सूचना समाज की अवधारणा, परिभाषा And प्रकृति

सूचना समाज से तात्पर्य ऐसे समाज से है-जहाँ सूचना का निर्माण, वितरण, हस्तांतरण, उपयोग तथा सुधार Single महत्वपूर्ण आर्थिक, राजनैतिक तथा सांस्कृतिक गतिविधि होती है। इस प्रकार के समाज में उत्पादन, Meansव्यवस्था और समाज में वृहद Reseller में सूचना तकनीक की केन्द्रीय भूमिका होती है। सूचना समाज को औद्योगिक समाज का ही विकसित स्वReseller समझा जाता है। इस प्रकार की अन्य अवधारणाएँ पूर्व-औद्याोगिक समाज (डेनियल बेल) , आधुनिक समाज , ज्ञान समाज, टेलीमेटिक समाज, सूचना क्रांति तथा नेटवर्क समाज (मैन्युअल कॉस्टल्स) आदि से ही संयुक्त Reseller में सूचना समाज का निर्माण हुआ हैं।

First सूचना समाज की अवधारणा का विकास Meansशास्त्री – फ्रीट्ज़ मेचल्प द्वारा Reseller गया। उन्होंने अपने अध्ययनों में शोध कार्यों के लिए अपनार्इ जा रही प्रक्रिया का गहन अध्ययन कर पाया कि प्रत्येक प्रकार के कार्य में सूचना की उपयोगिता प्रबल है। साथ ही सूचना समाज को descriptionित करने हेतु विविध अवधारणाओं का उपयोग Reseller जा रहा था- यह अवधारणाएँ जैसे ज्ञान/सूचना Meansव्यवस्था, पूर्व-औद्योगिक समाज, पूर्व-आधुनिक समाज, सूचना समाज, नेटवर्क समाज, सूचना पूँजीवाद, नेटवर्क पूँजीवाद आदि।

वर्तमान में यह Single महत्वपूर्ण सामाजिक प्रश्न है कि हम किस प्रकार के समाज में रह रहे हैं तथा सूचना और तकनीक इस प्रकार के समाज में क्या भूमिका निभा रहे हैं। ये दोनो प्रश्न/पक्ष सूचना समाज/सूचना क्रांति के महत्वपूर्ण केन्द्रीय विषय हैं।

Single समाज जो कि अधिकतर नागरिकों के दैनिक जीवन में अधिकतर कार्यस्थलों और संगठनों में उच्च स्तरीय सूचना गहनता लिए हुए हो तथा उपयुक्त तकनीकों के उपयोग से वृहद स्तर के व्यक्तिगत सामाजिक, शैक्षणिक तथा व्यपार गतिविधियों तथा बिना किसी स्थान की दूरी से जल्द से जल्द डिजिटल डाटा के हस्तांरण प्रसारण प्राप्ति हेतु Single पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध करवाता हो, तथा नागरिकों के इस नवीन वातावरण में सूचना के समुचित प्रयोग हेतु उपयुक्त कौशल के विकास को भी प्रोत्साहीत करता हो।

सूचना समाज की परिभाषा

First 1962 में फ्रीट्ज़ मेचल्प ने ज्ञान उद्योग की अवधारणा को प्रस्तुत Reseller। उन्होने पाँच क्षेत्रों को ज्ञान के विविध क्षेत्रों के Reseller में पृथक Reseller-

– शिक्षा, शोध और विकास, मास मीडिया, सूचना तकनीक, सूचना सेवा- इन श्रेणियों के आधार पर गणना कर उन्होने बताया की 1959 में अमेरिका के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 29 प्रतिशत ज्ञान उद्योग द्वारा उत्पादित Reseller जाता है।इन तथ्यों के आधार पर सूचना समाज को ऐसे समाज के Reseller में परिभाषित Reseller जा सकता है जहाँ आधे से अधिक सकल घरेलू उत्पादन तथा आधे से अधिक कर्मचारी सूचना Meansव्यवस्था में सक्रिय रहते हैं।

पीटर डर्कर ने अपना मत प्रस्तुत करते हुए इसे समाज का हस्तांरण कहा है जिसमें उत्पाद/ वस्तुओं पर आधारित Meansव्यवस्था वाले समाज से सूचना तथा ज्ञान पर आधारित Meansव्यवस्था वाला समाज विकसित हो।

