व्यवसायिक पर्यावरण का Means, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकृति, घटक And महत्व

व्यावसायिक पर्यावरण दो Wordों-व्यवसाय And पर्यावरण के संयोग से बना है। व्यवसाय, विद्यमान पर्यावरण में रहकर अपनी क्रियाओं को संचालित करता है। व्यवसाय को पर्यावरण प्रभावित करता है और व्यवसाय पर्यावरण को प्रभावित करता है। अत: दोनों ही अन्तर्सम्बन्धित हैं। वास्तव में व्यावसायिक पर्यावरण उन All परिस्थितियों, घटनाओं And कारकों का योग है जो व्यवसाय पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

व्यवसायिक पर्यावरण का Means 

व्यवसाय का शाब्दिक Means मनुष्य को व्यस्त रखने वाली क्रियाओं से है। Single महत्वपूर्ण तथ्य है कि व्यवसाय में उन्हीं Humanीय आर्थिक क्रियाओं को शामिल Reseller जाता है जो समाज की विभिन्न Needओं को पूरा करने के लिए की जाती है। खेलना-कूदना, खाना-पीना, यात्रा करना, विश्राम करना जैसी अनार्थिक क्रियाओं को व्यवसाय में शामिल नहीं Reseller जाता। मैकनॉटन ( Mc Naughton) के Wordों में, “व्यवसाय Word से तात्पर्य, पारस्परिक हित के लिए वस्तुअुओं, मुद्रा अथवा सेवाओं के विनियम से है।” व्यवसाय को परिभाषित करते हएु उर्विक ( Urwick) का कहना है, “यह Single ऐसा उपक्रम है जो समुदायों की Need की पूर्ति हेतु वस्तुओं या सेवाओं का निर्माण, वितरण तथा इन्हें उपलब्ध कराता है।” व्यवसाय को परिभाषित करते हुए एल.एच. हैने (L.H. Haney) ने लिखा है, “व्यवसाय से तात्पर्य उन Humanीय क्रियाओं से है जो वस्तुओं के क्रय-विक्रय द्वारा धन उत्पादन या धन प्राप्ति के लिए की जाती है।”

इन परिभाषाओं के निष्कर्ष स्वReseller स्पष्ट है कि “व्यवसाय से तात्पर्य वस्तुओं And सेवाओं के उत्पादन, वितरण And विनियम सम्बन्धी क्रियाओं से है जिनके फलस्वReseller उपभोक्ताओं And समाज की Needएँ पूरी होती है।”

व्यावसायिक पर्यावरण जटिल And अनियंत्रित बाह्य, आर्थिक, सामाजिक- सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा तकनीकी घटकों का योग है जिनके अन्दर Single व्यवसाय को कार्य करना पड़ता है। पर्यावरण ही व्यवसाय को नये आकार, नयी भूमिका तथा नये तेवर ग्रहण करने को बाध्य करता है।

व्यावसायिक पर्यावरण की परिभाषाएँ 

 व्यवसाय की समस्त क्रियाएँ राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, वैध् ाानिक, प्रौद्योगिकीय, नैतिक And सांस्कृतिक वातावरण या पर्यावरण के सन्दर्भ में निर्धारित होती है। इसलिए व्यावसायिक पर्यावरण के Means को भली-भाँति जान लेना अति आवश्यक हो जाता है। सामान्यत: व्यावसायिक वातावरण से तात्पर्य उन समस्त कारकों (factors) से होता है, जो व्यवसाय के संचालन को प्रभावित करती है। व्यावसायिक पर्यावरण की परिभाषा विभिन्न विद्धानों द्वारा निम्न प्रकार दी गयी है-

  1. डेविक ( Devic) के According, “व्यावसायिक वातावरण उन All परिस्थितियो, घटनाओं And कारकों का योग है जो व्यवसाय पर प्रभाव डालते हैं।”
  2. ग्लूक व जॉक (Gluek and Jouck) के Wordो में, “पर्यावरण में फर्म के बाहर के घटक शामिल होते हैं, जो फर्म के लिए अवसर And खतरा पैदा करते हैं। इनमें सामाजिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय व राजनैतिक दशाएँ प्रमुख हैं।”
  3. शॉल (Schoell) के कथनानुसुसार, “यह उन समस्त तत्वों का योग है, जिनके प्रति व्यवसाय अपने को अनावृत करता है तथा प्रत्यक्ष And परोक्ष Reseller से प्रभावित करता है।”
  4. रिचमैन And कोपन (Richman and Copen) के मतानुसार, “पर्यावरण में दबाव व नियन्त्रण होते हैं, जो अधिकांशत: वैयक्तिक फर्म And इसके प्रबन्धकों के नियन्त्रण के बाहर होते हैं।”

विभिन्न विद्धानों द्वारा व्यावसायिक पर्यावरण की दी गयी परिभाषाओं का अध्ययन And विश्लेषण के बाद बातें परिलक्षित होती है-

  1. व्यावसायिक पर्यावरण अनेक जटिल व अनियन्त्रित बाºय आर्थिक, सामाजिक, भौतिक And तकनीकी घटकों का योग है, जिसकी परिसीमा में व्यवसाय को संचालित करना होता है। 
  2. वातावरण या पर्यावरण ही व्यवसाय को नये आकार, नयी भूमिका, मान्यता व नये स्वReseller ग्रहण करने के लिए बाध्य करता है। 
  3. कोर्इ अकेली व्यावसायिक फर्म अपनी क्रियाओं या गतिविधियों द्वारा पर्यावरण को प्रभावित नहीं कर सकती है। 
  4. व्यवसाय के लिए पर्यावरण बाºय तत्व होते हैं।  
  5. नये अवसरों की खोज में पर्यावरण द्वारा व्यवसाय में प्रोत्साहन व नयी ऊर्जा का संचार होता है।
  6. विभिन्न व्यावसायिक फर्म अपनी सामूहिक क्रियाओं या गतिविधियों द्वारा पर्यावरण को प्रभावित कर सकती है। 
  7. व्यावसायिक पर्यावरण के परिवर्तन में व्यवसाय भी महत्वपूर्ण घटक होता है। 

इस प्रकार स्पष्ट है कि “व्यावसायिक पर्यावरण विभिन्न गतिशील, जटिल व अनियन्त्रित वाºय आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, भौतिक And तकनीकी घटकों का योग है, जिसके अन्दर ही रहकर व्यवसाय को कार्य करना पड़ता है।” यह वतावरण, व्यवसाय को नये आकार, प्रकार, स्वReseller, नयी चुनौतियाँ, नयी भूमिका, मान्यताएँ व नये तेवर ग्रहण करने को बाध्य करता है। भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में नये व सर्वोत्तम अवसरों की खोज के वातावरण से व्यवसाय को प्रोत्साहन व Single नयी ऊर्जा प्राप्त होती है। साथ ही साथ व्यवसाय भी वातावरण के परिवर्तन में अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक सिद्ध होता है।

किसी भी व्यवसायी को आर्थिक क्षेत्र में अनेक आर्थिक निर्णय लेने होते हैं, जिसमें उत्पाद का आकार-प्रकार, उत्पाद की किस्म, मूल्य, लागत, संCreation, उत्पाद प्रणाली, वितरण श्रृंखला (distribution channel), पूँजी प्रबन्धन, आय प्रबन्ध् ान आदि प्रमुख होते हैं। खुली या स्वतन्त्र Meansव्यवस्था में इस प्रकार के निर्णय व्यवसाय के स्वामी द्वारा स्वयं लिये जाते हैं, जबकि बन्द Meansव्यवस्था (closed economy) में ऐसे निर्णय सरकार द्वारा लिये जाते हैं। व्यवसायी वर्ग व्यावसायिक निर्णय, गतिशील वातावरण तथा भविष्य के वातावरण को ध्यान में रखकर लेता है। व्यवसाय की समस्त क्रियाएँ, राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक, राजैनतिक, वैधानिक, प्रौद्योगिकीय, नैतिक व सांस्कृतिक वातावरण के सन्दर्भ में निर्धारित होती है। Single सतर्क And जागरूक व्यवसायी या साहसी अपने परिवेश या वातावरण या पर्यावरण की उपेक्षा नहीं करता है, बल्कि व्यावसायिक परिवेश या पर्यावरण के समक्ष आने वाली बाधाओं, सीमाओं, अवसरों And चुनौतियों को स्वीकार करके सकारात्मक And सर्वोत्तम व्यावसायिक निर्णय लेता है।

