दूरस्थ शिक्षा परिषद क्या है ?

दूरस्थ शिक्षा परिषद् इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के अन्तर्गत स्थापित Single विद्यालयी संस्था है, जो कि देश भर में मुक्त And दूरस्थ शिक्षा की देख-रेख तथा प्रचार-प्रसार के लिये उत्तरदायी है। विश्व भर में मुक्त And दूरस्थ शिक्षा Single लोकप्रिय माध्यम के Reseller में उभर रहा है। इसको नियमित शिक्षा के विकास के Reseller में देखा जा रहा है। दूरस्थ And मुक्त शिक्षा Single नवाचार है इसके प्रसार के साथ अब इसको Single नयी दिशा दिये जाने की Need है। दूरस्थ शिक्षा संस्थाओं को आश्रय देने के लिये इसके निरन्तर दिशा निर्देशन हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद् केा अधिकृत Reseller गया है, इसको कुछ निश्चित शक्तियां And अधिकार प्रदान किये गये हैं। जिससे कि यह Single उत्तरदायी सस्था के Reseller में कार्य कर सके।

दूरस्थ शिक्षा परिषद् के लक्ष्य 

दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना का मुख्य लक्ष्य है-

  1. राज्य सरकार And परम्परागत विश्वविद्यालयों को मुक्त विश्वविद्यालय And दूरस्थ शिक्षा संस्थान खोलने हेतु प्रेरित करना, 
  2. दूरस्थ And मुक्त णिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। 
  3. नामांकन, मूल्यांकन And उपाधि प्रदान करने हेतु मानकों विधियों And निर्देशों को निश्चित करना।
  4. मुक्त And दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को गुणात्मकता सुनिश्चित करने हेतु सतत् मूल्यांकन And निरीक्षण करना। 
  5. तकनीकी विधियों को शिक्षा में प्रयोग हेतु प्रश्रय देना तथा तकनीकों को आपस में मिल-जुलकर प्रयोग करने हेतु प्रश्रय देना। 
  6. स्व-शिक्षण सामग्री And बहु माध्यम शिक्षण सामग्री का विकास And निर्माण कर मुक्त शिक्षण संस्थानों में मिल जुलकर प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करना। 
  7. विभिन्न राज्य मुक्त विश्वविद्यालयों And पत्राचार शिक्षा संस्थाओं में मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा उत्पन्न छात्र सहायता सेवाओं को मिलजुलकर प्रयोग करने हेतु सुविधा प्रदान करना। 
  8. मुक्त And दूरस्थ शिक्षा में अनुसंधान And नवाचार को अभिप्रेरित करना। 
  9. मुक्त And दूरस्थ शिक्षा तंत्र हेतु दक्षता के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना। 

दूरस्थ शिक्षा परिषद् के कार्य 

दूरस्थ शिक्षा परिषद् की स्थापना Single बृहद संकल्पना के साथ हुर्इ और उसे कुछ प्रशासनिक शक्तियां And कार्य दिये गये। दूरस्थ शिक्षा परिषद् का प्रमुख कार्य होगा-

  1. राज्य सरकार And विश्वविद्यालयों के परामर्श से मुक्त विश्वविद्यालयों And दूरस्थ शिक्षण संस्थानों का Single जाल निर्मित करना। 
  2. दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के संचालन हेतु उपयुक्त क्षेत्रों का चयन करना And सहयोग प्रदान करना जिससे कि वहां दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन हो सके। 
  3. विशेष समूह को चिन्हित कर उनके लिये आवश्यक कार्यक्रम के संचालन हेतु मुक्त And दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को सहयोग प्रदान करना।
  4. विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा में नवाचार सहित, लचीले अधिगम And शिक्षण विन्हिायां, विविध पाठ्यक्रमों का समन्वयक नामांकन हेतु आवश्यक योग्यता, प्रवेण, आयु, परीक्षा संचालन हेतु विविध कार्यक्रम केा सहयोग देना।
  5. दूरस्थ शिक्षा तकनीकी में विविध पाठ्यक्रम, कार्यक्रम And णोध हेतु आवश्यक मानक तय करना।
  6. दूरस्थ शिक्षण संस्थानों को प्रदान किये जाने वाली वित्तीय अनुदान को प्रबंधक बोर्ड को अग्रसारित करना।
  7. राष्ट्र में मुक्त And दूरस्थ शिक्षा तंत्र के समन्वित प्रयास को प्रोत्साहित करना।
  8. विविध मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित स्व-शिक्षण सामग्री And छात्र सहयोग सेवाओं को समन्वित Reseller से उपयेाग हेतु सुविधा देना जिससे कि दुबारा कार्य करने की व्यर्थ समय व Means बचे।
  9. मुक्त And दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं के विविध पाठ्यक्रमों में नामित विद्यार्थियों से ली जाने वाले शुल्क का निर्धारण करना। 
  10. विविध मुक्त And दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं द्वारा संचालित कार्यक्रमों And पाठ्यक्रमों से सम्बंधित आवश्यक जानकारी करना। 
  11. राज्य सरकारों And विश्वविद्यालयों को मुक्त शिक्षण संस्थान खोलने हेतु परामर्श देना। 
  12. जाल के Reseller में देश भर में कार्य कर रहे राष्ट्रीय मुक्त दूरस्थ शिक्षा संस्थानों के क्रियाकलापों के सतत् मूल्यांकन हेतु पुर्निरीक्षण कमेटी की Appointment करना। 
  13. विविध पाठ्यक्रमों And कार्यक्रमों के संचालन हेतु उनके ढांचे And कार्यविधि के प्राReseller का वृहद प्रस्तुतीकरण करना। 
  14. दूरस्थ शिक्षा माध्यम द्वारा प्रदान किये जाने वाले विविध कार्यक्रमों के गुणात्मकता के मानक तय करना।

