औद्योगिक सम्प्रेषण या औद्योगिक संचार

इस प्रकार Need को ध्यान में रखकर दोनों ही विधियों का इस प्रकार उपयोग Reseller जाना चाहिए कि इनके दोषों का यथा सम्भव निवारण हो सके। दोनों विधियों का सम्मिलित प्रयोग अधिक उचित है। आधुनिक युग में लिखित विधि का उपयोग अधिक Reseller जाता है।

मोटे तौर पर सम्प्रेषण दो प्रकार का होता है :- (i) लम्बवत्  (ii) क्षैतिज या समस्तरीय

हर संगठन में निम्नतम स्तर से उच्चतम स्तर तक सीधा संवाद कायम रहना अनिवार्य होता है। किन्तु, यह सम्प्रेषण निर्वाध Reseller से नीचे से ऊपर तक नहीं जाता। Single बिन्दु से शुरू होने वाला संप्रेषण Single स्तर तक ही जाता है। Need होने पर ही इसे और उच्च स्तर पर संप्रेषित Reseller जाता है। इसी वजह से इसे अंत:स्तरीय संचार भी कहा जाता है। इस प्रकार के संचार को मुख्यतया दो भागों में बाँटकर अध्ययन कर सकते हैं

इसके अन्तर्गत विचारों तथा सूचनाओं का प्रवाह उच्च स्तर से निम्न स्तर की ओर होता है। Meansात ् यह सम्प्रेषण पब्र न्धन व अधिकारी वगर् की ओर से कर्मचारी व श्रमिक वर्ग की ओर होता है। इसके अन्तर्गत सूचनाएँ संगठन के सर्वोच्च स्तर से निम्नतम स्तर की ओर प्रवाहित होती हैं। पब्र न्धन द्वारा निर्धारित विभिन्न नीतियाँ, आदेश, कार्यपण््र ाालियाँ, कार्य के विशिष्ट नियम, आदि का अधोमुखी सम्प्रेषण करके उसे अधीनस्थों तक उनके अनुपालन हेतु पहुँचाया जाता है। इसी प्रकार, कार्य सम्बन्धी नियमों में परिवर्तन, Saftyत्मक And कल्याणकारी उपाय, उत्पादन, विकास And सुधार सम्बन्धी धारणाएँ, उत्पादन सूचना, कार्य की दशाओं सम्बन्धी आदेश And कार्य सम्पादन हेतु आवश्यक निर्देश आदि All श्रेणियों के कर्मचारियों को सर्वोच्च पब्र न्धन द्वारा संप्रेषित किए जाते हैं। पदोन्नति, स्थानान्तरण आदि से सम्बन्धित आदेश भी इसी प्रकार के सम्प्रेषण के अन्तर्गत आते हैं। सूचनाएँ पहुँचाने के लिए श्रमिक या कर्मचारी के निकटतम वरिष्ठतम अधिकारी (जैसे फोरमैन) या पर्यवेक्षक को माध्यम बनाया जाता है। अत: यह आवश्यक है कि इन अधिकारियों को संगठन की संचार Needओं तथा सम्प्रेषण प्रणाली का पयार्प् त प्रशिक्षण व सही जानकारी दी जाए।

संगठन And प्रशासन का कार्य केवल अधोमुखी संचार से ही सम्पन्न नहीं हो सकता। इसके लिए विभिन्न आदेशों And निर्देशों आदि के बारे में सम्बन्धित अधिकारियों And कर्मचारियों की प्रतिक्रिया And उनके अनुपालन की स्थिति के बारे में फीडबैक प्राप्त होना भी आवश्यक है। निम्नतम स्तर के कर्मचारियों ऋके स्तर पर उत्पन्न होने वाली सूचनाएँ And उत्पादन की स्थिति से सम्बन्धित अद्यतन सूचनाएँ ऊपर तक निर्बाध And नियमित Reseller से पहुँचती रहनी चाहिए। इन्हीं सूचनाओं के आधार पर सर्वोच्च प्रबन्धक कर्मचारियों की गतिविधियों पर अपना नियंत्रण रखने में समर्थ होते हैं तथा अपने इच्छित लक्ष्यों को हासिल कर पाते हैं।

ऊध्र्वमुखी सम्प्रेषण की Single सुनिश्चित व्यवस्था औद्योगिक इकार्इ में कायम करनी पड़ती है, जिससे यह निश्चित होता है कि ‘क्या’, ‘कैसे’, ‘किसको’, ‘कब’, ‘किसके द्वारा’ सूचनाएँ संप्रेषित की जाएँगी। फोरमैन And पयर्व ेक्षक, मध्य स्तरीय पब्र न्धक तथा उच्च पब्र न्धक किस प्रकार अपने से उच्चतर स्तर से संपर्क व सम्प्रेषण करेंगे, इसकी Single सुनिश्चित प्रणाली का निर्माण आवश्यक होता है ताकि उचित सलाह, समाचार या सूचना, उचित स्त्रोत से, उचित माध्यम से, तथा उचित समय पर सर्वोच्च प्रबन्धनया नियोक्ता तक पहुँच सके व समय रहते उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।

ऊध्र्वमुखी संप्रेषण भी औद्योगिक इकार्इ या अन्य किसी संस्थान के लिए उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि अधोमुखी सम्प्रेषण। ये दोनों प्रकार के सम्प्रेषण मिलकर शरीर में रक्त संचार की भाँति सूचनाओं को ऊपर से नीचे से ऊपर संचालित करते हैं। इससे आम कर्मचारियों तथा प्रबन्धन के बीच (संचार शून्यता की स्थिति नहीं आती व संस्थान के स्वस्थ संचालन में मदद मिलती हैं। यदि संगठन में सूचनाओं का निरन्तर प्रवाह न बना रहे, तो संगठन के संचालन में कर्इ कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे कि –

