्रमुख हैं। यूज़िबियस अपने गं्रथों में प्लैटो तथा फ़िलो के ग्रंथों का उपयोग करता है। वह ओक ऑफ़ मार्नरे की धार्मिक परम्पराओं का History करता है तथा ओल्ड व न्यू टैस्टामेनट की समीक्षा करता है। रोमन सम्राटों, विशेषकर कॉन्सटैन्टाइन First के शासन काल, यहूदियों और ईसाइयों के मध्य सम्बन्ध और ईसाई शहीदों के विषय में उसने विस्तार से लिखा है। यूज़िबियस सामाजिक And धार्मिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है। ईसाई धर्म-विज्ञान में यह माना जाता है कि समय Single रेखा के Reseller में ईश्वरीय योजना के According आगे बढ़ता है। चूंकि ईश्वरीय योजना में All समाहित होते हैं इसलिए ईसाई History लेखन का दृष्टिकोण सार्वभौमिक होता है। सिज़ेरिया के निवासी यूज़िबियस के चौथी शताब्दी में रचित चर्च सम्बन्धी History में First शताब्दी से लेकर उसके अपने समय तक ईसाई धर्म के विकास का तिथि-क्रमानुसार सिलसिलेवार History described है। यूज़िबियस के ग्रंथ ‘कोनिक ग्रीक’ भाषा में लिखे गए हं ै और अब इनके लैटिन, सीरियिक तथा आर्मीनियन संस्करण भी उपलब्ध हैं। यूज़िबियस के ग्रंथों को हम ईसाई दृष्टिकोण से लिखे गए First सम्पूर्ण History-ग्रंथ कह सकते हैं। यूज़िबियस ने अपने ग्रंथों की Creation में अनेक धार्मिक दस्तावेज़ों, शहीदों के कृत्यों, पत्रों, पूर्व में लिखे गए ईसाई ग्रंथों के सार-संक्षेपों, बिशपों की सूचियों आदि का उपयोग Reseller है और उसने अपने ग्रंथों में ऐसे मूल स्रोत-ग्रंथों का History कर उनके विस्तृत उद्धरण भी दिए हैं जो कि अब अन्यत्र उपलब्ध नहीं हैं। यूज़िबियस पर प्राय: यह आरोप लगाया जाता है कि वह जानबूझ कर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है और व्यक्तियों व तथ्यों मूल्यांकन के समय वह निश्पक्ष तथा तटस्थ नहीं रहता है।

सन्त एम्ब्रोज़ (340-497 ईसवी)

सन्त एम्ब्रोज़ ने सन्त अगस्ताइन के विचारों और उनके लेखन पर विशेष प्रभाव डाला था। उनकी Creationओं में ‘फ़ेथ टु ग्रैशियन ऑगस्टस’, ‘दि होली घोस्ट’ तथा ‘दि मिस्ट्रीज़’ प्रमुख हैं।

सन्त अगस्ताइन (354-430 ईसवी)

