Humanतावाद क्या है ?

संसार की समस्त प्रगति का केन्द्र बिंदु मनुष्य है और मनुष्य के सर्वागिणं विकास में उसकी भौतिक प्रगति के साथ साथ उसकी नैतिक और आध्यात्मिक प्रगति अपेक्षित है। व्यक्ति Human समूह का ही अंश है इसलिये व्यक्ति को कवे ल अपने लिये ही नही अपितु सम्पूर्ण समाज के कल्याण के लिये कार्य करना चाहिए। हमारे शासनो में भी धर्म Means काम मोक्ष के Reseller में Human के Reseller में Human के चार पुरूषार्थो की Discussion की गर्इ है ये उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करते है और उसके समस्त कार्य समाजोन्मुख ही होने चाहिए। Humanतावाद का मूल आधार Human है। Humanतावाद के समथर्क विदेश में पाइथागोरस इरास्मपोर बकु नन हर्डर आदि है। भारत में Kingराम मोहनराय रविन्द्रनाथ टैगोर गोपाल कृष्ण गोखले अरविंद घोष दीनदयाल उपाध्याय मैं Humanतावादी विचारधारा का चिंतन देखा जा सकता है।

रविनद्रनाथ टैगोर आध्यात्मिक Humanतावादी थे। वे पेम्र सहयोग भार्इचारे के आधार पर तथा वसुघैव कुटुमबकम मे विश्वास कर पूरे विश्व के Human कलयाण की बात करते है। ‘‘Humanतावाद प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीमित की ओर जाती है।’’ Humanतावादी Human कल्याण या सम्पूर्ण समाज के कल्याण के लिये कार्य करता है। र्इसा मसीह महावीर स्वामी महात्मा गांधी तथा नेहरूजी ऐसे ही Humanतावादी है।

Humanतावाद की व्याख्या 

Humanीय उच्चतर मूल्यों को ‘ Humanतावाद ‘ कहा जाता है Humanीय उच्चतर मूल्य का Means है स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरो के हित में कार्य करना कोर्इ Human Means किसी Human से घोषणा न करें संसार के सब Human परस्पर मेलजोल से रहें सब Human Single Second की स्वतंत्रता का सम्मान करे। समानता तथा समान लाभ के सिध्दांत के आधार पर परस्पर Single Second को सहयोग करे विवाद व झगडो का निपटारा शान्तिमय तरीको से  निपटा ले। इस प्रकार कहा जा सकता है कि Humanतावाद वह है कि जिसमें Human अन्य लोगो दु:ख दर्द को महसूस करें और उनके सुखी जीवन के मार्ग मे  बाधक न बनकर उनके पग्र ति व विकास पर बल दें।

  1. एम. एन. राय के According –‘‘नवीन Humanतावाद व्यक्ति को सम्प्रभुता की घोषणा करता है। वह इस मान्यता को लेकर चलता है कि Single ऐसे समाज का निर्माण करना संभव है जो तर्क पर आधारित हो तथा नैतिक हो क्योंकि मनुष्य प्रकृति से ही तर्कशील विवेकी And नैतिक प्राणी है नवीन Humanतावाद विश्वव्यापी है।’’ 
  2. Humanतावाद के संबंध में पंडित तवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘‘ पर सेवा , पर सहायता और पर हितार्थ कर्म करना ही पूजाहै और यही हमारा धर्म है यही हमारी इंसानियत है।’’ 
  3. जिब्रान के According –‘‘Human जीवन प्रकाश की वह सरिता है जो प्यासो को जल प्रदान कर उनके जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर भगाती है।’’ 
  4. प्रो. आरनोल्ड टॉयनबी के According –‘‘ Indian Customer सस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ सस्ंकृति इसलिए स्वीकार्य की जाती है क्योंकि इसमें Human जीवन का लक्ष्य ‘स्व’ नही वरन ‘पर’ का भाव है। Humanतावादी Human कल्याण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिये वे धर्म परम सत्य संस्कृति पर हित के लिये हसंते हसंते शहीद हो गए। यथार्थ में जो व्यक्ति स्व सुख स्व हित आरै स्व Meansो तक सीमित रहता है वह पशु तुल्य है। वही Human सही Meansो में Human है जो दूसरो के लिये जिए मनुष्य को अपने अंदर की बुराइयो का अन्त करने प्रयास करना चाहिए तथा Humanीय गुणो का विकास करना चाहिए। Humanतावाद दया प्रेम परोपकार अहिंसा करूणा त्याग दानशीलता सदभावना सच्चरित्रता आ त्मबल निर्भयता तथा धर्माचरण आदि विशिष्ट गुणों के कारण Human र्इश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। जिसे Humanीय मूल्यो के कारण ही जिन्दा है उनके अभाव में Human व Humanता निश्प्राण निर्जीव हो जायेगा।

