आंतरिक व्यापार क्या है ?

आंतरिक व्यापार से तात्पर्य उस व्यापार से है, जिसमें Single देश की सीमा के भीतर रहकर क्रेता And विक्रेता वस्तुओं का क्रय-विक्रय करते हैं Meansात् Single देश के निवासी अपन ही देश में वस्तु का क्रय-विक्रय करते है इसे देशी व्यापार भी कहा जाता है। वस्तुओं का क्रय And विक्रय व्यापारिक क्रिया का Single मुख्य अंग है व्यापार की सफलता वस्तुओं की क्रय विक्रय प्रणाली पर निर्भर है प्रत्येक व्यापारी को कच्चा माल या तैयार माल क्रय करने तथा बेचने के सौदे प्रतिदिन करना पड़ते है।

आन्तरिक व्यापार की गतिविधि या वस्तुओं के क्रय-विक्रय की विधि से हमारा आशय व्यापार करने की उस विधि से है, जिसके According देश के भीतर वस्तुओं के क्रय-विक्रय का कार्य Reseller जाता है इसके लिए अनेक क्रियाए सम्पन्न की जाती है आन्तरिक व्यापार के सौदे की गतिविधि का क्रम निम्नानुसार है-

प्रत्येक व्यापारी को यह जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है कि माल सस्ता And अच्छा कहॉं से प्राप्त हो सकेगा तथा माल बेचने के पूर्व कहॉं माल ऊॅंची कीमत पर बिक सकेगा, इस बात की उसे खोज करना जरूरी है। सस्ता माल प्राप्त करने के लिए भावो की पूछताछ जरूरी है यहीं सौंदों का जन्म होता है Needओं से भाव प्राप्त होने पर उनकी तुलना की जाती है, जिससे उचित मूल्य And उचित शर्तों पर माल प्राप्त Reseller जा सके इस कारण विक्रेताओं को क्रेता द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तुओं के मूल्य की जानकारी प्राप्य करने के लिए पूछताछ सम्बन्धी पत्र लिखे जाते है।

विभिन्न थोक व्यापारियों के पते स्थानीय व्यापारियो, पत्र-पत्रिका में प्रकाशित विज्ञापनों द्वारा अथवा व्यापार निर्देेशिका, चॅम्बर ऑफ कॉमर्स, व्यापारिक संघों द्वारा प्राप्त कर लिये जाते है, अत: क्रेता द्वारा भावों की पूछताछ हेतु जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हे पूछताछ के पत्र कहा जाता हैं।

सौदे की पूर्ति हेतु क्रय-विक्रय विधि की सीढ़ियॉं-

जब व्यापारी के पास पूछताछ के पत्र आते हैं, तो इनके उत्तर मे भेजे गये ‘वस्तुओ के भाव’ को निर्ख भेजना कहते है। इन निर्ख पत्रो से निम्न बातों की जानकारी दी जाती है-

पूछताछ के उत्तर मे विक्रेता द्वारा निम्नानुसार जानकारी निर्ख के Reseller में क्रेता को भेजी जाती है –