व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषताएँ 

 व्यावसायिक पर्यावरण के Means And पहलुओं का अध्ययन करने के उपरान्त इसमें कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ परिलक्षित होती है। इन विशेषताओं को इन बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट Reseller जा सकता है-

  1. व्यावसायिक पर्यावरण मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं से सम्बन्धित होता है। 
  2. व्यावसायिक वातावरण क्षेत्र, देश या विश्व के भौगोलिक, सामाजिक, धार्मिक तथा राजनैतिक वातावरण से मुख्यतया प्रभावित होता है। 
  3. व्यवसाय का आर्थिक वातावरण सरकार की नीतियों, निर्णय या नियमों द्वारा निर्धारित होता है। 
  4. व्यावसायिक वातावरण पर आधारभूत सुविधाओं (बिजली, पानी, परिवहन, संचार आदि) का प्रभाव पड़ता है। 
  5. जनता या उपभोक्ता का दृष्टिकोण भी व्यावसायिक वातावरण के निर्धारक तत्वों में शामिल होता है।
  6. समाज में धन या आय के वितरण का स्वReseller भी व्यावसायिक वातावरण पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालता है। 
  7. व्यावसायिक वातावरण आर्थिक विचारधारा जैसे- पूँजीवादी (Capitalistic), समाजवादी (Socialistic), साम्यवाद (Communistic) तथा मिश्रित (Mixed) Meansव्यवस्थाओं से भी प्रभावित होता है।
  8. नियोजित Meansव्यवस्था (Planned Economy) भी व्यावसायिक वातावरण की दशा And दिशा तय करने में सहायक होता है। 
  9. पूँजी उपलब्धता की सीमा भी व्यावसायिक वातावरण को तय करती है। 
  10.  किसी भी समाज में जनता का नैतिक मूल्य भी व्यवसाय के वातावरण की दिशा को तय करते हैं। 

इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यावसायिक वातावरण समाज में घटने वाली समस्त बड़ी घटनाओं से प्रभावित हो सकता है, जिसका प्रभाव किसी व्यवसाय पर सकारात्मक या नकारात्मक पड़ सकता है, जो व्यवसाय के आकार, प्रकार And सीमा पर निर्भर होता है।

व्यावसायिक पर्यावरण की प्रकृति And घटक 

 व्यावसायिक पर्यावरण अत्यन्त विशाल And जटिल है। यह विभिन्न घटकों का जालसूत्र होने के साथ-साथ प्रतिपल परिवर्तित होने की क्षमता भी रखता है। किसी भी व्यवसाय की प्रगति And विकास दो तत्वों पर निर्भर करता है- पहला व्यवसाय की अपनी किस्म (The quality of the business itself) तथा दूसरा बाºय परिवेश, जिसमें यह पोषित And विकसित होता है। व्यावसायिक वातावरण की व्यापकता को दृष्टिगत रखते हुए इसे आर्थिक, भौगोलिक, राजैनतिक, Kingीय, सामाजिक-सांस्कृतिक, विज्ञान And प्रौद्योगिकीय, वैधानिक And न्यायिक आदि घटकों में मुख्यतया विभाजित Reseller जा सकता है। इन प्रमुख घटकों का संक्षिप्त description निम्नलिखित है- 

1.  आर्थिक घटक 

ये घटक देश की आर्थिक घटनाओं से सम्बन्धित होते हैं। इनमें मुख्यतया निम्नलिखित आर्थिक घटक शामिल होते हैं-

  1. आर्थिक नीतियाँ (Economic policies)- किसी भी देश के सतुंलित आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार सुदृढ़ आर्थिक नीति बनाती है। ये आर्थिक नीतियाँ देश की आय में असमानता को कम करने, बेराजगारी दूर करने, संतुलित क्षेत्रीय विकास को प्राप्त करने, प्राकृतिक संसाधनों का उचित And अधिकतम विदोहन करने, गरीबी दूर करने, अधिकतम कल्याण And सामाजिक Safty प्रदान करने, आत्मनिर्भरता आदि प्राप्त करने के उद्देश्य से बनायी जाती है। साथ ही साथ देश में पूँजी निर्माण, विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि, विदेशी व्यापार में वृद्धि आदि को भी ध्यान में रखकर आर्थिक नीतियाँ तैयार की जाती है।
  2. माँग And पूर्ति (Demand andsupply) – किसी व्यवसाय का वातावरण उसकी बाजार में स्थिति से स्पष्ट होता है। इसमें व्यवसाय के उत्पाद या सेवा की समाज में कितनी माँग (demand) है? कब-कब माँग है? कितने मूल्य पर उचित माँग है? आदि महत्वपूर्ण है। यदि व्यवसाय की वस्तु या सेवा की माँग बाजार में प्रभावशाली है तो व्यवसाय की स्थिति संतोषजनक होगी। इसी प्रकार माँग के अनुReseller पूर्ति (supply) का भी होना आवश्यक होता है। यदि व्यवसाय अपने उत्पाद या सेवा की अच्छी माँग होने के बावजूद पर्याप्त And उचित पूर्ति करने में सक्षम नहीं है तो, इस व्यवसाय का आन्तरिक वातावरण संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है।
  3. पूँजी And विनियोग (Capital and investment )- किसी व्यवसाय में पूँजी And विनियोग की स्थिति (situation) And उपलबधता (availability) उसके वातावरण का Single महत्वपूर्ण घटक होता है। यदि किसी व्यवसाय में पूँजी And विनियोग की स्थिति व्यवसाय की Need के अनुReseller है, तो वहाँ व्यावसायिक वातावरण स्वस्थ And सकारात्मक होगा, विकास के अवसर उत्पन्न होंगे। इसके विपरीत स्थिति में अनेक व्यावसायिक जटिलताएँ विद्यमान हो सकती हैं।
  4. औद्योगिक प्रव्रृत्तियाँ ( Industrial trends )- यदि किसी देश की औद्योगिक प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तन जैसे- आधारित संCreation का निर्माण, उद्योगों का सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ता योगदान, भारी तथा पूँजीगत वस्तु के उद्योगों का विकास, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का तीव्र विकास, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का विकास, आयात प्रतिस्थापन, उद्योगों का विकास आदि संतोषजनक Reseller से हुए हैं, तो ऐसे देश में प्राय: व्यावसायिक वातावरण अच्छा होगा। इसी प्रकार किसी Single उद्योग की प्रवृत्ति भी व्यावसायिक वातावरण का महत्वपूर्ण घटक होती है।
  5. वित्तीय And आर्थिक दबाव (Financial and economic pressure )- यदि किसी देश में या किसी व्यवसाय में वित्तीय And आर्थिक दबाव की मात्रा अधिक है, तो वहाँ के उद्योगों पर भी दबाव पड़ता है, वह आर्थिक And वित्तीय दबाव ऋण पर ब्याज, अधिक लाभ And लाभांश, पूँजी वापसी, कर का भुगतान आदि के Reseller में पड़ सकता है। इन दबावों के बीच व्यवसाय को अपना कार्य संचालित करना पड़ता है। अत: ये वित्तीय And आर्थिक दबाव व्यावसायिक वातावरण के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  6. विनियोग And प्रवाह स्तर (Level and flow of Investment) – किसी देश में या किसी व्यवसाय के अन्दर स्वामी पँूजी (owner’s capitals), ऋण-पूँजी (borrowed capital), स्वामी पूँजी And ऋण पूँजी अनुपात, प्राप्त पूँजी, विनियोग या ऋण पूँजी की अवधि, पूँजी की लागत (cost of capital) आदि प्रमुख घटक होते हैं
  7. आयात And निर्यात (Import and export) – ऐसा व्यवसाय जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का है या जिसके लिए कहीं न कहीं से निर्यात And आयात की Need पड़ती है, उसमें आयात And निर्यात के अन्तर्गत आयात And निर्यात की मात्रा, समय, कीमत, उपलब्धता आदि महत्वपूर्ण घटक होते हैं।
  8. राजकोषीय And कराधान नीतियाँ (Flscal and taxation policy) – सरकार राजकोषीय And कराधान नीति के माध्यम से Single आरे व्यक्तिगत Meansव्यवस्था, व्यय And बचत क्रियाओं को नियन्त्रित करके आवश्यक कोष (धरनराशि) सरकारी खजाने (कोष) में जमा करती है वहीं दूसरी ओर अपनी व्यय नीति के द्वारा राष्ट्रीय कल्याण में वृद्धि के लिए प्राप्त धनराशि का वितरण करती है। राजकोषीय नीति का सम्बन्ध कर नीति, व्यय नीति, ऋणनीति, बजट निर्माण आदि से होता है। सरकार द्वारा इन क्रियाओं का उद्देश्यपूर्ण उपयोग आर्थिक स्थायित्व (economic stability), दु्रतगामी And पूर्ण रोजगार आदि प्राप्ति के लिए Reseller जाता है। यह राजकोषीय And कराधान नीतियाँ व्यावसायिक वातावरण के महत्वपूर्ण निध्र्धारक घटक होते हैं।
  9. मौद्रिक नीति (Monetary policy) – किसी भी देश की मौद्रिक नीति का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक विकास, अधिक रोजगार, मूल्यों में स्थिरता, अनुकूल भुगतान संतुलन, आय का समान वितरण आदि होता है। इन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए मुद्रा पर नियन्त्रण अति आवश्यक होता है। अत: मुद्रा से सम्बन्धित All प्रकार की अल्पकालीन And दीर्घकालीन नीतियाँ मौद्रिक नीति के अन्तर्गत आती है जिसमें मूल्य नियन्त्रण, ब्याज दर में परिवर्तन, सरकारी बजट, विनिमय दर, सार्वजनिक व्यय, वेतन वृद्धि, साख का नियमन, आयात-निर्यात नियन्त्रण आदि All आर्थिक कार्य इसकी नीति के अन्तर्गत शामिल होते हैं। मौद्रिक नीति द्वारा किसी भी देश का व्यावसायिक वातावरण काफी हद तक प्रभावित होता है, इसलिए यह व्यावसायिक वातावरण का प्रमुख आर्थिक घटक माना जाता है। 