मध्ययुगीन ईसाई History लेखन की परम्परा के प्रमुख प्रतिनिधि संत अगस्ताइन थे। उन्होंने ऐतिहासिक लेखन में दैवीय घटनाओं को प्रमुखता दी थी। सन्त अगस्ताइन Historyकार, धर्म-विज्ञानी, दार्शनिक, शिक्षक And कवि थे। ‘सिटी ऑफ़ गॉड’ उनकी प्रमुख Creation है। सन्त अगस्ताइन ने ईश्वर की आज्ञा का पालन मनुष्य का परम कर्तव्य माना है। उनके According ईश्वर की आज्ञा का पालन करने वाले देवता व मनुष्य देव नगर में निवास करते हैं जब कि उसके विरोधी पाप नगर में रहने के लिए अभिशप्त हैं। अपने इस विचार की पुश्टि के लिए सन्त अगस्ताइन रोम के उत्थान और पतन का दृश्टान्त देते हैं। उनके According रोम का उत्थान ईश्वरीय अनुकम्पा के कारण हुआ परन्तु कालान्तर में जब रोम-वासियों ने अपने जीवन और विचारों में पाप, अन्याय व अनैतिकता को स्थान दिया तो उन्हें ईश्वरीय कोप का भाजन होना पड़ा जिसके फलस्वReseller रोम का पतन हुआ। इससे यह निश्कर्श निकलता है कि ईश्वर को भुला देने वालों अथवा उसकी आज्ञा का पालन न करने वालों को ईश्वर द्वारा दण्डित Reseller जाता है। सन्त अगस्ताइन की दृष्टि में राज्य की उत्पत्ति में कुछ भी दैविक नहीं है। ये Human-निर्मित संस्था है अत: इसमें दोषों का होना स्वाभाविक है। जब इसमें अच्छाइयों का आधिक्य होता है तो इसका उत्थान होता है और जब इसमें बुराइयां घर कर जाती हैं तो इसका पतन होता है। छोटे से छोटे राज्यों से लेकर बड़े से बड़े साम्राज्यों तथा All संस्कृतियों के उत्थान और पतन के साथ यही दैविक-नियम लागू होता है। ईश्वर कृत Creationओं में सब कुछ निर्दोश And परिपूर्ण होता है जब कि Human-निर्मित Creationओं में मौलिकता का अभाव व अपूर्णता होती है। कोई भी शासन-व्यवस्था निर्दोश व परिपूर्ण नहीं नहीं हो सकती परन्तु चर्च की Creation ईश्वर ने की है इसलिए वह दोषरहित व परिपूर्ण हो सकता है। ‘सिटी ऑफ़ गॉड’ Single धार्मिक साम्राज्य है। Human-निर्मित साम्राज्य की स्थापना बिना रक्तपात के नहीं हो सकती जब कि ‘‘सिटी ऑफ़ गॉड’ अपना आधिपत्य बिना रक्तपात के स्थापित करता है। Human-निर्मित राज्यों को अपने क्षण-भंगुर कानूनों के अनुपालन के लिए सैन्य दल की Need होती है जब कि ईश्वर निर्मित राज्य में शाश्वत दैविक नियमों के अनुपालन हेतु किसी वाह्य बल की Need नहीं होती है।

सन्त अगस्ताइन का History लेखन मुख्य Reseller से धर्मनिर्पेक्ष And धर्मतन्त्रात्मक शक्तियों के मध्य संघर्ष की गाथा है जिसमें कि उन्होंने धर्मतन्त्रात्मक पक्ष का समर्थन Reseller है। सन्त अगस्ताइन के According ईश्वरीय आदेश का पालन करने वाले को स्वर्गलोक में वास करने का अधिकार मिलता है जब कि उसकी आज्ञाओं का उल्लंघन करने वाले को नर्क में रहने के लिए अभिशप्त होना पड़ता है। सन्त अगस्ताइन रोमन साम्राज्य के History का History करते हुए यह बतलाते हैं कि उसका उत्थान प्रभु की कृपा के कारण हुआ किन्तु उसका पतन कालान्तर में पाप, अन्याय व अनैकिता के कारण Meansात् ईश्वरीय आदेश की अवज्ञा के कारण हुआ। दृश्टान्त देते हुए सन्त अगस्ताइन के History लेखन की सबसे बड़ी कमी यह है कि वह घटनाओं को तोड़-मरोड़कर उनका प्रस्तुतीकरण इस प्रकार करते हैं कि उनका अपना मन्तव्य सिद्ध हो जाए। इन कमियों के बावजूद उनके ग्रंथ ‘सिटी ऑ़फ़ गॉड’ को प्लैटो के ग्रंथ ‘रिपब्लिक’, सर टॉमस रो के ग्रंथ ‘उटोपिया’ तथा बैकन के ग्रंथ ‘अटलान्टिस’ के समकक्ष रखा जाता है।

सन्त अगस्ताइन के परवर्ती ईसाई Historyकार

पॉलस ओरोसियस (380-420 ईसवी)