संगठन में ऊध्र्व सम्प्रेषण की उचित प्रणाली व फीडबैक सिस्टम का विकास करके उपरोक्त कठिनाइयों से बचा जा सकता है। निचले स्तरों से विश्वसनीय सूचनाओं And तथ्यों के निर्बाध प्रवाह से उच्च स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय अधिक ग्राºय व Need के अनुReseller होंग,े जिससे कर्मचारियों में संतोष की भावना का विस्तार होगा, जोकि औद्योगिक संगठन के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक हैं।

क्षैतिजीय संचार समान स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के मध्य होने वाले विचार विनिमय से सम्बन्धित है। All संगठनों में हर स्तर के कर्मचारियों, अधिकारियों, व श्रमिकों में अपने कार्य And हितों के संरक्षण तथा संगठन की कार्यपद्धति व समस्याओं पर आपस में Discussion होती रहती है। यह Discussion व संवाद अनौपचारिक व औपचारिक दोनों प्रकार का होता है। विभिन्न विभागों के पर्यवेक्षकों व मध्यम स्तरीय प्रबन्धकों के बीच विचारों के परस्पर आदान प्रदान से संगठन का कार्य संचालन सुगम हो जाता है व समस्याओं का निदान व समाधान भी त्वरित ढंग से Reseller जा सकता हैं।

इस प्रकार के सम्प्रेषण में All प्रकार की क्रियाएँ, प्रतिक्रियाएँ तथा सहयोगी भावनाएँ समाहित होती हैं। वैसे कर्मचारी तथा पयर्व ेक्षकों, कार्य अधीक्षक व प्रबन्धक, श्रम संघ के प्रतिनिधि व कर्मचारी अथवा पर्यवेक्षक के मध्य सम्प्रेषण समस्या की प्रकृति पर भी निर्भर है। उसी के अनुReseller यह अनौपचारिक अथवा औपचारिक स्वReseller प्राप्त करता है। परिवादों के निपटारे में इस बात का सम्प्रेषण काफी उपयोगी हो सकता हैं। वस्तुत: किसी भी कार्य में First स्तर रेखीय प्रबन्धक (पर्यवेक्षक) ही मुख्य सम्प्रेषक होता है। उसे कम्पनी या संगठन के उद्देश्यों, आदर्शो व विभिन्न मुद्दों पर स्थापित नीतियों को समझना तथा अपने दृष्टिकोण को सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि वह अपने दैनन्दिन कार्य संचालन में सफल हो सके, अपने कर्मचारियों की समस्याओं व हितों को समुचित ढंग से समझ सके, संगठन की नीतियों से कर्मचारियों को अवगत करा सके व कार्य की बाधाओं व समस्याओं को दूर करने व श्रमिकों की समस्याओं के निवारण में प्रबन्धकों का सहयोग ले सके। क्षैतिजीय संचार प्रणाली दुरूस्त होने पर ये कार्य आसानी से सम्पन्न हो जाते हैं।

विचार सम्प्रेषण के मौखिक व लिखित दोनों ही माध्यम हो सकते हैं, जो हैं। :

(B) उध्र्वमुखी सम्प्रेषण के माध्यम :

मौखिक लिखित
1. सम्मुख वार्तालाप, साक्षात्कार। 1. प्रतिवेदन- निष्पादन प्रतिवेदन,
उत्पादन, मूल्य, किस्म, नैत्यिक लाभ
सम्बन्धी व अन्य विशिष्ट प्रतिवेदन 
2. टेलीफोन पर वार्तालाप व
साक्षात्कार, टेली
कान्फ्रेन्सिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग
आदि। 
2. व्यक्तिगत पत्र, प्रार्थना पत्र, सूचनाएँ।
3. बैठकें, सम्मेलन, पर्यवेक्षकों से विचार विमर्श 3. परिवेदना निवारण प्रणाली।
4. सामाजिक व्यवहार/रीति रिवाज।  4. विचार विमर्श प्रणाली। 
5. अंगूरलता संवाद प्रणाली  5. अभिरूचि And सूचना सर्वेक्षण 
 6. श्रम संघ का प्रतिनिधित्व व सूचना के अन्य स्त्रोत 6. श्रम संघ के प्रकाशन
7. सम्पर्कात्मक प्रबन्धन।

(C) क्षैतिजीय सम्प्रेषण के माध्यम :

मौखिक लिखित
1. भाषण, सम्मेलन, कमेटियाँ, बैठकें। 1. पत्र, मेमो And प्रतिवेदन
2. टेलीफोन तथा अन्तर्विभागीय संचार
सुविधा, चलचित्र, स्लाइडें, आदि।
2. आंतरिक सूचना प्रणाली, बुलेटिन
व प्रकाशन।
3. सामाजिक व्यवहार व रीतियाँ 3. बुलेटिन बोर्ड व पोस्टर
 4. अंगूर लता संवाद प्रणाली,
अफवाहें
4. निर्देश पुस्तिकाएँ व मैन्युअल
5. भोंपू, घंटी, आदि  5. संगठन के प्रकाशन, आदि।

 

1. सम्प्रेषण के विभिन्न माध्यमों का descriptionात्मक विवेचन 

सम्प्रेषण के माध्यम से आशय उन विधियों से है जिनके द्वारा संदेश वांछित व्यक्तियों तक पहुँचाया जाता है। सम्प्रेषण के लिखित माध्यमों को अधिक प्रभावी माना जाता है। इनमें से कुछ का descriptionात्मक विवेचन निम्न प्रकार हैं :