डेनियल बेल के According उन व्यक्तियों की संख्या जो सेवा और सूचना के उत्पादन में लगे हैं ,समाज के सूचनात्मक गुणों के द्योतक हैं। सूचना समाज में कच्चे माल, उर्जा से ज्यादा सूचना की अहमियत होती है।

बेल पीटर ओटो और फिलिप सोनटेग (1985) के According सूचना समाज Single ऐसा समाज है, जहाँ कर्मचारियों द्वारा बहुलता में सूचना संबंधी कार्य Reseller जाता है जैसे:- उन्हे उर्जा और पदार्थ के बजाय सूचना, चिन्ह, आकृति, छायाचित्र के साथ अधिक कार्य करना होता है।

सूचना समाज का उदभव

पिछले कुछ दशक से सूचना उत्पादन का Single प्रमुख घटक बनकर उभरा है। सूचना Single उत्पाद में तब्दील हो चुकी है।पिछले कुछ वर्षों से नेटवर्क समाज की अवधारणा सूचना समाज में अधिक महत्वपूर्ण हो गर्इ है।सूचना समाज का Single महत्वपर्ण गुण उसके आधारभूत संCreation का नेटवर्क पर आधारित होना है। नेटवर्क सूचना समाज में तंत्रिका तंत्र की भूमिका अदा कर रहे हैं। कम्प्यूटर नेटवर्क तकनीकी आधार प्रदान करते हैं।जो संचार समन्वय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

स्टीहर के According सूचना समाज Meansव्यवस्था पदार्थों के बजाय मुख्यत: चिन्हों और सूचना के इनपुट पर अधिक निर्भर करती है। अल्विन टफ्लर ने भी ज्ञान/सूचना को सूचना समाज का मुख्य संसाधन माना है।

लयोटार्ड के मतानुसार पूर्व औद्योगिक समाज ने ज्ञान को आम जनता के पहुँच में ला दिया है, क्योकि सूचना और ज्ञान का केन्द्रीकृत स्वReseller/संCreation समूह से विकेन्द्रीकृत सूचना समूह में तब्दील हो गए हैं।

सूचना समाज पर गहन शोध And अध्ययन करने वाले विद्वानों द्वारा निम्नलिखित Wordावलियों का प्रयोग सूचना समाज को विस्तारित करने हेतु Reseller गया है-

  1. हस्तांरणीय नेटवर्क पूँजीवाद
  2. डिजिटल पूँजीवाद
  3. वर्चुअल पूँजीवाद 
  4. हार्इ-टेक पूँजीवाद

सूचना समाज में Single बात समान है जो इस बात पर जोर देती है कि ज्ञान, सूचना, तकनीक तथा कम्प्यूटर नेटवर्क समाज के पुर्ननिर्माण और वैश्वीकरण का Single प्रमुख आधार है। यह सूचना समाज Single नए साक्षरता मानक की माँग करता है, जो मात्र कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने भर के ज्ञान से अधिक गहनता लिए हो। नवीन साक्षरता में ज्ञान और सूचना के बीच भेद करने और बुद्धिमत्ता को ज्ञान से पृथक करने हेतु प्रचुर क्षमता की Need है। जिसने All व्यक्तियों की जीवन शैली में कम्प्यूटर तंत्र, तकनीकी उपकरण, सूचना का प्रयोग जैसे ज्ञान को प्राप्त करन,े उसका उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित Reseller। जिसने सूचना समाज के निर्माण में योगदान दिया है। हम प्रतिदिन सूचनाओं को रेडियो, टेलीवीजन, अखबार, किताबों, सूचना पटलों आदि जैसे किसी न किसी माध्यम से प्राप्त करते हैं और उनका उपयोग Needनुसार करते है, हमारी इसी Need से सूचना समाज का उदभव और विकास संभव हुआ है।

अभी तक सार्वभौमिक Reseller से मान्य अवधारणा का विकास नही हो सका है कि सूचना समाज में क्या शामिल है और क्या नही। अधिकतर विद्वान मानते हैं कि समाज की आधारभूत कार्यप्रणाली में जो बदलाव 1970 के आसपास से शुरू हुआ है, वर्तमान में हो रहा है और बदल रहा है। ये न तो सूचना तकनीक है और न इंटरनेट और मीडिया या उत्पादन का कोर्इ विशेष ढ़ंग है।

