सामुदायिक संगठन का Means, उद्देश्य And सिद्धांत

सामुदायिक संगठन साधारण बोलचाल में सामुदायिक संगठन का अभिप्राय: किसी समुदाय की Needअें तथा साधनों के बीच समन्वय स्थापित कर समस्याओं का समाधान करने से है। सामुदायिक संगठन Single प्रक्रिया है। इस Reseller में सामुदायिक संगठन का तात्पर्य किस समुदाय या समूह में लोगों द्वारा आपस में मिलकर कल्याण कार्यो की योजना बनाना तथा इसके कार्यान्वयन के लिए उपाय तथा साधनों को निश्चित करना है किसी समुदाय से सम्बन्धित प्रक्रियांए अनेक प्रकार की हो सकती है अत: सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया का अभिप्राय केवल उस प्रक्रिया से है जिसमें समुदाय की “ाक्ति और योग्यता का विकास Reseller जाता है। सामुदायिक संगठन की प्रमुख परिभाशाओं का वर्णन यहाँ Reseller जा रहा है।

  1. मेकनील के According 1951ए :- ‘‘सामुदायिक संगठन Single कार्यात्मक या भौगोलिक क्षेत्र की समाज कल्याण Needओं और समाज कल्याण साधनों के बीच प्रगतिशील And अधिक प्रभाशाली समायोजन लाने और उसे बनाये रखने की प्रक्रिया है इसके उदद्ेश्य समाज कार्य के उदद्ेश्यों के अनुReseller है क्योंकि इसका प्राथमिक ध्यान बिन्दु व्यक्ति की Needओं और इनको पूरा करने के उन माध्यमों का प्राविधान करना है। जो प्रजातांत्रिक जीवन के मूल्यों के अनुReseller हो।
  2. लिण्डमैन 1921 के According :- ‘‘सामुदायिक संगठन सामाजिक संगठन का वह स्तर है जिसमें समुदाय के द्वारा चेतन प्रयास किये जाते हैं तथा जिसके द्वारा वह अपने मामलों का प्रजातांत्रिक ढ़ंग से नियंत्रित करता है तथा अपने विशेषज्ञों ,जो संगठनों, संस्थाओं तथा संस्थानों से जाने-पहचाने अन्तर सम्बन्धियों के द्वारा उनकी उच्च कोटि की सेवायें प्राप्त करता है।
  3. पैटिट 1925 के According – ‘‘सामुदायिक संगठन Single समूह के लोगों की उनकी सामान्य आवयकताओं को पहचानने तथा इन Needओं की पूर्ति में सहायता करने के Reseller में उत्तम प्रकार से परिभाषित Reseller जा सकता है।’’
  4. सैण्डरसन एण्ड पोल्सन 1993 के According, ‘‘ सामुदायिक संगठन का उददेश्य समूहों तथा व्यक्तियों के मध्य ऐसे सम्बन्ध विकसित करना है जिससे उन्हें ऐसी सुविधाओं तथा समस्याओं का निर्माण करने तथा उन्हें बनाये रखने के लिए Single साथ कार्य करने में सहायता मिलेगी तथा जिसके माध्यम से समुदाय के All सदस्यों के समान कल्याण में अपने उच्चतम मूल्यों का अनुभव कर सके।
  5. डनहम (1948) के According, “ समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन का Means Single भौगोलिक क्षेत्र या कार्यक्षेत्र के समाज कल्याण संसाधनों में समायोजन लाने तथा बनाये रखने की प्रक्रिया से है”
  6. फ्रीडलैण्ड 1955 के According – ‘‘समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन को समाज कार्य की Single ऐसी प्रक्रिया कहकर परिभाषित Reseller जा सकता है। जिसके द्वारा Single भौगोलिक क्षेत्र के अन्दर समाज कल्याण Needओं And समाज कल्याण साधनों के बीच स्थापित Reseller जाता है’’।
  7. रौस 1956 के According – सामुदायिक संगठन के कार्यकर्त्ता द्वारा समुदायों की सहायता करने की Single प्रक्रिया कहा है। उनके According ‘‘ सामुदायिक संगठन Single प्रक्रिया है। जिसके द्वारा समाज कार्यकर्त्ता अपनी अन्र्तदृश्टि And निपुणता का प्रयोग करके समुदायों (भौगोलिक तथा कार्यात्मक) को अपनी-अपनी समस्याओं को पहचानने और उनके समाधान हेतु कार्य करने में सहायता देता है’’।