(1) कर्मचारी पुस्तिकाएँ :नवागन्तुक कर्मचारियों के लिए इन पुस्तिकाओं का बड़ा महत्व होता है। इससे उन्हें कम्पनी का परिचय, व्यावसायिक नीतियों, व्यवसाय की प्रकृति, संगठन के उद्देश्यों, व कम्पनी के उपलब्ध सेवाओं आदि का परिचय हो जाता है। इसमें फैक्टरी की उतपादन प्रक्रिया, विभिन्न उतपादों, ग्राहकों, लाभ-हानि, कच्चे माल के स्त्रोतों का भी description हो सकता है। इसमें कर्मचारी को होने वाले लाभों, दैनिक सामान्य समस्याओं व उनके कर्तव्यों का description भी हो सकता है। इन All सूचनाओं के प्रकटन में यथा जरूरत चार्टो, तालिकाओं, ग्राफों, चित्रों, कार्टूनों आदि का प्रयोग भी Reseller जाता है। Single अच्छी कर्मचारी पुस्तिका में सामान्यत: निम्न बातें सम्मिलित रहती हैं :

  1. कर्मचारी का नाम, पद, टोकन नं0, विभाग, पता, आयु। 
  2. अनुशासन, पदमुक्ति And सेवा निवृत्ति के नियम। 
  3. संगठन का History And प्रबन्धन प्रणाली। 
  4. व्यवसाय में उत्पादन And उत्पादकता संबंधी सूचना। 
  5. विभिन्न नीतियों, निर्देशों व आदेशों के मूल अंश। 
  6. मनोरंजन, चिकित्सीय व अन्य सुविधाओं की जानकारी। 
  7. कल्याण सुविधाओं जैसे- अल्पाहार गृह, सहकारी समिति, उचित मूल्य की दुकान वाचनालय, पुस्तकालय, रात्रिशालाएँ, प्रौढ़शालाएँ, कार्य सम्बन्धी पत्र पत्रिकाएँ, कल्याण कार्यालय, शिशु गृह, शिक्षा संस्थाएँ, आवागमन की सुविधाएँ, अग्निशमन सेवाएँ आदि का description। 
  8. सामूहिक सौदेबाजी तथा श्रम संघ व्यवस्था की जानकारी। 
  9. नियोजन के अवसर, पदोन्नति, तथा विकास के अवसर, आदि। 
  10. अवकाश के नियम, कार्य के घंटे, मजदूरी सम्बन्धी नियम तथा कार्य की दशाओं के बारे में सूचना।
  11. आनुसंगिक लाभ योजनाओं तथा बोनस And बीमा योजनाओं की जानकारी। 

कर्मचारी को ये सूचनाएँ प्राप्त हो जाने पर उसे यह अनुभव होता है कि संगठन उसके हितों के प्रति कितना सजग है। उसे अपने दायित्वों का भी आभास होता है। इन सबसे उसके कार्य मनोबल पर सकारात्मक असर पड़ता है।

(2) मैगजीन And पत्र पत्रिकाएँ :कुछ संगठन अनेक पत्र पित्राकाओं का प्रकाशन करके कर्मचारियों को व्यवसाय की गतिविधियों, विकास के कार्यो तथा प्रशासन में सक्रिय विभूतियों, आदि के बारे में परिचित कराते रहते हैं। हाउस मैगजीन से ऐसा मंच तैयार होता है जिससे प्रबन्धक व कर्मचारी Single Second के प्रत्यक्ष संपर्क में रहते हैं। यह कम्पनी की नीतियों को अत्यन्त सरल ढंग से प्रस्तुत करने व कर्मचारियों को कल्याण सुविधाओं से अवगत रखने में सहायक होती है। मैगजीन किसी कर्मचारी या कर्मचारियों के प्रति उपक्रम के दृष्टिकोण को उजागर करती है। इससे संस्था के प्रति कर्मचारी को अपना दृष्टिकोण व स्वामिभक्ति पुष्ट करने में मदद मिलती है। मैगजीन का सम्पादन कार्मिक विभाग के अधिकारियों द्वारा Reseller जाता है। विभिन्न श्रेणियों के कार्मिकों को सम्पादन मंडल में रखा जाता है। इससे कर्मचारियों में Singleता की भावना सुदृढ़ होती है। और विभिन्न स्तरों के कर्मचारियों को नजदीक आने का अवसर प्राप्त होता है।

(3) सलाह योजना : इस प्रणाली का उपयोग उत्पादन व्यय, व्यक्ति की कार्य के प्रति रूचि को बढ़ाने, तथा प्रबन्धकों के सम्मुख अपने विचार प्रकट करने व अच्छी सलाह होने पर पुरस्कृत करने की योजना बनार्इ जाती है। व कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त Reseller जाता है। श्रमिक वर्ग Single ओर मशीनों, उत्पादन विधियों And अन्य उपकरणों में सुधार की सकारात्मक सलाह देते हैं, तो दूसरी ओर वर्तमान सुविधाओं, कार्य की दशाओं आदि के प्रति अपना असंतोष, यदि कोर्इ हो, व्यक्त करते हैं। सुझाव पेटियों का भी इस्तेमाल Reseller जाता है। इस प्रणाली को सफल बनाने के लिए –