2. भौगोलिक And पारिस्थितिक घटक 

भौगोलिक And पारिस्थितिक घटक के अन्तर्गत देश में विद्यमान प्राकृतिक संसाधन, पर्यावरण, जलवायु, स्थानाकृति, समुद्री And आकाशीय संCreation, भूगभ्र्ाीय संसाधन, चुम्बकीय And सौर ऊर्जा आदि सम्मिलित होते हैं। इनका संक्षिप्त description है-

  1. प्राकृतिक संसंसाधन (Natural resources) – देश के प्राकृतिक संसाधन व्यावसायिक वातावरण के महत्वपूर्ण And निर्धारक घटक होते हैं। इन घटकों में भूमि, हवा, जल आदि आते हैं।
  2. पर्यावरण (Environment)- पर्यावरण जिसमें जल, वायु तथा ध्वनि आदि आते हैं, ये घटक भी व्यावसायिक वातावरण के लिए महत्वपूर्ण है। यदि किसी क्षेत्र में इस प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण की मात्रा अधिक है, तो ऐसे उद्योग समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अत: पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए व्यवसाय का अनुज्ञापन  स्थापना And विकास आदि का निर्धारण होता है।
  3. जलवायु (Climate) – किसी भी देश की जलवायु व्यावसायिक वातावरण का प्रमुख निर्धारक घटक है। जलवायु के आधार पर भी अनेक व्यवसाय स्थापित And संचालित होते हैं। देश में जहाँ पर Single जैसी जलवायु रहती है, वहाँ अलग-अलग प्रकार के व्यवसाय सफल रहते हैं परन्तु वर्ष में विभिन्न जलवायु वाले क्षेत्रों में किसी Single ही प्रकार व प्रकृति के व्यवसाय सफल होते हैं। इस प्रकार यदि व्यवसाय जलवायु पर निर्भर करता है, तो ऐसी स्थिति में व्यवसाय की सफलता काफी सीमा तक जलवायु पर निर्भर होगी।
  4. समुद्री And आकाश्ीय संCreation (Structure of ocean and beacon) – किसी देश के व्यवसाय की उन्नति या विकास देश के समुद्री And आकाशीय संCreation पर निर्भर करता है। भारत जैसे देश जहाँ पर समुद्रीय तट या सीमा है, वहाँ पर देश के अनेक उद्योग विकसित हुए हैं तथा वह क्षेत्र भी आर्थिक Reseller से संपन्न हुआ है। आकाशीय संCreation से तात्पर्य देश की भौगोलिक स्थिति से है। यदि किसी देश की आकाशीय संCreation देश के उद्योग And व्यापार के अनुकूल है, तो वह देश औद्योगिक Reseller से विकसित होगा।
  5. भूगर्भीय संसाधन (Geological resources)- भूगर्भीय संसाधन का आशय जमीन के अन्दर या जमीन में पड़ी प्राकृतिक वस्तुओं से है, इसमें कोयला, अभ्रक, लोहा, हीरा, पेट्रोलियम, मैंगनीज, पत्थर, सोना, ताँबा, बाक्साइट, लिग्नाइट आदि खनिज प्रमुख है। देश में भूगर्भीय संसाधन All स्थानों पर समान Reseller से नहीं पाये जाते हैं। इन संसाधनों के मामले में बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल धनी प्रदेश है। अत: देश के जिन स्थानों पर जिन भूगर्भीय संसाधनों की प्रचुरता है, वहाँ उस संसाधन से सम्बन्धित व्यवसाय के विकास की सम्भावना अधिकाधिक रहती है। यही कारण है कि बिहार And झारखण्ड में कोयला उद्योग, मध्य प्रदेश में हीरा And पन्ना उद्योग विकसित हुए हैं। अत: भूगर्भीय संसाधन व्यावसायिक वातावरण का प्रमुख घटक है।
  6. चुम्बकीय And सौर ऊर्जा (Magnetic andsolar energy) – किसी देश में चुम्बकीय And सौर ऊर्जा वहाँ के व्यवसाय की दशा And दिशा का निर्धारक घटक हो सकता है क्योंकि कुछ ऐसे व्यवसाय होते हैं, जो चुम्बकीय And सौर ऊर्जा पर ही आधारित होते हैं। 

3. राजनैतिक व Kingीय घटक

किसी भी देश के व्यावसायिक वातावरण के निर्धारण में राजैनतिक व Kingीय घटक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन घटकों में मुख्यतया राजनैतिक व Kingीय व्यवस्था, आर्थिक व शासन प्रणाली, राजनैतिक दृष्टिकोण, प्रशासनिक संस्थाएँ, संवैधानिक व्यवस्था, देश की Safty आदि सम्मिलित किये जा सकते हैं। इन घटकों का संक्षिप्त description है-