Humanतावाद के भाग व Reseller

    Humanतावाद के तीन भाग व Reseller है –

    1. भौतिक Humanतावाद – 

    Human जीवन के सम्पूर्ण का अध्ययन न करके Single पक्ष विशेष का ही अध्ययन Reseller गया है। Human जीवन का अध्ययन इनके द्वारा टुकडियों में करने की वजह से ही समाज ही से संबंिधत कर्इ विचारो में सामंजस्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त नही हुर्इ है। माक्र्स का मनुष्य केवल भौतिक मनुष्य है उसमें आध्यात्मिकता का कोर्इ गुंजाइश नहीं हैं । माक्र्स ने Human जाति की समस्त गतिविधियों का कारण केवल आर्थिक शक्तियों को ही जाना था।

    2. आध्यात्मिक Humanतावाद – 

    रविन्द्र नाथ टैगोर आध्यात्मिक Humanतावादी थे। रविन्द्र नाथ टैगोर ने Humanतावाद के संबंध में कहा है कि मनुष्य का दायित्व महाHuman का दायित्व है । उसकी कहीं कोई सीमा नही है। जन्तुओ का वास भू-मण्डल पर है मनुष्य का वास वहाँ है जिसे वह देश कहता है। देश केवल भौतिक नहीं है देश मानसिक धारण है। मनुष्य, मनुष्य के मिलने से यह देश है।’’ वेदो की ब्रम्हवाणी , मनीशियों की अभिव्यक्ति परम सत्य और यर्थाथ का उदघोष करती आर्इ है। गौतम बुध्द महावीर स्वामी महात्मा गाँधी दयानंद सरस्वती जैसे इन महान लोंगो ने अपने हितो को समाज के हित के साथ जोड दिया था, इन्होने लोकहित के लिये व्यक्तिगत हितो को तिलांजली दे दी ये लागे ही सच्चे Humanतावादी थे।

    3. Singleात्म Humanतावाद – 

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय की चिंतन की धारा विशुध्द Indian Customer थी। इन्होने ही Singleात्म Humanतावाद का प्रतिपादन Reseller। इनके According चिन्तन की शुरूआत व्यक्ति से ही होनी चाहिए व्यक्तियों का समूह ही समाज बनाता है। और विभिन्न समूहो को धर्म संस्कृति व History से जोड़कर ही Single सबल राष्ट्र बनाता है। Human जाति की Singleता में उनका विश्वास था इसलिये व्यक्ति को केवल अपने लिये ही नही अपितु सपूंर्ण समाज के लिये कार्य करना चाहिए।