  1. उचित मौद्रिक पुरस्कार के लिए धन की पृथक् व्यवस्था की जाती है।
  2. प्रणाली के संचालन हेतु संयुक्त समिति का गठन Reseller जाता है। 
  3. विशिष्ट सूचनाएँ व समस्याएँ प्रत्येक कर्मचारी तक पहुँचाकर उसे अपने विचार प्रकट करने का अवसर दिया जाता है।
  4. प्रबन्धक तथा पर्यवेक्षक इस प्रणाली को महत्व देते हैं।
  5. सलाह प्राप्त होने पर तत्सम्बन्धी पूर्ण जानकारी प्राप्त कर समुचित कदम उठाने की प्रबन्धक चेष्टा करते हैं।

(4) आंतरिक पत्र-पत्रिकाएँ : इन पत्रिकाओं में कम्पनी के समाचार, कर्मचारियों को व्यक्तिगत सूचना (जैसे-गोष्ठियों के सन्दर्भ, विवाह सम्बन्धी समाचार, जन्म, सेवा-निवृत्ति, पुरस्कार, पदक, आदि के समाचार) दी जाती है। इन समाचारों को चित्रों में भी प्रदर्शित Reseller जाता है। इसके अतिरिक्त, चित्रों में कम्पनी द्वारा उत्पादित वस्तुओं का प्रदर्शन Reseller जाता है जिससे कर्मचारियों को नयी वस्तुओं, नयी शोधों तथा कम्पनी की प्रगति के बारे में जानकारी मिलती रहती है। प्रतीकात्मक कहानियों में प्राय: पदोन्नति, सेवा-निवृत्ति, घरेलू क्रिया-कलाप, खेलकूद, Safty, विचार-विमर्श, आदि बातें सम्मिलित की जाती है।

(5) कर्मचारी समाचार-पत्र- अच्छी तरह तैयार किये गये समाचार पत्रों द्वारा कर्मचारियों के साथ सम्प्रेषण में सहायता मिलती है। समाचार पत्र में कुछ पष्ृ ठ कर्मचारियों के लिए नियत किये जाते हैं, जिसमें ‘‘श्रमिक या कर्मचारी के पत्र‘‘ शीर्षक से उनके विचार प्रकाशित किये जा सकते हैं। कर्मचारी पत्र मुख्यत: कर्मचारियों के विचारों को प्रस्तुत करते हैं न कि प्रबन्ध के। यद्यपि कम्पनी की नीतियों, विकास सम्बन्धी कार्यवाहियों, Saftyत्मक, कल्याणकारी तथा अन्य सामान्य रूचि के कार्यो (जैसे मनोरंजन की सुविधाएँ, कार्य-विश्लेषण, खेल-कूद सम्बन्धी बातें, आदि की जानकारी देने) के लिए स्थान निश्चित रहता है, किन्तु फिर भी वह पत्र कर्मचारियों की सूचनाएँ अधिक प्रकाशित करता है। कर्मचारी पत्र में विभिन्न कार्यो का description, विकास के साधन, संयन्त्र विस्तार, नयी भर्ती व्यवस्था, आदि का description रहता है। इसमें वार्षिक प्रतिवेदन के उपयोगी अंश भी प्रकाशित किये जाते हैं। कम्पनी अपने कर्मचारियों के पत्रों का प्रकाशन स्थानीय समाचार पत्रों में भी विज्ञापनस्वReseller करवाती है।

(6) कर्मचारियों को वित्तीय प्रतिवेदन: इन प्रतिवेदनों में वांछित तथ्यों को प्रस्तुत Reseller जाता है जिससे व्यापार की प्रवृत्ति, उसके लाभ, व्यय, आय, वितरण, आदि की जानकारी कर्मचारियों को मिलती है। ये प्रतिवेदन कर्मचारी के लिए लाभदायक तो है ही, किन्तु कम्पनी की स्थिति को स्पष्ट And अधिक सुदृढ़ करने में भी सहायक होते है। कर्मचारी तथा प्रबन्धकों के मध्य आपसी सम्बन्ध, उन्हें Single-Second के समीप लाने तथा Single-Second के प्रति अधिक विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने में भी इन प्रतिवेदनों से सहायता मिलती है। सामान्यत: वार्षिक अथवा त्रैमासिक प्रतिवेदन (जो अंशधारियों को निर्गमित किये जाते है) श्रमिकों के लिए अधिक लाभदायक सिद्ध नहीं होते क्योंकि श्रमिक अधिकांशत: न केवल अशिक्षित होते हैं, वरन् तकनीकी भाषा को समझने में भी असमर्थ रहते है। अत: इनके प्रयोगार्थ वित्तीय प्रतिवेदन भी सामान्य Reseller से सरल बनाकर प्रस्तुत Reseller जाता है। ये प्रतिवेदन विभिन्न माध्यमों से वितरित किये जाते हैं जैसे विशिष्ट पैम्फलेट, कर्मचारी मैगजीन, आदि।

(7) प्रकाशित भाषण जिनमें सेविवर्गीय नीतियाँ उद्धृत हों : इन प्रकाशनों से कर्मचारियों को कम्पनी की नीतियों का पूर्ण ज्ञान हो जाता है। इसमें नियोगी-नियोक्ता सम्बन्ध भी स्पष्ट हो जाते हैं। इसमें कर्मचारी पुि स्तका के बारे में प्रश्नोत्तर प्रस्तुत किये जाते हैं। जिससे कर्मचारी All निर्धारित नीतियों की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। All सेविवर्गीय नीतियाँ Single ही पत्रिका में प्रकाशित कर दी जाती हैं तथा बाद में भिन्न-भिन्न विषयों के लिए पथ्ृ ाक् पैम्फलेट प्रकाशित किये जाते हैं। जैसे प्रॉवीडेण्ट फण्ड, सेवा-निवृत्ति योजना, उत्पादन बोनस, लाभ-भागिता, सहकारी समिति तथा स्थायी आदेश सम्बन्धी सूचना।