  1. राजनैतिक व Kingीय व्यवस्था (Political and administrative arrangement) – इसके अन्तर्गत किसी देश की समस्त राजनैतिक व Kingीय व्यवस्था को शामिल Reseller जाता है। व्यावसायिक वातावरण देश की राजनैतिक स्थिरता, व Kingीय इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
  2. आर्थिक व शासन प्रणाली (Economic and administrative system) – किसी भी देश की आर्थिक And शासन प्रणाली यदि देश में अधिकाधिक औद्योगिक विकास चाहती है, तो आर्थिक And शासन नीति व्यवसाय के अनुकूल बनाती हैं And उन्हें Needनुसार आर्थिक सहायता And सुविधाएँ उपलबध कराती है। अत: किसी देश की आर्थिक And शासन प्रणाली उस देश के व्यावसायिक वातावरण के निर्धारक मुख्य घटक होते हैं।
  3. राजनैतिक दृष्टिकोण (Political approach) – वर्तमान वैश्वीकरण And भूमण्डलीकरण के दौर में व्यवसाय के विकास And विस्तार में देश का राजनैतिक दृष्टिकोण व्यावसायिक वातावरण का महत्वपूर्ण घटक साबित हुआ है। इस दृष्टिकोण में घरेलू उद्योगों के संरक्षण की सीमा, विदेशी या बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर छूट की सीमा, पड़ोसी या अन्य देशों से राजनैतिक सम्बन्ध आदि महत्वपूर्ण होते हैं, जो व्यावसायिक वातावरण के निर्धारण में महत्वपूर्ण घटक माने जाते हैं।
  4. प्रशासनिक संस्थाएँ (Administrative Institutions) – देश की विभिन्न प्रशासनिक संस्थाओं की कार्य प्रणाली, अधिकार, कार्यक्षेत्र And उत्तरदायित्व आदि व्यावसायिक वातावरण के निर्धारक घटक होते हैं, जो व्यवसाय को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
  5. संवैधानिक व्यवस्था (Constitional arrangement) – देश की संवैधानिक व्यवस्था उस समाज के व्यवसाय के वातावरण का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत जैसे देश जहा की संवैधानिक व्यवस्था प्रजातान्त्रिक (Democratic) है, यहॉ व्यापार And व्यवसाय करने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। ऐसी परिस्थिति व्यावसाय को अनुकूल And स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराती है। यदि किसी देश मे संवैधानिक व्यवस्था कुछ लोगों के व्यवसाय के सन्दर्भ में होती है, तो यह निश्चित Reseller से व्यवसाय की दशा And दिशा के निर्धारण में महत्वपूर्ण होगी। अत: संवैधानिक व्यवस्था भी व्यावसायिक वातावरण का Single अभिन्न घटक माना जाता है।
  6. Safty व्यवस्था (Security arrangement) – देश की आन्तरिक Safty व्यवस्था केा ध्यान में रखकर देश के नीति नियम ऐसे हो सकते हैं, जो कुछ व्यवसायों पर प्रतिबन्ध लगा सकते हैं तथा Safty के विस्तार हेतु कुछ उद्योगों को संरक्षण दिया जा सकता है। इस प्रकार किसी देश की Safty व्यवस्था उस देश के व्यावसायिक वातावरण के निर्धारक तत्व हो सकते है। 

4. वैधनिक And न्यायिक घटक 

वैधानिक घटक के अन्तर्गत देश में व्यवसाय And समाज के हित में चलाये जा रहे विभिन्न नियम अधिनियम, सरकारी गजट, आदि आते हैं, जबकि न्यायिक घटक के अन्तर्गत व्यवसाय And समाज के हितों की रक्षा के लिए विवादों का समाधान करने के उपरान्त विभिन्न न्यायालयों द्वारा दिये गये निर्णय शामिल होते हैं। वैधानिक And न्यायिक घटक के अन्तर्गत मुख्यत: व्यावसायिक, औद्योगिक व श्रम सन्नियम शामिल होते हैं व प्रशासन व्यवस्था, व्यावसायिक, औद्योगिक व श्रम अधिनियम या सन्नियम के अन्तर्गत सरकार द्वारा समय-समय पर पारित अधिनियम जैसे – Indian Customer संविदा अधिनियम (Indian Contract Act), 1872, Indian Customer कम्पनी अधिनियम (Indian Companies Act), 1956; वस्तु विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930, Indian Customer साझेदारी अधिनियम (Indian Partnership Act),1932, उद्योग विकास And नियमन अधिनियम (Industry Development and Regulation Act), 1951, Singleाधिकार And प्रतिबंधित व्यापार व्यवहार अधिनियम (MRTP Act 1969), प्रतिभूति प्रसंविदा नियमन अधिनियम (Securities Contract Regulation Act), 1956; Indian Customer कारखाना अधिनियम (Indian Factories Act), 1948; औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Dispute Act), 1947; कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, (Workmans Compensation Act), 1923; मजदूरी भुगतान अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, व्यापार And वस्तु चिन्ह अधिनियम आदि प्रमुख हैं जो देश की व्यावसायिक गतिविधियों को सुचारू Reseller से चलाने में सहायता करते हैं।

न्यायिक घटक के अन्तर्गत देश या समाज की ऐसी व्यावसायिक गति- विधियाँ जो समाज के हित में न्यायालय के हस्तक्षेप द्वारा समय-समय पर निण्र्ाीत की गयी हों, शामिल किये जाते हैं। ये न्यायिक घटक तभी लागू होते हैं, जब वैधानिक घटक किसी व्यावसायिक समस्या को हल करने में सक्षम होता है। न्यायिक घटक भविष्यलक्षी प्रकृति के होते हैं Meansात् Single बार निर्णय हो जाने पर समान वाद (sue) समस्या पर भविष्य में वही निर्णय लागू होते हैं। व्यावसायिक वातावरण वैधानिक And न्यायिक घटक के अधीन And नियन्त्रण में संचालित होता हैं। कोर्इ भी व्यवसाय इसका उल्लंघन नही कर सकता है। इस प्रकार वैधानिक And न्यायिक घटक किसी समाज के व्यवसाय का अत्यन्त महत्वपूर्ण And निर्धारक घटक होता है। 

5. विज्ञान And प्रौद्योगिकीय घटक 

बदलते व्यापारिक परिवेश में गलाकाट प्रतियोगिता के अन्तर्गत कोर्इ देश, Single व्यवसायी या व्यवसाय Second से आगे निकलने के लिए सदैव तत्पर रहता है जिसमें ये घटक व्यवसाय को नयी-नयी ऊँचाइयों पर पहुँचने में सक्षम होते हैं। विज्ञान And प्रौद्योगिकीय घटक के अन्तर्गत वैज्ञानिक शोध (Sciencific research), प्रौद्योगिकीय विकास, यान्त्रिकी, आणविक शक्ति (Atomic energy), सैटेलाइट सम्प्रेषण (Satellite communication), नाभिकीय शोध, आकाशीय शोध प्रयोगशालाएँ आदि प्रमुख हैं। इन घटकों के माध्यम से व्यावसायिक कार्यक्षमता And उत्पादन में वृद्धि के लिए व्यावसायिक गतिविधियों का बेहतर संचालन तथा नियन्त्रण सम्भव हो पा रहा है। इस प्रकार विज्ञान And प्रौद्योगिकीय घटक, व्यावसायिक वातावरण की दशा And दिशा तय करने के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक है। 

6. सामाजिक – सांस्कृतिक घटक 

व्यवसाय किसी भी देश के समाज या लोगों के बीच अपनी समस्त गतिवि धियों को संचालित करता है। अत: व्यवसाय को उस समाज के विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक घटकों जैसे-सामाजिक मूल्य, प्रथाएँ (customs), आस्थाएँ, धारणाएँ, सामाजिक व्यवस्था, भौतिकवाद, धर्म, संस्कार आदि प्रमुख Reseller से प्रभावित करते हैं। भारत जैसे देश जहॉ सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को सर्वोपरि रखा गया है, यहॉ पर कोर्इ भी व्यवसाय इन मूलयों की अनदेखी करके दीर्घकाल तक सफल नहीं हो सकता हैं। इस प्रकार किसी भी व्यवसाय इन मूल्यों की अनदेखी करके दीर्घकाल तक सफल नहीं हो सकता है। इन प्रकार किसी भी व्यवसाय के लिए यह आवश्यक है कि वह देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को बनाये रखते हुए स्थापित, संचालित And नियन्त्रित हो, ताकि उसको इन घटकों के विरोध का सामना न करना पड़े। अत: व्यावसायिक वातावरण को किसी समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक घटक प्रभावित And निर्धारित करते हैं। 

