सामंतवाद क्या था ? इसके पतन के कारण

सामंतवाद Single ऐसी मध्ययुगीन प्रKingीय प्रणाली और सामाजिक व्यवस्था थी, जिसमें स्थानीय King उन शक्तियों और अधिकारों का उपयागे करते थे जो सम्राट, King अथवा किसी केन्द्रीय शक्ति को प्राप्त होते हैं। सामाजिक दृष्टि से समाज प्रमुखतया दो वर्गों में विभक्त था- सत्त्ाा ओर अधिकारों से युक्त King और उसके सामंत तथा अधिकारों से वंचित कृशक और दास। इस सामंतवाद के तीन प्रमुख तत्व थे – जागीर, सम्प्रभुता और संरक्षण।

कानूनी Reseller से King या सम्राट समस्त भूमि का स्वामी होता था। समस्त भूमि विविध श्रेणी के स्वामित्व के सामंतों में और वीर सैनिकों में विभक्त थी। भूिम, धन और सम्पित्त्ा का साधन समझी जाती थी। सामंतों में यह वितरित भूिम उनकी जागीर होती थी। व्यावहारिक Reseller में इस वितरित भूमि के भूमिपति अपनी-अपनी भूमि में प्रभुता-सम्पन्न होते थे। इन सामंतों का King या सम्राट से यही संबंध था कि Need पड़ने पर वे King की सैनिक सहायता करते थे और वार्शिक निर्धारित कर देते थे। समय-समय पर वे भंटे या उपहार में धन भी देते थे। ये सामतं अपने क्षत्रे में प्रभुता-सम्पन्न होते थे और वहां शान्ति और Safty बनाये रखते थे। वे कृषकों से कर वसूल करते थे और उनके मुकदमें सुनकर न्याय भी करते थे।

इस सामतंवाद में कृशकों दशा अत्यतं ही दयनीय होती थी। कृशकों को अपने स्वामी की भूिम पर कृशि करना पड़ती थी और अपने स्वामी को अनेक कर और उपहार देना पड़ते थे। वे अपने स्वामी के लिए जीते और मरते थे। वे सामंतों की बेगार करते थे। सामंत और King के आखेट के समय कृशकों को हर पक्रार की सुविधा और सामग्रियां जुटाना पड़ती थी। कृशकों का अत्याधिक ॉााश्े ाण होता था। उनका संपूर्ण जीवन सामंतों के अधीन होता था। Single ओर कृशकों की दरिद्रता, उनका निरंतर ॉाोशण, उनकी असहाय और दयनीय सामाजिक और आर्थिक स्थिति थी, तो दूसरी ओर सामंतों की प्रभुता, सत्त्ाा, उनकी शक्ति, उनकी सम्पन्नता और विलासिता मध्ययुगीन यूरोप के समाज की प्रमुख विशेशता थी। मध्ययुग की राजनीतिक, सामाजिक And आर्थिक Needओं की पूर्ति हेतु सामंतवाद का प्रचलन हुआ था। कालांतर में सामतं वाद अपनी उपयोगिता खो बैठा। वह विकृत हो गया और समाज के लिए अभि’ााप बन गया।

सामंतवाद के पतन के कारण 

1. राजनीतिक कारण 

  1. पंद्रहवीं सदी में यूरोप में स्वतंत्र और शक्तिशाली राजतंत्रों की स्थापना हुर्इ। विभिन्न वर्गों के विशेशकर मध्यमवर्ग के सहयोग से King की सत्त्ाा और शक्ति में वृद्धि हुर्इ। King को अपनी सम्प्रभुता स्थापित करने के लिए King द्वारा प्रसारित सिक्कों के प्रचलन ने भी योगदान दिया। लोग निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करने लगे। King प्रत्यक्ष Reseller से अपने राज्य में विभिन्न प्रकार के कर भी लगाने लगा। King ने अपने अधीनस्थ नौकरशाही व्यवस्था सुदृ़ढ़ कर ली और प्रKingीय क्षेत्रों को सामंतों के प्रभाव से मुक्त कर लिया। इससे सामंतों की शक्ति को गहरा आघात लगा। 
  2. नवीन हथियारों तथा बारूद का आविष्कार – Kingओं ने अपनी स्वयं की सेनाएँ स्थापित की ओर उनको नवीन हथियारो, बंदूकों और बारूद से सुसज्जित Reseller। सांमतों की शक्ति के आधार उनके दुर्ग होते थे और उनके सैनिक धनुशवाण का उपयोग करते थे। किंतु अब King की सेना बंदूकों ओर तोंपों के गोलों की मार से दुर्ग की दीवारें सामंतों की Safty करने में असमर्थ थी। 

