प्रार्कृतिक संसार्धन क वर्गीकरण, प्रकार एवं संरक्षण के उपार्य
- एक तो ये विकास के लिए पदाथ, ऊर्जार् और अनुकूल दशार्ऐं प्रदार्न करते हैं।
- इनसे पर्यार्वरण क निर्मार्ण होतार् है, जिसमें मनुष्य तथार् अन्य जीव रहते हैं। वार्यु, जल, वन और विविध प्रकार के जीव, मनुष्य के जीवन के लिए अनिवाय हैं।
- संसार्धन विभिन्न प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ अनवीनीकरणीय तथार् कुछ नवीनीकरणीय हैं।
प्रार्कृतिक संसार्धन ऐसी प्रार्कृतिक पूंजी होती है जो निवेश की वस्तु में बदल कर बुनियार्दी पूंजी प्रक्रियार्ओं में प्रयोग की जार्ती है। इनमें शार्मिल हैं मिट्टी, लकड़ी, तेल, खनिज और अन्य पदाथ जो कम यार् ज्यार्दार् धरती से ही लिए जार्ते हैं। बुनियार्दी संसार्धन क निष्कर्षण शोधन करके ज्यार्दार् शुद्ध रूप में बदले जार्ते हैं, जिन्हें सीधे तौर पर इस्तेमार्ल कियार् जार् सके (जैसे धार्तुऐं, रिफार्ईड तेल) इन्हें आम तौर पर प्रार्कृतिक संसार्धन गतिविधियार्ँ मार्नार् जार्तार् है, हार्लार्ंकि जरूरी नहीं है कि बार्द में प्रार्प्त पदाथ पहले वार्ले जैसार् ही लगे।
प्रार्कृतिक संसार्धन क वर्गीकरण
- अजैविक : अजैविक संसार्धन वे संसार्धन होते हैं जो गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदाथों से बनते हैं। इस प्रकार के प्रार्कृतिक संसार्धनों के कुछ उदार्हरणों में पार्नी, वार्यु, भूमि और धार्तु जैसे लोहार्, तार्ंबार्, सोनार् और चार्ंदी शार्मिल हैं।
- जैविक : ये वह संसार्धन हैं जो जीवित प्रार्णियों, पौधों और जार्नवरों जैसे कार्बनिक पदाथों से उत्पन्न होते हैं। इस श्रेणी में जीवार्श्म ईधन भी शार्मिल है क्योंकि वे क्षययुक्त कार्बनिक पदाथ से प्रार्प्त होते हैं।
विकास के स्तर के आधार्र पर प्रार्कृतिक संसार्धनों को इन तरीके से वर्गीकृत कियार् गयार् है।
- वार्स्तविक संसार्धन : इन संसार्धनों क विकास प्रौद्योगिकी की उपलब्धतार् और लार्गत पर निर्भर है। ये संसार्धन वर्तमार्न समय में उपयोग किए जार्ते हैं।
- रिजर्व संसार्धन : वार्स्तविक संसार्धन क वह भार्ग जिसे भविश्य में सफलतार्पूर्वक विकसित और उपयोग में लार्यार् जार्ए उसे रिजर्व संसार्धन कहार् जार्तार् है।
- संभार्वित संसार्धन : ये ऐसे संसार्धन हैं जो कुछ क्षेत्रों में मौजूद होते हैं लेकिन वार्स्तव में इस्तेमार्ल में लार्ने से पहले उनमें कुछ सुधार्र करने की आवश्यकतार् होती है।
- स्टॉक संसार्धन : ये वह संसार्धन है जिन पर इस्तेमार्ल में लार्ने के लिए सर्वेक्षण तो किए गए हैं लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण अभी तक उपयोग में नहीं जार्ए जार् सके हैं।
प्रार्कृतिक संसार्धन के प्रकार
प्रार्कृतिक संसार्धनों क पुन: उपयोग की दृष्टि से इस प्रकार वर्गीकरण कियार् जार् सकतार् है।
- नवीनीकरणीय संसार्धन
- अनवीनीकरणीय संसार्धन