7. अन्य घटक 

किसी भी देश या समाज के व्यावसायिक वातावरण के घटक भी महत्वपूर्ण होते हैं – 

  1. जनसंख्या (Population)- इसके अन्तर्गत कुल जनसख्ं या वृद्धि दर, लिगं अनुपात, बच्चों, वयस्कों, व वृद्धों का अनुपात आदि महत्वपूर्ण कारक या घटक हैं।
  2.  शैक्षिक स्तर (Education level)- किसी समाज के शैक्षिक स्तर के अन्तर्गत शिक्षित लोगों की संख्या व प्रतिशत, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण का स्तर आदि घटक व्यावसायिक वातावरण के घटकों में शामिल है। 
  3. उपभोक्ता व्यवहार (Customer’s relations)- उपभोक्ता व्यवहार के अन्तगर्त उपभोक्ताओं की आदत, क्रय शक्ति, पसन्द आदि प्रमुख कारक आते हैं, जो किसी उत्पाद या सेवा के उपयोग के प्रति व्यवसाय को उत्साहित करने में सक्षम होते हैं। 
  4. अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियाँ (International powers)- इन शक्तियो के अन्तर्गत देश के बाहर शेष-विश्व की समस्त क्रियाएँ शामिल होती हैं, जो किसी देश के व्यवसाय के वातावरण के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे-Fight, मन्दी, तेजी, प्राकृतिक आपदाएँ आदि। 
  5. औद्योगिक शान्ति And संघ्ंघर्ष (Industrial peace and dispute)- किसी देश या समाज के अन्दर औद्योगिक शान्ति And संघर्ष की स्थिति व्यावसायिक वातावरण के निर्धारण का महत्वपूर्ण घटक हेाती है। इन घटकों में मुख्यतया औद्योगिक सम्बन्धें में मधुरता, सहयोग, अपनत्व की भावना, हड़ताल (strike), तालाबन्दी (lock-out)] विवाद आदि आते हैं। 

अत: स्पष्ट है कि व्यवसाय को सरलतापूर्वक And सफलापूर्वक संचालित करके कोर्इ भी देश या समाज अपना व्यावसायिक विस्तार And विकास तभी कर सकता है, जब वह व्यावसायिक वातावरण के प्रमुख घटकों का अध्ययन करके उसके अनुReseller अपने व्यवसाय को संचालित करता है। ये उपरोक्त घटक या तत्व देश के समस्त व्यवसायों से या किसी Single व्यवसाय से सम्बन्धित हो सकते हैं। साथ ही साथ यह आवश्यक नहीं है कि सम्पूर्ण घटक समस्त व्यवसायों या किसी व्यवसाय पर Single साथ लागू हों Meansात किसी व्यवसाय के लिए कुछ ही घटक महत्वपूर्ण हो सकते है। इस प्रकार स्पष्ट है कि जो भी घटक व्यवसाय से सम्बन्धित होते हैं, उनके द्वारा व्यवसाय प्रभावित होता है।

व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने वाले तत्व 

किसी भी व्यवसाय के सफलतापूर्वक संचालन के लिए उपयुक्त नियोजन, संगठन, अभिप्रेरण And नियन्त्रण की Need होती है। साथ ही साथ बाºय वातावरण की उपयुक्तता भी Indispensable होती है, परन्तु व्यवसाय की स्थापना से लेकर उसके उद्देश्य को पूरा करने तक कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो व्यवसाय को सकरात्मक (Positive) And नाकारात्मक (negative) दोनों या केवल Single प्रकार नकारात्मक या सकारात्मक Reseller से प्रभावित करते हैं। इसी सन्दर्भ में सम्पूर्ण व्यावसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वेां को दो प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है- First आन्तरिक तत्व (Internal elements), द्वितीय वाºय तत्व (external elements)।

1.  आन्तरिक तत्व 

आन्तरिक तत्व वे होते हैं, जो किसी संगठन के अन्तर्गत होते हैं, इन आन्तरिक तत्वों को व्यवसाय अपने पक्ष में कर सकता हैं, क्योंकि ये तत्व फर्म के नियन्त्रण में होते हैं। इन तत्वेां का शीर्षकवार विश्लेषण निम्नलिखित है-