सूचना समाज की प्रकृति

  1. सूचना का हस्तांतरण:- सूचना समाज में सूचना का हस्तांतरण सरल और तकनीकों का वृहद प्रयोग कर Reseller जाता है। सूचना का तीव्र, प्रभावी, और उच्च तकनीकी पर आधारित हस्तांतरण सूचना समाज की महत्वपूर्ण गतिविधि होती है।
  2. सूचना की केन्द्रीय भूमिका:– सूचना समाज की प्रत्येक कार्यप्रणाली में सूचना केन्द्रीय भूमिका का निर्वाह करती है। अत: सूचना समाज का मुख्य संसाधन और मुख्य उत्पाद दोनो ही सूचना या सूचना से जुडे अन्य उपकरण ही होते है।
  3. सूचना का बहुलता से उत्पादन:- सूचना समाज में शोध, ज्ञान, अध्ययन, अनुसंधान जैसी गतिविधियाँ प्रमुख होती हैं, जो कि बहुलता से सूचना का उपयोग तथा उत्पादन करती हैं। सूचना का विविध प्रभावी Resellerों में उपयोग:- सूचना और तकनीक का उपयोग सूचना को सरलता से प्राप्त कर दैनिक कार्यों में Reseller जाता है। जो की समाज के विकास में सहायक होती है। 
  4. नेटवर्क की प्रभावी And सुदृढ़ व्यवस्था:- तकनीक और आपस में संबंधित इलेक्ट्रानिक उपकरणों का तंत्र सूचना समाज में सूचना के प्रभावी उपयोग का आधार होता है। अत: सूचना के हस्तांतरण हेतु सुदृढ़ नेटवर्क प्रणालियाँ ऐसे समाज का अभिन्न अंग होती है।
  5. सूचना का डिजिटल प्रयोग:- सूचना को अलग अलग माध्यमों से तीव्रता, Safty और सरलता से हस्तांतरित किए जाने हेतु विभिन्न स्वReseller में सूचना का निर्माण और संधारण Reseller जाता है। जिनमें सूचना को डिजिटल स्वReseller में Resellerांतरित कर प्रयोग Reseller जाना अथवा डिजिटल प्राReseller में निर्माण Reseller जाना सम्मिलित है।

सूचना समाज में कानून की Need

सूचना समाज के केन्द्रीय कार्यों में से Single, उसका सूचना की सुगमता से उपलब्धता, पुर्ननिर्माण,बौद्धिक सम्पदा से संबंधित विविध स्वतंत्रता/बंधन जैसी सुविधाएं ही विविध परेशानियों को बढावा देती है। मुख्यत: व्यवसाय और पूँजी जैसे सूचना तथा ज्ञान के उत्पादन और विक्रय जैसे कार्यों पर नियंत्रण की Need को जन्म देते हैं। अत: ऐसे नियंत्रणों And नियमों की Need है जो इस नवीन संसाधन के प्रभावी प्रबंधन और विक्रय में सहायक बन सके।

यद्यपि ऐसे नियमनों का संचालन और आरोपण सामाजिक और तकनीकी दोनो दृप्टिकोण से कठिन है। तकनीकी Reseller से क्योंकि आसानी से कॉपी प्रोटैक्टेड व्यवस्था अधिकतर/अक्सर आसानी से तोडी जाती है और सामाजिक Reseller से नकारी भी जाती है, क्योंकि सूचना समाज के उपयोगकर्ता/नागरिक ये साबित कर चुके हैं कि वे सूचना और आँकडों के पूर्णत: उत्पादीकरण को स्वीकार करने के इच्छुक नही हैं।