कुछ विद्वार्न इन दोनों वर्गीकरणों के अतिरिक्त अन्य प्रार्कृतिक संसार्धनों के अंतर्गत प्रार्कृतिक सुरम्य स्थलों को भी सम्मिलित करते हैं।
नवीनीकरणीय संसार्धन
इसके अंतर्गत ऐसे संसार्धन आते हैं जिनक प्रयोग मार्नव द्वार्रार् पुन: कियार् जार् सकतार् है। इन संसार्धनों क निर्मार्ण निरन्तर प्रकृति में होतार् रहतार् है। मार्नव के संतुलित प्रयोग से इनमें कमी नहीं आती है और इनक पुन: उपयोग कियार् जार् सकतार् है। इन्हें तीन भार्गों में विभार्जित कियार् जार् सकतार् है।
- नवीनीकरण और अपरिवर्तनीय संसार्धन : इसके अंतर्गत महार्सार्गरीय जल, सौर ऊर्जार्, पवन ऊर्जार्, मृत्तिका, वार्यु आदि को शार्मिल कियार् जार्तार् है।
- नवीनीकरण लेकिन दुश्पयोजनीय संसार्धन : अविवेकपूर्ण उपयोग से ऐसे संसार्धनों की मार्त्रार् तथार् गुणवत्तार् घट जार्ती है। इसके अन्तर्गत भूमि, वन्य, जीव, जल संसार्धन आदि सम्मिलित हैं।
- संपोशणीय और नवीनीकरणीय संसार्धन : इन संसार्धनों की नवीनीकरणीयतार् इनके उपयोग की विधि पर निर्भर करती है। इमार्रती लकड़ी, मार्नव संख्यार्, भूमि की उर्वरतार्, भूमिगत जल आदि को इसमें सम्मिलित कियार् जार् सकतार् है।
नवीकरणीय संसार्धन अथवार् नव्य संसार्धन वे संसार्धन हैं जिनके भंडार्र में प्रार्कृतिक /पार्रिस्थितिक प्रक्रियार्ओं द्वार्रार् पुनस्र्थार्पन होतार् रहतार् है। हार्लार्ंकि मार्नव द्वार्रार् ऐसे संसार्धनों क दोहन (उपयोग) अगर उनके पुनस्र्थार्पन की दर से अधिक तेजी से हो तो फिर ये नवीकरणीय संसार्धन नहीं रह जार्ते और इनक क्षय होने लगतार् है। उपरोक्त परिभार्षार् के अनुसार्र ऐसे संसार्धनों में ज्यार्दार्तर जैव संसार्धन आते हैं जिनमें जैविक प्रक्रमों द्वार्रार् पुनस्र्थार्पन होतार् रहतार् है। उदार्हरण के लिए एक वन क्षेत्र से वनोपजों क मार्नव उपयोग वन को एक नवीकरणीय संसार्धन बनार्तार् है, किंतु यदि उन वनोपजों क इतनी तेजी से दोहन हो कि उनके पुनस्र्थार्पन की दर से अधिक हो जार्ए तो वन क क्षय होने लगेगार्।
उदार्हरण : सार्मार्न्यतयार् नवीकरणीय संसार्धनों में नवीकरणीय ऊर्जार् संसार्धन भी शार्मिल किए जार्ते हैं जैसे सौर ऊर्जार्, पवन ऊर्जार्, भू-तार्पीय ऊर्जार् इत्यार्दि। किंतु सही अर्थों मे ये ऊर्जार् संसार्धन अक्षय ऊर्जार् संसार्धन हैं न कि नवीकरणीय।
अनवीनीकरणीय संसार्धन
अनवीकरणीय संसार्धन वे संसार्धन होते हैं जिनके भंडार्र में प्रार्कृतिक प्रक्रियार्ओं द्वार्रार् पुनस्र्थार्पन नहीं होतार् है। ऐसे संसार्धन जिनक पुन: उपयोग निकट भविष्य में सम्भव नहीं होतार् उन्हें अनवीनीकरण संसार्धन कहार् जार्तार् है। एक बार्र प्रयोग में लेने के पश्चार्त् इनके पुन: निर्मार्ण में करोड़ों वर्षों क समय लगतार् है। इसके अंतर्गत खनिज पदाथ, पेट्रोलियम, कोयलार् आदि को सम्मिलित कियार् जार्तार् है। इन्हें तीन भार्गों में विभार्जित कियार् जार् सकतार् है।