  1. व्यापारिक आचार संहिता (Business code of conduct)- विभिन्न व्यवसायेां में व्यापारिक आचार संहिता विद्यमान रहती है। यह आचार संहिता समाज के हित को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा निर्मित And विनियमित की जाती हैं। इसके अन्तर्गत व्यवसाय को सुचारू Reseller से चलाने के लिए कानून, नियम व दिशा-निर्देश रहते हैं। यह आचार संहिता विभिन्न प्रकार की प्रकृति के व्यवसायेां के लिए भिन्न-भिन्न होती है। व्यवसाय को इन्हीं आचार संहिताओं की परिर्मिा में रहकर संचालित होना पड़ता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ये आचार संहितायें व्यवसाय के आन्तरिक तत्व को प्रभावित करती है।
  2. संस्था या व्यवसाय का वातावरण (Environment of institute or business)- किसी व्यवससाय के आन्तरिक वातावरण के अन्तर्गत उसके कारखाने का वातावरण बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने में सक्षम होता है। यदि कारखाने में पर्याप्त कच्चे माल की उपलब्धता, मशीनों का समुचित सदुपयोग, कम से कम क्षय व अपव्यय, श्रमिकों में आपसी भार्इचारा, पर्याप्त मजदूरी व बोनस, पर्याप्त कल्याण सम्बन्धी सुविधाएं, प्रबन्धन से अच्छे सम्बन्ध् ा आदि की स्थिति विद्यमान है, तो ऐसा वातावरण व्ययवसाय व कर्मचारियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, इसके विपरीत स्थिति होने पर संस्था के अन्दर तनाव, भय, अशान्ति, क्षमता का निम्न उपयोग आदि की स्थिति विद्यमान रहती है, जो नकारात्मक Reseller से प्रभावित करती है। अत: व्यवसाय का वातावरण सम्बन्धी तत्व व्यवसाय की दशा And दिशा दोनो तय करता है।
  3. व्यवसाय का  उद्देश्य  (Object of business) – विभिन्न व्यवसायों के उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं। कुछ व्यवसाय सफल होने के लिए छोटे-छोटे उद्देश्यों को निर्धारित करते हैं, जबकि कुछ बड़े उद्देश्य निर्धारित करते हैं। कुछ प्रबन्धक समयावधि के हिसाब से अल्पकालीन उद्देश्य निर्धारित करते हैं, जबकि कुछ दीर्घकालीन। कुछ व्यवसाय में Single निश्चित समय में विकास के कुछ लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं जबकि अन्य में कुछ, और इस प्रकार समग्र Reseller से कहा जा सकता है कि व्यवसाय के उद्देश्य व्यवसायिक वातावरण को प्रभावित करने वाले आन्तरिक तत्व होते हैं।
  4. व्यवसायिक And प्रबन्धकीय नीतियाँ (Business and managerial policies) व्यावसायिक And प्रबन्धकीय नीतियों का ढाँचा व प्राReseller व्यावसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों में से Single है। यदि व्यावसायिक And प्रबन्धकीय नीतियाँ केवल व्यावसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बनार्इ गयी हैं, जिसमें संगठन में हित रखने वाले अन्य पक्षकारों को महत्व नहीं दिया गया है, तो ऐसी नीतियाँ दीर्घकाल तक सफल नहीं हो पाती हैं। इसके विपरीत यदि ऐसी नीतियाँ संगठन में हित रखने वाले समस्त पक्षकारों के हितों को ध्यान में रखकर बनायी गयी हैं, तो सम्भव है, वे अल्पकाल में उतनी सफल न हों, परन्तु दीर्घकाल में निश्चित Reseller से सफल होंगी।
  5. श्रम-प्र्रबन्ध सम्बन्ध (Relation of labour management) श्रम तथा प्रबन्ध सम्बन्ध किसी संस्था के पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्व होते हैं। किसी संगठन में श्रमिक कार्य करने वाला तथा प्रबन्धक कार्य कराने वाला होता है। अत: यदि इनके मध्य तालमेल या अच्छे सम्बन्ध नहीं होंगे तो निश्चित Reseller से संगठन को लक्ष्य प्राप्त करना असम्भव हो जाता है। इसके विपरीत यदि इनके मध्य अच्छे सम्बन्ध हैं, तो कठिन से कठिन लक्ष्य आसानी से प्राप्त Reseller जा सकता है। इस प्रकार श्रम-प्रबन्ध सम्बन्ध किसी संगठन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
  6. संसाधनों की उपलब्धता (Avialability of resources) किसी भी संगठन का आन्तरिक तत्व उस संगठन को उपलब्ध Humanीय And आर्थिक संसाधनों की मात्रा, दर व प्राप्ति समय द्वारा प्रभावित होता है। यदि किसी संगठन में इन संसाधनों की उपलब्धता आसानी से And उचित मात्रा, उचित बाजार दर पर And उचित समय पर है, तो संस्था को लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाता है। इसके विपरीत यदि संस्था में इन संसाधनों का अभाव रहता है, तो संस्थागत लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार संसाधनों की उपलब्धता व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करती है।
  7. प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली (Management informationsystem)प्रबन्ध सूचना प्रणाली से तात्पर्य उस संCreation से है, जो प्रबन्धकों को उनकी समस्याओं के अभिज्ञान, विश्लेषण And समाधान में सहायता प्रदान करती है। इस प्रणाली द्वारा सही समय पर, सही व्यक्ति का, सही Reseller में, उपयुक्त सूचना प्रदान करके प्रबन्धक द्वारा सम्प्रेषण की समस्या को हल करने का प्रयास Reseller जाता है। यह सूचना प्रणाली जितनी मजबूत व कारगर होगी संगठन में निर्णयन सम्बन्धी प्रक्रिया उतनी ही सरल And आसान होती है। यदि संगठन में प्रबन्ध सूचना प्रणाली (MIS) कमजोर है, तो कोर्इ भी सूचना सही व्यक्ति तक सही समय पर नहीं पहुंच पायेगी जिससे संगठनात्मक लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल होगा। इस प्रकार ‘प्रबन्ध सूचना प्रणाली’ व्यवसाय के आन्तरिक वातावरण को प्रभावित करने वाला प्रमुख तत्व या घटक माना जाता है।
  8. व्यावसायिक विकास की सम्भावना (Possibility of business growth) – वर्तमान में चल रहे व्यवसाय के विकास की सम्भावना तथा विकास की अवधि भी व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने वाली घटक होती है। यदि व्यवसाय पुराना हो गया है तथा उसने विकास के चरम बिन्दु स्पर्श कर लिये हैं, तो व्यवसाय में गतिहीनता की स्थिति विद्यमान होगी और संस्था में उत्साह की कमी दिख सकती है। इसके विपरीत यदि व्यवसाय में विकास की अपार सम्भावनाएं विद्यमान हैं, तो ऐसी स्थिति में नयी ऊर्जा का संचार होता है, तथा संस्था से सम्बन्धित समस्त वर्ग विकास की उच्च रेखा स्पर्श करने के लिए तत्पर रहते हैं, जिससे समग्र सकारात्मक वातावरण विद्यमान रहता है। 

2.  बाह्य तत्व 