इस प्रकार के व्यवहार ने कानूनों और नियमों की वृहद श्रृंखला के निर्माण हेतु दबाव डाला है जिसका परिणाम ही डिजिटल मिलेनियम कॉपीरार्इट अधिनियम, सूचना हस्तांतरण नियम, साइबर लॉ, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 हैं। जिन्होने सूचना समाज में सूचना के Windows Hosting उपयोग को सफल बनाया है, जिससे ओपन सोर्स सूचनाओं के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहन और विविध सूचना उत्पादों का स्वतंत्र वितरण And विस्तारण संभव हो सके। आंशिक भुगतान या नि:शुल्क उपलब्ध सूचना के स्वतंत्र उपयोग, शोधन और साझा उपयोग करने में सहायता मिल सके। सूचना समाज पूर्व के औद्योगिक और कृषि प्रधान समाज से पूर्णत: विपरीत सूचना प्रधान समाज है। सूचना समाज के मुख्य उपकरण कम्प्यूटर और संचार साधन है। सूचना तकनीक और संचार में प्रगति ने हमारे जीवनशैली को बदल दिया है। सूचना समाज न केवल व्यक्तियों के संबंधों में बदलाव ला रहे हैं या प्रभावित कर रहे हैं बल्कि वे इस बात की जरूरत को भी प्रबल कर रहे हैं कि परम्परागत संगठनात्मक संCreation को अधिक लचीला होना चाहिए। अधिक भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए तथा अधिक विकेन्द्रीकृत होना चाहिए। वैश्विक सूचना समाज की धारणा को संचार माध्यमों की सहायता से विश्व के Single वैश्विक गाँव के स्वReseller में परिवर्तित होने के वृहद Reseller में देखा जाना चाहिए।

सूचना समाज में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर किये जाने वाले अपराधों का Single अलग आपराधिक समूह सक्रिय हुआ है। जिसमें अपराध करने वाले बौद्धिक शक्ति के धनी व्यक्ति होते हैं, और अपराध करने हेतु वे कम्प्यूटर, मोबार्इल जैसे र्इलेक्ट्रानिक उपकरणों का उपयोग करते है। उनका लक्ष्य ऐसे ही उपकरणों को नुकसान पहुँचाना अथवा अप्रत्यक्ष Reseller से इनके आधार पर किसी व्यक्ति या व्यवसाय के विरूद्ध अपराध करना होता है। इस प्रकार के अपराधों को कानूनी दायरों में लाने, इस प्रकार की प्रवृत्ति को प्रतिबंधित कर सूचना तकनीक के उचित प्रयोग हेतु कानूनी निर्देश प्रदान करने हेतु कानून की Need महसूस की गर्इ, इस हेतु पृथक कानूनी संCreation का निर्माण Reseller गया तथा पूर्व के कानूनों में भी यथास्थिति परिवर्तन किए गए।

1. कानूनी संCreation

आधुनिक समाज Single आधारभूत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है जहाँ औद्योगिक समाज जोकि 20वीं सदी की पहचान रहा है तीव्रता से 21 वीं सदी के सूचना समाज का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। यह प्रक्रिया हमारे प्रत्येक दैनिक पहलुओं पर विशेष प्रभाव डाल रही है जैसे ज्ञान वितरण, सामाजिक मेलजोल, आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियाँ, राजनैतिक पहलू, मीडिया, शिक्षा, स्वास्थ, सम्पन्नता और मनोरंजन। सूचना समाज दूरसंचार, ब्राडकॉस्टिंग, मल्टीमीडिया तथा सूचना And संचार तकनीक का उपयोग सेवाओं और वस्तुओं के उत्पादन में करता है अत: इस हेतु कानूनी संCreation केा लागू Reseller जाना अति आवश्यक है जिसमें राजनैतिक अनुबंध (पर्याप्त निवेश के प्रावधानों सहित), विस्तृत राप्ट्रीय नीतियों का निर्माण, पूर्व कानूनी प्रावधानों को अद्यतन कर Single समुचित कानूनी संCreation का निर्माण Reseller गया है।

समस्त स्तर पर, सूचना तथा संचार तकनीक के उपयोग को विकसित और प्रसारित करने, सांस्कृतिक भिन्नता की प्रतिष्ठा बनाए रखने, मीडिया की भूमिका को पहचानने, सूचना समाज के नीतिगत दृष्टिकोण को चिन्हांकित करने, इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग को बढाने हेतु Single अनुकूल वातावरण का निर्माण Reseller जाना आवश्यक है।

कानूनी संCreation

  1. कापीरार्इट अधिनियम 
  2. आर्इ.टी. Single्ट 2000 
  3. बौद्विक सम्पदा अधिकार
  4. सूचना का  अधिकार अधिनियम 2005

