नेपोलियन तृतीय की गृह नीति

लुर्इ नेपोलियन

इस युग के यूरोपीय राजनीतिज्ञों में लुर्इ नेपोलियन सबसे अद्भुत था। उसके जीवन चरित्र तथा उसके साम्राज्य की कथा का उन्नसवीं शताब्दी के History में केन्द्रीय स्थान है। उसका जन्म 1808 में पेरिस में के राजमहल में हुआ था। उसका शैशव बड़े लाड़-प्यार ओर वैभव में बीता, परंतु जब 1815 में फ्रांस में बूर्बो-वंश की पुनस्र्थापना हुर्इ तो बोनापार्ट वंश की दुर्दशा के दिन आये। सारा परिवार फ्रांस से निर्वासित हो गया और लुर्इ अपनी माता के साथ स्विट्जरलैण्ड चला गया। उसके यौवन का अधिकांश भाग स्विट्जरलैण्ड तथा जर्मनी में बीता और उसकी शिक्षा भी वहीं हुर्इं। वह अपने परिवार की परंपराओं तथा 1789 की फ्रेंच क्रांति की परंपरा को Single ही मानता था और उसे वह विश्वास था कि Single दिन ऐसा अवश्य आयेगा जब वह फ्रांस के राजसिंहासन पर आसीन होगा। वह साहसी प्रवृत्ति का था। उसने इटली की कार्बोनारी नामक क्रांतिकारी समिति से अपना संबंध स्थापित कर लिया और पोप के राज्य में जब 1831 में कार्बोनारियों ने विद्रोह Reseller तो वह उनकी ओर से उसमें शामिल हो गया। आस्ट्रिया वालों ने उसे पकड़ लिया कितु उसकी माता के अनुनय-विनय पर उसे छोड़ दिया गया। इसके बाद भी वह Single ओर तो फ्रांस के गणतंत्रवादियों के साथ तथा दूसरी ओर पोलैण्ड के देशभक्तों के साथ मिलकर “ाड्यंत्र करता रहा परंतु लुर्इ फिलिप की सतर्कता तथा जार की दृढ़ता के कारण उसे उपद्रव मचाने का कहीं मौका नहीं मिला।

गृह नीति

लुर्इ नेपोलियन, नेपोलियन बोनापार्ट के समान समझता था कि फ्रेंच जनता स्वतंत्रता की अपेक्शा सुशासन And व्यवस्था अधिक चाहती है, अत: उसने आंरभ से ही जनता की राजनीतिक स्वतंत्रता को दबाकर सुशासन And जनता की समृद्धि की Needओं की ओर ध्यान दिया। अपने चाचा के समान उसने निरंकुश शासन स्थापित Reseller परंतु उसका शासन भी महान नेपोलियन के शासन के समान उदार था और जन हित उसका लक्ष्य था। जो गणतंत्रीय संविधान उसने 1851 में जनता से स्वीकार कराया था, उसे उसने कायम रखा। कहने को तो वह सार्वलौकिक मताधिकार के ऊपर आश्रित था परंतु वास्तव में उस पर इतनी रूकावटें लगी हुर्इ थी कि लागे स्वतंत्र निर्वाचन बिल्ुकल नहीं कर पाते थे। कार्यपालिका की समस्त शक्तियाँ उसके हाथों में थी। सेना तथा ना-ै सेना उसके अधिकार में थी, वही Fight अथवा शांति का निर्णय करता करता था, कानून का प्रस्ताव करना और उस पर अमल कराना उसी का काम था। सारा शासन केेि न्द्रत था। मंि त्रयों को वह स्वयं नियुक्त करता था और वे उसी के प्रति उत्तरदायी होते थे। वे विधायिका के सदस्य नहीं होते थे और इस प्रकार उन पर विधायिका का कोर्इ अंकुश नहीं था, समस्त शासन सम्राट के आदेशानुकूल होता था।