व्यावसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले बाह्य तत्व व्यवसाय के नियन्त्रण में नहीं रहते हैं। इन तत्वों के कुप्रभावों से बचने के लिए केवल कुछ ही उपाय किये जा सकते हैं। इन वाºय तत्वों का description निम्नलिखित है-

  1. व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्वी (Business competitior) व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्वी का सदैव यह प्रयास रहता है कि वह व्यावसायिक दृष्टिकोण से आगे निकल जाय। अत: यदि किसी व्यवसाय में कड़ी प्रतिस्पर्धा (competition) विद्यमान है तथा कर्इ प्रतिद्वन्द्वी हैं, तो ऐसी स्थिति में व्यवसायी को प्रति इकार्इ कम लाभ से ही सन्तोष करना पड़ता है। इसके विपरीत यदि प्रतिस्पर्धा कम या नहीं है, तो व्यवसाय में प्रति इकार्इ उत्पादन पर अधिक लाभ कमाने की सम्भावना रहती है। साथ ही साथ व्यावसायिक प्रतिद्वन्द्वी आर्थिक And व्यावसायिक Reseller से सुदृढ़ है, तो भी व्यवसाय पर असर पड़ता है। अत: स्पष्ट है कि व्यावसायिक प्रतिद्वन्दिता की सीमा, दृढ़ता आर्थिक स्थिति आदि तत्व व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं।
  2. ग्राहक (Customers) किसी भी व्यवसाय के लिए ग्राहक रीढ  की हड्डी के समान होते हैं, बिना ग्राहक के व्यवसाय की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। ये ग्राहक व्यवसाय से प्रत्यक्ष या परोक्ष Reseller से जुड़े होते हैं। ऐसे तत्व जो व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करते हैं, उनमें ग्राहकों की संख्या, क्रय शक्ति, क्रय की मात्रा, उधार या नकद लेने की प्रवृत्ति, उनका संस्था के प्रति विश्वास व व्यवहार आदि प्रमुख है।
  3. जनसंख्या (Population) कार्इे भी व्यवसाय प्राय: तभी उन्नति या विकास करता है, जब उसके ग्राहकों की संख्या अधिक हो, अत: ग्राहकों की अधिक संख्या के लिए पर्याप्त जनसंख्या का होना आवश्यक है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से अधिक जनसंख्या व्यवसाय के लिए लाभप्रद होती है। इसके विपरीत यदि किसी क्षेत्र में जैसे-पहाड़, जंगल, नदी, समुद्र, पठार आदि अधिक हैं तथा जनसंख्या नाम मात्र की है, तो वहाँ व्यावसायिक गतिविधियाँ संकुचित And कम होंगी। इस प्रकार जनसंख्या सम्बन्धी तत्व व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करते हैं।
  4. विपणन श्रृंखला (Marketing channel) विपणन श्रृंखला से आशय उत्पादक से उपभोक्ता तक वस्तु या सेवा को पहुंचाने वाले मध्यस्थों (middlemen) से है। यदि किसी व्यवसाय में मध्यस्थों की संख्या अधिक है, तो निश्चित Reseller से वस्तु या सेवा की कीमत अधिक होगी। इसके विपरीत कम मध्यस्थ की दशा में वितरण लागत कम होती है, जिससे कुल लागत भी कम आती है। अत: यह विपणन या वितरण श्रृंखला व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने के लिए महत्वपूर्ण तत्व सिद्ध होती है।
  5. तकनीकी स्थिति (Technicalsituation) व्यावसायिक वातावरण में तकनीक के प्रयोग की सीमा तथा Need भी व्यावसायिक वातावरण के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि देश या समाज तकनीकी Reseller से सुदृढ़ है, तो वहां व्यावसायिक वातावरण पिछड़े तकनीकी क्षेत्र से भिन्न होगा तथा व्यवसाय गलाकाट प्रतियोगिता की स्थिति में निपटने में सक्षम होगा, जिससे व्यवसाय के विकास And विस्तार के मार्ग प्रशस्त होंगे।
  6. राजनैतिक, Kingीय And प्रशासनिक वातावरण (Political, Governmental and Administrative environment) किसी देश की राजनीति, सरकार, प्रशासन तथा व्यवसाय के बीच होने वाली गतिविधियाँ व्यवसाय की कार्य प्रणाली को प्रभावित करती हैं। व्यवसाय की अनेक संCreationओं का जन्म राजनैतिक निर्णयों के कारण होता है, कर्इ बार ऐसे राजनैतिक निर्णय होते हैं, जो व्यवसाय की समृद्धि में सहायक होते हैं। परन्तु कुछ व्यावसायिक निर्णय ऐसे होते हैं, जो व्यवसाय की पूरी दिशा ही बदल देते हैं। ये राजनैतिक निर्णय अनेक कारणों से प्रभावित व शासित होते हैं। इनमें विचारधाराएं, चिन्तन, जनकल्याण, जनसेवा, राजनैतिक दबाव, अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव/दबाव, स्वार्थ भावना, समूह विशेष का दबाव राष्ट्रीय Safty And Singleता तथा राष्ट्रहित आदि प्रमुख हैं। Kingीय तथा प्रशासनिक वातावरण से परिचित होना अत्यन्त आवश्यक होता है, क्योंकि यही तत्व व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करते हैं।
  7. आर्थिक वातावरण (Economic environment) किसी देश के आर्थिक वातावरण के अन्तर्गत आने वाले तत्वों व व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने वाले तत्वों में कृषि नीति, औद्योगिक नीति, व्यापार नीति, मौद्रिक And राजकोषीय नीति, आर्थिक संCreation, बचत And विनियोग (निवेश) नीति, सरकार की आर्थिक भूमिका, विदेशी पूंजी आदि प्रमुख हैं।
  8. कानूनी वातावरण (Legal environment) कानूनी वातावरण का निर्माण देश द्वारा समाज के आर्थिक And सामाजिक लक्ष्यों, विचारधाराओं तथा मूल्यों के आधार पर निर्धारित होता है। विकासोन्मुखी व कल्याणकारी राज्य में उपभोक्ताओं, निर्धनों, बेरोजगारों, महिलाओं, बूढ़ों तथा अन्य जरूरतमन्द लोगों के हितों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किये जाते हैं। इसके लिए सरकार विभिन्न अधिनियमों And नियमों के माध्यम से व्यवसाय का संचालन करती है। अत: व्यवसाय भी इन्हीं परिसीमाओं के मध्य संचालित होता है। इस सम्बन्ध में प्रसिद्ध Meansशास्त्री आर्थरलेविस का कहना है कि ‘‘सरकार का व्यवहार आर्थिक क्रियाओं के प्रोत्साहन And हतोत्साहन द्वारा भी व्यवसाय की दिशा व दशा तय करने में महत्वपूर्ण Reseller से प्रभावित करने वाला तत्व है।
  9. अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण (International enviornment) अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण का सम्बन्ध विदेश नीति, विदेशी विनियम नीति, अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियाँ या समझौते, विदेशी आर्थिक मन्दी, संरक्षण नीति आदि से प्रमुख Reseller से है। ये तत्व किसी व्यवसाय या देश के व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित करने वाले तत्व होते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि व्यावसायिक वातावरण दो प्रमुख तत्वों या घटकों- आन्तरिक And वाºय से मिलकर बना है तथा यही तत्व व्यावसायिक वातावरण को सकारात्मक And नकारात्मक दोनों प्रकार से प्रभावित करते हैं। 