सन्त अगस्ताइन के शिष्य और History लेखन में उनके अनुयायी पॉलस ओरोसियस की मान्यता है कि विभिन्न समुदायों के भाग्य ईश्वर द्वारा ही निर्धारित होता है। ओरोसियस की सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तक – ‘सेवेन बुक्स ऑ़फ़ हिस्ट्री अगेन्स्ट दि पैगन्स’ की Creation सन् 411-418 के मध्य हुई थी। इस ग्रंथ में Human की सृश्टि से लेकर गॉलों द्वारा रोम के विनाश तक का History है। ओरोसियस के लेखन पर सन्त अगस्ताइन के अतिरिक्त हेरोडोटस लिवी तथा पोलीबियस की Creationओं स्पष्ट प्रभाव पड़ा है। ओरोसियस के ऐतिहासिक ग्रंथ में अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों तथा देशों का History ही नहीं Reseller गया है। इस अपूर्णता के अतिरिक्त ओरोसियस के History गं्रथ का सबसे बड़ा दोष यह है कि वह जानबूझ कर यह प्रदर्शित करता है कि ईसाई धर्मावलम्बियों की तुलना में अन्य धमोर्ं के अनुयायियों को Fight, महामारी, अकाल, भू-कम्प, बाढ़, बिजली गिरना, तूफ़ान, आपराधिक घटनाओं आदि का अधिक सामना करना पडा है।

सन्त जेरोम (347-420 ईसवी)

सन्त जेरोम ने सन् 391 में पूर्व काल के 135 लेखकों के जीवन वृतान्त वाली पुस्तक ‘दि विरिस इल्यस्ट्रिबस सिवे दि स्क्रिप्टोरिबस Single्लेसियास्टिक्स’ की Creation की थी। उसकी अन्य Creationओं में ‘लाइफ़ ऑफ़ पॉल’, ‘दि फ़स्र्ट हेरमिट’ तथा ‘वल्गेट’ प्रमुख हैं।

मार्क औरेलियस कैसीडोर (480-570 ईसवी)

इटली के निवासी मार्क औरेलियस कैसीडोर की Creationओं ‘वेराय’, ‘हिस्ट्री ऑफ़ गोथ’ तथा ‘हिस्टोरिया ट्रिपार्टिया’ में ऑस्ट्रोगोथ काल के राजनीतिक And सांस्कृतिक जीवन की झांकी मिलती है।

वेनरेबिल बेडे (672-735 ईसवी)

वेनरेबिल बेडे ने ‘Single्लेसियास्टिकल हिस्ट्री ऑफ़ इंग्लिश पीपुल’ में जूलियस सीज़र के काल से लेकर सन् 735 तक इंग्लैण्ड के धार्मिक And राजनीतिक History का वर्णन Reseller है।

ईसाई History लेखन की विशेषताएँ

History में ईश्वरीय इच्छा की महत्ताए

ईसाई History लेखन की परम्परा में घटनाएं उस Reseller में नहीं देखी गई, जिस Reseller में वो घटित हुई बल्कि उन घटनाओं को Single दैवीय आवरण पहना कर उन्हें ईश्वरीय इच्छा के Reseller में प्रस्तुत Reseller गया। ईसाई धर्मावलम्बी History चिन्तकों की दृष्टि में ब्रह्माण्ड में होने वाली हर घटना के पीछे ईश्वर की इच्छा होती है। इसमें घटना के अच्छे या उसके बुरे होने का कोई भी अन्तर नहीं पड़ता है। ऐतिहासिक घटनाओं पर नियन्त्रण रख पाने की शक्ति मनुष्य में नहीं है। मनुष्य तो भगवान के हाथ में Single खिलौने की तरह है परन्तु उनसे खेलते समय ईश्वर उनमें से किसी पर भी अपना विशेष अनुराग अथवा कोप प्रदर्शित नहीं करता है। ईसाई History की परम्परा में History को Single नाटक माना गया है। ईसाई धर्मावलम्बी History चिन्तक History की चक्रीय प्रकृति में विश्वास नहीं रखते हैं। उनका यह विश्वास है कि संसार में घटित All घटनाओं की दिशा ईश्वर द्वारा ही निर्धारित की जाती है। ईश्वर को All घटनाओं की परिणति का First से ही ज्ञान होता है। ईश्वर ऐतिहासिक शक्तियों का दिशा-निर्देशन करता है अत: ऐतिहासिक शक्तियां सार्वभौमिक हैं। ईसाई धर्मावलम्बी History चिन्तकों के According केवल उन राष्ट्रों का उत्थान होता है जो दैविक नियमों का पालन करते हैं और जो राष्ट्र उनका पालन नहीं करते उनका पतन अवश्यम्भावी होता है।