प्रांतों में स्वशासन का चिà भी नहीं था। प्रिफैक्ट, मेयर आदि समस्त कर्मचारी सम्राट द्वारा नियुक्त होते थे और उसके आदेशांे का पालन करते थे। उसने कड़ी पुलिस की व्यवस्था की थी जो अत्यंत स्वेच्छाचारी थी और जनता की स्वतंत्रता तथा समाचार पत्रों को कठोर नियंत्रण में रखती थी। न्यायाधीश सम्राट के आज्ञाकारी सेवक थे। विधायिका भी Single अत्यंत शक्तिहीन संस्था थी। इस प्रकार नेपोलियन फ्रांस का निरंकुश King था। कानूनी दृष्टि से तो उसकी शक्ति जनता की इच्छा पर आधारित थी क्योंकि उसका जनता ने निर्वाचन Reseller था, किंतु वास्तव में उसका आधार सेना थी।

आर्थिक सुधार

आर्थिक क्षेत्र में उसने अपने पूर्ववर्ती मध्यम वर्गीय Singleतंत्र की नीति जारी रखी और व्यवसाय-प्रधान मध्यम-वर्ग के हित में आर्थिक उदारवाद की नीति का प्रयोग Reseller। उसने निजी व्यवसायों पर सरकारी नियंत्रण धीरे-धीरे कम कर दिया और व्यवसाय And व्यापार को प्रोत्साहन दिया। कारखानों की उéति में उसने सहायता की, बचत बैंक की व्यवस्था की और धीरे-धीरे आयात कर कम करके 1860 र्इ. में इंग्लैण्ड के साथ Single व्यापारिक संधि की जिसके द्वारा दाने ों के बीच मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित Reseller गया। अनेक नये बैंक खोले गये जिससे व्यापारियों को पूँजी मिलना सरल हो गया। रेलों, सड़को, नहरों आदि का निर्माण Reseller गया, जिससे मजदूरों को काम मिले और व्यापार-व्यवसाय को भी प्रोत्साहन मिल सके। जंगलों का विकास Reseller गया, दलदलों को सुखाने की व्यवस्था की गयी, नदियों पर पुल बनाये गये और अनेक सार्वजनिक भवनों का निर्माण Reseller गया। विशष्े ाकर उसने पेिरस में बड़ी-बड़ी चौड़ी सुंदर सड़कों तथा भव्य भवनों का निर्माण करके संसार का सबसे सुंदर And आकर्षक नगर बना दिया।

मजदूरों की सुविधाओं की व्यवस्था

व्यावसायिक मजदूरों को संतुष्ट करने का भी उसने पय्र ास Reseller। वह अपने आपको ‘मजदूरों का सम्राट’ कहने में गर्व करता था। उनके हित में उसने कुछ कानून बनाये और उनका कुछ हित भी Reseller, किंतु इतना ही जिससे वे प्रोत्साहित हों और साथ ही मध्यम-वर्गीय उदारवादी लागे अप्रसé न हो। सामूहिक क्रय-विक्रय के लिए उसने मजदूरों को सहकारी समितियाँ खाले ने की अनुमति दी, टे्रड यूनियनों का कानूनी Reseller स्वीकार Reseller और मजदूरों को हड़ताल करने का अधिकार भी पद्र ान Reseller। मृत्यु तथा आकस्मिक घटनाओं के लिए राज्य की गारण्टी सहित ऐच्छिक बीमे की भी उनके लिए व्यवस्था की गयी।

कृषि उन्नति के प्रयास

नेपोलियन तृतीय ने कृषकों के हित का भी ध्यान था। कृषि की शिक्षा के लिए उसने कृषि विद्यालय स्थापित किये, अच्छे अनाज, फल तथा पशुओं के प्रदर्शन तथा उनके लिए पारितोषिक देने की व्यवस्था की, कृषि सभाओं का संगठन Reseller और भाँति-भाँति के उपायों से कृषि की उéति का प्रयत्न Reseller जिसके परिणामस्वReseller उसके समय में फ्रासं ने कृषि में बहुत उéति की और किसानों की दशा में बहुत सुधार हुआ।

