वार्युमंडल की संरचनार्
- क्षोभमंडल
- समतार्प मंडल
- मध्य मंडल
- आयन मंडल
- बार्ह्य मंडल
(1) क्षोभमंडल :-
वार्युमंडल के सबसे नीचे वार्ले स्तर को क्षोभमंडल कहते हैं। यह परत भूमध्य रेखार् पर 18 कि.मी. तथार् धु्रवों पर 8 कि.मी. की ऊँचाइ तक फैली है। भूमध्य रेखार् के ऊपर क्षोभमंडल की मोटाइ अथवार् ऊँचाइ सर्वार्धिक होने क कारण संवहनीय धार्रार्ओं द्वार्रार् धरार्तल की उष्मार् को अधिक ऊँचाइ तक ले जार्नार् है। इस परत की ऊँचाइ बढने के सार्थ- सार्थ तार्पमार्न में कमी होती जार्ती है। तार्पमार्न 165 मीटर की ऊँचाइ पर औसत 1 अंश सेल्यिस के हिसार्ब से घटतार् जार्तार् है। इसे ‘सार्मार्न्य तार्प ह्रार्स दर’ कहते हैं। इस मंडल (परत) में धूल के कणों तथार् जलवार्ष्प की मार्त्रार् अधिक होने के कारण इस परत में सभी प्रकार के मौसमी परिवर्तन होते रहते है। इन परिवर्तनों के कारण पृथ्वी पर जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति एवं विकास होतार् है। इस परत में वार्यु कभी शार्ंत नहीं रहती। इसीलिए इस मंडल को क्षोभमंडल यार् परिवर्तन मंडल भी कहते हैं। वार्युयार्न चार्लक इस स्तर में हवार् के उच्छंखल झोकों के कारण वार्युयार्न उड़ार्नार् पसंद नहीं करते।
(2) समतार्प मंडल :-
क्षोभमंडल के ऊपर समतार्प मंडल स्थित है। क्षोम मंडल और समतार्प मंडल के बीच एक पतली परत है। जो दोनों मंडल को अलग करती है जिसे क्षोभसीमार् कहते हैं। यह एक संक्रमण क्षेत्र है जिसमें क्षोभमंडल और समतार्प मंडल की मिली-जुली विशेषतार्एॅं पार्यी जार्ती हैं। समतार्प मंडल की धरार्तल से ऊँचाइ लगभग 50 किमी. है। इस परत के निचले भार्ग में 20 किमी. की ऊँचाइ तक तार्पमार्न लगभग समार्न रहतार् है। इसके ऊपर 50 किमी. ऊँचाइ तक तार्पमार्न क्रमश: बढ़तार् है। इस परत के ऊपरी भार्ग में ओजोन परत होने के कारण ही तार्पमार्न बढ़तार् है। इसमें वार्यु की गति क्षैतिज होती है। इसी कारण यह परत वार्युयार्नों की उड़ार्नों के लिए आदर्श मार्नी जार्ती है।
(3) मध्य मंडल :-
समतार्प मंडल के ऊपर वार्युमंडल की तीसरी परत होती है, जिसे मध्य मंडल कहते हैं। धरार्तल से इसकी ऊँचाइ 80 किमी. तक है। इसकी मोटाइ 30 किमी. है। इस मंडल में ऊँचाइ के सार्थ तार्पमार्न फिर से गिरने लगतार् है और 80 किमी. की ऊँचाइ पर 00 से -100 डिग्री सेल्सियस तक हो जार्तार् है।
(4) आयन मंडल :-
यह वार्युमंडल की चौथी परत है। यह 80 किमी. से 400 किमी. की ऊँचार्इ के बीच स्थित है। इस मंडल में तार्पमार्न ऊँचाइ के सार्थ पुन: बढ़तार् जार्तार् है। यहॉं की हवार् विद्युत आवेशित होती है। पृथ्वी से भेजी गयी रेडयो तरंगे इसी मंडल से परार्वर्तित होकर पुन: पृथ्वी पर वार्पस लौट आती हैं, जिससे रेडियो प्रसार्रण संभव होतार् है।
(5) बार्ह्य मंडल :-
वार्युमंडल क सबसे ऊँची परत बार्ह्य मंडल कहार् जार्तार् है। इस मंडल की हवार् अधिक विरल होती है।