दूरस्थ शिक्षा परिषद् के उद्देश्य 

दूरस्थ शिक्षा परिषद Single निश्चित उद्देश्य के अन्तर्गत कार्य करता है इससे यह अपेक्षा की जाती है कि यह गुणवत्ता को बनाये रखने हेतु शैक्षिक दिशा निर्देश दे इसके साथ ही नवीन तकनीकी And उपागमों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहन दे। समन्वित नेटवर्किंग के तहत All तंत्र आपस में संसाधनों को मिलजुलकर उपयोग करें। इस परिषद् को यह अधिकार दिये गये हैं कि यह मुक्त विश्वविद्यालय And मुक्त शिक्षा प्रणाली का देश के शैक्षिक व्यवस्था में जो भी विकास And प्रोत्साहन की Need हा,े प्रदान करे। यह परिषद् शिक्षण के मानकों को तय करने, मूल्यांकन And शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने, अधिक लचीलेपन, विविधता, व्यापकता गतिशीलता And शिक्षा में नवाचार को सम्मिलित करने का दायित्व संभालेगा। इग्नू के अनुच्छेद 16 के तहत स्थापित दूरस्थ शिक्षा परिषद् के कार्य वृहद स्तर पर है।

दूरस्थ शिक्षा परिषद् से शैक्षणिक कार्यक्रमों का दूर शिक्षा माध्यम से संचालन हेतु अनुमति की Need के कारण-  दूरस्थ शिक्षा परिषद् को भारत में मुक्त And दूरस्थ शिक्षा माध्यम से संचालित विविध पाठ्यक्रमों के प्रचार-प्रसार And गुणात्मकता हेतु उत्तरदायी बनाया गया है। इसीलिये शिक्षा की गुणात्मकता को सुनिश्चित करने तथा डिग्री And डिप्लोमा जो कि दूरस्थ शिक्षा माध्यम से लिये जायेंगे उनके स्तर के निर्धारण हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद् से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।

दूरस्थ शिक्षा परिषद् द्वारा स्व शिक्षण सामग्री के मूल्यांकन का उद्देश्य- दूरस्थ शिक्षा में प्रयुक्त की जाने वाली स्व-शिक्षण सामग्री के निर्माण का आधार पुस्तकों से अलग होता है, यह व्याख्यात्मक होती है –

  1. स्व निर्देशित होना चाहिये।
  2. स्व प्रेरित हो। 
  3. स्व मूल्यांकन की सुविधा हो।
  4. स्व अधिगम के योग्य हो।
  5. स्वपूर्ण हो। 
  6. स्व व्याख्यायित हो। 

दूरस्थ शिक्षा परिषद् स्व शिक्षण सामग्री में इन विशेष गुणों की अपेक्षा करके दूरस्थ शिक्षा में उनका उपयोग हेतु अनुमति प्रदान करता है। स्व शिक्षण सामग्री के निर्माण And प्रयोग के आवश्यक मानक को तय करन के साथ इनके समन्वित प्रयोग पर भी बल देता है। जिससे कि समय श्रम And Means की बचत हो।

संस्थागत Needयें- दूर And मुक्त शिक्षण सस्ंथाओं की भी कुछ सस्ंथागत Needयें होती है, जिनके बिना इस विकेन्द्रीकश्त शिक्षा व्यवस्था का संचालन कठिन होता है और दूर शिक्षा परिषद् दूर शिक्षा संस्थानों में इनकी उपलब्धि सुनिश्चित करता है।

1. विभाग- दूरस्थ शिक्षा सस्ंथानों में दो प्रकार के विभाग होते है, जो कि इनके विविध क्रियाकलापों का संचालन करते है। क-पूर्ण कालिक विभाग। ख- दो अंशकालिक विभाग।

  1. क- पूर्ण कालिक नियमित आधार पर मुख्य अतं रगं विभाग है, जो कि All प्रमुख कार्यों के संचालन And समन्वयन के लिये उत्तरदायी है। 
  2. ख- अंशकालिक संि वदा आधार पर विशेषीकृत Needओं की पूि र्त हेतु नियुक्त स्टाफ। अंशकालिक कार्मिक स्वनिर्देणित सामग्री के विकास And प्रेषण तथा अन्य अकादमिक क्रियाकलापों के संचालन हेतु नियुक्त किये जाते हैं। 

