आधुनिकता का Means And परिभाषा

आधुनिकता का Means And परिभाषा

By Bandey

आधुनिकता Single वैश्विक अवधारणा And वैचारिक आयाम है। आधुनिकता का आरम्भ Fourteenवीं शताब्दी में यूरोप से हुआ तथा अट्ठारहवीं शताब्दी तक यह भारत में भी पहुँच चुकी थी। ‘आधुनिकता’ Word नवीनता का बोध कराता है जो परम्पराओं से भिन्न And प्रगतिशील है वही आधुनिक है। एस.एल. दोषी के According ‘‘सफेद कागज पर स्याही का धब्बा जिसका आकार है भी सही और नहीं भी या वह केवल निराकार है, आधुनिकता है।’’

व्युत्पत्तिपरक Means में आधुनिकता Word अंग्रेजी के ‘मॉडर्निटी’ Word का हिन्दी Resellerान्तरण है। अंग्रेजी Word मॉडर्न की उत्पत्ति लैटिन से हुई है जिसका Means है- ‘‘वर्तमान या हाल का, या आधुनिक।’’ सुधीश पचौरी आधुनिकता के व्युत्पत्तिगत Means को इस प्रकार स्पष्ट करते हैं- ‘‘आधुनिकता, जिस ‘मॉडर्निटी’ Word का हिन्दी है, वह अंग्रेजी में ग्रीक ‘मोडो’ (क्रियाविश्लेषण) से आया है। जिसका Means है, हाल-फिलहाल, अभी का, आज, इस समय का समकालीन यह ‘पुराने’ का विलोम है। यह वर्तमान है। अतीत से पृथक।’’

इस प्रकार ‘‘अंग्रेजी Word ‘मॉडर्न’ (आधुनिक) मोडो से बना लेटिन मोडनेस (बस अभी) का प्रयोग 5वीं शताब्दी से मिलता है, जो मूल Reseller से ईसाई युग को बुतपरस्त युग से अलग करने के संदर्भ में है, इसके बावजूद इस Word का सामान्य उपयोग 17वीं शताब्दी में ही होना शुरू हुआ जो कि क्वारल ऑफ दी एन्शिएन्ट एण्ड दी मॉडन्र्स से व्युत्पन्न हुआ था।’’ यूरोपीय पुनर्जागरण से उत्पन्न आधुनिकता सामंतवाद के अंत, धर्म के पतन, ईश्वर के स्थान पर मनुष्य की प्रतिष्ठा, औद्योगीकरण, शहरीकरण And पूँजीवाद के बढ़ते वर्चस्व को अपनी परिधि में समेटती है।

आधुनिकता की परिभाषा

आधुनिकता की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए विद्वानों ने इसे परिभाषित Reseller है। ये परिभाषाएँ आधुनिकता के Means को स्पष्ट करते हुए उसके स्वReseller पर भी प्रकाश डालती है।

डॉ0 राजेन्द्र अपनी पुस्तक ‘समकालीन विचारधाराएँ और साहित्य’ में आधुनिकता को इस प्रकार परिभाषित करते हैं- ‘‘आधुनिकता Single विचारधारा नहीं है जीवन प्रणाली है, जिसने मनुष्य को समकालीन समय से जोड़ा है, उसे Humanीय मूल्य दिये हैं और उसकी सामाजिक और सांस्कृतिक समग्रता का उद्भाव Reseller है। आधुनिकता, आधुनिकीकरण और आधुनिकतावाद का Single व्यापक Humanीय संस्थान है जिसका अपना Single ऐतिहासिक विकासक्रम है। आधुनिकता समसामयिक काल में होकर भी समसामयिक काल का अतिक्रमण करती है वह समसामयिक से व्यापक है। आधुनिकता को आधुनिकतावाद में भी नहीं बांधा जा सकता क्योंकि वह आज के मनुष्य की सभ्यता का मानक है, वह नवजागरण है जो समकालीन विचार दर्शन से जुड़ी है उसमें वैज्ञानिक क्रान्ति, रोमानीवाद, मार्क्सवाद, डारविनवाद, मनोविश्लेषण और अिस्त्तववाद तक शामिल हो गया है। वह History का बिम्ब है जो वर्तमान से जुड़कर अनवरत है। काल की समस्या उसकी प्रमुख समस्या है फिर भी ग्लोबल होना ही आधुनिकता है।’’