ऐतिहासिक बलों की दैविक प्रकृति

ईसाई History लेखन की परम्परा में प्रकृति का भौतिक विकास महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि इसमें History को मनुष्य और ईश्वर के बीच सम्बन्धों का Single प्रवाह माना गया है। ईसाई History लेखन की परम्परा में History को Single नाटक माना गया है। इस नाटक के First अंक में आदम का स्वर्ग से पतन, पाप का प्रारम्भ तथा ईश्वर से विच्छेद है। इस नाटक के Second अंक में यीशू मसीह का जन्म, उनके उपदेश, उनका सूली पर चढ़या जाना तथा उनका पुनरुत्थान है। इसके Third अंक में चर्च की स्थापना तथा ईसाई धर्म का प्रचार है। इस नाटक के चतुर्थ And अन्तिम भाग में यीशू मसीह का पुनरागमन व ईसाई राज्य की स्थापना का वर्णन है।

ईसाई History चिन्तक ऐतिहासिक बलों की दैविक प्रकृति में आस्था रखते हैं। जो बल मनुष्य की समझ से परे होते हैं उन्हें दैविक कहा जाता है और उनका संचालन पूरी तरह ईश्वर द्वारा ही Reseller जाता है। इन दैविक बलों का प्रयोग स्थानीय अथवा क्षेत्रीय स्तर पर नहीं अपितु सार्वभौमिक Reseller से Reseller जाता है।

ईसाई History लेखन में तिथिक्रम तथा काल-विभाजन

ईसाई History चिन्तकों ने विविध तिथिपरक घटनाओं के लिए ईसा के जन्म का प्रतिमान प्रस्तुत Reseller। उन्होंने केवल ईसाई तिथिक्रम को ही अपने समस्त ऐतिहासिक वृतान्तों के लिए पर्याप्त And परिपूर्ण माना है। घटनाओं का काल-निर्धाण करने के लिए उनका मापदण्ड केवल ‘यीशू मसीह के जन्म से पूर्व’ और ‘उनके जन्म के पश्चात’ का ही है। उनके लिए All ऐतिहासिक घटनाओं और सार्वभौमिक History का केन्द्र बिन्दु यीशू मसीह ही होते हैं। ईसाई धर्म-विज्ञान में यह माना जाता है कि समय Single रेखा के Reseller में ईश्वरीय योजना के According आगे बढ़ता है। चूंकि ईश्वरीय योजना में All समाहित होते हैं इसलिए ईसाई History लेखन का दृष्टिकोण सार्वभौमिक होता है।

ईसाई Historyकारों ने समय का मुख्य Reseller से दो कालों में विभाजन Reseller है – Single अंधकार का युग और दूसरा प्रकाश का युग। यीशू मसीह से First का काल अन्धकार का युग और उनके जीवनकाल व उनके बाद का काल (दोनों को मिलाकर) प्रकाश का युग माना जाता है। अन्धकार व प्रकाश युगों को विभिन्न उप-कालों में विभाजित Reseller गया है और फिर उनका, उनकी विशिष्टताओं के अनुReseller वर्णन Reseller गया है।

ईसाई History लेखन के आधार-स्रोत के Reseller में बाइबिल की महत्ता

ईसाई धर्म में बाइबिल की केन्द्र-बिन्दु के Reseller में महत्ता, ईसाई इतिहाकारों के लेखन में भी प्रतिबिम्बित होती है। शास्त्रीय युग के Historyकारों के विपरीत ईसाई इतिहाकारों ने अपने लेखन में मौखिक स्रोतों की तुलना में लिखित स्रोतों को अधिक वरीयता प्रदान की। ईसाई Historyकारों ने धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण किन्तु राजनीतिक दृष्टि से महत्वहीन व्यक्तियों को अपने लेखन में स्थान दिया। ईसाई Historyकारों ने धर्म और समाज के विकास को अपने लेखन में सर्वाधिक महत्व दिया।