व्यावसायिक वातावरण का महत्व 

 व्यावसायिक वातावरण की उपयुक्तता किसी भी देश के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है। व्यावसायिक वातावरण Single ओर जहाँ देश की आर्थिक विकास, समृद्धि And रोजगार का मार्ग प्रशस्त करता है, वहीं दूसरी ओर यदि उपयुक्त व्यावसायिक वातावरण का अभाव है तो गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी And अशान्ति की स्थितियाँ सम्पूर्ण Meansव्यवस्था को झकझोर कर रख देती हैं। तीव्र बदलते आर्थिक, सामाजिक, कानूनी And राजनैतिक परिवेश का मूल्यांकन, पूर्वानुमान And इसके प्रभावों का निर्धारण करने के पश्चात ही किसी भी व्यवसाय द्वारा सफलतापूर्वक अपनी नीतियों And योजनाओं का निर्माण Reseller जा सकता है। इस प्रकार व्यवसाय And इसके प्रबन्धकों के साथ-साथ समाज के लिए व्यवसाय या प्रबन्धकों आदि के लिए व्यावसायिक वातावरण की महत्ता को इन शीर्षकों के माध्यम से भलीभांति समझा जा सकता है-

  1. व्यवसाय के आन्तरिक वातावरण की जानकारी (Understanding Internal environment of business) किसी भी व्यवसाय के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक होता है कि यह व्यवसाय प्रबन्धकों द्वारा बनायी गयी नीतियों And निर्देशों के अनुReseller संचालित हो। अत: व्यवसाय के पूर्वानुमान की नीतियों, लक्ष्यों, साधनों, योजनाओं, व्यूहCreationओं आदि की जानकारी के साथ-साथ इनमें हो रहे परिवर्तनों की भी जानकारी व्यवसाय (प्रबन्ध तन्त्र या स्वामी) के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है। अत: व्यावसायिक वातावरण में हो रहे नित नये परिवर्तन की जानकारी के लिए संगठनों द्वारा विकसित And आधुनिकतम प्रबन्धन सूचना प्रणाली (Management Informationsystem) का सहारा लिया जाता है।
  2. व्यवसाय की समस्याओंं And चुनौतियोंं का ज्ञान (Knowledge of problem and challenges of business) व्यवसाय के आन्तरिक वातावरण के माध्यम से व्यवसाय में उत्पन्न समस्याओं And नयी-नयी उत्पन्न चुनौतियों आदि के बारे में समय रहते पता चला जाता है। अत: व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन And विश्लेषण के बाद व्यवसाय में उत्पन्न इस तरह की आन्तरिक समस्याओं And चुनौतियों का सामना करने व समाधान खोजने के लिए प्रबन्धकों को विशेष कठिनार्इ का सामना नहीं करना पड़ता है।
  3. आर्थिक प्रणालियों का अध्ययन (Study of economic system) आर्थिक प्रणाली का स्वReseller Meansव्यवस्था में संलग्न व्यवसाय को प्रभावित करता है। विश्व की Meansव्यवस्थाएं पूंजीवादी, समाजवादी, साम्यवादी तथा मिश्रित Meansव्यवस्था के Reseller में पायी जाती हैं। इन All Meansव्यवस्थाओं की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, जो विभिन्न व्यवसायों को प्रतिकूल या अनुकूल Reseller से प्रभावित करती हैं। तीव्र बदलते आर्थिक परिवेश में जहां समाजवादी तथा साम्यवादी Meansव्यवस्थाएं, मिश्रित Meansव्यवस्था की तरफ अग्रसर हो रही हैं वहीं मिश्रित Meansव्यवस्थाएं, पूंजीवादी Meansव्यवस्था की ओर अग्रसर हो रही हैं। इसलिए इन परिवर्तनों के कारण व्यवसाय पूर्ण Reseller से प्रभावित होता है। इसलिए इन परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए व्यवसाय के सम्पूर्ण वातावरण का अध्ययन करना अति आवश्यक हो जाता है। इसलिए व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन के उपरान्त ही व्यवसाय आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही करने में सक्षम होता है।
  4. उत्पन्न होने वाले खतरों के प्रति सतर्कता (Being alert regarding impending trouble) वर्तमान वैश्वीकरण And भूमण्डलीकरण परिवेश या वातावरण के कारण वैश्विक Meansव्यवस्था में खुलापन विद्यमान होने लगा है। इस कारण विभिन्न वैश्विक Meansव्यवस्थाओं में जहां विकास की नयी-नयी ऊँचाइयाँ प्राप्त हुर्इ हैं तथा रोजगार And अन्य विभिन्न अवसर उत्पन्न हुए हैं, वहीं हर पल नयी-नयी चुनौतियों, खतरों व समस्याओं के उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। इनमें आर्थिक नीतियो, मांग And पूर्ति में कमी या वृद्धि, उपभोग की प्रवृत्ति, क्रय प्राथमिकताएं, प्रतिस्पर्धा आदि में होने वाले परिवर्तन व्यवसाय के लिए अनेकों चुनौतियाँ या प्रश्न खड़ा कर देते हैं। अत: इन परिवर्तनों के कारण किसी व्यवसाय में उत्पन्न होने वाले खतरों की जानकारी व समाधान व्यावसायिक वातावरण का अध्ययन And मूल्यांकन करके ही प्राप्त Reseller जा सकता है।
  5. सरकार की आर्थिक नीतियाँ (Economic Policies of Government)किसी भी देश की सरकारी नीति वहाँ के व्यावसायिक वातावरण का महत्वपूर्ण अंग होती है। सरकार द्वारा समयानुसार घोषित औद्योगिक नीति, (Industrial Policy), अनुज्ञापन नीति (Licencing policy), आयात-निर्यात नीति (Exim Policy), विदेशी विनिमय नीति (Foreign Exchange policy) मौद्रिक नीति (Monetary policy), राजकोषीय नीति (Fiscal policy) व कराधान नीति (Taxation policy) आदि व्यवसाय पर स्पष्ट And प्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं। अत: व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन And मूल्यांकन के द्वारा इन नीतियों का व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव को न्यूनतम करके अल्पकालीन And दीर्घकालीन योजनाएं मांगी जा सकती है।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं की दशा में (Impact of International events)वर्तमान व्यावसायिक क्षेत्र के वैश्विक होने के कारण विश्व की विभिन्न Meansव्यवस्थाओं पर अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं व इसके प्रभाव व्यवसाय पर पड़ने लगते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिवर्तनों से कोर्इ भी राष्ट्र व वहां का व्यवसाय प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। साथ ही साथ Meansव्यवस्थाओं में लिये जाने वाले निर्णय, अन्तर्राष्ट्रीय प्रभावों व संस्थागत And Kingीय दबावों से प्रभावित होते हैं, जिसका प्रभाव व्यवसाय पर पड़ता है। अत: व्यवसाय के स्थायित्व, अस्तित्व, लाभदेयता And प्रभावशाली कार्य प्रणाली के लिए अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं, प्रभावों व दबावों का अध्ययन व विश्लेषण Reseller जाना अत्यन्त आवश्यक होता है। यह सब कार्य व्यावसायिक वातावरण के माध्यम से सरलतापूर्वक सम्पन्न Reseller जा सकता है।
  7. अधिकतम लाभ प्रा्रा्राप्त करने की चाहत (Desire of getting maximum profit) वर्तमान व्यावसायिक परिवेश में व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना माना जाने लगा है। अत: अधिकतम लाभ प्राप्ति हेतु व्यवसायों के लिए आवश्यक हो जाता है कि वे अपने उत्पाद And सेवा की लागत को न्यूनतम करने के साथ-साथ सर्वोत्तम सेवा प्रदान करके अधिकतम लाभ कमायें। अत: इसके लिये व्यवसाय को उत्पादन से लेकर वितरण तक की समस्त पहलुओं या प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन And विश्लेषण करके सर्वोत्तम विकल्प And अधिकतम कुशलता प्राप्त करनी होगी। यह लक्ष्य व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन And मूल्यांकन के बाद ही प्राप्त हो सकता है।
  8. उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम या अनुकूलतम उपयोग (Maximum or optimum utilisation of available resources) किसी भी देश में उपलब्ध साधनों को मुख्य Reseller से दो भागों में बांटा जा सकता है- पहला प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources) तथा दूसरा-Humanीय संसाधन (Human Resources) देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन किसी व्यवसाय की प्रकृति, परिमाप And प्रगति निर्धारित करते हैं, जबकि Humanीय संसाधन व्यवसाय में अपनाये जाने वाली तकनीक, ज्ञान, उत्पादन, परिमाप, तकनीकें, औद्योगिक सद्भाव, प्रबन्धकीय कुशलता से काफी सीमा तक प्रभावित होती है। अत: व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन द्वारा यह ज्ञात हो जाता है कि किसी देश या व्यवसाय में उपलब्ध संसाधनों का कितना प्रयोग हो रहा है? यदि पूर्ण क्षमता प्रयोग नहीं हो पा रहा है तो भी इसको व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन द्वारा परिलक्षित Reseller जा सकता है।
  9. बाजार की परिस्थितियों का ज्ञान (Knowledge of market situations)किसी भी देश या समाज के व्यवसाय के लिए बाजार की संCreation And इसमें होने वाले परिवर्तनों की नवीनतम जानकारी रखना Indispensable हो गया है जिसमें वस्तुओं की मांग का सृजन, Singleाधिकारी प्रवृत्तियाँ, व्यापार चक्र (business cycle), लाभ प्रवृत्तियों के साथ-साथ सरकार द्वारा संचालित व्यावसायिक गतिविधियों, नियमों आदि की सही व पर्याप्त जानकारी रखना व्यवसाय के लिए अनिवार्य हो जाता है। इस प्रकार यह सब महत्वपूर्ण जानकारी व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन के उपरान्त ही स्पष्ट हो पाती है।
  10. दीर्घकालीन नीति या रणनीति के लिए (For long term policy or strategy) व्यवसाय के दीर्घकालीन लक्ष्य को ध्यान में रखकर व्यवसाय द्वारा दीर्घकालीन नीति या रणनीति का निर्माण Reseller जाता है। इसके लिए व्यावसायिक वातावरण के समस्त घटकों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना व्यवसाय के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है। इसमें भविष्य में माँग की प्रकृति व सीमा, व्यवसाय की उत्पादन क्षमता, उपभोक्ता की बदलती आदत आदि का विस्तृत अध्ययन Reseller जाता है। वर्तमान व्यावसायिक वातावरण में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सफलता की दर इसलिए अधिक है, क्योंकि ये कम्पनियाँ उत्पादन And वितरण की दीर्घकालीन नीति या रणनीति बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर होती हैं। अत: इस प्रकार की नीति या रणनीति का सफल निर्माण And सुचालन व्यावसायिक वातावरण के उचित अध्ययन And मूल्यांकन द्वारा ही सम्भव होता है।
  11. वैज्ञानिक And प्रौद्योगिकीय विकास की दशा में (Impact of Scientific and technological development) वर्तमान समय में व्यवसाय का सफल संचालन वैज्ञानिक And प्रौद्योगिकीय प्रयोग की सीमा पर अधिक निर्भर होने लगा है। व्यवसायों को नये उत्पादों, नये माडल तथा उत्पादन की नवीन तकनीकों को अपनाने के लिए नये नये प्रौद्योगिकीय विकास And वैज्ञानिक प्रगति की जानकारी रखना आवश्यक होता है। इस प्रकार के विकास की जानकारी व्यवासायिक वातावरण के अध्ययन And विश्लेषण करने के उपरान्त ही पायी जा सकती है। 

उपरोक्त बिन्दुओं के अन्तर्गत व्यावसायिक वातावरण के महत्व का अध्ययन करने के उपरान्त यह कहा जा सकता है कि किसी भी व्यवसाय के प्रवर्तन (formation) से लेकर उसके उत्पाद या सेवा के वितरण तक And उपभोक्ताओं या समाज की संतुष्टि के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि व्यवसाय अधिकतम कुशलता के साथ कार्य करे, जिसके लिए व्यावसायिक वातावरण या माहौल का पूर्ण ज्ञान आवश्यक हो जाता है।

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