(8) सूचना या प्रदर्शन-पट्ट :इन्हें ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ कर्मचारी इनके सम्पर्क में आते हैं। इनमें पठन-पाठन सामग्री रखी जाती है। वे प्राय: दरवाजों के पास, कॉफी हाउस, जलपान-गृह, आदि में लगाये जाते हैं। खुले स्थान पर ‘‘क्या आपने पढ़ा है?’’ या ‘‘Single अपने लिए लीजिए’’ Word लिखे रहते हैं। पुस्तिकाओं तथा पैम्फलेटों में विभिन्न प्रकार के खेल And सामग्री उपलब्ध होती हैं। जिनमें अनेक प्रवृत्तियों, (खाना बनाना, कंशीदाकारी तथा सिलार्इ की विधि, गृह Meansशास्त्र, मनोरंजन, शिक्षा सम्बन्धी सूचनाएँ, दुर्घटना से बचाव, मित्रों से कैसे मिलें And उन्हें कैसे प्रभावित करें, गृह व्यवस्था, बागवानी, कर प्रणाली, आदि) पर जानकारी सम्मिलित रहती है।

(9) बुलेटिन बोर्ड : सामान्यत: बड़े संगठनों में कर्मचारियों के लिए Single बुलेटिन बोर्ड रखा जाता हैं। जिसमें विभिन्न आकर्षक रंगों तथा सुन्दर अक्षरों का प्रयोग Reseller जाता है। इन बोर्डो पर सामान्य पसन्दगी के समाचार, कार्टून, आवश्यक फोटोग्राफ, वर्तमान तथा भूतकाल में कार्यरत कर्मचारियों के बारे में सूचनाएँ, जन्म, मृत्यु, विवाह तालिका, आदि की सूचना, Saftyत्मक, खेल-कूद, आदि सम्बन्धी सूचनाएँ दी जाती है। विशेष बैठकों की सूचना, कलैण्डर (कार्य के दिन And अवकाश की सूचनाएँ, विक्रय सम्बन्धी सूचना, कर्मचारी मांग पत्र, जलपान-गृह के तैयार भोज की सूचना तथा अन्य सूचनाएँ) भी सम्मिलित की जाती है।

(10) दृश्य-श्रव्य उपकरण : इसके अन्तर्गत अच्छी फिल्मों, चल-चित्रों को दिखाने, टेप द्वारा विविध भाषणों को सुनाने का आयोजन Reseller जाता है। इस प्रणाली का लाभ यह है कि इससे कर्मचारियों को विभिन्न अधिकारियों के विचार सुनने का अवसर प्राप्त होता है जिससे किसी प्रकार की सम्प्रेषण की त्रुटि नहीं रहती और श्रमिक, भाषण के विचारों को उसी Reseller में समझने में समर्थ होता है, जिस Reseller में वे कहे गये है। चलचित्रों के माध्यम से यह बताया जाता है कि विभिन्न उत्पादन प्रक्रियाएँ कैसे की जाती है ? विभिन्न कार्य कैसे किये जाते हैं। विभिन्न नियमों का पालन कैसे Reseller जाता है? प्रत्यक्ष सम्प्रेषण के लिए संयन्त्र के अनुभागों में ‘‘आवश्यक घोषणा’’ से भी कार्य लिया जा सकता है। यह प्रणाली Singleतरफा होते हुए भी बड़े व्यवसायों में सम्प्रेषण के अच्छे माध्यम के Reseller में कार्य कर सकती है। इस प्रणाली का प्रयोग अनुपस्थिति दर घटाने, थकान कम करने, तोड़-फोड़ And कार्य में अपव्यय को कम करने में Reseller जाता है।

(11) पोस्टर : सम्प्रेषण हेतु इस प्रणाली का अत्यधिक प्रयोग Reseller जाता है। इसके द्वारा विभिन्न तथ्यों को पोस्टर द्वारा प्रदशिर्त Reseller जाता हैं। इस पर कर्इ विशिष्ट वस्तुओं के चित्र, विभिन्न रेखाचित्र, बिन्दु-चित्र, आदि प्रदर्शित किये जाते हैं। इस प्रणाली में ध्यान रखने योग्य बात यह है कि ज्यों ही कोर्इ पोस्टर पुराना हो जाय, या फट जाय त्योंही नया पोस्टर लगा दिया जाना चाहिए।

(12) सूचना पट्ट : सामान्यत: सूचना प्रसारण हेतु सूचना पट्ट का प्रयोग Reseller जाता है। इन पट्टों पर सामान्यत: निम्न सूचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं : (i) विभिन्न नियमों के संक्षिप्त उद्धरण (जैसे कारखाना अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम, बाँइलर तथा बिजली अधिनियम) प्रस्तुत किये जाते हैं। (ii) राजकीय सूचनाएँ जैसे कार्य के घण्टे, वेतन भुगतान के दिन, छुट्टियों की सूचना। (iii) स्थायी आदेश। (iv) संगठन में चल रही विभिन्न प्रवृत्तियों सम्बन्धी सूचनाएँ (जैसे सहकारी समिति, खेल-कूद समिति, कला समिति, आदि की क्रियाएँ)। (v) प्रKingीय दृष्टि से प्रबन्ध द्वारा निर्गमित आदेश And परिपत्र।