ईसाई History लेखन के गुण व दोष

ईसाई History लेखन के दोष

  1. History को Single दैविक योजना के Reseller में देखने की हठवादी प्रवृत्ति- ईसाई Historyकार History में मनुष्य की स्वतन्त्र भूमिका को सर्वथा नकारते हैं। उनकी दृष्टि में नियति को अपने पौरुश से बदलने का दु:साहस करने वाला हर व्यक्ति असफल होता है और पतन व विनाश के मार्ग पर अग्रसर होता है।
  2. आलोचनात्मक दृष्टिकोण का अभाव- ईसाई History लेखन में आलोचनात्मक दृष्टिकोण का नितान्त अभाव है। वास्तव में परम्परा और तथ्यों की वैधता, विश्वसनीयता And तर्कसंगतता का आकलन करने में उनकी कोई अभिरुचि नहीं है और न ही मूल स्रोत सामग्री का पर्याप्त उपयोग करने की उनमें क्षमता है। इन कारणों से उनकी Creationओं में प्रामाणिकता का अभाव है।
  3. History लेखन की आदर्श तकनीक की उपेक्षा- तथ्यों की प्रामाणिकता की जांच और अपने दृष्टिकोण को यथासम्भव तटस्थ बनाए रखने के स्थान पर ईसाई History लेखन में दुराग्रहता And पूर्व निश्चित अवधारणा का दोष दिखाई देता है। ईसाई History लेखन का मुख्य लक्ष्य चर्च की अन्य धार्मिक संस्थाओं की तुलना में निर्विवाद श्रेश्ठता तथा यीशू मसीह के उपदेशों की कालजयी उपयोगिता स़िद्ध करना है। ईसाई History लेखन अन्य धर्मावलम्बियों के अवश्यम्भावी पतन पर निरन्तर ज़ोर देता है।
  4. सामाजिक And आर्थिक कारकोंं की उपेक्षा- ऐतिहासिक घटनाओं में सामाजिक And आर्थिक कारकों की नितान्त उपेक्षा ईसाई History लेखन की Single बड़ी कमज़ोरी है। हर घटना के पीछे ईश्वरीय इच्छा का हाथ होने का विश्वास, उन्हें History निर्माण में सामाजिक And आर्थिक घटकों की महत्ता स्वीकार करने से रोकता है।
  5. ऐतिहासिक स्रोतों के वर्गीकरण की दोषपूर्ण प्रणाली- ईसाई History लेखन की ऐतिहासिक स्रोतों के वर्गीकरण की प्रणाली दोषपूर्ण है क्योंकि इसमें नयी स्रोत सामग्री Singleत्र करने का कोई प्रयास नहीं Reseller जाता है और First से उपलब्ध इतिवृत्त, सुव्यस्थित History And जीवनी को स्रोत सामग्री के Reseller में प्रयुक्त करते समय उनमें किसी प्रकार कोई अन्तर नहीं Reseller जाता है।

ईसाई History लेखन के गुण

  1. प्राचीन दस्तावेज़ों And अभिलेखों का संरक्षण- ईसाई Historyकारों ने प्राचीन दस्तावेज़ों And अभिलेखों का संरक्षण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। परवर्ती काल के Historyकारों को मध्यकाल से सम्बन्धित अपने ऐतिहासिक ग्रंथों की Creation में इससे बहुत सहायता मिली। वास्तव में मध्यकालीन History को जानने के लिए ईसाई History लेखन का अध्ययन नितान्त आवश्यक है।
  2. ऐतिहासिक क्रमबद्धता- ईसाई Historyकारों ने तिथि-क्रमानुसार घटनाओं का वर्णन करने की Single नयी परम्परा का विकास Reseller।
  3. धार्मिक, राजनीतिक And सामाजिक History को महत्व- ईसाई Historyकारों ने धार्मिक, राजनीतिक And सामाजिक विकास पर उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त की है।
  4. History लेखन की मुस्लिम परम्परा पर ईसाई History लेखन का प्रभाव- History लेखन की मुस्लिम परम्परा पर ईसाई History लेखन का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। ईसाई अवधारणा के अनुReseller ही History लेखन की इस्लामी अवधारणा में भी गॉड Meansात् अल्लाह को ही सृश्टि का नियंता माना गया है। मुस्लिम History लेखन में भी ईसाई History लेखन की भांति तिथि-क्रमानुसार घटनाओं का वर्णन Reseller गया है।

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