परिभाशाओं से स्पश्ट होता है कि सामुदायिक संगठन में सेवाथ्र्ाी समुदाय होता है। इसका प्रमुख उद्देश्य समुदाय की इस प्रकार सहायता करना होता है। जिससे वह अपनी सहायता स्वंय करने में समर्थ हो सके। इसकी प्रक्रिया उद्देश्य मूलक होती है। सामुदायिक संगठन की कार्यविधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों से अधिक समाजशास्त्रीय सिद्धांतों पर निर्भर करती है।

सामुदायिक संगठन के उद्देश्य

हार्पर And डनहम ने 1939 में नेशनल कान्फ्रेस ऑफ सोशल वर्क द्वारा नियुक्त की गर्इ लेन कमेटी द्वारा अपने प्रतिवेदन में दिये गये सामुदायिक संगठन के निम्नलिखित उद्देश्यों का History Reseller है।

(1) सामान्य उद्देश्य-

  1. Needओं की परिभाशा एंव खोज। 
  2. सामाजिक Needओं और अयोग्यताओं की रोकथाम और समाप्ति। 
  3. साधनों और Needओं का स्पश्टीकरण और बदलती हुर्इ Needओं को अच्छे तरीके से पूरा करने के लिए साधनों का पुन: समायोजन। 

(2) द्वितीयक उददेश्य- 

  1. ठोस नियोजन And प्रयास के लिए Single पर्याप्त वास्तविक आधार प्राप्त करना और उसको बनाये रखना। 
  2. कल्याणकारी कार्यक्रमों और सेवाओं को आरम्भ करना ,विकसित करना और उनमें आषोधन करना जिससे साधनों और Needओं के बीच समायोजन स्थापित Reseller जा सके। 
  3. समाज कार्य के स्तर को ऊँचा करना और व्यक्तिगत संस्थाओं के प्रभाव में वृद्धि करना। 
  4. परस्पर सबंधों में सुधार करना और उन्हें सुविधाजनक (सरल) बनाना और समाज कल्याण कार्यक्रमों And सेवाओं के प्रदान करने से संम्बन्धित संगठनों, समूहों और व्यक्तियों के बीच समन्वय लाने के लिए प्रोत्साहित करना। 
  5. कल्याण सम्बन्धी समस्याओं, Needओं और समाज कार्य उद्देश्यों, कार्यक्रमों और प्रणालियों के विशय में जनता में ज्ञान को विकसित करना। 
  6. समाज कल्याण सबंधी क्रियाकलापों के प्रति जनता का समर्थन और सहभागिता का विकास करना। 

सैण्डर्सन तथ पाल्सन के According, इसके विशिष्ट उद्देश्य हैं। 

  1. सामुदायिक पहचान की चेतना जाग्रत करना। 
  2. सम्पूर्ण Needओं की संतुष्टि करना। 
  3. समाजीकरण के साधन के Reseller में सामाजिक सम्मिलन की वृद्वि करना। 
  4. सामुदायिक आत्मा और भक्ति भावना द्वारा सामाजिक नियन्त्रण को प्राप्त करना। 
  5. संघर्ष को रोकने तथा कुषलता And सहयोग की वृद्धि के लिय समूह और क्रियाओं में समन्वय स्थापित करना।
  6. समुदाय की अवांछनीय प्रभावों अथवा परिस्थितियों से रक्षा करना। 
  7. सामान्य Needओं का पता लगाने के लिए अन्य संस्थाओं तथा समुदायों से सहयोग करना। 
  8. Singleमतता प्राप्त करने के साधनों का विकास करना। 
  9. नेतृत्व को विकसित करना। 

