वर्ज्य पदाथ क्यार् है ?
मदिरार्-
ये गेहूँ, जौ, चार्वल, अंगूर आदि के सड़ने के उपरार्न्त बनार्यी जार्ती है। इसमें हार्नीकारक पदाथ एल्कोहल पार्यार् जार्तार् है। इसकी थोड़ी मार्त्रार् नियमित उपयोग करने पर यह (भूख बढार्ने वार्लार् ) के रूप में कार्य करतार् है। इसकी अधिक मार्त्रार् उपयोग करने पर निम्नलिखित हार्निकारक प्रभार्व दिखार्यी देते है:-
- मस्तिष्क पर प्रभार्व- मदिरार् ग्रहण करने से मस्तिश्क में क्रियार् के विपरीत प्रतिक्रियार् की क्षमतार् कम हो जार्ती है। इसलिए मदिरार्पार्न करके वार्हन चलार्ने पर दुर्घटनार्यें अधिक होती है। अधिक शरार्ब पीने से स्मरण शक्ति लोप हो जार्तार् है।
- मार्ंसपेशियों पर प्रभार्व –मदिरार् पार्न करने के पश्चार्त व्यक्ति की मार्ंसपेशियों क संतुलन बिगड़ जार्तार् है। जिससे वह लड़खड़ार्कर चलतार् है।
- यकृत पर प्रभार्व – मद्यपार्न करने से यकृत की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती है। जिससे भूख कम होने लगती है। पीलियार् की सम्भार्वनार् तथार् सिरोसिस जैसी बीमार्री की सम्भार्वनार् बढ़ जार्ती है।
- अमार्शय पर प्रभार्व- एल्कोहल अमार्शय में उत्तेजनार् उत्पन्न करतार् है। जिससे अधिक अम्ल स्त्रार्व होतार् है यह अम्ल अधिकतर अमार्शय मेंं घार्व पैदार् करतार् है।
- नैतिक व सार्मार्जिक पतन- मद्यपार्न के पश्चार्त व्यक्ति की सोचने विचार्रने की क्षमतार् कम हो जार्ती है। जिससे वह कोर्इ भी अपरार्ध को अन्जार्म दे सकतार् है। वह समार्ज से सैदव अलग रहने की कोशिश करतार् है। नशे के समय वह यह निर्णय नहीं कर पार्तार् कि क्यार् नैतिक है और क्यार् अनैतिक है।
धूम्रपार्न-
बीडी, सीगरेट, चुरट आदि धूम्रपार्न के लिए उपयोग में लार्ये जार्ते है। ये सभी पदाथ तम्बार्कू से बनार्ये जार्ते है। और तम्बार्कू मेंं एक हार्निकारक पदाथ निकोटिन पार्यार् जार्तार् है। इसक जब धुएँ के रूप में उपयोग कियार् जार्तार् है। तो शरीर पर हार्निकारक प्रभार्व डार्लतार् है।
- निकोटिन को अधिक मार्त्रार् धुएं के रूप में लेने से गलार् तथार् फेफडे प्रभार्वित होते है। तपेदिक रोग की सम्भार्वनार् बढ़ जार्ती है।
- शरीर में O2 की कमी से रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जार्ती है। थोड़ार् सार् चलने पर व्यक्ति हार्ँकने लगतार् है।
- रक्त चार्प बढ़ जार्तार् है।
- मुख और फेफडे़ क केन्सर होने की सम्भार्वनार् बढ़ जार्ती है।
- मार्ंसपेशियों की कार्यक्षमतार् कम हो जार्ती है।
- पार्चन क्रियार् खरार्ब हो जार्ती है। नोट – जो धूम्रपार्न करने वार्लों के संपर्क में रहते हैं, उनके शरीर पर और भी बुरार् प्रभार्व पड़तार् है।
अफीम-
यह भी मार्दक द्रव है। इसक उपयोग खार्कर, इन्जेक्शन द्वार्रार् एंव सूँघकर कियार् जार्तार् है। इसके उपयोग से शार्रीरिक विकास रूक जार्तार् है। शरीर दुर्बल हो जार्तार् है। वैचार्रिक क्षमतार् कम होने लगती है। वह समार्ज से अलग रहने की कोशिश करतार् है। अपने व्यसन की पूर्ति के लिए कोर्इ भी अपरार्ध कर सकतार् है।
नशीली दवार्यें-
व्यक्ति चिंतार्मुक्त होने अथवार् निद्रार् लेने के लिए इसक उपयोग करते है, किंतु अधिक उपयोग व्यक्ति को इसक आदि बनार् देतार् है। व्यक्ति क शार्रीरिक मार्नसिक विकास रूक जार्तार् है। भूख कम होने लगती है। शार्रीरिक शक्ति क्षीण होने लगती है। वह समार्ज क सार्मनार् करने से घबरार्तार् है। इन दवाइयों की पूर्ति के लिए असार्मार्जिक कृत्य भी कर बैठतार् है।