    Humanतावाद के सिद्धांत 

    1. Humanतावादियो ने Human को अपने Humanतावाद का केन्द्र बिन्दु बनाया तथा उन्होने यह विश्वास व्यक्त Reseller कि Human ही Human जाति का मलू है तथा Human ही प्रत्येक वस्तु का मापदण्ड है । 
    2. Humanतावादी विश्व बन्धुत्व के आदर्श पर बल देते है। उन्होने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया। 
    3. Humanतावाद स्वहित से अधिक परहित को महत्व दिया है। वह Human पशु के समान है जो केवल स्वहित पर चलता है। 
    4. Humanतावादियों की Human बु़िद्ध और विवेक में आस्था थी इस संबंध में एम. एन. राय ने कहा है कि मनुष्य प्रकृति से ही तर्कशील विवेकी And नैतिक प्राणी है। 
    5. Humanतावादियो ने इस बात पर बल दिया कि Human को अपने अंदर की बुरार्इयो को दरू कर Humanीय गुणों दया, पे्रम, Humanता, दानशीलता, परोपकार, अहिंसा का विकास करना चाहिए। 
    6. Humanतावादीयो ने नैतिक स्वतंत्रता पर बल देते हुए इसे Human का प्रेरक तत्व बतलाया। 

    Humanतावाद के पक्ष में तर्क गुण – 

    1. Human का विकास – Human का विकास Human का सुख ही Humanतावाद का प्रमुख लक्ष्य रहा है। सम्पूर्ण Humanतावाद का केन्द्र बिन्दु Human ही रहा है। 
    2. लोकतंत्र का समर्थन- All Humanतावादियो ने लोकतंत्र के सिध्दांतो को पूर्ण समर्थन दिया है। व्यक्तियों की स्वतंत्रता अधिकार व्यक्तित्व के विकास का समान अवसर समानता आदि लोकतत्रं के आधारभूत सिध्दांतो का पक्ष लिया है। 
    3. विश्व शांति का समर्थन –Humanतावाद से विश्व शांति का वातावरण बनता है। 
    4. Human का दृष्टिकोण विस्तृत होना- Humanतावाद से Human का दृष्टिकोण व्यापक होता है। Human केवल अपने हित में न सोचकर संपूर्ण Human के हित का ध्यान रखें। 
    5. साम्प्रदायिकता का विरोध –Humanतावादियों का साम्प्रदायिक्ता में तनिक भी विश्वास नही था। कटुता And संघर्ष के स्थान पर सामन्जस्य सदभाव शांति में विश्वास था। 
    6. आतंकवाद नक्सलवाद- आतंकवाद नक्सलवाद जैसी गतिविधियो का सफाया शक्ति व बल से ही नही बल्कि Humanतावाद की शिक्षा देकर दूर Reseller जा सकता है। 
    7. हिंसा से Human को परे करना –Humanतावाद मनुष्यो में नैतिक गुण या Humanीय मूल्यो का संचार करता है। Humanतावाद से मनुष्य के अंदर की पाशविक प्रवृत्ति का नाश होता है। मनुष्य हिंसा से दूर होता है। 

    Humanतावाद के विपक्ष में तर्क (दोष या आलोचना) 

    1. Humanतावाद व्यक्ति को आवश्यक्ता से अधिक महत्व देता है। व्यक्ति सदैव अपने हितो का सर्वोत्तम निर्णयक नही होता। राज्य के बिना व्यक्ति का कल्याण संभव नही है। अत: राज्य साध्य है और व्यक्ति साधन। 
    2. Humanतावादी दर्शन भौतिकता से कम अन्तरात्मा से अधिक संबंधित है इसका संबंध मनुष्य की भावना से है। 
    3. Humanतावादी दर्शन के कोर्इ स्पष्ट प्रवर्तक नही है। 

    निष्कर्ष में हम यह कह सकेंगे कि आज के हिंसा व आतकंवाद के वातावरण में मरानवतावाद की जरूरत है। मनुष्य को संकुचित भावना से ऊपर उठकर Human कल्याण के लिये हर कार्य करना चाहिए। क्योंकि Human All जीवो में श्रेष्ठ है विवेकशील है। पंडित नेहरू की मान्यता थी कि व्यक्ति केवल अपने लिये ही पैदा नही होता है। वरन अपने पड़ासे व अपनी जनता के लिये भी होता है।

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