सामुदायिक संगठन के सिद्धान्त 

मेकनील ने सामुदायिक संगठन के सिद्धान्तों का History Reseller हैं:-

  1. समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन व्यक्तियों औंर उनकी अवययकताओं से सम्बन्धित हैं। 
  2. समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन में समुदाय Single प्राथमिक सेवाथ्र्ाी माना जाता है। यह समुदाय, पड़ोस, नगर जनपद या राज्य या देश या अन्र्तराष्ट्रीय समुदाय हो सकता है। 
  3. सामुदायिक संगठन में यह स्वयं -सिद्ध धारणा है कि समुदाय जैसा भी है, जहॉ भी है, उसे वैसा ही स्वीकार Reseller जाता है। समुदाय के वातावरण को समझना इस प्रक्रिया में अनिवार्य है
  4. समुदाय के All व्यक्ति इसके स्वा-अध्याय And कल्याण सेवाओं में रूचि रखते हैं समुदाय के All कार्यो और तत्वों द्वारा संयुक्त प्रयासों में भाग लिया जाना सामुदायिक संगठन में अनिवार्य होता है। 
  5. हर समय बदलती रहती Human Needएॅ और व्यक्तियों के आपसी सम्बन्धों की वास्तविकता ही सामुदायिक संगठन प्रक्रिया की गति मानी जाती है। सामुदायिक संगठन में इस उद्देश्य पूर्ण परिवर्तन को स्वीकार Reseller जाता है। 
  6. सामुदायिक संगठन में समाज कल्याण की All संस्थाओं और संगठनों की परस्पर निर्भरता को माना जाता है कोर्इ भी संस्था अकेले में उपयोगी नहीं हो सकती बल्कि दूसरी संस्थाओं के संन्दर्भ में ही कार्य करती है।
  7. समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन Single प्रक्रिया के Reseller में सामान्य समाज कार्य का ही Single भाग है। समाज कल्याण के लिए सामुदायिक संगठन के अभ्यास के लिये व्यावसायिक शिक्षा समाज कार्य शिक्षा संस्थाओं के माध्यम से ही अच्छे तरीके से दी जा सकती है। 

रॉस ने भी सामुदायिक संगठन के सिद्धान्तों का History Reseller है यह सिद्धान्त इस प्रकार है:-

  1. समुदाय में विधमान दषाओं के प्रति असंतोष के कारण संगठन का विकास। 
  2. विशेष समस्याओं के सन्दर्भ में इस असंतोष का केन्द्रित Reseller जाना और इसे संगठन, नियोजन और प्रयासों में बदलना। 
  3. असंतोष, जो सामुदायिक संगठन को आरम्भ करता है या जो इसे सजीव रखता है समुदाय के अधिक से अधिक सदस्यों द्वारा अनुभव Reseller जाता है।
  4. संघ/संस्था को ऐसे औपचारिक And अनौपचारिक नेताओं को अपने कार्यो में सम्मिलित करना जिनको समुदाय के प्रमुख उप-समूह स्वीकार करते हो।
  5. संघ/संस्था के उददेश्य And कार्यविधियों ऐसी हो जो सदस्यों को मान्य हो।
  6. संघ/संस्था के कार्यक्रमों में कुछ ऐसे भी क्रियाकलाप होने चहिए जो संवेगात्मक दृश्टिकोण विषय वस्तु लिए हो।
  7. संघ/संस्था को समुदाय में विधमान सद्भाव का प्रयोग करना चाहिए। 
  8. संघ/संस्था के अन्दर और अपने और समुदाय के बीच अच्छे संस्कारों को विकसित करना चाहिए।
  9. संघ/संस्था को समूहों में सहकारिता की भावना का विकास करना चाहिए। 
  10. संघ/संस्था को अपने संगठन और कार्यरीतियों को लचीला रखना चाहिए। 
  11. संघ/संस्था को अपने कार्यो की गति को समुदाय की विधमान दशाओं के अनुReseller रखना चाहिए। 
  12. संघ/संस्था को प्रभावशाली नेताओं का विकास करना चहिए।
  13. संघ/संस्था को समुदाय में अपनी सक्रियता स्थिरता और सम्मान को विकसित करना चाहिए।

सामुदायिक संगठन के अंग

सामुदायिक संगठन समाज कार्य की Single प्रणाली है, जिसके द्वारा कार्यकर्ता व्यक्ति को समुदाय के माध्यम से किसी संस्था अथवा सामुदायिक केन्द्र में सेवा प्रदान करता है, जिससे उसके व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास सम्भव होता है। इस प्रकार सम्पूर्ण सामुदायिक संगठन के कार्य तीन स्तम्भों पर आधारित है :-

  1. कार्यकर्ता 
  2. समुदाय
  3. संस्था 

(1) कार्यकर्ता – 

सामुदायिक संगठन कार्य में कार्यकर्ता Single ऐसा व्यक्ति होता है, जो उस समुदाय का सदस्य नहीं होता, जिसके साथ वह कार्य करता है। इस कार्यकर्ता में कुछ निपुणतायें होती हैं : जो व्यक्तियों को कार्यो, व्यवहारों तथा भावनाओं के ज्ञान पर आधारित होती है उसमें समुदाय के साथ कार्य करने की क्षमता होती है तथा सामुदायिक स्थिति से निपटने की शक्ति एंव सहनषीलता होती है उसका उद्देश्य सामुदाय को आत्मनिर्देशित तथा आत्म संचालित करना होता है तथा वह ऐसे उपाय करता है। जिससे समूह का नियंत्रण समुदाय-सदस्यों के हाथ में रहता है। वह सामुदायिक अनुभव द्वारा व्यक्ति में परिवर्तन And विकास लाता है। कार्यकर्ता को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है:-