हजारीप्रसाद द्विवेदी आधुनिकता को सामाजिक विकास की दृष्टि से परिभाषित करते हैं उन्होंने ‘‘आधुनिकता की प्रक्रिया को सामाजिक विकास से जोड़कर देखा है। उनकी राय में आधुनिकता का जन्म समाज के आधुनिकीकरण से उत्पन्न चिंतन और भावनाओं से होता है। यह समाज के विकास की विशेष अवस्था से निर्मित Human-चेतना की विशेषता है। परिवेश के प्रति जागरूकता, वस्तुनिष्ठ दृष्टि, बौद्धिकता, यथार्थवाद और सामूहिक मुक्ति की भावना, ये आधुनिकता की विशेषताएँ हैं।’’

डॉ0 नगेन्द्र आधुनिकता को तीन Meansो में परिभाषित करते हैं Single Means वह काल-सापेक्ष, Second Means में विचारपरक दृष्टिकोण Third Means में वह समसामयिकता से उसे जोड़ते है।

डॉ0 बच्चन के आधुनिकता विषयक विचारों को दुर्गाप्रसाद गुप्त अपनी पुस्तक में उद्घाटित करते हैं- ‘आधुनिक हिन्दी आलोचना के बीज Word’ में आधुनिकता के बारे में डॉ0 बच्चन सिंह ने लिखा है- ‘‘आधुनिकतावाद’ की व्याख्या करने की जितनी ही कोशिश की गयी है वह उतनी ही अव्याख्येय बनती गयी। हिन्दी में इसे लेकर काफी बहसें हुई, धारावाहिक लिखे गये, गोष्ठियां हुई, लेकिन अजगर की तरह वह अडिग बना रहा, जो व्याख्याएं प्रस्तुत की गयीं वे परस्पर विरोधी, अपर्याप्त और अधूरी हैं। कोई इसे प्रक्रिया कहता है तो कोई आत्मचेतना। कोई इसे क्षणवाद से जोड़ता है तो कोई शाश्वतता से। कोई इसे History के अगले चरण से सम्बद्ध करता है तो कोई History मुक्त मानता है। History मुक्त मानने वालों की संख्या अधिक है। जो भी हो, इसके अस्तित्त्व को झुठलाया नहीं जा सकता।’’

मनोहर श्याम जोशी आधुनिकता के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखते हैं- ‘‘आधुकिनता- परम्परा भंजक है और उसे सतत परिवर्तन और प्रगति में पूरी आस्था है। वह गौरवमय अतीत की नहीं, सुखद भविष्य की बात करती है।’’

कृष्णदत्त पालीवाल अपने Single लेख में आधुनिकता पर Discussion करते हुए उसे वर्तमान से जोड़ते हैं। उनके According- ‘‘हमारा वर्तमान अतीत से बेहतर है, भविष्य वर्तमान से बेहतर होने वाला है, ऐसा सोचना ही आधुनिक होना है। आधुनिकता भविष्यपूजक है जबकि आधुनिकता के दौर से First इंसान सदैव अतीतपूजक रहा

सुधीश पचौरी आधुनिकता को इस Reseller में देखते हैं- ‘‘आधुनिकता सिर्फ ऐतिहासिक या भौगोलिक स्थिति नहीं है, बल्कि वह आधुनिक समाज को सम्भव करने वाली स्थिति है। आधुनिकता ऐतिहासिकता Reseller से निश्चित सम्बन्धों, Resellerों, संस्थाओं का संदर्भ देती है। वह व्यवहारसिद्ध व्याख्येय स्थिति है। वह तर्कसंगत स्थिति है जो श्रेणीबद्ध करती है, व्यवस्था करती है। आधुनिकता में औद्योगीकरण होता है, कलाएँ स्वायत्त बनती हैं, आलोचना सम्भव होती है। नए जनक्षेत्र बनते हैं। ये नए जनक्षेत्र राज्य के विकास के अन्तर्विरोध में आते हैं। स्वायत्त व्यक्ति और स्वयंप्रभु समाज के तर्क समाज में अन्तर्विरोध पैदा करते हैं। यह स्थिति स्वयं बहुलता पैदा करती है और साथ ही समग्रता भी।’’

देवेन्द्र इस्सर आधुनिकता के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखते हैं। Single समय था जब आधुनिकता Single विद्रोह और नवीनता का आन्दोलन थी ‘‘… आधुनिकता परम्परा- भंजक है। आधुनिकता नव चिंतन तथा नवीन शैली है। आधुनिकता अतीत से विमुख होकर भविष्य की ओर अग्रसर है। आधुनिकता अधिभौतिकता, रोमांटिकतावाद, यहां तक कि यथार्थवाद को भी अस्वीकार करती है। आधुनिकता धर्म, प्रकृति, नैतिकता, प्रतिबद्धता, आस्था, मूल्यों, प्रत्येक प्रचलित विचार तथा वस्तु को चुनौती देती है …आधुनिकता, …आधुनिकता, …आधुनिकता।’’

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