इस प्रकार नेपोलियन ने जनता के All वर्गों को संतुष्ट करने का प्रयत्न Reseller और जन हित के कार्यों द्वारा राजनीतिक स्वतंत्रता की हानि का प्रतिकार Reseller। नेपोलियन बोनापार्ट बाद पहली बार ऐसा लगा कि फ्रासं में ऐसी सरकार है जो दलीय झगड़ों से ऊपर उठकर राष्ट्र के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक And आर्थिक हितों में सामंजस्य स्थापित कर सकती थी।

कठिनाइयों का आरंभ

इस प्रकार अपने साम्राज्य के First वर्षों में जनता को जो उससे आशाएँ थीं उन्हें वह संतुष्ट करने में सफल हुआ। परंतु 1860 र्इ. के बाद उसकी स्थिति में कमजोर हो गर्इ। उसने आरंभ में ही पोप की सहायता करके और कैथोलिक पादरियों को शिक्षा संबंधी अधिकार पुन: प्रदान करके देश की बहुसंख्यक कैथोलिक जनता को संतुष्ट कर लिया था परंतु 1859 र्इ. में उसने इटली के स्वतंत्रता संग्राम में कैथोलिक आस्ट्रिया के विरूद्ध सार्डीनिया के King की सहायता की। सार्डीनिया के नेतृत्व में इटली की स्वतंत्रता का Means था पोप की लौकिक शक्ति का विनाश। इसको देखकर फ्रांस की कैथोलिक जनता नेपोलियन का विरोध करने लगी। इसके अतिरिक्त उसने इंग्लैण्ड से व्यापारिक संधि करके वहाँ से आने वाली वस्तुओं पर कर कम कर दिया था, जिससे फ्रांस का व्यापारी वर्ग भी असंतुष्ट हो गया। इस प्रकार सम्राट को दो प्रबल वर्गों का विरोध का सामना करना पड़ा, अत: उसे सहायता के लिए, अन्य वर्गों की ओर मुड़ना पड़ा। वह स्वयं आगे चलकर जनता को राजनीतिक अधिकार लाटै ा देने का विचार प्रकट कर चुका था। उसके सलहाकारों ने भी यही सलाह दी और 1860 र्इ. में उसने सीनेट तथा विधानसभा को वर्ष में Single बार साम्राज्य की नीति पर बहस करने तथा उसकी आलोचना करने का अधिकार देकर उत्तरदायी शासन की ओर पहला कदम उठाया। First पूरे बजट पर Single साथ मत लिया जाता था, अब उसकी अलग-अलग मदों पर मत देने का अधिकार विधानसभा को मिल गया। 1867 र्इमें मंत्रियों से प्रश्न पूछने का अधिकार भी उसे प्राप्त हो गया और अगले वर्ष समाचार पत्रों तथा मुद्रणालयों पर से बहतु से नियंत्रण हटा लिये गये और सार्वजनिक भाषण देने की अनुमति भी दे दी गयी। इस प्रकार 1860 र्इ. से 1870 र्इ. के मध्य फ्रांस में राजनीतिक जीवन और व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। उदारवाद पर आधारित संसदीय शासन व्यवस्था, राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ, पुनस्र्थापित हो गयी। चंूि क ये परिवर्तन अत्यतं धीमी गति से और बहुत देरी से आरंभ किये गये थे अत: इन सब बातों से एसे ा प्रतीत होता था जैसे सम्राट ने राष्ट्र के बढ़ते हुए विरोध से दबकर ये सब रियायतें दी हैं। अत: उनसे जनमत संतुष्ट न हो सका। अंतत: देश के विभिé अंसतुष्ट तत्वो-ं बूर्बो वंश के समर्थकों ओलिएँ वंश के समर्थको, उदारवादियों, गणतंत्रवादियों कैथाेि लकों And संरक्षणवादियों के सिम्म्लित विरोध के सामने नेपोलियन का स्वेच्छाचारी शासन डगमगाने लगा। विरोध बढ़ता गया और अंत में अपनी विदेश नीति की भयकं र भूलों के कारण उसका पतन हो गया।

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