सूचना And संचार तकनीक से संबंधित कानूनी संCreation में सूचना के उचित उपयोग, न्यायोचित प्रतिस्पर्धा, मीडिया तथा बहुराष्ट्रीय संस्थाओं के Singleाधिकार को रोकने हेतु उपाय, दूरसंचार सेवाओं का विकेन्द्रीकरण जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं को सम्मिलित Reseller गया है। वर्तमान में पूर्णत: उदारीकरण वातावरण में खुले बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने हेतु सूचना तथा संचार कानून को पारदश्र्ाी रखा गया है।

कानूनी संCreation का प्रमुख सिद्धान्त सूचना, संचार , अद्योसंCreation तकनीक तक सामान्य जन की पहुँच को बढाना है। सूचना और तकनीक के उपयोग को अधिक Windows Hosting और सरल बनाना है। अत: इस संCreation को सूचना उपयोग के बाधक या नियंत्रक के Reseller में नही बल्कि नियमन And संरक्षण हेतु उपलब्ध उपाय के Reseller में देखा जा रहा है।

उपरोक्त कानूनी संCreation का निर्माण कर सूचना समाज में सूचना के प्रयोग को अधिक लोकप्रिय और Windows Hosting बनाए जाने की कानूनी व्यवस्था की गर्इ है। जिसके लागू करने पर ही र्इ-गवर्नेंस, र्इ-बैंकिंग, र्इ-व्यवसाय, जैसी सेवाओं के प्रयोग में विश्वास विकसित हो सका है। सूचना समाज की व्यवस्था को दृढता प्रदान करने हेतु नवीन कानूनों की श्रृंखला का निर्माण Reseller गया है तथा पूर्व के स्थापित कानूनों में भी नवीन कानूनों के आधार पर बदलाव किए गए हैं, जैसे Indian Customer दण्ड संहिता 1860, Indian Customer साक्ष्य अधिनियम 1872, बैंकर्स बुक साक्ष्य अधिनियम 1891 तथा रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अधिनियम 1934 जैसे नियमों में संशोधन कर सूचना तकनीक के प्रयोग को शामिल Reseller गया है।

सूचना से जुडे समस्त पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित कर व्यापक कानूनी संCreation का निर्माण Reseller जा चुका है। प्रत्येक स्तर पर सूचना के उपयोग को बढावा देने हेतु उचित व्यवस्था की जा चुकी है। परन्तु इस कानूनी संCreation के वातावरण में प्रत्येक स्तर पर सूचना के उत्पादकों और उसके उपभोक्ताओं के दायित्वों की पहचान की जाना भी अति आवश्यक है।

2. कानूनी दायित्व के स्तर

सूचना समाज और सूचना तकनीक के विकास द्वारा नवीन कार्यशैली में कुछ आधारभूत अधिकारों को प्रदान Reseller गया है तथा कुछ दायित्वों का आरोपण Reseller गया है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:-

  1. सूचना तक पहुँच का अधिकार (मुख्यत: सार्वजनिक सूचना) 
  2. संचार का अधिकार
  3. बौद्धिक स्वतंत्रता 
  4. पत्रव्यवहार की गोपनीयता 
  5. सूचना समाज के नागरिकों को निजता का अधिकार

जब सूचना And संचार तकनीकों को अमल में लाने की बात आती है तब विविध कानूनी निर्णयों और नियमनों को मात्र Single ही दृष्टिकोण से नही देखा जाना चाहिए। बल्कि विभिन्न स्तर पर नियमनों को लागू करने हेतु अलग-अलग सरोकार समूहों के दायित्वों को चिन्हांकित Reseller जाना चाहिए। समाज के All साझेदार- जनता, निजी क्षेत्र, सिविल समाज संगठन का संचार साधनों के विकास में सरोकार है तथा वे पूर्णत: इससे संबंधित निर्णयों में प्रत्येक स्तर – स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय में सहभागी है।

सूचना के उत्पादन से उसके वितरण तक सूचना के स्वReseller में कर्इ प्रकार से बदलाव होते है। सूचना के उत्पादन से उसके पुर्नउत्पादन तक कर्इ प्रक्रियाएं शामिल होती है, जैसे सूचना का निर्माण, स्वReseller परिवर्तन, संचार, संग्रहण, व्यवस्थापन, उपभोग, आदि। इन All प्रक्रियाओं में सूचना का उत्पादन करने वालों से उसका वितरण और उपयोग करने वाले समस्त समूहों पर कानूनी दायित्व उत्पन्न होता है, जो कि निम्नप्रकार हो सकता है :-