औद्योगिक संचार की प्रक्रिया 

सूचना सम्प्रेषण की प्रक्रिया में Firstत: तीन चरण पूरा हो जाने पर चतुर्थ चरण- कार्यवाही का आरम्भ होता है। ये चरण निम्न प्रकार हैं।

  1. First – सूचना का सम्प्रेषण
  2. द्वितीय – सूचना को समझना
  3. तृतीय – सूचना को स्वीकार करना
  4. चतुर्थ – सूचना का कार्यवाही हेतु उपयोग

संचार की प्रक्रिया

औद्योगिक सम्प्रेषण प्रक्रिया के तत्व 

  1. प्रेषक : संवाद की प्रक्रिया प्रेषक से ही आरम्भ होती हैं। संवादकतार् को यह ध्यान में रखना चाहिए कि : (i) वे क्या भावनाएँ, विचार अथवा सूचनाएँ हैं, जो भेजनी हैं ?, (ii) ये सूचनाएँ किसे भेजनी हं?ै (iii) क्या प्रेषिती सूचना प्राप्त करने के लिए तैयार है?; (iv) संदेश के लिए कूट Wordों का उपयोग करना है या नहीं; यदि हाँ, तो संदेश का कूटबद्धीकरण कैसे करना है ?; (v) संदेश को कैसे प्रभावकारी बनाया जाए?; तथा (vi) सम्प्रेषण का माध्यम क्या हो? इस प्रकार, सारे संवाद, उसकी गुणवत्ता, व प्रभावकारिता प्रेषक की कुशलता पर निर्भर है, क्योंकि वही संचार प्रक्रिया का पहलकर्ता होता है।
  2. प्रेषिती : संवाद प्राप्तकर्ता सम्प्रेषण का दूसरा छोर होता है। वही संदेश सनु ता या प्राप्त करता है; वही उसकी कूट भाषा का Resellerान्तरण करता है; तथा संदेश को सही Meansो में समझकर कायर्व ाही करता है। इसीलिए, प्रेषिती को मामले की पर्याप्त समझ व ज्ञान होना चाहिए। तभी सम्प्रेषण के उद्देश्यों को हासिल Reseller जा सकता हैं। प्रेषिती के समर्पित And समझदारीपूर्ण आचरण से ही संप्रेषणप्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सकता है।
  3. सन्देश : वह सूचना, विचार अथवा निर्देश जो प्रेषक द्वारा प्रेषिती को भेजा जाता है, संदेश कहलाता है। सन्देश बहुत ही स्पष्ट, लिपिबद्ध, उद्देश्यपूर्ण, समयानुकूल तथा नियंत्रण And कार्यवाही के योग्य होना चाहिए। सन्देश ही सम्प्रेषण प्रक्रिया का प्रमुख तत्व है।
  4. संप्रेषण का माध्यम : संचार चैनेल प्रेषक व प्रेषिती के मध्य सेतु का कार्य करता है। सन्देश Single छोर से दूसरी छोर पर पहुँचाने के लिए प्रत्यक्ष संदेश, पत्र, पत्रिकाएँ, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, सेमीनार, मीटिंग, आदि का इस्तेमाल Reseller जाता है। इन्हें ही संचार के माध्यम के Reseller में जाना जाता है।कार्यवाही : किसी भी सन्देश को भेजने व प्राप्त करने का अन्तिम उद्देश्य किन्हीं लक्ष्यों की प्राप्ति ही होता है। इसलिए सन्देश की सफलता इसी बात में निहित है कि प्रेषिती उसे सही Reseller में समझ ले व यथा Need आगे की कायर्व ाही सुनिश्चित करे। इस प्रकार, इच्छित प्रतिफल की प्राप्ति के लिए संदेश की प्रतिक्रिया स्वReseller कार्यवाही का होना अनिवार्य है।

प्रभावी संप्रेषण के अवरोधक 

प्रभावी संचार व्यवस्था प्रबन्धन की आधारशिला होती है, क्योंकि इसी के माध्यम से प्रबन्धक कर्मचारियों को वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रेरित, निर्देशित व नियंत्रित करते हैं। उपक्रम की नीतियों का निर्वचन, समस्याओं का स्पष्टीकरण व उनका निवारण आदि तभी संभव है जब संप्रेषण प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न न हो और वह प्रभावी ढंग से चलती रहे। लेकिन संप्रेषण Single जटिल प्रक्रिया है और यह कर्इ तत्वों द्वारा निर्धारित व प्रभावित होती है। इस प्रक्रियामें अनेक रूकावटें भी उत्पन्न हो जाती हैं। जो संचार प्रक्रिया को बाधित कर देती है। प्रभावी सम्प्रेषण में आने वाली कुछ पम्र ुख बाधाएँ इस प्रकार है :

(1) भाव-अभिव्यक्ति-

संदेश में जो भाव प्रकट किए जाते है, प्राय: ऐसा होता है कि कर्मचारी उसे उसी Means में समझ नहीं पाते। Single ही Word का विभिन्न लोग अलग-अलग Means निकालते है। क्यों कि लोगों के आचार विचार, पूर्व धारणाएँ, अभिनति, शैक्षणिक व सामाजिक स्तर, आदि उनके बौद्धिक स्तर व व्यवहार को प्रभावित करते हैं। उसी संदेश का कोर्इ क्या Means निकालेगा व उस पर क्या प्रतिक्रिया देगा, यह इन्हीं सब बातों पर निर्भर करता है। अत: औद्योगिक संस्थानों में सम्प्रेषण के लिए संदेश देते समय प्रबन्धकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि Wordों का चयन समझबूझ व सावधानी पूर्वक Reseller जाए। ऐसे Wordों व वाक्यांशों, जिनके कर्इ भाव निकलते हों, प्रेषक को चाहिए कि वह उनका स्पष्ट निर्वचन भी संदेश के साथ ही कर दे। इससे प्रभावी संचार के मार्ग का Single मुख्य अवरोध दूर होगा।