विक्रेता द्वारा क्रेता को भावो की ही जानकारी देने के साधन-

  1. निर्ख- पत्रों द्वारा कराता है इन निर्ख पत्रों में दिये गये भावों के According विक्रेता निश्चित समय में वस्तु की पूर्ति के लिए वचनबद्ध है
  2. मूल्य सूची-इसमें विभिन्न वस्तुओं के मूल्य छपे रहते है। जिसमें विक्रेता Historyित तिथि तक दर्शाए भाव पर माल देने के लिए बाध्य है व्यापारिक शर्तें भी इसमें छपी रहती हैं मूल्य में परिवर्तन होने पर इसमें संशोधन कर दिया जाता है। 
  3. चित्रित मूल्य सूची- विक्रेता द्वारा वस्तुओं की जो मूल्य सूची प्रकाशित की जाती है, उसमें वस्तु के चित्र आदि भी दिये जाते हैं तथा उपयोग की विधि भी लिख दी जाती है, जो चित्रित सूची कहलाती है। 
  4. निविदा या टेण्डर-जब सरकारी कार्य सम्पन्न करवाना हो, तो कार्य का वर्णन प्रकाशित कर दिया जाता है और सीलबन्द टेण्डर आमंत्रित किये जाते हैं जिसका मूल्य या टेण्डर रसबसे कम होता है, उसे ही वस्तु बनाने का ठेका दे दिया जाता है। 
  5. स्थायी प्रस्ताव- जब कोर्इ विक्रेता Single निश्चित मूल्य हपर निश्चित अवधि में माल बेचने के लिए प्रस्ताव रखता है, तो इसे स्थायी प्रस्ताव कहते है। 
  6. नोटिस- जब कोर्इ विक्रेता वस्तु की बिक्री बढ़ाने हेतु ऐसे पत्रों को छपवा लेता है जिसमे वस्तु के बारे में जानकारी दी जाती है, तो वे नोटिस कहलाते है। इनमें दी गर्इ विशेष छूटों का वर्णन भी Reseller जाता है। 
  7. गश्ती पत्र- इन पत्रों में विक्रेता अपने ग्राहक को Single ही प्रकार की सूचना And नवीन वस्तुओं की जानकारी देता रहता है। 
  8. अनुमान पत्र- यह विक्रेता द्वारा क्रेता को भेजा जाता है इसमें वस्तु का मूल्य And सम्बन्धित शतोर्ं का पूर्ण description होता है इसके आधार पर कार्य की Resellerरेखा बनाकर सौदा तक Reseller जाता है यह निविदा की तरह ही होता है। विक्रेता द्वारा क्रेता का उपर्युक्त किसी भी विधि द्वारा पूछताछ का उत्त्ार दिया जा सकता है।

    3. आदेश देना-

    क्रेता व्यापारी को विभिन्न व्यापारियों से निर्ख पत्र प्राप्त हो जाते हैं, तो वह उनकी आपस में तुलना करता है, और जिसका माल सस्ता, उत्त्ाम And Needनुसार होता है तथा जिस व्यापारी की शर्त सुविधाजनक होती हो, ख्याति अधिक होती है, जो समय पर माल की सुपुर्दबी दे सकता है उसे माल भजे ने का आदेश दिया जाता है। माल का आदेश देते समय माल का नाम, description, किस्म, मात्रा, मूल्य, पैंकिंग का ढ़ग इत्यादि की जानकारी दे साथ यातायात कम्पनी का नाम, प्रेषण ढंग, भुगतान की शर्तों आदि का भी आदेश पत्र में History कर देना चाहिए।

    4. आदेश की स्वीकृति-

    माल भेजने का आदेश प्राप्त होने के बाद विक्रेता उसका भली-भॉंति अध्ययन करता है यदि आदेश की All शर्तें उचित जान पड़ती हैं तो व इस आदेश को स्वीकृत कर लेता है तथा इसकी स्वीकृति की सूचना क्रेता को देता है इसे आदेश की स्वीकृति कहते है। इसके मिलने पर क्रेता को यह विश्वास हो जाता है कि उसका आदेश सही स्थान पर पहुॅंच गया है माल शीघ्र ही रवाना होने जा रहा हे विक्रेता को स्वीकृत पत्र में आदेश पत्र की All सूचनाओं का History कर देना चाहिए।

    5. आर्थिक स्थिति की जानकारी-

    जब कोर्इ नया व्यापार विक्रेता से माल उधार मॅांगता है, तो विक्रेता को बड़ा सोच-विचार करना पड़ता है वह क्रेता की आर्थिक स्थिति, भुगतान करने की क्षमता, उसके व्यवहार आदि की जानकारी प्राप्त करना चाहता है, ताकि उस द्वारा भेजे गये माल की रकम डूबने न पाये साख पर माल दिये बिना व्यापार में वृद्धि भी नहीं की सकती इस दुविधा की स्थिति मे वह क्रेता को बडे़ विनम्र Wordों के पत्र लिखता है कि आपका हमारा First व्यवहार है, इस कारण कृपा कर आप अपने शहर के दो प्रतिष्ठित आदमियों के नाम व पते सम्पूर्ण हेतु भेजने का कष्ट करें, ताकि हम आपके बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकें इसी बीच हम को Singleत्रित एव पैंकिंग कर भेजने की व्यवस्था कर रहे है। विक्रेता अपने परिचित व्यापारियों तथा आदि को भी पत्र लिखकर उन्हें गोपनीयता का विश्वास दिलाकर जानकारी प्राप्त कर सकता है चैम्बर ऑफ कॉमर्स, व्यापारिक सूचना, भवनों, बैंकों, व्यापार हितकरी समितियों आदि से भी आर्थिक स्ििथति के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

