बट्टा क्या है ?

ग्राहकों को अधिक क्रय हेतु प्रोत्साहित करने अथवा शीघ्र भुगतान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से उनको कुछ छूटे प्रदान की जाती है जिन्हें बट्टा कहते है। मूल्यों में विभिन्न प्रकार की छूट दिये जाने के कारण ग्राहकों से Single ही वस्तु का भिन्न-भिन्न मूल्य वसूल Reseller जाता है इसलिए इसे मूल्य भिन्नता नीतियाँ भी कहते है। ये इस प्रकार होती है।

1. नगद बट्टा नीति-

यह वह नीति है जिसमें विक्रेता ग्राहक को क्रय के समय या निर्धारित अवधि में भुगतान कर देने पर बीजक मूल्य पर Single निश्चित प्रतिशत का बट्टा काटता है। ऐसा बट्टा माल को सस्ता बना देता है तथा विक्रेता को मूल्य समय पर प्राप्त हो जाने से वसुली में समय तथा धन खर्च नहीं करना पड़ता है। पूँजी संकट भी हल होता रहता है।

2. परिमाण बट्टा नीति – 

यह वह नीति है जिसमें विक्रेता फर्म क्रेता को उसके द्वारा की गर्इ खरीद की मात्रा के अनुपात में बट्टा देती है ताकि अधिकाधिक खरीद करने हेतु क्रेता प्रोत्साहित हो सके। उदाहरण के लिए यदि विक्रेता फर्म यह तय करती है कि प्रत्येक ग्राहक को जो 5,000 रू. का माल Single साथ खरीदेगा यानी Single क्रयादेश के अन्तर्गत खरीदेगा, उसे 3 प्रतिशत बट्टा दिया जावेगा। ऐसी परिमाण बट्टा नीति को ‘असंचयी परिमाण बट्टा नीति’ कहते हैं। ऐसी नीति में जो क्रेता निर्धारित मात्रा से कम का क्रयादेश देता है, उसे यह बट्टा नहीं दिया जाता है। इसके विपरीत यदि विक्रेता थोड़ी मात्रा में क्रय करने पर कम दर से तथा अधिक मात्रा में क्रय करने पर ऊँची दर से बट्टा देने की नीति अपनाता है, तो ऐसी नीति को ‘‘संचयी परिमाण बट्टा नीति’’ कहते हैं। इस नीति में बट्टा दरें इस रखी जा सकती है-

क्रय परिमाण बट्टा
2000 रू. तक कोर्इ बट्टा नही
2,001 रू. से 5000 रू. तक 3 प्रतिशत बट्टा 
5,001 रू. से 10,000 रू. तक 5 प्रतिशत बट्टा
10,001 रू. से 20,000 रू. तक 7 प्रतिशत बट्टा 
 20,001 से ऊपर 10 प्रतिशत बट्टा

3. व्यापारिक बट्टा नीति – 

यह वह नीति है जिसके अन्तर्गत ‘निर्माता’ द्वारा थोक And फुटकर व्यापारियों को अथवा ‘‘थोक व्यापारी’’ द्वारा फुटकर व्यापारियों को उनके ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं व सुविधाओं की क्षतिपूर्ति हेतु सूची मूल्य (स्पेज च्तपबम) पर बट्टा दिया जाता है। ऐसा बट्टा ‘‘कार्यात्मक बट्टा’’ भी कहलाता है। कारण कि क्रेताओं को साख सुविधाएँ देने, अधिक स्टॉक रखने या विज्ञापन कार्य करने आदि की क्षतिपूर्ति के लिए ऐसा बट्टा दिया जाता है।

4. गैर-मौसम बट्टा नीति – 

यह वह नीति है जिसमें गैर-मौसम में क्रेताओं द्वारा की जाने वाली खरीद पर बट्टा दिया जाता है। व्यवहार में, सर्दी में पंखे, कूलर या रेफ्रीजरेटर खरीदने पर बट्टा दिया जाता है। इसी प्रकार, गर्मियों में गर्म कपड़े या ऊन खरीदने पर बट्टा दिया जाता है।

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