(2) अधिक Wordों का प्रयोग –

संदेश का निर्माण करते समय सरल Wordों का प्रयोग ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि Wordों का प्रयोग कम से कम व सटीक प्रकार से Reseller जाना आवश्यक है। यदि कोर्इ वाक्य अनावश्यक Reseller से बहुत लम्बा व जटिल रहता है तो श्रमिक वर्ग उसे सही Means में समझ नहीं पाता व ऐसी भाषा संचार में अवरोधक का कार्य करती है। अत: संदेश सरल, स्पष्ट व संक्षिप्त होने चाहिए।

(3) भौतिक दूरी-

प्रभावी सम्प्रेषण में दूरी भी बाधक होती है। अत्यधिक भौतिक दूरी होने पर यह ज्ञात हो पाना कठिन होता है कि प्रेषिती ने संदेश को उसी Reseller में ग्रहण Reseller है अथवा नहीं व उस संदेश का अनुपालन उसी Reseller में हुआ है अथवा नहीं। दूरी की अवस्था में टेलीफोन व टेलीकांफ्रेंसिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग, आदि आधुनिक साधनों का उपयोग Reseller जाना चाहिए। यदि ये सुविधाएँ न हों तो लिखित सम्प्रेषण व लिखित फीडबैक प्राप्त करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस बात की पुष्टि भी की जानी चाहिए कि सूचना को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत नहीं Reseller गया है अथवा उसे अनावश्यक Reseller से रोका तो नहीं गया है।

(4) प्रेषक व्यक्ति

सम्प्रेषण की प्रक्रिया में अनेक लोग लगे होते हैं। कर्इ बार इनमें से कोर्इ व्यक्ति स्वयं अवरोधक बन जाता हैं। इस प्रकार संचार श्रंख्ृ ाला पूरी नहीं हो पाती। सूचना के उद्गम स्थल पर ही यदि कोर्इ त्रुटि रह जाती है तो सूचना का अग्रप्रेषण व उसकी समझ गलत हो सकती है। पर्यवेक्षक व कर्मचारियों के विचार व व्यवहार, आपसी विवाद, झगड़े, सुधारात्मक सुझाव व संवादों का समुचित सम्मान न होना, उच्च स्तर की ओर भेजे जाने वाले सम्प्रेषण को बाधित करते है। प्रेषक व्यक्ति ऐसी किसी सूचना को ऊपर की ओर जाने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे उनकी कार्यकुशलता का स्तर व अकर्मण्यता उजागर होती हो। जबकि सर्वोच्च प्रबन्धन के लिए ऐसी सूचनाओं का बड़ा महत्व होता है। इस प्रकार की गतिविधियों से समस्याएँ जटिल Reseller ले लेती हैं।

(5) रूचि –

व्यक्ति अक्सर उस बात को ज्यादा ध्यान से सुनता व पालन करता है जिसमें उसका व्यक्तिगत हित होता है। अन्य सूचनाओं को लोग बहुधा नजरंदाज करते हैं व उसमें उनकी रूचि नहीं होती। फलत: सामाजिक व सार्वजनिक हित के सम्प्रेषण उतने प्रभावी नहीं हो पाते। इसी प्रकार, यदि प्रेषक ने प्रेषिती को जो सम्वाद भेजा है वह उसकी रूचियों के अनुReseller नहीं है, तो वह उतना प्रभावी नहीं रहता। अध्ययन की दृष्टि से सम्प्रेषण की रूकावटों को निम्न चार भागों में बाँट सकते हैं:

  1. व्यक्तिगत असमानताएँ 
  2. कम्पनी का वातावरण 
  3. यांत्रिक रूकावटें
  4. अन्य रूकावटें 
    इन चारों प्रकार की बाधाओं को निम्न चार्ट द्वारा और भी विस्तार से समझा जा सकता है।

    नेटवर्क विश्लेषण 

    किसी भी संगठन में संचार का Single ढाँचा खड़ा हो जाता है। जिसमें सम्प्रेषण के All चैनल तथा लाइनें Single Second से सम्बद्ध हो जाती हैं। इस प्रकार संचार नेटवकर् के अन्तर्गत सूचनाएँ क्रमश: Single से Second व्यक्ति को संप्रेषित होती रहती हैं। संचार नेटवर्क में दो प्रकार के चैनलों से सूचनाएँ संवाहित होती हैं। – आपै चारिक और अनापै चारिक चैनल। नेटवर्क विश्लेषण के द्वारा इन दोनों ही प्रकार के चैनलों से उभरने वाली सूचनाओं का विश्लेषण Reseller जाता है। हर प्रकार का संचार नेटवर्क सूचनाओं के दो-तरफा निर्द्वन्द प्रवाह को सुनिश्चित करने वाला होना चाहिए। तभी उसे उचित ठहराया जा सकता है। नेटवर्क विश्लेषण के द्वारा सूचना नेटवर्क के उचितपन तथा विश्वसनीयता को जाँचा जाता है। यह अप्रासंगिक सूचनाओं को हटाकर संचार पथ को मजबूती दे सकता है। इसी प्रकार संप्रेषण तकनीकों की प्रासंगिकता व विश्वसनीयता का भी विश्लेषण करके इनका चयन करने अथवा न करने का फैसला लिया जा सकता है। नेटवर्क विश्लेषण के अन्तर्गत सूचना वैयिक्तीकरण उपकरणों का उपयोग करते हुए किसी सूचना नेटवर्क की सटीकता को परखा जा सकता है। इससे तथ्यों की Safty प्रणाली तथा गतिशील तथ्याधार भी सुनिश्चित Reseller जा सकता है।