    6. माल का Singleत्रीकरण And पैकिंग-

    जब विक्रेता ग्राहक की आर्थिक स्थिति से सन्तुष्टि हो जाता है, तो माल आदेशानुसार Singleत्रित करके पैकिंग व प्रारम्भ कर देता है माल को आदेशानुसार क्रेता के निर्देशो का पालन करते हुए भी भेजना चाहिए।
    उत्त्ाम पैकिंग Single मनोवैज्ञानिक विज्ञापन है अत: क्रेता के आदेशानुसार पैकिंग सुन्दर ढंग से चाहिए छोटे-छोटे पैकिंग होने पर उन्हें किसी बड़ी लकड़ी की पेटी में या टीन के बक्सों आदि में रख उसके भीतर की तरफ चारों ओर कागज, घास या थर्मोकोल आदि लगा देना चाहिए तथा बाहर की ‘‘सावधानी से रखें’’, ‘‘कॉंच का सामान’’, आदि लिख देना चाहिए, ताकि Windows Hosting Reseller से पहुच सके पैकिंग का ढंग माल की किस्म And भेजने के साधन पर निर्भर रहता है।

    7. माल भेजना-

    माल के पैकिंग का कार्य पूर्ण होने पर उसे भेजने व्यवस्था करनी पड़ती है माल को भेजने के लिए क्रेता के बताए हुए साधनों को अपनाना चाहिए क्रेता ने कोर्इ निर्देश न दिया हो, तो प्रचलित प्रथा के According माल भेजना चाहिए माल भेजने के साथ निम्मानुसार हो सकते हैं-

    1. स्थानीय माल- साइकिल, ठेले, कुलियों, रिक्शों आदि द्वारा भेजना उचित है।
    2. अधिक दूरी या भारी वजन के लिए- रेलवे या ट्रक द्वारा भेजा जा सकता है।
    3. कम वजन तथा मूल्यवान पार्सल्स- बीमा कराकर डाकघर द्वारा भेजना उचित रहता।
    4. कम दूरी के लिए- मोटर, ट्रक टेम्पों द्वारा शीघ्र भेजा जा सकता है।

      8. बीजक बनाना- 

      माल भेजने के बाद विक्रेता द्वारा भेजे गये माल का बीजक तैयार Reseller जाता है बीजक भेजे गये माल का description है, जिसमे माल की मात्रा, दर, माल का माल पर किए गए व्यय, दी गर्इ व्यापारिक छूट And भुगतान पर प्राप्त होने वाली छूट आदि की जानकारी दी जाती है बीजक दो प्रतियों मे बनाया जाता है यह निम्न उद्देश्यो के लिए बनाया जाता है-

      बीजक बनाने के उद्देश्श्य-

      1.  क्रेता के द्वारा चुकार्इ जाने योग्य रकम की गणना And सूचना देने के लिए 
      2. दिए गए की जानकारी के लिए 
      3. चुकाए गए व्यापारिक व्ययों की जानकारी देने हेतु 
      4. क्रेता को प्राप्त का मिलान करने के लिए 
      5. चुंगीकर आदि के भुगतान में सहायता देने हेतु 
      6. भुगतान व्यवस्था हेतु 
      7. क्रेता को विक्रय मूल्य निर्धारण करने हेतु। इस प्रकार छपे हुए फर्म पर उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विक्रेता बीजक तैयार कर क्रेता को देता है।

        9. माल भेजने की सूचना-

        आदेशित माल क्रेता को भेजने बीजक तैयार करने के बाद विक्रेता क्रेता को माल भेजने की सूचना Single पत्र द्वारा भेज देता है, जिसे साख पत्र कहते हैं इस सूचना पत्र के साथ माल भेजने के साधन की जानकारी तथा बीजक की Single प्रति संलग्न कर दी जाती है यदि माल रेल्वे द्वारा या यातायात संस्था द्वारा भेजा गया है, तो उनसे प्राप्त माल भेजने की रसीद भी इस सूचना के साथ संलग्न कर दी जाती है और यदि पूर्व निर्धारित शर्त के According या बिल्टी बैंक द्वारा या व्ही.पी.पी. से या डाक द्वारा भेजी जा रही हो तो इस आशय की जानकारी भी सूचना पत्र में दे दी जाती है।

        10. माल की सुपुर्दगी-

        माल भेजने की सूचना प्राप्त होते ही क्रेता का यह कर्त्त्ाव्य है कि वह निर्देशित स्थान, रेल्वे स्टेशन या यातायात कम्पनी में जाकर माल कब तक आने वाला है इस आशय की जानकारी प्राप्त करता रहे जैसे ही माल आ जावे उसकी तुरन्त ही सुपुर्दगी ले लेवे माल आने पर सुपुर्दबी यदि देर से ली जाती है, तो रेल्वे विलम्ब शुल्क तथा यातायात कम्पनियों के देर दण्ड वसूल करती है, जिससे क्रेता का अकारण ही नुकसान होता है।
        सुपुर्दगी लेते समय यदि माल में कोर्इ टूट-फूट दिखार्इ दे या पैकिंग टूटा हुआ हो, तो इसकी सूचना सुपुर्दगी लेने के पूर्व सम्बन्धित अधिकारी को दे देना चाहिए तथा इस आशय का उससे प्रमाण पत्र प्राप्त कर खुली सुपुर्दगी लेना चाहिए और क्षतिर्पूति के लिए आवश्यक कार्यवाही करना चाहिए इस सम्बन्ध में यदि विक्रेता की गलती हो,तो उसक भी तुरन्त सूचित करना अनिवार्य है।

        11. शिकयती पत्र-

        माल प्राप्ति के बाद क्रेता को आदेश पत्र के साथ माल का मिलान करना चाहिए यदि माल आदेशानुसार न हो, भाव कम या अधिक लगाया गया हो, माल कम निकला हो, खराब पैकिंग के कारण माल टूट-फूट गया हो, माल गलत किस्म का भेज दिया गया हो आदि, तो इसकी शिकयत तुरन्त विक्रेता से करना चाहिए यदि माल विक्रय योग्य स्थिति में न रहा हो, तो माल तुरन्त विक्रेता को वापिस करने के आशय का पत्र लिख देना चाहिए।
        यदि माल की हानि रेल्वे या यातायात कम्पनी की त्रुटि या लापरवाही के कारण हुर्इ हो, तो इनको सुचित कर विक्रेता को भी इस आशय की सूचना दे देना चाहिए।

        12. शिकायती पत्रो का निराकरण-

        शिकायती पत्र प्राप्त होते ही विक्रेता को तुरन्त शिकायतों के निराकरण सम्बन्धी कार्यवाही कर क्रेता को इसका उत्त्ार देना चाहिए यदि भाव अधिक लगाया गया हो या कोर्इ वस्तु भेजने से रह गर्इ हो, तो क्रेता को जमा की चिट्ठी भेज देना चाहिए यदि माल आदेशानुसार न भेजा गया हो या अधिक माल भेजा गया हो, तो माल वापिस ले लेना चाहिए तथा खेद प्रकट करते हुए पैंकिग व्यय का भार भी विक्रेता को स्वयं वहन करना चाहिए यदि माल नीची या हल्की किस्म का भेजा गया हो, तो थोड़ा बहुत क्रेता को कमीशन दे देना चाहिए।
        यदि क्रेता की शिकायत उचित न हो, तो नम्र भाषा में, मीठे Wordों मे ंक्रेता को वस्तु स्थिति से अवगत करा देना चाहिए।

        13. लेखा description-

        यदि क्रेता माल का भुगतान करने में विलम्ब कर रहा हो और आपको रकम ही Need हो, तो उसका हिसाब बनाकर खाते की नकल भेजकर उसे राशि भेजने का स्मरण पत्र लिख देना चाहिए।

        14. भुगतान-

        माल प्राप्त होते ही शर्तों के According भुगतान की राशि की व्यवस्था करके भेजना क्रेता का परम कर्त्त्ाव्य है यदि रकम अधिक है, तो बैंक ड्रॉफ्ट द्वारा तथा कम होने पर मनीऑर्डर या अन्य साधनों द्वारा शीघ्र भेज देना चाहिए।

        15. भुगतान प्राप्ति की रसीद-

        भुगतान पा्रप्त होते ही विक्रेता को छपी हुर्इ रसीद रेवेन्यू स्टेम्प सहित दुकान की मोहर लगाकर हस्ताक्षर करके भेज देना चाहिए।

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