थार्यरार्इड ग्रंथि की संरचनार् एवं कार्य
थार्यरार्इड ग्रंथि की संरचनार्
थार्इरॉइड ग्रन्थि की कार्यार्त्मक इकार्इ बहुत सार्रे आपस में जुड़े हुए फॉलिकल (follicles) होते हैं। इन फॉलिकल में एक गार्ढ़ार् चिपचिपार् प्रोटीन पदाथ भरार् होतार् है जिसे कोलार्इड कहते हैं। इस कोलार्इड में थार्इरॉइड हॉर्मोन संचित रहते हैं। थार्इरॉइड ग्रन्थि दो तरह की कोशिकाओं फोलीक्यूलर और पैरार्फोलीक्यूलर कोशिकाओं से निर्मित होती है। फोलीक्यूलर कोशिकायें (follicular cells) चार्रों ओर फैली हुर्इ रहती हैं। यह थार्इरॉइड हॉर्मोन थार्इरॉक्सिन और थार्इरॉइडोट्रार्इआइडो थार्यरोडीन क निर्मार्ण एवं स्रार्वण करती हैं, जो शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में उपार्पच्य (Matabolism) को बढ़ार्ते हैं। पैरार्फार्लिक्यूलर कोशिकायें फोलिक्यूलर कोशिकाओं की अपेक्षार् कम और आकार में बड़ी होती हैं। इन्हें श्ब्श् बमसस भी कहते हैं। यह कोशिकायें फोलिकल्स के मध्य समूह में पाइ जार्ती हैं तथार् केलिस्टोनिन नार्मक हॉर्मोन क निर्मार्ण एवं स्रार्वण करती हैं।
थार्यरार्इड ग्रंथि के कार्य
थार्इरॉइड निम्नलिखित तीन हॉर्मोन्स क स्रार्वण करतार् है –
- T3
- T3
- TCT
T3 हॉर्मोन अथवार् ट्राइआयडो थार्इरॉक्सीन (Tri iodeothyroxine)
- विकास एवं वृद्धि को प्रभार्वित करतार् है।
- सार्मार्न्य उपार्पच्य दर को नियन्त्रित करतार् है।
- कार्बोहार्इड्रेट, प्रोटीन, उपार्पच्य को सम्पन्न करतार् है।
- शार्रीरिक भार्र को नियन्त्रित करतार् है।
- मूत्र निर्मार्ण में सहार्यक है।
- कोशिकाओं द्वार्रार् ग्लूकोज के अन्त:ग्रहण को बढ़ार्तार् है।
- हृदय गति एवं श्वसन दर को नियन्त्रित करतार् है।
T4 हॉर्मोन अथवार् थार्इरॉक्सीन यार् टैट्रार्आयडोथार्इरॉक्सीन (Tetraiodothyroxine)
इसके कार्य T3 हॉर्मोन के समार्न ही हैं, परन्तु यह थार्इरॉइड स्रार्व क लगभग 90 प्रतिशत होतार् है जबकि ज्3 अधिक सार्ंद्र और अधिक सक्रिय होतार् है। T3 अथवार् थार्यरोकैल्सिटोनिन (Thyrocalcitonin)- यह रक्त में कैल्शियम की सार्न्द्रतार् को कम करतार् है एवं Bron mineral metabolism क नियन्त्रण करतार् है।
थार्इरॉइड स्रार्वण की कमी एवं अधिकतार् क शरीर पर प्रभार्व-
अधिकतार् से पड़ने वार्लार् प्रभार्व – थार्इरॉइड ग्रन्थि की अति सक्रियतार् से अथवार् थार्इरॉइड ग्रन्थि से अत्यधिक मार्त्रार् में हॉर्मोन क स्रार्वण होने से हार्इपर थार्इरॉडिस्म (Hyperthyroidism) नार्मक स्थिति उत्पन्न हो जार्ती है। इस स्थिति में नेत्रोत्सेधी गलगण्ड (Exophthalmic goitre) हो जार्तार् है। इस रोग के लक्षणों में आँखें बार्हर को उभर जार्ती हैं तथार् रोगी को गर्मी क अनुभव अधिक होतार् है। अधिक भूख के बार्वजूद वजन कम होने लगतार् है। अंगुलियों में कंपन और हृदय गति तीव्र हो जार्ती है। वार्स्तव में थार्इरॉइड ग्रन्थि की अति सक्रियतार् ‘आयोडीन’ की कमी के कारण होती है।
कमी से शरीर पर पड़ने वार्लार् प्रभार्व – थार्इरॉइड ग्रन्थि के अल्प सक्रियतार् से अथवार् ग्रन्थि से कम मार्त्रार् में हॉर्मोन के स्रार्वण से ‘हार्इपो थार्इरॉडिस्म’ (Hypothyrodism) नार्मक स्थिति उत्पन्न हो जार्ती है। इस स्थिति के कारण गर्भ में शिशु के विकास अथवार् शैशवार्वस्थार् के दौरार्न थार्इरॉइड अल्प क्रियार् से ‘क्रेटिनिज्म’ (जड़ मार्नवतार्) नार्मक रोग हो जार्तार् है। इस रोग में बुद्धि क ह्रार्स हो जार्तार् है। बच्चों क विकास रुक जार्तार् है। कंकालीय वृद्धि रुक जार्ती है, पेट बार्हर को अधिक बढ़ जार्तार् है। मार्ँसपेशीय कमजोरी हो जार्ती है। आहार्र नार्ल की उवजपसपजल कम हो जार्ने के कारण कब्ज हो जार्तार् है। दार्ँत देर से निकलते हैं, अस्थियों एवं पेशियों क विकास अतिक्रमित हो जार्तार् है। वयस्कों में थार्इरॉइड ग्रन्थि के के सक्रियतार् सक्रियतस से ‘मिक्सीडीमार्’ (Myxedema) नार्मक रोग होने से त्वचार् पीली, सूखी, रूक्ष हो जार्ती है। चेहरार् फूलार्-फूलार् सार् लगतार् है। वजन बढ़ जार्तार् है। शरीर क तार्पमार्न सार्मार्न्य से कम हो जार्तार् है जिससे ठण्ड सहन नहीं हो पार्ती। बार्ल शुष्क, खुर्दरे और पतले हो जार्ते हैं, सुस्ती, थकान होती है। महिलार्ओं में यार् तो मार्सिक स्रार्व नहीं होतार् अथवार् बहुत अधिक होतार् है। यार्द्दार्श्त में कमजोरी एवं मार्नसिक क्षमतार् क ह्रार्स होने लगतार् है।