    औद्योगिक संचार प्रणाली 

    Indian Customer उद्योगों में ऊध्र्वगामी व अधोगामी दोनों प्रकार की संचार प्रणाली कार्य करती है। साथ ही, समान स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों में क्षैतिज संप्रेषण भी होता रहता है। यह सूचना सम्प्रेषण औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के चैनलों के माध्यम से चलता है। स्वस्थ संचार व्यवस्था के लिए आवश्यक है कि सारा सम्प्रेषण द्विमार्गी हो, किन्तु दुर्भाग्यवश, Indian Customer उद्योगों में अधोगामी संचार पर अधिक जोर है तथा ऊध्र्वगामी संचार, अधिकांशतया, समुचित ढंग से सम्पन्न नहीं हो पाता, क्योंकि Indian Customer संगठनों, चाहे वे सार्वजनिक प्रतिष्ठान हों या निजी, में बहुधा नीचे के स्तरों से आने वाली सूचनाओं, फीड बैक, तथा आवेदनों को उचित महत्व नहीं दिया जाता। प्रबन्धकों व अधिकारियों द्वारा इस तरह की प्रवृत्ति के चलते ही कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता है। इससे अनापै चारिक संचार प्रणाली जैसे अंगूरलता सम्प्रेषण व क्लस्टर नेटवकांर् े तथा गपशप को बढ़ावा मिलता है। इसीलिए Indian Customer संस्थानों में अक्सर अफवाहों का बाजार गर्म रहता है। सामान्यतया, Indian Customer प्रतिष्ठानों में संचार व्यवस्था में दिक्कतें पायी जाती हैं :

    1. अधिकांश प्रतिष्ठानों में सहभागी निर्णय प्रक्रिया का अभाव पाया जाता है। अधिकांश उद्यमी तथा प्रबन्धक सत्तावादी मानसिकता से ग्रस्त हैं। अत: वे आदेश देने व उनका पालन करवाने पर अधिक ध्यान देते हैं व नीचे से आने वाली सूचनाओं, आवाजों व फीडबैक को अनसुना करने की पव्र ृत्ति रखते हैं। इससे दोतरफा संचार प्रणाली भंग हो जाती है और यह संस्थानों के लिए घातक बन जाती है।
    2. निजी And सार्वजनिक दोनों प्रकार के उद्यमों में शिखर स्तर पर सारे प्राधिकार संकेन्द्रित कर लेने की प्रवृत्ति पायी जाती है। निजी क्षेत्र में मालिक तथा सार्वजनिक क्षेत्र में संबंधित मंत्री या राजनीतिक नेतृत्व बहुधा अधिकारों के हस्तांतरण में विश्वास नहीं करते व All निर्णय स्वयं लेने की प्रवृत्ति रखते हैं। यही प्रकृति बाद में नीचे के प्रबन्धकों, सचिवों, नौकरशाहों व अधिकारियों में भी घर कर जाती है। धीरे-धीरे केन्द्रीयकरण की यह व्यवस्था सर्वमान्य हो जाती है और औपचारिक सूचनातंत्र, वह भी अधोगामी सम्प्रेषण, का बोलबाला हो जाता हैं। इससे संस्थान की सूचना प्रणाली पंगु हो जाती है आरै सम्प्रेषण की गुणवत्ता पर बरु ा असर पड़ता है।
    3. Indian Customer संगठनों में अवैयक्तिक व दफ्तरशाही होने की प्रवृत्ति पायी जाती है। ऐसे संगठनों में प्रस्थिति And वर्ग की भिन्नताओं पर अधिक जोर रहने से प्रबन्धकों व कर्मचारियों के सम्बन्ध अवैयक्तिक तथा औपचारिक ही रहते हैं। संचार Single अंतरवैयक्तिक प्रक्रिया है। अत्यधिक औपचारिकता के माहौल में सूचनाओं के निर्बाध प्रवाह पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि निकटवर्ती अंतरवैयक्तिक सम्बन्धों के अभाव में लोग अपने मन की बात कह ही नहीं पाते। ऐसे में सम्प्रेषण प्रक्रिया अवरूद्ध हो जाती है।
    4. ऊपर से जो निर्देश नीचे की ओर आते हैं, वे भी अंतिम छोर तक निर्बाध नहीं पहुँच पाते, क्योंकि ऐसे संगठनों में मालिकों की नीतियों का अधिक महत्व होता है। इसमें अधीनस्थ अपने ऊपर के अधिकारियों पर अत्यधिक निभर्र हो जाते हैं। यह निर्भरता उन्हें अपनी बात ऊपर पहुँचाने से रोकती है। इससे ऐसी सूचनाएँ जो अरूचिकर हों, उनका ऊध्र्व सम्प्रेषण होने की सम्भावना न्यूनतम हो जाती है। किन्तु सकारात्मक बात यह है कि नर्इ औद्योगिक नीति व वैश्वीकरण की व्यवस्था आने के बाद Indian Customer उद्योग में प्रणालीगत सुधारों का दौर चल पड़ा है व सूचना के आधुनिक तन्त्र का प्रयोग Reseller जा रहा है, ताकि सूचनाओं का निर्बाध प्रवाह हो सके व संगठन को अधिक उत्पादकता मूलक व स्पध्र्ाी बनाया जा सके। 

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