  1. सामुदायिक स्थापना।
  2. संस्था के कार्य तथा उद्देश्य।
  3. संस्था के कार्यक्रम तथा सुविधायें।
  4. समुदाय की विशेषतायें।
  5. सदस्यों की संधियाँ, आवश्यक कार्य एंव योग्यतायें।
  6. अपनी स्वयं की निपुणतायें तथा क्षमतायें।
  7. समुदाय की कार्यकर्ता से सहायता प्राप्त करने की इच्छा।

सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता अपनी सेवाओं द्वारा सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। वह व्यक्ति को स्वतंत्र विकास And उन्नति के लिए अवसर प्रदान करता है तथा व्यक्ति को सामान्य निमार्ण के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है। वह सामाजिक सम्बन्धों के आधार मानकर, शिक्षात्मक तथा विकाSeven्मक क्रियाओं का आयोजन व्यक्ति की समस्याों के समाधान के लिए करता है।

(2) समुदाय – 

सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता अपने कार्य का प्रारम्भ समुदाय के साथ करता हैं और समुदाय के माध्यम से ही उद्देश्य की ओर अग्रसर होता है। वह व्यक्ति को समुदाय सदस्य के Reseller में जानता हैं तथा उसकी विशेषताओं को पहचानता है समुदाय Single आवश्यक साधन तथा यन्त्र होता है जिसको उपयोग में लाकर सदस्य अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हैं जिस प्रकार का समुदाय होता हैं कार्यकर्ता को उसी प्रकार की भूमिका निभानी पड़ती हैं। सामुदायिक कार्य इस बात में विष्वास रखता है कि समुदाय का कार्य निपुणता प्राप्त करना नहीं है बल्कि प्राथमिक उद्देश्य प्रत्येक सदस्य का समुदाय में अच्छी प्रकार से समायोजन करना है।

(3) संस्था – 

सामाजिक सामुदायिक कार्य में संस्था का विशेष महत्व होता है क्योंकि सामुदायिक कार्य का उत्पत्ति ही संस्थाओं के माध्यम से हुर्इ है। संस्था की प्रकृति एंव कार्य, कार्यकर्ता की भूमिका को निष्चित करते हैं। सामुदायिक कार्यकर्ता अपनी निपुणताओं का उपयोग एजेन्सी के प्रतिनिधि के Reseller में करता है क्योंकि समुदाय एजेन्सी के महत्व को समझता है तथा कार्य करने की स्वीकृति देता है। अत: कार्यकर्ता के लिए आवश्यक होता है कि वह संस्था के कार्यो से भली-भाँति परिचित हो। समुदाय के साथ कार्य प्रारम्भ करने से First कार्यकर्ता को संस्था की निम्न बातों को भली-भाँति समझना चाहिए:-

  1.  कार्यकर्ता को संस्था के उद्देश्यों तथा कार्यो का ज्ञान होना चाहिए। 
  2. संस्था की सामान्य विशेषताओं से अवगत होना तथा उसके कार्य क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए।
  3. उसको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि किस प्रकार संस्था समुदाय की सहायता करती है तथा सहायता के क्या-2 साधन के श्रोत हैं।
  4. संस्था में सामुदायिक संबंध स्थापना की दषाओं का ज्ञान होना चाहिए। 
  5. संस्था के कर्मचारियों से अपने संबंध के प्रकारों की जानकारी होनी चाहिए।
  6. उसको जानकारी होनी चाहिए कि ऐसी संस्थायें तथा समुदाय कितने है जिनमें किसी समस्याग्रस्त सदस्य को सन्दर्भित Reseller जा सकता है। 
  7. संस्था द्वारा समुदाय के मुल्यांकन की पद्धति का ज्ञान होना चाहिए। सामुदायिक एंव संस्था के माध्यम से ही समुदाय अपनी मूलभूत Needओं को संतुश्ट करते हैं तथा विकास की और बढ़ते हैं। 

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