2. स्व-शिक्षण सामग्री- किसी भी दूरस्थ शिक्षण सस्ं थानों में दरू अध्येता को कक्षा शिक्षण की कमी को दूर कर अधिगम हेतु स्वशिक्षण सामग्री प्रदान Reseller जाता है। स्वशिक्षण सामग्री के निर्माण And विकास में इन तथ्यों को ध्यान रखा जाता है कि वह वास्तविक कक्षा शिक्षण की परिस्थितियों को प्रत्यक्ष करें इसका स्वReseller व्याख्यात्मक होता है और यह सम्पूर्ण पाठ्यवस्तु का संक्षिप्त Resellerरेखा प्रस्तुत करती है, इसमें अधिगम हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये जाते हैं। दूर शिक्षा परिषद यह सुनिश्चित करता है कि स्वशिक्षण सामग्री अधिक गुणवत्तापूर्ण हो और स्वशिक्षण सामग्री की पूरक के Reseller में संचार सम्प्रेषण माध्यमों को प्रयोग Reseller जाता है।

3. भौतिक संसाधन- दूरस्थ शिक्षण सस्ंथानों से यह अपेक्षा की जाती है कि यह मुख्य केन्द्रों And सहायक सेवा केन्द्रों में कार्मिक वर्ग तथा विद्यार्थियों के लिये आवश्यक सहायता सेवाओं के साथ यह सुनिश्चित करें कि उनमें पर्याप्त भौतिक संसाधन उपलब्ध है। दूर शिक्षा परिषद् दूर शिक्षण संस्थानों को इसकी व्यवस्था हेतु आवश्यक अनुदान के साथ व्यवस्था करने में सहायता देता है। इसके अतिरिक्त वह इन सुविधाओं को विविध दूर शिक्षण संस्थानों को मिलजुलकर प्रयोग करने हेतु प्रेरित भी करता है।

पुस्तकालय- प्रत्यके दरू स्थ शिक्षण सस्ंथान में पूर्ण व्यवस्थित मुख्यालय में Single पुस्तकालय होना चाहिये जिसमें अच्छी पुस्तकों के साथ जरनल, श्रव्य-दृश्य सामग्री तथा अन्य अधिगम से सम्बंधित सहायक सामग्री होनी चाहिये। ये All सुविधायें दूर शिक्षा से जुड़े कार्मिक वर्ग And दूर अध्येताओं के Needओं की पूर्ति हेतु समय-समय पर सम्बर्धित की जाती है। दूर शिक्षा परिषद् यह भी सुनिश्चित करता है कि All दूर शिक्षा संस्थानों में Single व्यवस्थित पुस्तकालय उपलब्ध हो।

कम्प्यूटर सुविधा- दूरस्थ शिक्षा परिषद् इस आरे भी जारे दते ा है कि अध्यते ाओं की बढ़ती भीड़ को संतुष्ट करने हेतु दूर शिक्षण संस्थाओं को कार्यक्रमों को कम्प्यूटरीकृत कर देना चाहिये और इसके लिये सशक्त And सबल दूर शिक्षण संस्थानों को अन्य Need वाले दूर शिक्षण संस्थानों को सहयोग करना चाहिये।

दूर शिक्षा परिषद का महत्व 

दूर शिक्षा Single ऐसी संस्था है जो कि दूर शिक्षा को बढ़ती मांग के अनुReseller प्रचार-प्रसार के साथ इसकी गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करने के लिये कटिबद्ध है। यह Single ऐसी इकार्इ है जो दूर शिक्षण संस्थानों के भौतिक, Humanीय And वित्तीय संसाधन के मानक तय कर रही है। इसने जहां Single ओर दूर शिक्षा को प्रचारित करने का कार्य Reseller तो दूसरी ओर आवश्यक मानकों के साथ दूर शिक्षण को चलने के लिये भी दबाव बनाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके माध्यम से आज देश भर में फैले दूर शिक्षण संस्थानों को Single जाल का स्वReseller मिला और All Single दूसरों को प्रचार-प्रसार And गुणात्मकता को बनाये रखने हेतु आवश्यक सहयोग दे रहे हैं। इसने दूर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश,अनुदेशन के माध्यम, परीक्षा कार्यक्रम, छात्र सहायता सेवाओं विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों के All मानक And दिशा निर्देश तय किये हैं। दूर शिक्षा परिषद देश भर में मुक्त अधिगम के प्रचार-प्रचार And उपयोगिता के प्रति उत्तरादायी संस्था है, इससे यह आशा की जाती है कि यह अपने वृद्धि के साथ-साथ अपनी सेवाओं में विस्तार और सुधान करने में सक्षम होगा।

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