  1. सरकार का दयित्व :- किसी भी भौगोलिक संCreation में कार्यरत सरकारी तंत्र का प्रमुख कार्य सामाजिक लाभ को बढाना होता है। इस उद्धेश्य पूर्ति हेतु वह सामाजिक Needओं की दिशा में विकास कार्यों का नियोजन करती है। ऐसे में किसी सरकारी तंत्र का दायित्व आधारभूत तत्वों को पहचानने से संबंधित होता है, क्योंकि वे प्रत्येक प्रमुख सामाजिक न्याय, व्यवस्था, आदि के क्षेत्र से जुडे हुए हैं। जैसे कानून तथा नियमन अधिनियमों का विकास, आँकडों And सूचना का उत्पादन, जन सेवा प्रदान करना (सरकारी सेवाएँ, स्वास्थ, शिक्षा) लोक प्रशासन की व्यवस्था सुनिश्चित करना इत्यादि। सूचना समाज में सूचना के लाभकारी उपयोग को बढानें का दायित्व इस सरकारी तंत्र पर है, जिसके द्वारा जन सेवाओं से जुडी सूचनाओं का उत्पादन और उपयोग दोनो ही Reseller जाता है।
  2. निजी क्षेत्र का दायित्व :- सरकारी तंत्र के साथ ही निजी क्षेत्र द्वारा समाज की विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, तकनीकी गतिविधियों मे बराबरी की भूमिका होती है। तकनीकी हस्तांरण, सूचना Safty तथा विनियोग, ग्लोबल सेटेलार्इट नेटवर्क के प्र्रस्थापन जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्रों में निजी क्षेत्र ने प्रशंसनीय प्रदर्शन Reseller है। संचार सेवाओं की कम कीमत पर व्यापक Reseller से उपलब्धता निजी क्षेत्रों द्वारा शोध और विकास कार्यों को बढावा देकर उन्नत तकनीकों का विकास किए जाने से ही सुनिश्चित हो सकी है। अत: निजी क्षेत्रों का यह दायित्व है कि वे सूचना समाज में सूचना को Single उत्पाद स्वReseller उपयोग करने हेतु समुचित तकनीकों का विकास करें, इस हेतु कानूनी Reseller से सूचना की Safty हेतु लागू किए गए अधिनियम का विशेप Reseller से ध्यान रखें। सूचना प्रदाताओं का दायित्व:- सूचना के प्रदाताओं में हम लेखक, शोधकर्ता, मीडिया, सूचना वितरण तंत्र, सूचना केन्द्र, ग्रंथालय, आदि को शामिल करते हैं। क्योंकि इनकी सम्पूर्ण गतिविधियां सूचना से ही संबंधित होती है, अत: सूचना समाज के कानूनी व्यवस्था में इनका विशेष उत्तरदायित्व होता है। जिसमें सूचना के उत्पादन, अधिग्रहण, संचार, वितरण जैसे कार्यों में तृतीय पक्ष से जुडे विभिन्न अधिकारों का हनन न होने देने जैसे दायित्व शामिल हैं। उदाहरणस्वReseller कॉपीरार्इट अधिनियम के द्वारा सूचना के मालिक को प्रदान किए गए अधिकारों का दुResellerयोग न होने देना आदि।
  3. उपयोगकर्ताओं का दायित्व :- सूचना चक्र का Single प्रमुख बिन्दु सूचना का उपयोग करना है। सूचना का उपयोग करते समय उपयोगकर्ताओं द्वारा सूचना प्राप्ति के स्त्रोंतो का ध्यान तो रखा जाता है परन्तु उनका यह दायित्व है कि वे किसी व्यक्ति की बौद्धिक सम्पदा का दुResellerयोग करने से बचे Meansात अनाधिकृत Reseller से सूचना को प्राप्त करने अथवा उसकी प्रति तैयार करने से बचे। किसी मौलिक लेख, पाठांश के भाग को प्रयोग करते समय वे कॉपीरार्इट आदि का उल्लंधन न करें। उनका यह भी दायित्व है कि किसी की मौलिक कृति का प्रयोग करने से पूर्व अनुमति प्राप्त करें। किसी प्रकार की निजी जानकारी को हासिल करने अथवा उसका दुर्भावना से उपयोग न करें।
  4. सामान्य दायित्व :-
    1. वर्तमान में First सार्वभौमिक Reseller से विकसित वृहद सामान्य सिद्धान्तों/मूल्यों को सूचना समाज और साइबर स्पेस के विकास हेतु आरोपित करने की Need है।
    2. Humanाधिकार के सार्वभौमिक नियम द्वारा बतार्इ कानूनी व्यवस्था, आधारभूत स्वतंत्रता तथा लोकतांत्रिक सिद्धान्तों को लागू करने की Need है। 
    3. Humanाधिकार मुख्यत: निजता की Safty से संबंधित है। विचारों की स्वतंत्रता, विश्वास, अभिव्यक्ति, प्रेस तथा मीडिया, लोकतांत्रिक व्यवस्था में भागीदारी का अधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा और सांस्कृतिक अधिकारों की Safty से संबंधित है। 
    4. यू.एन. चार्टर के According सोवर्जिनिटी का अधिकार, सामुदायिक अखण्डता/Singleता, राजनैतिक स्वतंत्रता, कम से कम दबाव या हस्तक्षेप का मुख्यत: सूचना समाज में विकास सुनिश्चित Reseller जाना। 
    5. सामाजिक न्याय तथा समानता बनाए रखने का दायित्व।