2. सामाजिक कारण 

सामतंवादी संस्थाओं और व्यवस्था के स्थान पर नवीन सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं का प्रारंभ हुआ। मुद्रण का अविष्कार, विद्या And ज्ञान की वृद्धि और जीवन तथा ज्ञान विज्ञान के प्रति नवीन दृष्टिकोण का प्रारंभ हुआ, समाज में नये सिद्धांतो विचारों और आदर्शों का युग प्रारंभ हुआ। सामाजिक दृष्टि से यूरोपीय समाज के संगठन And स्वReseller में परिवर्तन हुआ, व्यापार वाणिज्य की उन्नति व धन की वृद्धि के कारण नगरों में प्रभावशाली मध्यम वर्ग का उदय और विकास हुआ। अब कृशि प्रधान समाज का स्वReseller बदल गया और इसका स्थान धन-सम्पन्न जागरूक शिक्षित मध्यम वर्ग ने ले लिया।

3. धार्मिक कारण 

यूरोप में आरंभिक मध्यकाल में अनेक धर्म Fight हुए। इन धर्म Fightों में भाग लेने के लिए और र्इसार्इ धर्म की Safty के लिए अनेक सामंतों ने अपनी भूमि या तो बेच दी या उसे गिरवी रख दिया। इससे उनकी सत्त्ाा व शक्ति का अधिकार Destroy हो गया। अनेक सामंत इन धर्म Fightों में वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी भूमि पर Kingओं ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

4. आर्थिक कारण

  1. वाणिज्य व्यापार में वृद्धि – नर्इ भौगोलिक खोजों और समुद्री मार्गों की खोजों से यूरोप के वाणिज्य व्यापार में खूब वृद्धि हुर्इ। यूरोप के निवासियों को नये-नये देशों का ज्ञान हुआ और वे अन्य देशों से परिचित हो गये और उनसे व्यापार बढ़ा। पूर्व के देशों की विलास की वस्तुओं की मांग बढ़ने लगी। इससे विदेशों से व्यापार बढ़ा और नवीन व्यापारी वर्ग का उदय हुआ। कुछ व्यापारियों ने इतना अधिक धन कमा लिया कि वे सामंतों से अधिक धन सम्पन्न और वैभवशाली हो गये। वे सामंतों से हेय समझे जाने के कारण, सामांतों से र्इश्र्या करते थे और सामंतों के विरूद्ध King को सहयोग देते थे। 
  2. नवीन साधन – सम्पन्न नगरों का विकास – वाणिज्य, व्यापार, कलाकौशल और उद्यागे -धंधों के विकास के परिणामस्वReseller यूरोप में अनेकानेक नवीन कस्बों और साधन-सम्पन्न शक्तिशाली नगरों का विकास हुआ। इससे व्यापारियों और मध्य वर्ग की शक्ति ओर प्रभाव में वृद्धि हुर्इ। 
  3. व्यापारियों और सामंतों का संघर्श –व्यापारियों ने अपने उद्योग’धंधों की वृद्धि और विकास के लिए गांवों के कृशकों और कृशि दासों को प्रलाभ्े ान देकर नगरों में आकर बसने के लिए प्रेरित Reseller। यह सांमतों के हितों के विरूद्ध था। इसलिए व्यापारी वर्ग और सामतं वर्ग में परस्पर संघर्श सा छिड़ गया। King भी सामंतों के वर्ग से मुक्ति चाहता था। इसलिए उसने व्यापारियों के वर्ग का समर्थन Reseller। नया व्यापारिक वर्ग भी अपने व्यापारिक हित-संवर्धन के लिए King का समर्थन और संरक्षण चाहता था। ऐसी परिस्थिति में व्यापारियों ने Kingओं को सहयोग देकर सामंतों और शक्ति को कम करने में अपना योगदान दिया। 
  4. कृशकों के विद्रोह- सामंतों के ॉाोशण और अत्याचार से कृशक अत्याधिक क्षुब्ध थे। इसी बीच 1348 इर्. में आर्इ भीशण महामारी से बहतु लागे मारे गय।े इससे मजदरू ों और कृशकों की भारी कमी हो गयी। अधिक श्रमिकों की माँग बढ़ने से अधिक वेतन की मांग बढ़ी। फलत: खेतिहर मजदूरों और कृशि दामों ने अधिक वेतन ओर कुछ अधिकारों की माँग की। उन्होंने अपनी माँगों के समर्थन में विद्राहे किये। कृशकों के इन विद्रोहों का साथ शिल्पियों और निम्न श्रेणियों के कारीगरों और छोटे पादरियों ने दिया। यद्यपि कृशकों के ये विद्रोह दबा दिये गये पर अब कृशक सामंतों पर निर्भर नहीं रहे, क्योंकि वे गाँवों को छोड़कर नगरों की ओर मुड़ गए थे और वहाँ अपना जीवन निर्वाह करने लगे थे। इस प्रकार कृशकों के विद्रोह और ग्रामीण क्षेत्र से उनके पलायन ने सामंतवाद की नींव हिला दी।
  5. सामंतों का पारस्परिक संघर्श सामंत अपनी-अपनी सेना रखते थे। यदि Single ओर इन सेनाओं ने अपने सामत और King के देश की बाहरी आक्रमणकारियों से Safty की तो दूसरी ओर इन सेनाओं के बल पर सामंत परस्पर Fight भी करते थे। उनके एसे निरंतर संघर्शों और Fightों से उनकी शक्ति क्षीण हो गयी।

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