- संपोशणीय लेकिन अनवीनीकरणीय संसार्धन : अत्यधिक दोहन व उपयोग के पश्चार्त् ऐसे संसार्धनों के नवीनीकरण की संभार्वनार् नहीं रहती। इनमें मृदार् के भौतिक पदाथ एवं जैव-विविधतार् शार्मिल है।
- अनवीनीकरण लेकन पुन: उपयोग योग्य संसार्धन : जिन खनिजों क उपयोग बार्र-बार्र कियार् जार् सकतार् है, उन्हें इस वर्ग में रखार् गयार् है। ये हैं रत्न (मणि), खनिज जैसे लोहार्, टिन, तार्ँबार्, सोनार् और चार्ँदी।
- अनवीनीकरण लेकिन एक बार्र उपयोग योग्य संसार्धन : कोयलार्, पेट्रोलियम, प्रार्कृतिक गैस और अधार्त्विक खनिज एक बार्र उपयोग के बार्द ही समार्प्त हो जार्ते हैं।
समस्त धार्त्विक व अधार्त्विक खनिज इसी श्रेणी में आते हैं। ये संसार्धन प्रकृति की गोद में करोड़ो वर्षों तक छिपने के बार्द अपनार् स्वरूप बदलकर प्रार्प्त होते हैं। जैसे जली हुई लकड़ी बार्द में कोयले क रूप प्रार्प्त कर लेती है। यह संसार्धन समस्त मार्नव जार्ति के लिए अति महत्वपूर्ण है और इनकी महत्तार् के सार्थ इनक उपयोग भी अत्यंत आवश्यक है।
प्रार्कृतिक संसार्धन संरक्षण के उपार्य
प्रार्कृतिक संसार्धन चार्हे नवीकरणीय हो यार् गैर नवीकरणीय, जैविक हो यार् गैर-जैविक, प्रकृति के संसार्धनों क संरक्षण होनार् अत्यंत आवश्यक है। इनके संरक्षण के कुछ उपार्य दिए गए हैं जो सरकार और व्यक्तियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयोग में लार्ने चार्हिए।
- प्रार्कृतिक संसार्धनों क अधिक उपयेार्ग करनार् बंद कर देनार् चार्हिए। उपलब्ध संसार्धनों को अपव्यय किए बिनार् समझदार्री से उपयोग करने की जरूरत है।
- वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जार्नवरों क शिकार करनार् बंद कर दियार् जार्नार् चार्हिए।
- किसार्नों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनार्शक और फसल चक्र के उपयोग को सिखार्यार् जार्नार् चार्हिए। खार्द, जैविक उर्वरक इस्तेमार्ल को उपयोग मे लार्ने की जरूरत है।
- वनों की अत्यधिक कटार्ई को नियंत्रित करनार् चार्हिए।
- वर्षार् के जल की संचयन प्रणार्ली स्थार्पित की जार्नी चार्हिए।
- सौर, जल और पवन ऊर्जार् जैसे नवीकरणीय संसार्धनों के उपयोग को प्रोत्सार्हित कियार् जार्नार् चार्हिए।
- कृषि में इस्तेमार्ल होने वार्ले पार्नी को दोबार्रार् उपयोग में लार्ने की प्रणार्ली क पार्लन करनार् चार्हिए।
- जीवार्श्म ईधन की खपत को कम करनार् एक अच्छार् तरीक है।
- कागज के उपयोग को सीमित करें और रिसार्इक्लिंग को प्रोत्सार्हित करें।
- पुरार्ने लार्इट अथवार् बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब यार् एल0 ई0 डी0 बल्ब क इस्तेमार्ल करके ऊर्जार् की बचत करनार्, जिससे बिजली बचार्ई जार् सके। इसके अलार्वार् जब आवश्यकतार् नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।