3. सूचना समाज के बाधक

वर्तमान में सूचना समाज के संCreationत्मक व्यवस्था में कर्इ बाधाएँ हैं जिन पर विचार कर उनका समाधान खोजा जाना अतिआवश्यक है, ताकि सूचना समाज के उपयोगकर्ताओं के लिए सुचारू And सुव्यवस्थित सूचना साधनों की पहुँच सुनिश्चित की जा सके। ये बाधक तत्व निम्नलिखित हैं:-

  1. विनियोग की सीमा 
  2. डिजिटल शिक्षा 
  3. सूचना समाज के प्रभावपूर्ण उपयोग की क्षमता 
  4. पहुँच सुनिश्चित करना 
  5. Safty की कठिनार्इ 

निजता बनाए रखनापर्याप्त कानूनी उपचारों का निर्माण कर उन्हे प्रभाव में लाए जाने पर उपरोक्त बाधाओं को दूर कर सूचना समाज हेतु आधारभूत नियमन संCreation तैयार की जा सकती है। जिससे निम्न क्षेत्रों में विकास संभव हो सकेगा :-

  1. वर्चुअल अथर्व्यवस्था, र्इ-व्यवसाय, र्इ-वाणिज्य के क्षेत्र में 
  2. नेटवर्क Safty 
  3. सार्इबर अपराध, गैरकानूनी तथा क्षतिपूर्ण सामग्री से बचाव 
  4. बौद्धिक सम्पदा अधिकार बनाए रखने 
  5. लोक हित में सूचना तक पँहुच बढानें में तथा 
  6. वैज्ञानिक आँकडे और सूचनाओं की Safty करने हेतु।

सूचना समाज में सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने और Human सभ्यता के निरंतर विकास को जारी रखने हेतु विभिन्न अद्योसंCreationत्मक , सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक And तकनीकी सुधार Reseller जाना अतिआवश्यक है। प्रत्येक समाज में सामाजिक व्यवस्था के नियमन हेतु सामाजिक और काूननी नियमों का उपयोग Reseller जाता है, सूचना समाज में समाज के बदलते स्वReseller के अनुReseller कानूनी व्यवस्थाओं को लागू कर सूचना का समुचित उपयोग Reseller जा सकता है।

सूचना समाज की भावी संभावनाओं को ध्यान में रख कर वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन Reseller जाना आवश्यक है। बढतें साइबर अपराधों को रोकने हेतु न्यायिक व्यवस्था में बदलाव तथा व्यापारिक गतिविधियों को बढावा देने हेतु आर्थिक क्षेत्र की चुनौतियों के लिए विभिन्न स्तरों पर न्यायिक और कानूनी उपचारों को आरोपित करके ही इस समाज की नीव को मजबूत Reseller जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *